यह कहानी राजापुर नाम के एक छोटे से गाँव के लड़के करण की है। करण गरीब परिवार में जन्मा था। उसके पिता एक मजदूर थे और मां घर संभालती थीं। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि कई बार खाना भी मुश्किल से मिलता।
करण का मन पढ़ाई में बहुत लगता था, लेकिन उसके पास किताबें खरीदने तक के पैसे नहीं थे। स्कूल जाने के लिए उसे कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता। लोग उसे ताने मारते, "तुम्हारे जैसे गरीब लड़के के लिए पढ़ाई बेकार है। इससे कुछ नहीं होगा।"
लेकिन करण को यकीन था कि मेहनत करने वालों के लिए हमेशा अवसर होते हैं। उसने कभी भी अपनी परिस्थिति के लिए शिकायत नहीं की।
पहला कदम: पढ़ाई का जुनून
करण ने स्कूल में पढ़ाई जारी रखी। उसके पास न तो किताबें थीं, न ही अच्छे कपड़े। फिर भी वह अपने दोस्तों की पुरानी किताबों से पढ़ता और उधार में पेंसिल मांगकर लिखाई करता। स्कूल के शिक्षक उसकी लगन देखकर प्रभावित थे। एक दिन प्रधानाध्यापक ने उसे कहा, "बेटा, अवसर तुम्हें तभी मिलेगा जब तुम मेहनत करोगे। परिस्थितियों को दोष देने से कुछ नहीं होता।"
करण ने इस बात को अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया। उसने सोचा कि अगर अवसर नहीं हैं, तो वह खुद अवसर बनाएगा।
मेहनत से अवसर बनाना
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद करण को आगे पढ़ने का बहुत मन था, लेकिन पैसे नहीं थे। उसने गाँव में छोटे-मोटे काम करना शुरू किया। वह खेतों में मजदूरी करता और रात को पढ़ाई करता। कई बार उसे भूखा भी रहना पड़ता, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
कुछ समय बाद उसे एक छात्रवृत्ति का अवसर मिला। उसने कड़ी मेहनत की और परीक्षा पास करके शहर के एक कॉलेज में दाखिला लिया। कॉलेज में भी उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन उसने पार्ट-टाइम नौकरी करके अपनी पढ़ाई जारी रखी।
अवसर की तलाश
करण ने कभी भी अवसरों की कमी का रोना नहीं रोया। जब उसे नौकरी नहीं मिली, तो उसने खुद का एक छोटा व्यवसाय शुरू किया। उसने लोगों को पढ़ाने का काम किया और बच्चों को सस्ते में शिक्षा देने लगा। धीरे-धीरे उसकी पहचान बढ़ी, और वह एक सफल शिक्षक बन गया।
महानता का उदय
कुछ वर्षों बाद करण ने अपने गाँव लौटकर एक बड़ा स्कूल खोला। उसने सुनिश्चित किया कि गाँव के किसी भी बच्चे को पढ़ाई के लिए पैसे की कमी न हो। अब लोग उसे आदर से देखते और कहते, "करण ने साबित कर दिया कि अवसर हमारे आसपास होते हैं। उन्हें पहचानने और बनाने के लिए मेहनत और विश्वास चाहिए।"
सीख
करण की कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी महान व्यक्ति अवसरों की कमी का रोना नहीं रोता। अवसर हमारे चारों ओर होते हैं, बस उन्हें ढूंढने और पाने के लिए धैर्य और मेहनत की जरूरत होती है।
निष्कर्ष
"कोई भी महान व्यक्ति अवसरों की कमी के बारे में शिकायत नहीं करता।" यह कहावत हमें सिखाती है कि जो लोग अपने जीवन में असफल होते हैं, वे अक्सर अपनी परिस्थितियों को दोष देते हैं। लेकिन जो लोग महानता की ऊंचाइयों पर पहुंचते हैं, वे अपनी मेहनत और संकल्प से नए अवसर बनाते हैं। करण ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और समर्पण से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
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