बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में "कुंडल" नाम का एक सांप रहता था। कुंडल बहुत शांत और सरल स्वभाव का था। हालांकि, वह सांपों की उस प्रजाति से था जो जहरीली नहीं होती थी। उसके पास किसी को काटने या नुकसान पहुंचाने की शक्ति नहीं थी, लेकिन फिर भी वह अपनी प्रकृति के कारण दूसरों से दूरी बनाए रखता था।
जंगल के अन्य जानवर कुंडल की इस कमजोरी को जानते थे, इसलिए वे उसे गंभीरता से नहीं लेते थे। हिरण, बंदर, खरगोश, और अन्य छोटे जानवर बिना किसी डर के उसके पास से गुजरते थे और कभी-कभी उसका मजाक भी उड़ाते थे। कुंडल को यह सब देखकर बहुत दुख होता था, परंतु उसके पास कोई उपाय नहीं था। वह सोचता था, "मुझे ऐसा ही क्यों बनाया गया? मेरे पास ज़हर क्यों नहीं है, जिससे मैं अपने आपको और अपने अस्तित्व को बचा सकूं?"
एक दिन जंगल में एक बूढ़े और अनुभवी साँप, "नागराज" का आगमन हुआ। नागराज अपनी बुद्धिमानी और अनुभव के लिए पूरे जंगल में प्रसिद्ध था। कुंडल ने नागराज से अपनी परेशानी साझा की और कहा, "नागराज, मैं एक ऐसा सांप हूँ जिसके पास ज़हर नहीं है। इस कारण जंगल के अन्य जानवर मुझे गंभीरता से नहीं लेते। वे मुझसे डरते नहीं, मेरा मजाक उड़ाते हैं और मेरी स्थिति को कमजोर समझते हैं। मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या करूं।"
नागराज ने कुंडल की बात ध्यान से सुनी और थोड़ी देर सोचा। फिर वह कुंडल की ओर मुस्कराते हुए बोले, "बेटा, यह सही है कि तुम जहरीले नहीं हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम कमजोर हो। याद रखो, दुनिया में डर का भी एक अलग महत्व है। अगर तुम्हारे पास ज़हर नहीं है, तो भी तुम्हें ज़हरीले होने का ढोंग करना चाहिए। यह तुम्हारे बचाव और सम्मान का सबसे अच्छा तरीका है।"
कुंडल ने थोड़ा हैरान होकर पूछा, "लेकिन अगर मैं जहरीला नहीं हूँ, तो लोग मुझसे डरेंगे कैसे?"
नागराज ने जवाब दिया, "डर का निर्माण करना एक कला है। जब तक दूसरों को यह नहीं पता कि तुम जहरीले नहीं हो, वे तुम्हें कमज़ोर समझेंगे। तुम अपनी हरकतों, अपनी चाल-ढाल और अपने आचरण से ऐसा दिखा सकते हो कि तुम किसी भी वक्त खतरनाक साबित हो सकते हो। अगर सांप जहरीला न भी हो, तो उसे ज़हरीला होने का ढोंग करना चाहिए, ताकि उसकी सुरक्षा बनी रहे और दूसरे उसे हल्के में न लें।"
कुंडल ने नागराज की इस बात को ध्यान में रखा और उसे अपनी रणनीति का हिस्सा बना लिया। अब कुंडल ने अपनी चाल-ढाल बदल दी। जब भी कोई जानवर उसके पास से गुजरता, वह अपने फन को ऊंचा कर लेता, आँखों में चमक लाता, और अपने शरीर को इस तरह घुमाता कि लगे जैसे वह किसी भी क्षण हमला कर सकता है। उसका यह नया व्यवहार देखकर जंगल के अन्य जानवर डरने लगे।
धीरे-धीरे, कुंडल के बारे में अफवाह फैल गई कि वह बेहद जहरीला है। अब कोई भी जानवर उसके पास जाने की हिम्मत नहीं करता था। पहले जो जानवर उसका मजाक उड़ाते थे, वे अब उससे दूरी बनाए रखते थे और उसकी ओर देखते ही रास्ता बदल लेते थे। कुंडल ने देखा कि उसके जीवन में कितना बदलाव आ गया है। अब उसे न तो कोई तंग करता और न ही कोई उसका मजाक उड़ाता था।
कुंडल के लिए यह नया अनुभव बहुत सुखद था। वह समझ गया कि डर का निर्माण करना भी एक ताकत है। भले ही वह वास्तव में जहरीला नहीं था, लेकिन उसने अपनी आक्रामकता और आत्मविश्वास के जरिए दूसरों को यह एहसास दिला दिया कि वह खतरनाक हो सकता है। उसकी इस चतुराई ने उसे सम्मान और सुरक्षा दिलाई।
कुछ समय बाद, नागराज फिर से उस जंगल में आया और कुंडल से मिला। नागराज ने देखा कि कुंडल अब आत्मविश्वास से भरपूर और खुशहाल है। नागराज ने पूछा, "तो कुंडल, अब बताओ, तुम्हें कैसा लग रहा है?"
कुंडल ने हंसते हुए कहा, "आपकी सलाह ने मेरी जिंदगी बदल दी, नागराज। मैंने सीखा कि डर का निर्माण करना भी एक प्रकार की शक्ति है। भले ही मैं जहरीला नहीं हूँ, पर अब कोई मुझे कमजोर नहीं समझता।"
नागराज ने गर्व से कुंडल की ओर देखा और कहा, "यही जीवन का सबसे बड़ा सबक है। हर परिस्थिति में हमें अपनी कमजोरी को ताकत में बदलने की कला आनी चाहिए। जो व्यक्ति अपनी सीमाओं को समझते हुए उन्हें पार करने का तरीका सीख लेता है, वह सच्चा विजेता बनता है।"
इस प्रकार, कुंडल ने यह सीखा कि अगर सांप जहरीला न भी हो, तो भी उसे ज़हरीला होने का ढोंग करना चाहिए, ताकि वह सम्मान और सुरक्षा प्राप्त कर सके
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