Friday, July 4, 2025

जो अपने हालात से हार मान ले, वो कभी खुद को जीतते हुए नहीं देख पाता

 उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव लालापुर में रहने वाला एक लड़का थाअमित। उसके पिता दर्जीका काम करते थे और माँ घर पर चूड़ियाँ बनाकर कुछ पैसा कमाती थीं। घर की आर्थिक स्थितिबहुत कमजोर थी। लेकिन अमित के भीतर कुछ अलग थाएक सपनाजो हर रोज़ उसकी आँखोंमें चमकता था। वह एक इंजीनियर बनना चाहता था।

गाँव में अच्छे स्कूल नहीं थेलेकिन अमित हर दिन 5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाता। कईबार पुराने जूते फट जातेकभी बरसात में भीगकर किताबें खराब हो जातींलेकिन वो रुकता नहींथा। जब दूसरे बच्चे खेलतेवो पेड़ के नीचे बैठकर गणित के सवाल हल करता।


हालात की मार


दसवीं की परीक्षा में अमित ने पूरे जिले में टॉप किया। उसे शहर के एक अच्छे कॉलेज में दाखिलामिला। लेकिन अब सबसे बड़ी चुनौती थीपैसे। दाखिले की फीसकिताबेंहॉस्टलसब कुछमिलाकर इतनी रकम थीजो उसके परिवार के बस से बाहर थी।


पिता ने गाँव की एक छोटी ज़मीन बेच दी और माँ ने अपने गहने गिरवी रख दिए। अमित को शहरभेजा गया। लेकिन शहर की ज़िंदगी आसान नहीं थी। कमरे का किरायाखाना और पढ़ाई कादबाव... सब कुछ बहुत भारी लगने लगा।

 

धीरे-धीरे हालात बिगड़ते गए। कई बार खाना भी नसीब नहीं होता। रात को भूखा सोनादिन मेंथककर क्लास में बैठनाये अमित की रोज़मर्रा की कहानी बन गई थी। एक दिन वो पूरी तरह टूटगया और माँ को फोन करके कहा:


माँमुझसे नहीं हो पाएगा। शायद मैं हार गया।

 

माँ की आवाज़ धीमी लेकिन दृढ़ थी:

 

बेटायाद रखोजो अपने हालात से हार मान लेवो कभी खुद को जीतते हुए नहीं देख पाता।तुझमें हिम्मत हैतू करेगा।


नई ताकत


माँ की बात ने जैसे उसे फिर से ज़िंदा कर दिया। उसने अपने आँसू पोंछे और सोच लियाअबपीछे मुड़कर नहीं देखना। उसने समय का सही उपयोग करना शुरू किया। दिन में क्लासरात मेंकोचिंग सेंटर में साफ-सफाई की नौकरीऔर देर रात तक पढ़ाई।


धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी। वह अपनी कक्षा में अव्वल आने लगा। प्रोफेसर भी उसकीलगन देखकर प्रभावित हुए और उसे गाइड करना शुरू किया।


सफलता की पहली सीढ़ी


चार साल बाद अमित ने इंजीनियरिंग की डिग्री शानदार अंकों से पास की। लेकिन कहानी यहींखत्म नहीं हुई। उसने देश की प्रतिष्ठित कंपनी के इंटरव्यू में भाग लिया। जब रिजल्ट आयातोअमित का चयन हो गयाएक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में।


पहली सैलरी आते ही उसने सबसे पहले माँ के गिरवी रखे गहने छुड़ाए और अपने पिता की सिलाईमशीन बदलवाकर नई दिलवाई।


गाँव में वापसी


कुछ सालों बाद अमित गाँव लौटालेकिन अब वह एक सफल इंजीनियर था। गाँव के बच्चों कोइकट्ठा किया और कहा:

 मैं तुम जैसा ही थाकमज़ोर हालातगरीबी और संघर्ष में पला-बढ़ा। लेकिन मैंने हार नहींमानी। अगर तुम हालात से हार मान लोगेतो खुद को जीतते हुए कभी नहीं देख पाओगे। इसलिएडटे रहोसीखते रहोचलते रहो।


अंतिम संदेश:

 

> “हालात चाहे जैसे भी होंअगर इंसान खुद को हारा नहीं मानतातो कोई ताकत उसे रोक नहींसकती।

जो अपने हालात से हार मान लेवो कभी खुद को जीतते हुए नहीं देख पाता।


सीख:

 

यह कहानी बताती है कि असली जीत वही है जो मुश्किलों के बावजूद मिलती है। अगर मन मेंविश्वास और मेहनत करने की आग होतो हालात चाहे जितने भी खराब क्यों  होंइंसान अपनीमंज़िल तक जरूर पहुँचता है।

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