एक छोटे से गाँव में एक किसान का बेटा राज रहता था। राज अपने माता-पिता के साथ छोटी सीझोपड़ी में रहता था और खेती करके अपना गुज़ारा करता था। राज की आँखों में बड़े-बड़े सपने थे।वह पढ़ लिखकर शहर में बड़ा आदमी बनना चाहता था।
लेकिन उसके घर की हालत ठीक नहीं थी। उसके पास पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। फिर भी, राजने हार नहीं मानी। वह दिन में खेतों में मेहनत करता और रात में बिजली के खंभे की रोशनी में पढ़ाईकरता।
राज के माता-पिता अक्सर कहते थे, "बेटा, हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम तुम्हें शहर भेजसकें। तुम यहीं हमारा साथ दो और खेती करो।" लेकिन राज हमेशा जवाब देता, "मां-बापू, मैंअपने सपनों के लायक हूँ और मैं इससे कम पर कभी समझौता नहीं करूंगा। यह अभिमान नहीं, स्वाभिमान है।"
राज ने अपने गाँव के स्कूल से टॉप किया और स्कूल की तरफ़ से स्कॉलरशिप पाई। वहस्कॉलरशिप उसकी लगन और मेहनत की पहचान थी।
शहर में जाकर राज ने कठिन परिश्रम किया। उसकी मेहनत रंग लाई और वह वहाँ की प्रतिष्ठितविश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। डिग्री मिलने के बाद राज को एक बड़ी कंपनी मेंनौकरी मिल गई।