Tuesday, June 24, 2025

इरादों की ताक़त

 कॉलेज खत्म हुआलेकिन नौकरी नहीं मिली। कोविड के दौर में हालात और भी ख़राब हो गए।घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गईकर्ज़ बढ़ गयालेकिन विशाल ने हिम्मत नहीं हारी।

उसने तय किया कि वह अपना सपना अब शुरू करेगाएक डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म बनाना जोग्रामीण छात्रों को मुफ्त में टेक्नोलॉजी सिखा सके।

पर कहाँ से शुरू करेना पैसेना टीमना अनुभव।

इंटरनेट कैफ़े से बनी उम्मीद

विशाल ने एक पुराने इंटरनेट कैफ़े में काम पकड़ लिया। वहीं कंप्यूटर पर काम करते-करतेवहकोडिंग सीखता रहावीडियो बनाता रहाऔर अपना प्लेटफॉर्म तैयार करता रहा।

रात को जब सब सो जातेतो वह देर रात तक स्क्रीन पर झुका रहता। माँ फोन पर कहती,

बेटाइतनी मेहनत क्यों करता हैआराम कर ले।

तो वह जवाब देता,

माँअगर आज आराम कर लियातो कल कोई और मेरा सपना पूरा कर देगा।


पहली सफलता की किरण

छोटे-छोटे वीडियो बनाकर वह उन्हें यूट्यूब और सोशल मीडिया पर डालने लगा। शुरुआत में व्यूजकम थेलेकिन कंटेंट दमदार था। धीरे-धीरे छात्रों का ध्यान उसकी ओर गया।

कुछ शिक्षकों ने उसके वीडियो देखकर संपर्क किया और जुड़ने की इच्छा जताई। उसने एकछोटा-सा मोबाइल ऐप बनाया – “ग्राम लर्नर – जो सस्ती इंटरनेट स्पीड में भी चलता था।

कुछ ही महीनों में ऐप के 10,000 से ज्यादा डाउनलोड हो गए।


अब पहचान मिलने लगी


एक दिन दिल्ली की एक एनजीओ ने उसके काम पर ध्यान दिया और उससे संपर्क किया। उन्होंनेउसे आर्थिक सहायता दी और प्लेटफॉर्म को और बड़ा करने में मदद की।

आज “ग्राम लर्नर” ऐप से 1 लाख से ज़्यादा ग्रामीण छात्र पढ़ रहे हैं। विशाल का सपना अबहक़ीक़त बन गया है।


गाँव में वापसी और गर्व


विशाल अब भी महीने में एक बार अपने गाँव आता है। उसी स्कूल में जाकर बच्चों से मिलता हैजहाँ से उसने शुरुआत की थी।


वह हमेशा एक बात कहता है:


> “सपनों से ज़्यादा ज़रूरी है अपने इरादों से प्यार करना।

हालात चाहे जैसे भी हो जाएँइरादे नहीं बदलने चाहिए।

क्योंकि असली मज़ा तो तब है,

जब हालात बदल जाएँलेकिन इरादे  बदलें।


सीख / संदेश


यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में परिस्थितियाँ बदलती रहती हैंकभी मुश्किलकभीआसान। लेकिन जो इंसान अपने इरादों पर डटा रहता हैवही सच में सफल होता है।


बदलते हालात के सामने घुटने टेकना आसान है,

लेकिन उन्हें झुकाकर आगे बढ़ जाना ही असली जीत है।

इरादा कभी मत बदलोचाहे दुनिया कितनी भी बदल जाए।

Saturday, June 21, 2025

जो अपने डर से लड़ गया, वो हर जंग जीत गया

उत्तराखंड के एक पहाड़ी गाँव कमलपुर में रहने वाला अनिकेत बहुत ही शर्मीला और डरपोकलड़का था। उसे मंच पर बोलने से डर लगताभीड़ में जाने से घबराहट होती और अपनी बात रखनेमें उसकी आवाज़ कांपती थी। स्कूल में बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते और टीचर कहते

"तू बहुत होशियार हैलेकिन जब तक डर को नहीं हराएगाआगे नहीं बढ़ पाएगा।"

अनिकेत के माता-पिता किसान थेऔर उन्होंने हमेशा उसे समझाया,

"डर सबको लगता हैबेटा… लेकिन जो अपने डर से लड़ता हैवही सच्चा विजेता बनता है।"

डर की शुरुआत – एक कड़वा अनुभव


आठवीं कक्षा में जब उसे भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिलातो वह स्टेज पर चढ़तेही घबरा गया। उसका गला सूख गयाशब्द अटक गए और वह रोते हुए नीचे उतर आया। उसकेबाद से वह किसी मंच की ओर देखने से भी डरता था।

एक दिन उसने माँ से कहा, "मुझे सबके सामने बोलना नहीं आता। मैं कभी बड़ा आदमी नहीं बनसकता।"

माँ ने मुस्कुराते हुए कहा,

"जो अपने डर से लड़ गयावो हर जंग जीत गया। तुझे सिर्फ खुद से लड़ना हैदूसरों से नहीं।"


नई दिशा की शुरुआत

अनिकेत ने दसवीं कक्षा में एक संकल्प लियाअब डर को हराना है।

उसने सबसे पहले आईने के सामने बोलना शुरू किया। हर दिन खुद से बात करताभाषणों कोज़ोर से पढ़ता।

धीरे-धीरे उसने स्कूल की छोटी बैठकों में हाथ उठाना शुरू किया। जब दोस्त हँसतेवह फिर भीबोलता। हर बार जब डर उसे रोकतावह खुद से कहता

"तू डर से हार गयातो जिंदगी से हार जाएगा।"

 

पहला बड़ा कदम – भाषण प्रतियोगिता

बारहवीं में इंटर स्कूल भाषण प्रतियोगिता हुई। अनिकेत ने भाग लेने का निर्णय लिया। जब उसकानाम पुकारा गयातो दिल जोर-जोर से धड़क रहा थालेकिन इस बार वह पीछे नहीं हटा।


उसने मंच पर चढ़ते ही गहरी साँस ली और कहा:

"मुझे डर लगता हैलेकिन मैं लड़ रहा हूँ… और यही मेरी जीत है।"


पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। उसने भाषण पूरा किया और जब नीचे उतरातो उसकी आँखोंमें आँसू थेलेकिन इस बार ये आँसू कमजोरी के नहींविजय के थे।


कॉलेज जीवन – नये अवसरनया आत्मविश्वास


कॉलेज में उसने डिबेट क्लब जॉइन किया। डर अब भी थालेकिन उसने हर बहसहर मंच को एकयुद्ध की तरह लड़ा।

धीरे-धीरे वह कॉलेज का जाना-माना वक्ता बन गया।

 

तीसरे साल उसे राज्य स्तरीय युवा वक्ता पुरस्कार मिला। इंटरव्यू में जब उससे पूछा गया, “तुमइतना अच्छा कैसे बोल लेते हो?”

तो उसने मुस्कुरा कर कहा:

 

> “मैंने बोलना नहीं सीखामैंने सिर्फ डर से लड़ना सीखा। और जो अपने डर से लड़ गयावो हरजंग जीत गया।


आज का अनिकेत

आज अनिकेत एक सफल मोटिवेशनल स्पीकर है। वह देशभर में युवाओं को प्रेरणा देता हैखासकर उन्हें जो आत्मविश्वास की कमी से जूझते हैं।


वह जब भी किसी घबराए हुए छात्र से मिलता हैबस यही कहता है:

"डर भागेगा नहींतुमको ही उसे हराना होगा।

क्योंकि जो अपने डर से लड़ गया,

वो हर जंग जीत गया।"


सीख / संदेश

 

डर हर किसी को लगता हैवो छोटा हो या बड़ागरीब हो या अमीर। लेकिन डर से भागनासमाधान नहीं है।

 

डर से लड़ना ही असली ताक़त है।

जब हम खुद के डर को चुनौती देते हैंतभी हम असल जिंदगी की हर लड़ाई जीतने लायक बनतेहैं।

जो अपने डर से जीत गयाउसके लिए दुनिया की कोई जंग बड़ी नहीं होती।

भरोसे की उड़ान