Wednesday, April 29, 2020

पॉजिटिव

सुबह आठ बजे मेरे पड़ोसी ने मेरी बाइक की चाबी मांगी कहा "मुझे लैब से एक रिपोर्ट लानी है"
मैंने कहा ठीक है भाई ले जा
थोड़ी देर बाद पड़ोसी रिपोर्ट ले कर वापिस आया, 
मुझे चाबी दी और मुझे गले लगाया,
और "बहुत बहुत धन्यवाद" कह कर अपने घर चला गया,
जैसे ही वह अपने घर गया, 
गेट पर ही खड़े हो कर अपनी पत्नी से कहने लगा, 
"रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है" 
जब यह बात मेरे कान में पड़ी तो मैं गिरते गिरते बचा,
घबरा कर मेने अपने हाथ सैनिटाइज़र से साफ़ किये, 
फिर बाइक को दो बार सर्फ से धोया, 
फिर याद आया मुझे उसने गले भी लगया था, 
मैंने मन मे सोचा मारा गया तू, तुझे भी अब कोरोना होगा, 
में डेटोल साबुन से रगड़ रगड़ कर नहाया,
और बाथरूम में ही दुखी हो कर एक कोने में बैठ गया,
थोड़ी देर बाद मेने पड़ोसी को फोन करके बोला,
"भाई अगर आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव थी"
 तो कम से कम मुझे तो बख्श देते...?
"मैं बेचारा गरीब तो बच जाता" 
पड़ोसी जोर जोर से हंसने लगा, 
और कहने लगा " वो रिपोर्ट..?"
वो रिपोर्ट तो आपकी भाभी की प्रेग्नेंसी की रिपोर्ट थी,
"जो पोजटिव आयी है"   

Friday, April 3, 2020

इक्कीस दिन

एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे। दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी अचानक आकाशवाणी हुई। आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा तुम्हारी राजधानी के
बीचो बीच जो पुराना सूखा कुंआ है अगर
अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक
घर से एक – एक बाल्टी दूध उस कुएं में
डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और
लोगों का मरना बन्द हो जायेगा।
राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह
घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है । अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोंचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे अगर मै अकेली एक
बाल्टी "पानी" डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा। इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया। अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे। कुछ
भी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुयी थी। राजा ने जब कुंए
के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कुंआ पानी से भरा हुआ है।
दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी।
राजा समझ गया कि इसी कारण से
महामारी दूर नहीं हुई और लोग
अभी भी मर रहे हैं।
दरअसल ऐसा इसलिये हुआ
क्योंकि जो विचार उस बुढ़िया के मन में
आया था वही विचार पूरे राज्य के
लोगों के मन में आ गया और किसी ने
भी कुंए में दूध नहीं डाला।
मित्रों , जैसा इस कहानी में हुआ
वैसा ही हमारे जीवन में
भी होता है। जब
भी कोई ऐसा काम आता है जिसे बहुत सारे
लोगों को मिल कर करना होता है
तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह
सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो कर ही देगा और
हमारी इसी सोच की वजह से
स्थितियां वैसी की वैसी बनी रहती हैं।
अगर हम दूसरों की परवाह किये बिना अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने लग जायें तो पूरे देश में भी ऐसा बदलाव ला सकते हैं जिसकी आज हमें ज़रूरत है।  सभी घर में रहकर कोरोना को हराने मे सहयोग करें । *इक्कीस* दिन घर में रहकर हमें अपनेआप को बचाना है किसी ओर को नहीं।