छोटे से गांव सूरजपुर में रहने वाला मनोज एक मध्यमवर्गीय परिवार से था। उसके पिता एक दर्जी थे, जो गांव में लोगों के कपड़े सिलकर घर चलाते थे। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन मनोज की आंखों में बड़े सपने थे। वह एक आईआईटी इंजीनियर बनना चाहता था, ताकि अपने परिवार को गरीबी से निकाल सके।
गांव के लोग कहते, "छोटे गांव का लड़का बड़े सपने देख रहा है? आईआईटी में जाना आसान नहीं है!" लेकिन मनोज की मां हमेशा कहतीं, "सफलता उन्हीं को मिलती है जो अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार और मेहनती होते हैं!"
पहली चुनौती
मनोज के पास महंगी कोचिंग या अच्छे स्कूल में पढ़ने का साधन नहीं था। वह सरकारी स्कूल में पढ़ता था, जहां न तो अच्छे शिक्षक थे और न ही पढ़ाई के लिए सही माहौल।
लेकिन मनोज ने हार नहीं मानी। उसने खुद से पढ़ाई करने की ठानी। वह पुराने किताबों से पढ़ता, गांव के बड़े भाई-बहनों से गाइड मांगता और लाइब्रेरी में घंटों बैठकर पढ़ाई करता।
मेहनत का इम्तिहान
बारहवीं की परीक्षा में मनोज ने टॉप किया, लेकिन आईआईटी की तैयारी करना आसान नहीं था। उसके दोस्त महंगी कोचिंग कर रहे थे, लेकिन मनोज के पास पैसे नहीं थे।
इसलिए उसने ऑनलाइन फ्री कोर्सेस से पढ़ाई शुरू की। वह दिन में 10-12 घंटे पढ़ता और हर विषय को गहराई से समझने की कोशिश करता। जब कभी निराशा होती, तो उसे अपनी मां की बात याद आती—
"सफलता उन्हीं को मिलती है जो अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार और मेहनती होते हैं!"
असफलता से सीख
पहले प्रयास में मनोज आईआईटी की परीक्षा पास नहीं कर सका। उसे बहुत दुख हुआ, लेकिन उसने हार मानने के बजाय अपनी गलतियों से सीख ली। उसने अपनी कमियों पर काम किया और दुगुनी मेहनत के साथ दोबारा परीक्षा की तैयारी करने लगा।
दूसरे प्रयास में उसने शानदार प्रदर्शन किया और आईआईटी दिल्ली में एडमिशन पा लिया!
सफलता की ओर कदम
जब मनोज के सिलेक्शन की खबर गांव में फैली, तो लोग हैरान रह गए। वही लोग जो उसे ताने मारते थे, अब उसकी तारीफ कर रहे थे।
आईआईटी में पढ़ाई के दौरान भी उसने अपनी मेहनत जारी रखी। उसने अपनी ईमानदारी और मेहनत से कॉलेज में भी टॉप किया और एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी पाई।
सपना हुआ साकार
आज मनोज एक सफल सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और उसने अपने माता-पिता को गरीबी से बाहर निकाल दिया है। उसने गांव के गरीब बच्चों के लिए एक फ्री कोचिंग सेंटर भी खोला, ताकि कोई भी बच्चा सिर्फ पैसे की वजह से अपने सपने से दूर न रहे
जब लोग उससे उसकी सफलता का राज पूछते, तो वह मुस्कुराकर कहता—
"सफलता उन्हीं को मिलती है जो अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार और मेहनती होते हैं!"
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