Monday, September 23, 2024

विश्वास भी अमूल्य होता है।

 एक  समय  की  बात  है,  एक छोटे से गाँव  में रामदास नाम का  एक  किसान  रहता था। रामदास  अपनी सच्चाई और मेहनत के लिए पूरे गाँव में जाना जाता था। उसकी एक खासियत थी कि वह जो भी वादा करताउसे ठीक समय पर पूरा करता। इसी कारण गाँववाले उस पर अटूट विश्वास करते थे।

 

एक दिन रामदास ने अपने मित्र मोहन से वादा किया कि वह अगले सोमवार को उसकेखेत में काम करने आएगा। मोहन का खेत बहुत बड़ा थाऔर उसे रामदास की मदद कीसख्त जरूरत थी। रामदास ने बड़े आत्मविश्वास से कहा, "चिंता मत करसोमवार सुबह मैंसमय से  जाऊंगा।"

 

सोमवार का दिन आयालेकिन दुर्भाग्यवशरामदास की तबियत सुबह से ही खराब होगई। बुखार और सिरदर्द के कारण वह बिस्तर से उठ भी नहीं सका। उसकी पत्नी नेकहा, "तुम्हारी तबियत खराब हैमोहन को बता दो कि तुम आज नहीं  सकोगे।रामदास ने गहरी सांस ली और  कहा, "मैंने वादा किया है,  और  अगर मैं उसे आज  नहीं निभा सकातो मोहन का  मुझ  पर विश्वास टूट  जाएगा।"

 

रामदास ने दवा खाई और जैसे-तैसे अपने खेत के काम छोड़कर मोहन के खेत की ओरचल पड़ा। रास्ते में उसे चक्कर आने लगेलेकिन उसने हार नहीं मानी। उसकी हालतदेखकर गाँव के कुछ लोगों ने कहा, "तुम क्यों अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहेहोएक दिन काम  करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।पर रामदास ने जवाब दिया, "अगर मैंने आज वादा पूरा नहीं कियातो कल मेरे कहने का कोई मोल नहीं बचेगा।"

 

काफी मुश्किलों के बाद रामदास मोहन के खेत पहुंचा। मोहन ने उसे देखते ही कहा, "तुम्हारी हालत ठीक नहीं लग रही। तुम्हें आज नहीं आना चाहिए था।रामदासमुस्कुराया और बोला, "मैंने वादा किया था कि मैं सोमवार को आऊंगाऔर यह वादामेरे लिए बहुत मायने रखता है। अगर आज मैं  आतातो कल कोई भी मेरे शब्दों परभरोसा नहीं करता।"

 

मोहन ने उसकी ईमानदारी और दृढ़ निश्चय की बहुत सराहना की। उसने रामदास कोआराम करने के लिए कहा और उसके काम का हिस्सा खुद करने का वादा किया। इसघटना के बाद गाँव के सभी लोग रामदास की तारीफ करने लगे। उसकी इस बात नेसबको सिखाया कि "जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करोठीक उसी समय परउसे करना ही चाहियेनहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।"

 

इस घटना के बाद से गाँव के लोग  सिर्फ रामदास पर भरोसा करने लगेबल्कि उसकीनिष्ठा को भी आदर्श मानने लगे। रामदास ने यह सिद्ध कर दिया कि वक्त पर किया गयावादा  सिर्फ इंसान की प्रतिष्ठा बढ़ाता हैबल्कि उसका विश्वास भी अमूल्य होता है।

 

Sunday, September 22, 2024

वचन का मान

 एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था, लेकिन एक समस्या थी – वह अपने दिए हुए वचनों को समय पर पूरा नहीं करता था। लोग उसके पास आते, अपने काम के लिए निवेदन करते, और रामू खुशी-खुशी वचन दे देता कि वह काम समय पर कर देगा। लेकिन फिर वह या तो उस काम को भूल जाता या किसी न किसी बहाने से टालता रहता।

रामू की इस आदत से गाँव के लोग धीरे-धीरे उससे निराश होने लगे। पहले वे उस पर विश्वास करते थे, लेकिन समय के साथ उसका विश्वास उठने लगा। रामू को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर लोग उससे दूर क्यों हो रहे हैं।

एक दिन, गाँव के मुखिया ने रामू को बुलाया और कहा, “रामू, तुम बहुत अच्छा काम करते हो, लेकिन तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी है कि तुम समय पर अपना काम पूरा नहीं करते। जब तुम किसी काम के लिए वचन देते हो, तो लोग तुम पर भरोसा करते हैं। लेकिन जब तुम वचन पूरा नहीं करते, तो लोग तुम पर से विश्वास खो देते हैं।"

रामू को यह सुनकर बहुत बुरा लगा। उसने मुखिया से वादा किया कि वह अब से अपने हर वचन को समय पर पूरा करेगा और लोगों का विश्वास फिर से जीतने की कोशिश करेगा। मुखिया ने उसे सलाह दी, “देखो रामू, समय पर किया गया काम ही सच्ची सफलता दिलाता है। अगर तुमने किसी काम के लिए वचन दिया है, तो उसे उसी समय पर पूरा करो, नहीं तो तुम्हारे ऊपर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा।”

रामू ने मुखिया की बातों को गंभीरता से लिया और सोचने लगा कि अब से वह अपने सभी काम समय पर करेगा। उसने एक योजना बनाई कि वह अपने कामों को अच्छे से व्यवस्थित करेगा और किसी भी काम को अधूरा या टालमटोल नहीं करेगा।

कुछ दिनों बाद, गाँव के एक व्यापारी ने रामू से अपनी दुकान की मरम्मत कराने का आग्रह किया। रामू ने व्यापारी को वचन दिया कि वह अगले तीन दिनों में उसकी दुकान की मरम्मत कर देगा। व्यापारी को पहले से ही रामू की आदत के बारे में पता था, इसलिए उसने रामू पर विश्वास नहीं किया। लेकिन रामू ने इस बार ठान लिया था कि वह अपने वचन को समय पर पूरा करेगा।

रामू ने अगले ही दिन से काम शुरू कर दिया। वह सुबह-सुबह अपनी सामग्री लेकर व्यापारी की दुकान पर पहुंचा और बिना किसी देरी के काम करने लगा। उसने पूरे दिन कड़ी मेहनत की और समय पर अपना काम खत्म किया। तीसरे दिन की शाम को, रामू ने व्यापारी को बुलाया और कहा, “आपकी दुकान की मरम्मत पूरी हो गई है, जैसा कि मैंने वादा किया था।”

व्यापारी यह देखकर हैरान रह गया कि रामू ने इस बार अपना काम समय पर पूरा किया। उसने रामू की प्रशंसा की और कहा, “रामू, तुमने वाकई इस बार अपना वचन निभाया है। अब मैं तुम पर फिर से विश्वास कर सकता हूँ।”

इस घटना के बाद, गाँव के लोग धीरे-धीरे रामू पर फिर से विश्वास करने लगे। जो लोग पहले रामू से नाराज थे, अब वे उसके पास अपने काम कराने के लिए आने लगे। रामू ने अब यह सीख लिया था कि समय पर काम करना कितना महत्वपूर्ण होता है। वह अब किसी भी काम के लिए वचन देने से पहले उसकी योजना बनाता और उसे समय पर पूरा करने का प्रयास करता।

समय के साथ, रामू गाँव का सबसे विश्वसनीय और सम्मानित व्यक्ति बन गया। लोग उसके पास आते, अपने कामों के लिए उसकी मदद मांगते, और रामू हर काम को समय पर पूरा करता। उसका जीवन अब पहले से बेहतर हो गया था, और उसने एक बात हमेशा याद रखी – “जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है।”

सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि वचन निभाना और समय पर अपने कार्यों को पूरा करना कितना महत्वपूर्ण होता है। अगर हम समय पर अपने कार्य नहीं करते हैं, तो लोग हम पर से विश्वास खो देते हैं। वचन एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है, जिसे निभाना हमारा कर्तव्य है। समय प्रबंधन और अनुशासन जीवन में सफलता की कुंजी होते हैं।

रामू की तरह, अगर हम अपने जीवन में यह नियम अपनाएं कि हर कार्य को समय पर और पूरी जिम्मेदारी से करें, तो न केवल हमें सफलता मिलेगी, बल्कि हम दूसरों के विश्वास और सम्मान के पात्र भी बनेंगे।

Thursday, September 19, 2024

स्वयं पर विजय

स्वयं  पर  विजय प्राप्त  करना  प्राचीन काल में एक राजा था जिसका नाम विक्रमादित्य था। वह अपने राज्य के सबसे पराक्रमी और न्याय प्रिय शासकों मेंसे एक माना जाता था। राजा विक्रमादित्य ने अपने जीवन में अनेक युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की। वह  केवल एक महान योद्धा थाबल्कि एक कुशलशासक और प्रजा के बीच अत्यधिक सम्मानित था।राजा का साम्राज्य दूर-दूरतकफैला हुआ था। उसने अपने पराक्रम से आस-पास के कई राज्यों कोजीतकरअपने राज्य में मिला लिया था। लेकिन इतनी सारी बाहरी विजय केबावजूदराजा के मन में एक अजीब सी अशांति थी। उसने जीवन में वह सब कुछ हासिल कर लिया थाजो वह चाहता थाधनवैभवसम्मानऔर शक्ति। फिर भीउसे ऐसा लगता था कि कुछ महत्वपूर्ण अभी भी अधूरा है।एकदिनएक बूढ़ेसंत राजा के दरबार में आए। राजा ने उनका आदरपूर्वक स्वागतकिया और उनसेउनके आगमन का कारण पूछा। संत ने मुस्कुराते हुए कहा, "हेराजनमैंने सुना हैकि आप इस धरती के सबसे शक्तिशाली राजा हैं। आपनेअनेक राज्यों कोजीता है और आपकी वीरता की चर्चा चारों दिशाओं में होतीहै।"राजाविक्रमादित्य ने विनम्रता से सिर झुकाया और कहा, "हे संतयह सच हैकि मैंनेकई युद्धों में विजय प्राप्त की है। लेकिन फिर भी मेरे मन में एक अजीब सी बेचैनी है। मैं अपने आप को कभी भी पूरी तरह संतुष्ट महसूस नहीं करता।"संतने राजा की बात ध्यान से सुनी और फिर बोले, "हे राजनआप बाहर की दुनिया में विजय प्राप्त करने में सफल रहे हैंलेकिन क्या आपने कभी अपने भीतर की दुनिया पर ध्यान दिया हैक्या आपने कभी स्वयं पर विजय प्राप्त करने की कोशिश की है ? " राजा इस सवाल से चौंक गया। उसने सोचा, "स्वयं पर विजयप्राप्त करना ? यह तो कभी मैंने सोचा ही नहीं था। लेकिन इसका मतलब क्याहो सकता है ? "संत ने राजा की उलझन को समझते हुए कहा, "राजनबाहरी विजयसे अधिक महत्वपूर्ण है आंतरिक विजय। जीवन में हजारों लड़ाइयाँ जीतने से बेहतर है कि हम स्वयं पर विजय प्राप्त करें।"राजा ने आश्चर्यचकित होकर पूछा, "संतकृपया मुझे समझाएँ कि इसका क्या अर्थ है।"संत ने कहा, "राजनबाहरकी लड़ाइयाँ जीतने के लिए शारीरिक शक्तिसैन्य कौशल और रणनीति कीआवश्यकता होती है। लेकिन स्वयं पर विजय पाने