बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में एक युवक नामकरण के समय राजू के नाम से जन्मा था। राजू गांव के पास एक सुंदर झील के किनारे रहता था। यह झील बहुत सुंदर थी, लेकिन उसमें अक्सर तूफान आते थे और कश्तियों को उधर-उधर ले जाते थे। लोग इस झील से नफरत करने लगे थे, क्योंकि उन्हें लगा कि इस झील के किनारे रहना खतरनाक हो गया है। लेकिन राजू ने इस झील को एक अद्वितीय संकल्प बनाया और उसके जिद्दी दिल ने उसे इस कठिनाई से लड़ने का संकल्प लिया।
राजू ने अपनी कश्ती बनाने का निर्णय लिया। लोग उसे हंसते और उसकी मजाक उड़ाते थे, लेकिन राजू अपनी कश्ती को बनाने के लिए अटल रहा। वह खुद के विश्वास को नष्ट नहीं किया और तूफानों के बीच भी जिद्दी हो गया। राजू ने कुछ खास उपायों का इस्तेमाल करके अपनी कश्ती को तैयार किया। वह अपनी कठिनाइयों का सामना करते रहा, संघर्ष को धैर्य से झेलता रहा।
जैसे-जैसे राजू अपनी कश्ती को जल में चलाना सीख रहा था, उसकी प्रतिभा और सामर्थ्य में भी सुधार हो रहा था। जब भी तूफान आता, राजू नई तकनीकों का इस्तेमाल करता था और कश्ती को स्थिर रखने की कोशिश करता था। देखते ही देखते, लोगों को यह हकीकत पता चली कि राजू की कश्ती तूफानों के सामने असाधारण रूप से स्थिर रहती है।
धीरे-धीरे, लोगों की नज़र में राजू की कश्ती में एक अद्वितीयता और बहादुरी दिखाई देने लगी। उन्होंने देखा कि राजू अक्सर तूफानों से लड़कर निकल जाता है और उसकी कश्ती उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाती है। इससे उन्होंने एक महत्वपूर्ण सीख ली - वहां जहां तूफान भी हार जाते हैं, वहीं कश्तियाँ जिद्द पर टिकी होती हैं।
राजू की कश्ती और उसकी जिद्दी दिल ने उसे सम्पूर्णता तक ले जाया। उसकी जिद्दीता और असली मेहनत ने उसे सफलता के शिखर पर पहुंचाया। लोग उसे आदर देने लगगए और उसकी सफलता की कहानी सुनाने लगे। वे उसे उदाहरण मानने लगे और उसकी जिद्दी दिल की प्रशंसा करने लगे। राजू ने अपनी जिद्दीता से देश और विदेश में अच्छे-अच्छे पदों को प्राप्त किया और अपने विदेशी सपनों को साकार किया। उसने अपने जीवन में बहुत सारी बड़ी-बड़ी कश्तियों को जीता और खुद को साबित किया कि जहां तूफान भी हार जाते हैं, वहीं असली साहसी और जिद्दी हृदय पर टिकी होती हैं।