Sunday, July 7, 2024

विश्व एक विशाल व्यायाम शाला है

किसी समय की बात हैएक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक युवक रहता था। वह बहुत ही मेहनतीऔर सच्चा थापरंतु उसे हमेशा ऐसा लगता था कि जीवन में वह जितना प्रयास करता हैउसेउतना फल नहीं मिलता। एक दिनउसने अपने गुरूजीआचार्य देवदत्तसे अपनी चिंता व्यक्तकी।रमेश ने कहा, "गुरूजीमैं दिन-रात मेहनत करता हूँपरंतु मुझे ऐसा लगता है कि मैं कहींनहीं पहुंच पा रहा हूँ। जीवन में इतनी कठिनाइयाँ क्यों हैंक्या जीवन का उद्देश्य सिर्फ संघर्षकरना ही है?"आचार्य देवदत्त ने रमेश की बातें ध्यान से सुनीं और मुस्कुराते हुए बोले, "रमेशजीवन एक विशाल व्यायामशाला है जहां हम खुद को मज़बूत बनाने के लिए आते हैं। हरकठिनाईहर चुनौती हमें और मज़बूत बनाने के लिए होती है।"रमेश ने थोड़ा अचरज से पूछा, "गुरूजीमैं आपकी बात समझ नहीं पाया। क्या आप मुझे विस्तार से समझा सकतेहैं?"आचार्य देवदत्त ने रमेश को पास के एक पहाड़ी क्षेत्र में चलने का निर्देश दिया। दोनों नेयात्रा शुरू की और कुछ समय बाद वे एक बहुत बड़े पत्थर के पास पहुंचे। आचार्य देवदत्त नेरमेश से कहा, "इस पत्थर को उठाने की कोशिश करो।"रमेश ने अपनी पूरी शक्ति लगाईपरंतुपत्थर को हिला भी नहीं पाया। वह निराश होकर बोला, "गुरूजीयह पत्थर बहुत भारी है। मैंइसे नहीं उठा सकता।"आचार्य देवदत्त ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहींअब तुम रोज़ इसपत्थर को उठाने की कोशिश करना।"रमेश ने गुरूजी की बात मान ली और प्रतिदिन उस पत्थरको उठाने का प्रयास करने लगा। दिन बीतते गएहफ्ते और महीने बीतते गए। धीरे-धीरेरमेशकी ताकत बढ़ने लगी और एक दिन ऐसा भी आया जब उसने पत्थर को उठा लिया। वह बहुतखुश हुआ और दौड़ते हुए गुरूजी के पास पहुंचा।रमेश ने गर्व से कहा, "गुरूजीमैंने पत्थर कोउठा लिया।"आचार्य देवदत्त ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिल्कुल सहीरमेश। यह पत्थर तुम्हारीजिंदगी की कठिनाइयों का प्रतीक था। तुम्हारे निरंतर प्रयास और धैर्य ने तुम्हें इस काबिलबनाया कि तुमने इसे उठा लिया। इसी प्रकारजीवन की हर कठिनाई हमें और मज़बूत बनानेके लिए होती है। हमें बस उसे सहन करने और निरंतर प्रयास करते रहने की आवश्यकता होतीहै।"रमेश ने अब गुरूजी की बात पूरी तरह से समझ ली। उसने पूछा, "गुरूजीक्या इसकामतलब यह है कि हर कठिनाई हमें कुछ सिखाने और हमें मज़बूत बनाने के लिए होतीहै?"आचार्य देवदत्त ने कहा, "बिल्कुल सहीरमेश। जिस प्रकार व्यायामशाला में विभिन्न प्रकारके व्यायाम हमारे शरीर को मज़बूत और लचीला बनाते हैंउसी प्रकार जीवन की कठिनाइयाँऔर चुनौतियाँ हमारे मन और आत्मा को मज़बूत बनाती हैं। हमें हर चुनौती को एक अवसर कीतरह देखना चाहिएजो हमें और बेहतर बनाने के लिए है।"रमेश ने गुरूजी की बातें अपने दिलऔर दिमाग में बिठा लीं। अब जब भी उसे कोई कठिनाई आतीवह उसे एक नए व्यायाम कीतरह देखता और उसे पूरा करने के लिए पूरी मेहनत करता। उसका जीवन अब पूरी तरह सेबदल चुका था। वह पहले से अधिक आत्मविश्वासी और खुश रहने लगा था।समय बीततागया और रमेश की मेहनत और समर्पण ने उसे गाँव के सबसे सफल और सम्मानित व्यक्तियों मेंसे एक बना दिया। लोग उसकी प्रेरणादायक कहानी सुनकर उससे सलाह लेने आते थे।एकदिनगाँव का एक और युवकसूरजजो जीवन की कठिनाइयों से परेशान थारमेश के पासपहुंचा। सूरज ने कहा, "भाईमैं बहुत परेशान हूँ। मुझे लगता है कि जीवन में केवल संघर्ष हीसंघर्ष है। क्या इसका कोई अंत नहीं है?"रमेश ने मुस्कुराते हुए सूरज को वही बात बताई जोकभी गुरूजी ने उसे सिखाई थी, "सूरजविश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहां हम खुद कोमज़बूत बनाने के लिए आते हैं। हर कठिनाईहर चुनौती हमें और मज़बूत बनाने के लिए होतीहै।"सूरज ने रमेश की बातें सुनीं और उसकी प्रेरणादायक कहानी जानने के बाद उसे समझ में गया कि जीवन की कठिनाइयों का सामना कैसे करना है। उसने भी रमेश की तरह हरचुनौती को एक अवसर की तरह देखना शुरू किया और धीरे-धीरे उसने भी अपने जीवन मेंसफलता पाई।इस प्रकाररमेश ने गुरूजी की सिखाई हुई बातें गाँव के सभी युवकों तकपहुंचाई और उन्हें जीवन की कठिनाइयों से निपटने का सही तरीका सिखाया। गाँव के सभीयुवक अब जीवन की हर चुनौती को एक अवसर की तरह देखते और अपने प्रयासों से अपनेजीवन को बेहतर बनाते।इस कहानी से यह सीख मिलती है कि जीवन की हर कठिनाई औरचुनौती हमें और मज़बूत बनाने के लिए होती है। हमें हर परिस्थिति को एक अवसर की तरहदेखना चाहिए और अपनी पूरी मेहनत और समर्पण के साथ उसका सामना करना चाहिए। इसतरहहम  केवल अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैंबल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोतबन सकते हैं।

 

 

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