Thursday, June 30, 2022

कर भला, हो भला

किसी गाँव में एक मंदिर था। मंदिर के पुजारी और उनकी पत्नी, भगवान के भक्त थे। प्रतिदिन पति-पत्नी मंदिर की सफाई करते, पूजा-अर्चना की सामग्री जुटाते और मंदिर में आने वालों को भोजन कराते। वे दोनों निःसंतान थे। जब भी ओणम का त्यौहार आता, वे उदास हो जाते। पुजारी की पत्नी तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाती। उसके हाथ की बनी सांबर, रसम, ओलन व अवियल बहुत मजेदार होती थी। गाँव-भर के बच्चे उसके घर जा पहुँचते और भरपेट भोजन पाते। जाते समय वह सभी को मुट्ठी भरकर शर्करपुराट्ट (यह व्यंजन केले के चिप्स में गुड़ लगाकर बनता है।) देती।

इसी तरह दिन बीत रहे थे। एक बार एक नंबूदिरी ब्राह्मण उस मंदिर में आया। वह गरीब अपनी बेटी की शादी के लिए धन एकत्र कर रहा था। मंदिर में भोजन मुफ्त मिलता था। उसने खाने से पूर्व नहाना उचित समझा। अपने धन की थैली को स्नान कुंड के किनारे रखकर वह स्नान करने लगा। स्नान करके लौटा तो थैली वहाँ नहीं थी। उसने सभी से पूछा परंतु कोई भी थैली का पता न बता सका। भगवान जाने थैली को जमीन निगल गई या आसमान खा गया था? बेचारा रोता-कलपता अपने गाँव लौट गयाकुछ समय बाद पुजारी की पत्नी झाड़ू लेकर सफाई करने आई। ज्यों ही उसने गाय का गोबर उठाया तो थैली मिल गई। हुआ यूँ कि जब ब्राह्मण स्नान करने गया तो एक गाय ने थैली पर ही गोबर कर दिया। गोबर से ढकने के कारण उसे थैली दिखाई नहीं दी। पुजारी की पत्नी ने बड़े यत्न से ब्राह्मण की अमानत को सँभाल लिया। उसने एक बार भी थैली का मुँह तक नहीं खोला।

संयोग से कुछ माह पश्चात्‌ वह ब्राह्मण पुन: वहाँ आया। धन की थैली खोने के बाद, उसकी परेशानी और बढ़ गई थी। पुजारी ने ब्राह्मण को भोजन करवाया। फिर उसके धन की थैली सामने ला रखी। ब्राह्मण मारे खुशी के रो पड़ा। उसने सारी कहानी सुनी और पुजारी की पत्नी से बोला-“इस धन पर आपका भी अधिकार है। आप इसमें से आधा ले लें।’ पुजारी की पत्नी एक धार्मिक महिला थी। उसने पराए धन का एक पैसा लेने से भी इंकार कर दिया। ब्राह्मण ने प्रसन्‍न होकर उसे वरदान दिया, ‘अगले ही वर्ष तुम एक प्रतिभाशाली, यशस्वी पुत्र की माता बनोगी।

ऐसा कहकर ब्राह्मण लौट गया। अगले वर्ष पुजारी की पत्नी ने अपने मन की मुराद पाई। जानते हो क्यों, उसका पुत्र कौन था? उसके यहाँ मलयालम के प्रसिद्ध कवि कुंजन नंबियार ने जन्म लिया। कहते हैं कि इस कवि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। मलयालम भाषा के जानकार इनकी कविताएँ अवश्य पढ़ते हैं।

Monday, June 20, 2022

जीवन में आगे बढ़ना

राजस्थान के एक गाँव में रहने वाला एक व्यक्ति हमेशा किसी ना किसी समस्या से परेशान रहता था और इस कारण अपने जीवन से बहुत दु:खी था.

एक दिन उसे कहीं से जानकारी प्राप्त हुई कि एक पीर बाबा अपने काफ़िले के साथ उसके गाँव में पधारे है. उसने तय किया कि वह पीर बाबा से मिलेगा और अपने जीवन की समस्याओं के समाधान का उपाय पूछेगा.

शाम को वह उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ पीर बाबा रुके हुए थे. कुछ समय प्रतीक्षा करने के उपरांत उसे पीर बाबा से मिलने का अवसर प्राप्त हो गया. वह उन्हें प्रणाम कर बोला, “बाबा! मैं अपने जीवन में एक के बाद एक आ रही समस्याओं से बहुत परेशान हूँ. एक से छुटकारा मिलता नहीं कि दूसरी सामने खड़ी हो जाती है. घर की समस्या, काम की समस्या, स्वास्थ्य की समस्या और जाने कितनी ही समस्यायें. ऐसा लगता है कि मेरा पूरा जीवन समस्याओं से घिरा हुआ है. कृपा करके कुछ ऐसा उपाय बतायें कि मेरे जीवन की सारी समस्यायें खत्म हो जाये और मैं शांतिपूर्ण और ख़ुशहाल जीवन जी सकूं.”

उसकी पूरी बात सुनने के बाद पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “बेटा! मैं तुम्हारी समस्या समझ गया हूँ. उन्हें हल करने के उपाय मैं तुम्हें कल बताऊंगा. इस बीच तुम मेरा एक छोटा सा काम कर दो.”

व्यक्ति तैयार हो गया.

पीर बाबा बोले, “बेटा, मेरे काफ़िले में १०० ऊँट है. मैं चाहता हूँ कि आज रात तुम उनकी रखवाली करो. जब सभी १०० ऊँट बैठ जायें, तब तुम सो जाना.”

यह कहकर पीर बाबा अपने तंबू में सोने चले गए. व्यक्ति ऊँटों की देखभाल करने चला गया.

अगली सुबह पीर बाबा ने उसे बुलाकर पूछा, “बेटा! तुम्हें रात को नींद तो अच्छी आई ना?”

“कहाँ बाबा? पूरी रात मैं एक पल के लिए भी सो न सका. मैंने बहुत प्रयास किया कि सभी ऊँट एक साथ बैठ जायें, ताकि मैं चैन से सो सकूं. किंतु मेरा प्रयास सफल न हो सका. कुछ ऊँट तो स्वतः बैठ गए. कुछ मेरे बहुत प्रयास करने पर भी नहीं बैठे. कुछ बैठ भी गए, तो दूसरे उठ खड़े हुए. इस तरह पूरी रात बीत गई.” व्यक्ति ने उत्तर दिया.

पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “यदि मैं गलत नहीं हूँ, तो तुम्हारे साथ कल रात यह हुआ?

  1. कई ऊँट ख़ुद-ब-ख़ुद बैठ गए.
  2. कईयों को तुमने अपने प्रयासों से बैठाया.
  3. कई तुम्हारे बहुत प्रयासों के बाद भी नहीं बैठे. बाद में तुमने देखा कि वे उनमें से कुछ अपने आप ही बैठ गए.”

“बिल्कुल ऐसा ही हुआ बाबा.” व्यक्ति तत्परता से बोला.

तब पीर बाबा ने उसे समझाते हुए कहा, “क्या तुम समझ पाए कि जीवन की समस्यायें इसी तरह है :

  1. कुछ समस्यायें अपने आप ही हल हो जाती हैं.
  2. कुछ प्रयास करने के बाद हल होती है.
  3. कुछ प्रयास करने के बाद भी हल नहीं होती. उन समस्याओं को समय पर छोड़ दो. सही समय आने पर वे अपने आप ही हल हो जायेंगी.

कल रात तुमें अनुभव किया होगा कि चाहे तुम कितना भी प्रयास क्यों न कर लो? तुम एक साथ सारे ऊँटों को नहीं बैठा सकते. तुम एक को बैठाते हो, तो दूसरा खड़ा हो जाता है. दूसरे को बैठाते हो, तो तीसरा खड़ा हो जाता है. जीवन की समस्यायें इन ऊँटों की तरह ही हैं. एक समस्या हल होती नहीं कि दूसरी खड़ी हो जाती है. समस्यायें जीवन का हिस्सा है और हमेशा रहेंगी. कभी ये कम हैं, तो कभी ज्यादा. बदलाव तुम्हें स्वयं में लाना है और हर समय इनमें उलझे रहने के स्थान पर इन्हें एक तरफ़ रखकर जीवन में आगे बढ़ना है.

व्यक्ति को पीर बाबा की बात समझ में आ गई और उसने निश्चय किया कि आगे से वह कभी अपनी समस्याओं को खुद पर हावी होने नहीं देगा. चाहे सुख हो या दुःख जीवन में आगे बढ़ता चला जायेगा. 


Saturday, June 11, 2022

भाग दौड़ भरी जिंदगी

एक बार एक व्यक्ति ऑफिस में देर रात तक काम करने के बाद थका हारा घर पहुंचा। दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका पांच वर्षीय बेटा सोने की बजाई उसका इंतजार कर रहा है। अंदर घुसते ही बेटे ने पूछा, “पापा क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूँ।” हाँ हाँ पूछो क्या पूछना है, पिता ने कहा। पापा आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं, बेटे ने पूछा। इससे तुम्हारा क्या लेना देना, तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे हो, पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया। पापा मैं बस यूँ ही जानना चाहता हूँ प्लीज आप बताइए कि आप एक घंटे में कितना कमाते हैं।

पिता ने गुस्से में उसकी तरफ देखते हुए कहा, “100 रुपये।” बेटे ने मासूमियत  सर झुकाते हुए कहा, “पापा क्या आप मुझे 50 रुपये उधार दे सकते हैं।” इतना सुनते ही वह व्यक्ति आग बबूला हो उठा। तो तुम इसलिए ये फालतू का सवाल कर रहे थे ताकि मुझसे [पैसे लेकर तुम कोई बेकार से खिलौना या उटपटांग चीज खरीद सको, चुपचाप अपने कमरे में जाओ और सो जाओ। सोचो तुम कितने स्वार्थी हो, मैं दिन रात मेहनत करके पैसे कमाता हूँ और तुम उसे बेकार की चीजों में बर्बाद करना चाहते हो।यह सुनकर बेटे के आँखों में आंसू आ गए और वह अपने कमरे में चला गया।

वह व्यक्ति अभी भी बहुत गुस्से में था और सोच रहा था कि आखिर उसके बेटे की ऐसा करने की हिम्मत कैसे हुई। पर एक आध घंटा बीतने के बाद वह थोड़ा शांत हुआ और सोचने लगा कि हो सकता है उसके बेटे ने सच में किसी जरुरी काम के पैसे मांगे हो, क्योंकि आज से पहले उसने कभी भी इस तरह से पैसे नहीं मांगे थे।

फिर वह उठकर अपने बेटे के कमरे में गया और बोला, “क्या तुम सो रहे हो?” नहीं, जवाब आया। मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हें डांट दिया। दरहसल दिनभर के काम से मैं बहुत था गया था, व्यक्ति ने कहा।” मुझे माफ़ कर दो, ये लो अपने पचास रुपये, ऐसा कहते हुए उसने अपने बेटे के हाथ में पचास की नोट रख दी।

थैंक यू पापा, बेटे ने ख़ुशी से पैसे लेते हुए कहा। और फिर वह तेजी से उठकर अपनी अलमारी की तरफ गया। वहां से उसने ढेर सारे सिक्के निकाले और धीरे-धीरे उन्हें गिनने लगा। यह देखकर व्यक्ति फिरसे क्रोधित होने लगा।

पिता ने पूछा, “जब तुम्हारे पास पहले से ही पैसे थे तब तुमने मुझसे और पैसे क्यों मांगे?”  बेटे ने कहा, “क्यों कि मेरे पास पैसे कम थे पर अब पुरे हैं। पापा अब मेरे पास सौ रुपये है। क्या मैं आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ। कृपा कर आप ये पैसे ले लीजिये और कल घर जल्दी आ जाइएगा, मैं आपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ।”

अपने बेटे की बात सुनकर उस व्यक्ति के आँखों में आंसू आ गए। और उसने अपने बेटे को गले से लगा लिया।

दोस्तों, इस तेज रफ़्तार भरे जीवन में हम कई बार खुदको इतना बिजी कर लेते हैं कि उन लोगों के लिए ही समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा महत्व रखते हैं। इसलिए हमें ध्यान रखना होगा कि इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम अपने माँ-बाप, जीवनसाथी, बच्चे और मित्रों के लिए समय निकाले वरना एक दिन हमें भी एहसास होगा कि हमने छोटी-छोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया।


Sunday, June 5, 2022

दृढ़ निश्चय

एक शहर में एक परिश्रमी, ईमानदार और सदाचारी लड़का रहता था. माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, रिश्तेदार सब उसे बहुत प्यार करते थे. सबकी सहायता को तत्पर रहने के कारण पड़ोसी से लेकर सहकर्मी तक उसका सम्मान करते थे. सब कुछ अच्छा था, किंतु जीवन में वह जिस सफ़लता प्राप्ति का सपना देखा करता था, वह उसे उससे कोसों दूर था.

वह दिन-रात जी-जान लगाकर मेहनत करता, किंतु असफ़लता ही उसके हाथ लगती. उसका पूरा जीवन ऐसे ही निकल गया और अंत में जीवनचक्र से निकलकर वह कालचक्र में समा गया.

चूंकि उसने जीवन में सुकर्म किये थे, इसलिए उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई. देवदूत उसे लेकर स्वर्ग पहुँचे. स्वर्गलोक का अलौकिक सौंदर्य देख वह मंत्रमुग्ध हो गया और देवदूत से बोला, “ये कौन सा स्थान है?”

“ये स्वर्गलोक है. तुम्हारे अच्छे कर्म के कारण तुम्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ है. अब से तुम यहीं रहोगे.” देवदूत ने उत्तर दिया.

यह सुनकर लड़का खुश हो गया. देवदूत ने उसे वह घर दिखाया, जहाँ उसके रहने की व्यवस्था की गई थी. वह एक आलीशान घर था. इतना आलीशान घर उसने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था.

देवदूत उसे घर के भीतर लेकर गया और एक-एक कर सारे कक्ष दिखाने लगा. सभी कक्ष बहुत सुंदर थे. अंत में वह उसे एक ऐसे कक्ष के पास लेकर गया, जिसके सामने “स्वप्न कक्ष” लिखा हुआ था.

जब वे उस कक्ष के अंदर पहुँचे, तो लड़का यह देखकर दंग रह गया कि वहाँ बहुत सारी वस्तुओं के छोटे-छोटे प्रतिरूप रखे हुए थे. ये वही वस्तुयें थीं, जिन्हें पाने के लिए उसने आजीवन मेहनत की थी, किंतु हासिल नहीं कर पाया था. आलीशान घर, कार, उच्चाधिकारी का पद और ऐसी ही बहुत सी चीज़ें, जो उसके सपनों में ही रह गए थे.

वह सोचने लगा कि इन चीज़ों को पाने के सपने मैंने धरती लोक में देखे थे, किंतु वहाँ तो ये मुझे मिले नहीं. अब यहाँ इनके छोटे प्रतिरूप इस तरह क्यों रखे हुए हैं? वह अपनी जिज्ञासा पर नियंत्रण नहीं रख पाया और पूछ बैठा, “ये सब…यहाँ…इस तरह…इसके पीछे क्या कारण है?”

देवदूत ने उसे बताया, “मनुष्य अपने जीवन बहुत से सपने देखता है और उनके पूरा हो जाने की कामना करता है. किंतु कुछ ही सपनों के प्रति वह गंभीर होता है और उन्हें पूरा करने का प्रयास करता है. ईश्वर और ब्रह्माण्ड मनुष्य के हर सपने पूरा करने की तैयारी करते है. लेकिन कई बार असफ़लता प्राप्ति से हताश होकर और कई बार दृढ़ निश्चय की कमी के कारण मनुष्य उस क्षण प्रयास करना छोड़ देता है, जब उसके सपने पूरे होने वाले ही होते हैं. उसके वही अधूरे सपने यहाँ प्रतिरूप के रूप में रखे हुए है. तुम्हारे सपने भी यहाँ प्रतिरूप के रूप में रखे है. तुमने अंत समय तक हार न मानी होती, तो उसे अपने जीवन में प्राप्त कर चुके होते.”

लड़के को अपने जीवन काल में की गई गलती समझ आ गई. किंतु मृत्यु पश्चात् अब वह कुछ नहीं कर सकता था.

मित्रों, किसी भी सपने को पूर्ण करने की दिशा में काम करने के पूर्व यह दृढ़ निश्चय कर लें  कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आये? चाहे कितनी बार भी असफ़लता का सामना क्यों न करना पड़े? अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में तब तक प्रयास करते रहेंगे, जब तब वे पूरे नहीं हो जाते. अन्यथा समय निकल जाने के बाद यह मलाल रह जाएगा कि काश मैंने थोड़ा प्रयास और किया होता. अपने सपनों को अधूरा मत रहने दीजिये, दृढ़ निश्चय और अथक प्रयास से उन्हें हकीक़त में तब्दील करके ही दम लीजिये.  

Thursday, June 2, 2022

पूरा प्रयास

सुकरात एक बहुत बड़े दार्शनिक थे। उनके पास एक बच्चा गया और उनसे पूछा कि आप मुझे सफलता का रहस्य बताएं। सुकरात ने उस बच्चे को सुबह 4 बजे नदी किनारे मिलने के बुलाया। बच्चा 4 बजे सुबह नदी किनारे पहुंचा। सुकरात उस बच्चे को लेकर नदी के बीच में गए और उसका सर पानी के अंदर डाल दिया और उसके सर को हाथ से दबाए रखा।

बच्चा छटपट छटपट करने लगा। एक मिनट के बाद सुकरात ने अपना हाथ उस बच्चे के सर से हटाया तो बच्चे ने तेजी से हाँपते हाँपते अपना सर बाहर निकाला। सुकरात ने उस बच्चे से पूछा, “बेटा! जब मैं तुम्हारा सर पानी के अंदर दबाकर रखा था तो तुम्हारे मन में किस चीज की इच्छा थी।”

बच्चा चिल्ला पड़ा और बोला, “आप मुझे पहले यह बताओ कि आप मुझे यहाँ सफलता का रहस्य समझाने बुलाए थे या मारने बुलाए थे। अरे किस चीज की इच्छा रहेगी, हवा की। किसी तरीके से मुझे पानी से बाहर निकलना था।”

सुकरात जी ने दूसरा प्रश्न किया, “तुम कितना प्रयास कर रहे थे?”

बच्चे ने कहा ,”प्रयास! अरे जितनी ताकत थी वह सारी की सारी ताकत मैंने पानी से बाहर निकलने में लगा दी।”

सुकरात जी ने कहा, “बेटा यही सफलता का रहस्य है। तुम जिस काम में भी सफल होना चाहते हो अगर उस काम को करने में भी तुम उतना ही प्रयास करोगे जितना प्रयास तुम पानी से निकलने के लिए  कर रहे थे तो उस काम में भी तुम्हें सफलता मिलेगी।

हर सफलता की एक कीमत होती है उसमें प्रयास करना पड़ता है, उसमें समय लगाना पड़ता है। बिना प्रयास के और बिना समय लगाए किसी भी व्यक्ति को आज तक सफलता नहीं मिली है। इसलिए अगर आपको सफलता पाना है तो आपको सुकरात जी की बात माननी होगी।

किसी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए जितना प्रयास एवं जितना समय देने की आवश्यकता है, उतना ही देना होगा। क्या आप सफल होने के लिए पूरा प्रयास करने के लिए तैयार है, निर्णय आपका है।