प्राचीन समय की बात है। एक सुंदर गाँव में राजा रामसेन का शासन था। यह गाँव प्राकृतिकसुंदरता और संसाधनों से भरा हुआ था। लोग मेहनती थे और हर कोई अपनी जरूरतें पूरी कर लेताथा। लेकिन उसी गाँव में एक युवक, अर्जुन, अपनी जिंदगी को लेकर हमेशा उदास और असंतुष्ट रहता था।
उद्देश्यहीन जीवन
अर्जुन का कोई ठोस लक्ष्य नहीं था। वह दिनभर इधर-उधर घूमता, कभी किसी के खेत में कामकरता, कभी बाजार में छोटे-मोटे काम करता और शाम होते ही अपने घर लौट आता। उसे हमेशालगता था कि उसकी जिंदगी में कुछ कमी है, लेकिन वह कभी यह सोचने की कोशिश नहीं करताथा कि आखिर वह चाहता क्या है।
एक दिन अर्जुन अपने दोस्त विक्रम से मिला, जो गाँव का सबसे मेहनती व्यक्ति था। विक्रम नेउससे पूछा, "अर्जुन, तुम्हारी जिंदगी का लक्ष्य क्या है?"
अर्जुन ने हंसते हुए जवाब दिया, "लक्ष्य? मेरे पास कोई लक्ष्य नहीं है। बस दिन काट रहा हूं।"
विक्रम ने गंभीरता से कहा, "याद रखो, जीवन की सबसे बड़ी विडंबना यह नहीं है कि तुम अपनेलक्ष्य तक नहीं पहुंचे, बल्कि यह है कि तुमने कभी लक्ष्य ही नहीं बनाया। बिना लक्ष्य के जीवनएक खाली जहाज की तरह है, जो किसी भी दिशा में बह सकता है।"
परिवर्तन की शुरुआत
विक्रम की बात अर्जुन के मन में गूंजती रही। उसने पहली बार सोचा कि उसकी जिंदगी कितनीदिशाहीन है। उसने तय किया कि वह अपने जीवन का एक उद्देश्य खोजेगा।
अर्जुन ने सोचा कि उसे क्या करना चाहिए। वह बहुत अच्छा गायक था, लेकिन कभी इस प्रतिभाको गंभीरता से नहीं लिया। उसने अपने दिल की सुनी और गायन को अपना लक्ष्य बनाने काफैसला किया।
लक्ष्य की ओर पहला कदम
अर्जुन ने अपनी गायन कला को निखारने के लिए मेहनत शुरू की। वह हर सुबह सूरज उगने सेपहले रियाज़ करता और दिनभर अपनी आवाज़ को और बेहतर बनाने की कोशिश करता। पहलेलोग उसका मजाक उड़ाते थे, कहते थे, "गाँव में गाकर क्या हासिल होगा?" लेकिन अर्जुन को इनबातों की परवाह नहीं थी।
धीरे-धीरे अर्जुन के रियाज़ का असर दिखने लगा। उसकी आवाज़ में जादू था, और लोग अब उसेसराहने लगे। उसने अपने गाँव के त्योहारों और उत्सवों में गाना शुरू किया।
संघर्ष और सफलता
एक दिन गाँव में एक बड़े राज्य के संगीतकार आए। उन्होंने अर्जुन का गाना सुना और उसे अपनेराज्य में आने का न्योता दिया। अर्जुन ने यह अवसर हाथ से नहीं जाने दिया। उसने राज्य के संगीतअकादमी में दाखिला लिया और अपनी कला को और निखारा
कई सालों की मेहनत के बाद अर्जुन राज्य का सबसे प्रसिद्ध गायक बन गया। लोग उसे सुनने केलिए दूर-दूर से आते थे। अर्जुन ने न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि अपने गाँव का नाम भीरोशन किया।
सीख
एक दिन अर्जुन अपने गाँव लौटा और विक्रम से मिला। उसने कहा, "तुम्हारी वह बात कि 'जीवनकी विडंबना यह नहीं है कि हम लक्ष्य तक नहीं पहुंचे, बल्कि यह है कि हमारे पास कोई लक्ष्य हीनहीं था,' ने मेरी जिंदगी बदल दी। जब मैंने अपना लक्ष्य तय किया, तो मेरी जिंदगी में एक नईदिशा और नया उत्साह आया।"
निष्कर्ष
अर्जुन की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में लक्ष्य का होना कितना जरूरी है। यदि हमारे पासकोई उद्देश्य नहीं है, तो हमारा जीवन दिशाहीन हो जाता है। लेकिन जब हम एक लक्ष्य तय करते हैंऔर उसे पाने के लिए प्रयास करते हैं, तो हमारी जिंदगी को अर्थ और सफलता दोनों मिलते हैं।जीवन का असली आनंद उसी में है कि हम अपने सपनों को पहचानें और उन्हें पूरा करने के लिएमेहनत करें।