Thursday, July 10, 2025

सपने बड़े देखो, मेहनत उससे भी बड़ी करो, सफलता खुद तुम्हारे कदम चूमेगी!

छोटे से गाँव में रहने वाला रोहित एक साधारण किसान का बेटा था। बचपन से ही उसके मन मेंबड़े सपने थे। जब उसके दोस्त खेलतेवह आसमान की ओर देखता और सोचता, "मैं भी बड़ाआदमी बनूंगाकुछ ऐसा करूंगा जिससे मेरा नाम रोशन हो।लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति औरसंसाधनों की कमी उसे बार-बार यह एहसास दिलाती कि उसका सपना बस एक सपना ही रहजाएगा।


रोहित के पिता चाहते थे कि वह पढ़ाई छोड़कर खेतों में उनका हाथ बँटाएलेकिन उसकी माँ नेहमेशा उसका हौसला बढ़ाया। "अगर तेरे सपने बड़े हैंतो मेहनत भी बड़ी कर बेटाएक दिनसफलता तेरे कदम चूमेगी," माँ कहा करतीं।


पहली परीक्षा – गाँव से शहर तक का सफर


रोहित पढ़ाई में बहुत अच्छा थालेकिन गाँव में अच्छी शिक्षा की कमी थी। उसके पास कोचिंग केलिए पैसे नहीं थेलेकिन उसने अपनी मेहनत जारी रखी। पुरानी किताबों से पढ़ाई कीगाँव केअध्यापकों से सहायता ली और हर दिन खुद से वादा किया कि वह हार नहीं मानेगा।


बारहवीं की परीक्षा में उसने पूरे जिले में टॉप कियायह उसके लिए पहला बड़ा कदम था। लेकिनयह सिर्फ शुरुआत थी। अब उसे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी थीजिसके लिए पैसे नहीं थे।


संघर्ष की राह पर आगे बढ़ते कदम


रोहित ने छात्रवृत्ति के लिए परीक्षा दी और कड़ी मेहनत से उसे छात्रवृत्ति मिल गई। वह शहर के बड़ेकॉलेज में दाखिला लेने में सफल रहा। लेकिन वहाँ भी चुनौतियाँ कम नहीं थीं।


शहर में रहने और पढ़ाई का खर्च चलाने के लिए वह दिन में पढ़ाई करता और रात में एक दुकानपर काम करता। कई बार उसे भूखा सोना पड़तालेकिन उसने कभी अपने सपनों से समझौता नहींकिया। जब उसके दोस्त मौज-मस्ती करतेवह लाइब्रेरी में बैठा अपने भविष्य को सँवारने में लगारहता।


असफलता और फिर से खड़े होने का जुनून


कॉलेज के अंतिम वर्ष में रोहित ने एक बड़ी कंपनी में नौकरी के लिए इंटरव्यू दियालेकिन उसेरिजेक्ट कर दिया गया। यह उसके लिए बड़ा झटका था। उसने खुद से सवाल किया – "क्या मैंसच में इतना बड़ा सपना देखने लायक हूँ?"


लेकिन फिर उसे अपनी माँ की बात याद आई – "मेहनत अपने सपनों से भी बड़ी करोसफलताखुद तुम्हारे कदम चूमेगी!"


उसने हार मानने की बजाय और ज्यादा मेहनत करने का फैसला किया। अगले छह महीनों तकउसने खुद को और निखाराअपनी कमजोरियों को पहचाना और उन्हें सुधारने में जुट गया।


सफलता की ऊँचाइयाँ


जब अगला मौका आयातो उसने उसे दोनों हाथों से पकड़ लिया। इस बार इंटरव्यू में वह  सिर्फसफल हुआबल्कि उसे एक मल्टीनेशनल कंपनी में शानदार पैकेज पर नौकरी मिली।


कुछ ही वर्षों में उसकी मेहनत और लगन ने उसे कंपनी का एक बड़ा अधिकारी बना दिया। वहअपने माता-पिता को गाँव से शहर ले आया और उन्हें हर वो सुख दियाजिसके वे हकदार थे।


अब रोहित  सिर्फ खुद सफल थाबल्कि उसने गाँव में एक स्कूल भी खुलवाया ताकि कोई भीबच्चा सिर्फ इसलिए अपने सपनों से दूर  हो क्योंकि उसके पास संसाधन नहीं हैं।


सीख:


रोहित की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर सपने बड़े हैंतो मेहनत उससे भी बड़ी होनीचाहिए। मुश्किलें आएँगीअसफलताएँ मिलेंगीलेकिन अगर हम हार  मानें और लगातार प्रयासकरते रहेंतो सफलता खुद हमारे कदम चूमेगी!

Wednesday, July 9, 2025

रुकना मत, चाहे थक जाओ

एक छोटा-सा पहाड़ी गाँव थानवगांव। यहाँ का एक साधारण लड़का था सागर। उसका सपनाथा आईएएस अफसर बनना। लेकिन उसके हालात उससे बिलकुल भी मेल नहीं खाते थे। पिताएक छोटी सी चाय की दुकान चलाते थे और माँ खेतों में मजदूरी करती थीं। घर में चार छोटेभाई-बहन और एक ही कमराजहाँ सपनों को पनपने की जगह भी नहीं मिलती थी।


सागर पढ़ाई में तेज़ थालेकिन गरीबी ने उसे कई बार रोकने की कोशिश की। कई बार उसे भूखेपेट पढ़ना पड़ापुराने फटे कपड़ों में स्कूल जाना पड़ा। गाँव के लोग भी कहते,

इतनी बड़ी बातें मत सोचो सागरतुम्हारे जैसे लड़के मजदूरी ही करते हैं।


लेकिन सागर को अपने आप पर भरोसा था। उसने खुद से वादा किया था

रुकना नहीं हैचाहे जितना भी थक जाऊंचलना है... मंज़िल जरूर मिलेगी।


संघर्ष की शुरुआत


सागर ने बारहवीं अच्छे अंकों से पास कीलेकिन अब असली चुनौती थी सिविल सेवा की तैयारी।उसने शहर जाकर पढ़ने का निर्णय लियालेकिन पैसे नहीं थे। तब उसके पिता ने अपनी दुकान कीछोटी सी जमीन गिरवी रख दी और कहा,

बेटाजा... लेकिन हार के मत आना। हमारे सपनों की उम्मीद तू ही है।


दिल्ली पहुँचना उसके लिए किसी और दुनिया में कदम रखने जैसा था। वहाँ की भीड़किताबों कीकीमतेंकिरायासब कुछ बोझ की तरह था। लेकिन सागर ने हिम्मत नहीं हारी।

दिन में लाइब्रेरी जातारात में सब्ज़ी मंडी में मजदूरी करता।


थकावट और उम्मीद की लड़ाई


कई बार शरीर जवाब दे जाताआँखें नींद से बोझिल हो जातीं। एक रात वह फुटपाथ पर किताबलिए सो गया। पास से एक बुज़ुर्ग रिक्शाचालक गुज़राउसने उसे उठाया और कहा,

बेटासो जाओ… लेकिन सपने मत छोड़ना।


यह बात सागर के दिल में उतर गई। उसने तय कर लिया— अब कोई थकावटकोई भूखउसेरोक नहीं सकती।


पहला प्रयास – असफलता


तीन साल की मेहनत के बाद वह UPSC की परीक्षा में बैठा। उम्मीदें बहुत थींलेकिन वह प्रीपरीक्षा में ही रह गया। वह टूट गया। लगा जैसे सब खत्म हो गया हो। लेकिन उसी समय उसेअपनी माँ की बात याद आई,

बेटारुक मत जाना… मंज़िल सिर्फ चलने वालों को मिलती है।


सागर ने फिर से किताबें उठाईं। इस बार और ज्यादा जुनून के साथ। वह जान चुका था कि एककोशिश काफी नहीं होती।


दूसरा प्रयास – सफलता की ओर


अब उसके अंदर सिर्फ एक ही चीज़ थीसंकल्प। वह दिन-रात पढ़तागलतियों से सीखता औरखुद को बेहतर बनाता। अगले साल फिर परीक्षा दी और इस बार

उसका नाम मेरिट लिस्ट में था!

 

उसके गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। वही लोग जो कभी उसे रोकते थेअब उसकी मिसालें देनेलगे। उसके पिता की आँखों में आँसू थेगर्व के आँसू।


अंत में संदेश:


सागर अब एक आईएएस अफसर हैलेकिन वह आज भी कहता है:


 "अगर उस रात फुटपाथ पर मैं हार मान लेतातो आज यहाँ तक कभी नहीं पहुँचता।

रुकना मतचाहे थक जाओक्योंकि चलने वालों को ही मंज़िलें मिलती हैं।"


सीख:

यह कहानी हमें सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी होंअगर हौसला ज़िंदा है और कदम थमे नहींहैंतो मंज़िल जरूर मिलती है। जिंदगी की राहों में थकावट  सकती हैलेकिन रुक जाना हारहै।