एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था, लेकिन एक समस्या थी – वह अपने दिए हुए वचनों को समय पर पूरा नहीं करता था। लोग उसके पास आते, अपने काम के लिए निवेदन करते, और रामू खुशी-खुशी वचन दे देता कि वह काम समय पर कर देगा। लेकिन फिर वह या तो उस काम को भूल जाता या किसी न किसी बहाने से टालता रहता।
रामू की इस आदत से गाँव के लोग धीरे-धीरे उससे निराश होने लगे। पहले वे उस पर विश्वास करते थे, लेकिन समय के साथ उसका विश्वास उठने लगा। रामू को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर लोग उससे दूर क्यों हो रहे हैं।
एक दिन, गाँव के मुखिया ने रामू को बुलाया और कहा, “रामू, तुम बहुत अच्छा काम करते हो, लेकिन तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी है कि तुम समय पर अपना काम पूरा नहीं करते। जब तुम किसी काम के लिए वचन देते हो, तो लोग तुम पर भरोसा करते हैं। लेकिन जब तुम वचन पूरा नहीं करते, तो लोग तुम पर से विश्वास खो देते हैं।"
रामू को यह सुनकर बहुत बुरा लगा। उसने मुखिया से वादा किया कि वह अब से अपने हर वचन को समय पर पूरा करेगा और लोगों का विश्वास फिर से जीतने की कोशिश करेगा। मुखिया ने उसे सलाह दी, “देखो रामू, समय पर किया गया काम ही सच्ची सफलता दिलाता है। अगर तुमने किसी काम के लिए वचन दिया है, तो उसे उसी समय पर पूरा करो, नहीं तो तुम्हारे ऊपर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा।”
रामू ने मुखिया की बातों को गंभीरता से लिया और सोचने लगा कि अब से वह अपने सभी काम समय पर करेगा। उसने एक योजना बनाई कि वह अपने कामों को अच्छे से व्यवस्थित करेगा और किसी भी काम को अधूरा या टालमटोल नहीं करेगा।
कुछ दिनों बाद, गाँव के एक व्यापारी ने रामू से अपनी दुकान की मरम्मत कराने का आग्रह किया। रामू ने व्यापारी को वचन दिया कि वह अगले तीन दिनों में उसकी दुकान की मरम्मत कर देगा। व्यापारी को पहले से ही रामू की आदत के बारे में पता था, इसलिए उसने रामू पर विश्वास नहीं किया। लेकिन रामू ने इस बार ठान लिया था कि वह अपने वचन को समय पर पूरा करेगा।
रामू ने अगले ही दिन से काम शुरू कर दिया। वह सुबह-सुबह अपनी सामग्री लेकर व्यापारी की दुकान पर पहुंचा और बिना किसी देरी के काम करने लगा। उसने पूरे दिन कड़ी मेहनत की और समय पर अपना काम खत्म किया। तीसरे दिन की शाम को, रामू ने व्यापारी को बुलाया और कहा, “आपकी दुकान की मरम्मत पूरी हो गई है, जैसा कि मैंने वादा किया था।”
व्यापारी यह देखकर हैरान रह गया कि रामू ने इस बार अपना काम समय पर पूरा किया। उसने रामू की प्रशंसा की और कहा, “रामू, तुमने वाकई इस बार अपना वचन निभाया है। अब मैं तुम पर फिर से विश्वास कर सकता हूँ।”
इस घटना के बाद, गाँव के लोग धीरे-धीरे रामू पर फिर से विश्वास करने लगे। जो लोग पहले रामू से नाराज थे, अब वे उसके पास अपने काम कराने के लिए आने लगे। रामू ने अब यह सीख लिया था कि समय पर काम करना कितना महत्वपूर्ण होता है। वह अब किसी भी काम के लिए वचन देने से पहले उसकी योजना बनाता और उसे समय पर पूरा करने का प्रयास करता।
समय के साथ, रामू गाँव का सबसे विश्वसनीय और सम्मानित व्यक्ति बन गया। लोग उसके पास आते, अपने कामों के लिए उसकी मदद मांगते, और रामू हर काम को समय पर पूरा करता। उसका जीवन अब पहले से बेहतर हो गया था, और उसने एक बात हमेशा याद रखी – “जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है।”
सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि वचन निभाना और समय पर अपने कार्यों को पूरा करना कितना महत्वपूर्ण होता है। अगर हम समय पर अपने कार्य नहीं करते हैं, तो लोग हम पर से विश्वास खो देते हैं। वचन एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है, जिसे निभाना हमारा कर्तव्य है। समय प्रबंधन और अनुशासन जीवन में सफलता की कुंजी होते हैं।
रामू की तरह, अगर हम अपने जीवन में यह नियम अपनाएं कि हर कार्य को समय पर और पूरी जिम्मेदारी से करें, तो न केवल हमें सफलता मिलेगी, बल्कि हम दूसरों के विश्वास और सम्मान के पात्र भी बनेंगे।
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