Saturday, April 16, 2022

हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार

एक गाँव में एक आलसी आदमी रहता था. वह कुछ काम-धाम नहीं करता था. बस दिन भर निठल्ला बैठकर सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाये.

एक दिन वह यूं ही घूमते-घूमते आम के एक बाग़ में पहुँच गया. वहाँ रसीले आमों से लदे कई पेड़ थे. रसीले आम देख उसके मुँह में पानी आ गया और आम तोड़ने वह एक पेड़ पर चढ़ गया. लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, बाग़ का मालिक वहाँ आ पहुँचा.

बाग़ के मालिक को देख आलसी आदमी डर गया और जैसे-तैसे पेड़ से उतरकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ. भागते-भागते वह गाँव में बाहर स्थित जंगल में जा पहुँचा. वह बुरी तरह से थक गया था. इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा.

तभी उसकी नज़र एक लोमड़ी पर पड़ी. उस लोमड़ी की एक टांग टूटी हुई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी. लोमड़ी को देख आलसी आदमी सोचने लगा कि ऐसी हालत में भी इस जंगली जानवरों से भरे जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? इसका अब तक शिकार कैसे नहीं हुआ?

जिज्ञासा में वह  एक पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ बैठकर देखने लगा कि अब इस लोमड़ी के साथ आगे क्या होगा?

कुछ ही पल बीते थे कि पूरा जंगल शेर की भयंकर दहाड़ से गूंज उठा. जिसे सुनकर सारे जानवर डरकर भागने लगे. लेकिन लोमड़ी अपनी टूटी टांग के साथ भाग नहीं सकती थी. वह वहीं खड़ी रही.

शेर लोमड़ी के पास आने लगा. आलसी आदमी ने सोचा कि अब शेर लोमड़ी को मारकर खा जायेगा. लेकिन आगे जो हुआ, वह कुछ अजीब था. शेर लोमड़ी के पास पहुँचकर खड़ा हो गया. उसके मुँह में मांस का एक टुकड़ा था, जिसे उसने लोमड़ी के सामने गिरा दिया. लोमड़ी इत्मिनान से मांस के उस टुकड़े को खाने लगी. थोड़ी देर बाद शेर वहाँ से चला गया.

यह घटना देख आलसी आदमी सोचने लगा कि भगवान सच में सर्वेसर्वा है. उसने धरती के समस्त प्राणियों के लिए, चाहे वह जानवर हो या इंसान, खाने-पीने का  प्रबंध कर रखा है. वह अपने घर लौट आया.

घर आकर वह २-३ दिन तक बिस्तर पर लेटकर प्रतीक्षा करने लगा कि जैसे भगवान ने शेर के द्वारा लोमड़ी के लिए भोजन भिजवाया था. वैसे ही उसके लिए भी कोई न कोई खाने-पीने का सामान ले आएगा.

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. भूख से उसकी हालात ख़राब होने लगी. आख़िरकार उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ा. घर के बाहर उसे एक पेड़ के नीचे बैठे हुए बाबा दिखाए पड़े. वह उनके पास गया और जंगल का सारा वृतांत सुनाते हुए वह बोला, “बाबा जी! भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके पास जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध है. लेकिन इंसानों के लिए नहीं.”

बाबा जी ने उत्तर दिया, “बेटा! ऐसी बात नहीं है. भगवान के पास सारे प्रबंध है. दूसरों की तरह तुम्हारे लिए भी. लेकिन बात यह है कि वे तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहते हैं.”

हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार है. बस अपनी अज्ञानतावश हम उन्हें पहचान नहीं पाते और स्वयं को कमतर समझकर दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करते रहते हैं. स्वयं की क्षमता पहचानिए. दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा मत करिए. इतने सक्षम बनिए कि आप दूसरों की सहायता कर सकें.


Tuesday, April 12, 2022

दुनिया की भेड़ चाल

खेत के पास स्थित अनाज की कोठी में काम कर रहा था. काम के दौरान उसकी घड़ी कहीं खो गई. वह घड़ी उसके पिता द्वारा उसे उपहार में दी गई थी. इस कारण उससे उसका भावनात्मक लगाव था.  

उसने वह घड़ी ढूंढने की बहुत कोशिश की. कोठी का हर कोना छान मारा. लेकिन घड़ी नहीं मिली. हताश होकर वह कोठी से बाहर आ गया. वहाँ उसने देखा कि कुछ बच्चे खेल रहे हैं. 

उसने बच्चों को पास बुलाकर उन्हें अपने पिता की घड़ी खोजने का काम सौंपा. घड़ी ढूंढ निकालने वाले को ईनाम देने की घोषणा भी की. ईनाम के लालच में बच्चे तुरंत मान गए.

कोठी के अंदर जाकर बच्चे घड़ी की खोज में लग गए. इधर-उधर, यहाँ-वहाँ, हर जगह खोजने पर भी घड़ी नहीं मिल पाई. बच्चे थक गए और उन्होंने हार मान ली. 

किसान ने अब घड़ी मिलने की आस खो दी. बच्चों के जाने के बाद वह कोठी में उदास बैठा था. तभी एक बच्चा वापस आया और किसान से बोला कि वह एक बार फिर से घड़ी ढूंढने की कोशिश करना चाहता था. किसान ने हामी भर दी.

बच्चा कोठी के भीतर गया और कुछ ही देर में बाहर आ गया. उसके हाथ में किसान की घड़ी थी. जब किसान ने वह घड़ी देखी, तो बहुत ख़ुश हुआ. उसे आश्चर्य हुआ कि जिस घड़ी को ढूंढने में सब नाकामयाब रहे, उसे उस बच्चे ने कैसे ढूंढ निकाला?

पूछने पर बच्चे ने बताया कि कोठी के भीतर जाकर वह चुपचाप एक जगह खड़ा हो गया और सुनने लगा. शांति में उसे घड़ी की टिक-टिक की आवाज़ सुनाई पड़ी और उस आवाज़ की दिशा में खोजने पर उसे वह घड़ी मिल गई.

किसान ने बच्चे को शाबासी दी और ईनाम देकर विदा किया.

 शांति हमारे मन और मस्तिष्क को एकाग्र करती है और यह एकाग्र मन:स्थिति जीवन की दिशा निर्धारित करने में सहायक है. इसलिए दिनभर में कुछ समय हमें अवश्य निकलना चाहिए, जब हम शांति से बैठकर मनन कर सकें. अन्यथा शोर-गुल भरी इस दुनिया में हम उलझ कर रह जायेंगे. हम कभी न खुद को जान पायेंगे न अपने मन को. बस दुनिया की भेड़ चाल में चलते चले जायेंगे. जब आँख खुलगी, तो बस पछतावा होगा कि जीवन की ये दिशा हमने कैसे निर्धारित कर ली? हम चाहते तो कुछ और थे. जबकि वास्तव में हमने तो वही किया, जो दुनिया ने कहा. अपने मन की बात सुनने का तो हमने समय ही नहीं निकाला.

Friday, April 8, 2022

मुश्किलों से हारे नहीं

एक बार की बात है. यूनान (Greece) के सम्राट किसी बात पर अपने वज़ीर से नाराज़ हो गये. नाराज़गी में उन्होंने वजीर के लिए फांसी की सजा का एलान कर दिया. फांसी का समय शाम के ६ बजे मुकर्रर किया गया.

फांसी की सजा दिए जाते समय वज़ीर दरबार में उपस्थित नहीं था. सम्राट ने सैनिकों को आदेश दिया, “जाओ, जाकर वज़ीर को बता दो कि शाम को ठीक ६ बजे उसे फांसी पर लटका दिया जायेगा.”

सम्राट का आदेश मान सैनिक की एक टुकड़ी वज़ीर के घर पहुँची. उसके घर को चारों ओर से घेर लिया गया. कुछ सैनिक घर के अंदर गए. अंदर जाने पर उन्होंने देखा कि वहाँ तो जश्न का माहौल है. उस दिन वज़ीर का जन्मदिन था. उसके घर पर रिश्तेदारों और दोस्तों की चहल-पहल थी. संगीत बज रहा है. नाच-गाना चल रहा था. पूरे घर में पकवान की ख़ुशबू फ़ैल रही थी. कुल मिलाकर वहाँ का माहौल बड़ा ख़ुशनुमा था.

सैनिकों ने भरी महफ़िल में एलान कर वज़ीर को फांसी की सजा के बारे में बताया. यह भी बताया कि फांसी शाम ६ बजे दी जाएगी. यह एलान सुनकर वहाँ मौजूद हर शख्स हैरान रह गया. फ़ौरन संगीत और नाच-गाना बंद कर दिया गया. रिश्तेदार, दोस्त और परिवारजन उदास हो गए.

तभी कमरे में छाई ख़ामोशी में वज़ीर की आवाज़ गूंजी, “ऊपर वाले का लाख-लाख  शुक्रिया कि उसने फांसी के लिए शाम ६ बजे तक का वक़्त दे दिया. तब तक हम सब जश्न मना सकते हैं.”

वज़ीर की बात सुनकर दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवारज़नों ने कहा, “कैसी बात कर रहे हो? फांसी की सजा सुनाई गई है तुम्हें और तुम जश्न मनाना चाहते हो.”  

वजीर ने किसी तरह सबको समझाया और जश्न फिर से शुरू करवाया. दोस्त उदास थे. लेकिन वज़ीर की ख़ुशी के लिए जश्न में शामिल हो गए.

यह ख़बर सैनिकों द्वारा सम्राट तक पहुँचाई गई. सम्राट पूरा माज़रा जानने वज़ीर के घर पहुँच गया. वहाँ पहुँचकर जब उसने सबको जश्न मानते हुए देखा, तो वह भी दंग रह गया. उसने वज़ीर से कहा, “तुम पागल हो गये हो क्या? शाम ६ बजे तुम्हें फांसी पर लटका दिया जायेगा और तुम जश्न मना रहे हो.“

वज़ीर बड़े ही अदब से बोला, “हुज़ूर! आपका बहुत-बहुत शुक्रिया कि आपने फांसी का वक़्त शाम ६ बजे मुकर्रर किया. इस तरह मुझे शाम ६ बजे तक का वक़्त मिल सका. यदि आप मुझे ये वक़्त न देते, तो मैं अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जश्न कैसे मना पाता? फांसी पर लटकने के पहले मेरे पास शाम तक का वक़्त है. ये मैं क्यों ज़ाया करूं? मेरे पास जितना भी वक़्त है, उसे मैं ख़ुशी-ख़ुशी गुज़ारना चाहता हूँ.”

ये बात सुनकर राजा ने वज़ीर को गले लगा लिया और कहा, “जिस इंसान को वक़्त की कदर है. जो ज़िंदगी का हर लम्हा ख़ुशी-ख़ुशी गुजारना चाहता है. उसे मौत कैसे दी जा सकती हैं? उसे जीने का पूरा हक है. तुम्हारी बातों ने हमारा दिल ख़ुश कर दिया. तुम्हारी फांसी की सजा माफ़ की जाती है.”

सीख

ज़िंदगी ख़ूबसूरत है. इसका हर लम्हा ख़ुशी के साथ गुजारें. ये ज़रूर है कि ज़िंदगी में कई बार मुश्किलों भरा वक़्त सामने आ खड़ा होता है और हम परेशान हो जाते हैं. ऐसे में हम ज़िंदगी जीना ही छोड़ देते हैं. मुश्किलों से हारे नहीं, उसका सामना करें और ख़ुशी के साथ करें. जो भी समय आपके पास है, उसका पूरा सदुपयोग करें. ये ज़िंदगी बार-बार नहीं मिलने वाली. इसे खुलकर जियें.

Wednesday, April 6, 2022

काम की ज़िम्मेदारी

एक गाँव में एक किसान रहता था. उसका गाँव के बाहर एक छोटा सा खेत था. एक बार फसल बोने के कुछ दिनों बाद उसके खेत में चिड़िया ने घोंसला बना लिया.

कुछ समय बीता, तो चिड़िया ने वहाँ दो अंडे भी दे दिए. उन अंडों में से दो छोटे-छोटे बच्चे निकल आये. वे बड़े मज़े से उस खेत में अपना जीवन गुजारने लगे.

कुछ महीनों बाद फसल कटाई का समय आ गया. गाँव के सभी किसान अपने खेतों की फ़सल की कटाई में लग गए. अब चिड़िया और उसके बच्चों का वह खेत छोड़कर नए स्थान पर जाने का समय आ गया था.

एक दिन खेत में चिड़िया के बच्चों ने किसान को यह कहते सुना कि कल मैं फ़सल कटाई के लिए अपने पड़ोसी से पूछूंगा और उसे खेत में भेजूंगा. यह सुनकर चिड़िया के बच्चे परेशान हो गए. उस समय चिड़िया कहीं गई हुई थी. जब वह वापस लौटी, तो बच्चों ने उसे किसान की बात बताते हुए कहा, “माँ, आज हमारा यहाँ अंतिम दिन है. रात में हमें दूसरे स्थान के लिए यहाँ से निकला होगा.”

चिड़िया ने उत्तर दिया, “इतनी जल्दी नहीं बच्चों. मुझे नहीं लगता कि कल खेत में फसल की कटाई होगी.”

चिड़िया की कही बात सही साबित हुई. दूसरे दिन किसान का पड़ोसी खेत में नहीं आया और फ़सल की कटाई न हो सकी.

शाम को किसान खेत में आया और खेत को जैसे का तैसा देख बुदबुदाने लगा कि ये पड़ोसी तो नहीं आया. ऐसा करता हूँ कल अपने किसी रिश्तेदार को भेज देता हूँ.”

चिड़िया के बच्चों ने फिर से किसान की बात सुन ली और परेशान हो गए. जब चिड़िया को उन्होंने ये बात बताई, तो वह बोली, “तुम लोग चिंता मत करो. आज रात हमें जाने की ज़रुरत नहीं है. मुझे नहीं लगता कि किसान का रिश्तेदार आएगा.”

ठीक ऐसा ही हुआ और किसान का रिश्तेदार अगले दिन खेत नहीं पहुँचा. चिड़िया के बच्चे हैरान थे कि उनकी माँ की हर बात सही हो रही है.

अगली शाम किसान जब खेत आया, तो खेत की वही स्थिति देख बुदबुदाने लगा कि ये लोग तो कहने के बाद भी कटाई के लिए आते नहीं है. कल मैं ख़ुद आकर फ़सल की कटाई शुरू करूंगा.

चिड़िया के बच्चों ने किसान की ये बात भी सुन ली. अपनी माँ को जब उन्होंने ये बताया तो वह बोली, “बच्चों, अब समय आ गया है ये खेत छोड़ने का. हम आज रात ही ये खेत छोड़कर दूसरी जगह चले जायेंगे.”

दोनों बच्चे हैरान थे कि इस बार ऐसा क्या है, जो माँ खेत छोड़ने को तैयार है. उन्होंने पूछा, तो चिड़िया बोली, “बच्चों, पिछली दो बार किसान कटाई के लिए दूसरों पर निर्भर था. दूसरों को कहकर उसने अपने काम से पल्ला झाड़ लिया था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. इस बार उसने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है. इसलिए वह अवश्य आएगा.”

उसी रात चिड़िया और उसके बच्चे उस खेत से उड़ गए और कहीं और चले गए.

दूसरों की सहायता लेने में कोई बुराई नहीं है. किंतु यदि आप समय पर काम शुरू करना चाहते हैं और चाहते हैं कि वह समय पर पूरा हो जाये, तो उस काम की ज़िम्मेदारी स्वयं लेनी होगी. दूसरे भी मदद उसी की करते हैं, जो अपनी मदद करता है.

Thursday, March 31, 2022

महत्वपूर्ण रिश्ता

एक दिन जब ऑफिस के सभी कर्मचारी ऑफिस पहुँचे, तो उन्हें दरवाजे पर एक पर्ची चिपकी हुई मिली. उस पर लिखा था – “कल उस इंसान की मौत हो गई, जो कंपनी में आपकी प्रगति में बाधक था. उसे श्रद्धांजली देने के लिए सेमिनार हाल में एक सभा आयोजित की गई है. ठीक ११ बजे श्रद्धांजली सभा में सबका उपस्थित होना अपेक्षित है.”

अपने एक सहकर्मी की मौत की खबर पढ़कर पहले तो सभी दु:खी हुए. लेकिन कुछ देर बाद उन सबमें ये जिज्ञासा उत्पन्न होने लगी कि आखिर वह कौन था, जो उनकी और कंपनी की प्रगति में बाधक था?

११ बजे सेमिनार हाल में कर्मचारियों का आना प्रारंभ हो गया. धीरे-धीरे वहाँ इतनी भीड़ जमा हो गई कि उसे नियंत्रित करने के लिए सिक्यूरिटी गार्ड की व्यवस्था करनी पड़ी. लोगों का आना लगातार जारी था. जैसे-जैसे लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी,  सेमिनार हॉल में हलचल भी बढ़ती जा रही थी. सबके दिमाग में बस यही चल रहा था : “आखिर वो कौन था, जो कंपनी में मेरी प्रगति पर लगाम लगाने पर तुला हुआ था? चलो, एक तरह से ये अच्छा ही हुआ कि वो मर गया.”

जैसे ही श्रद्धांजली सभा प्रारंभ हुई, एक-एक करके सभी उत्सुक और जिज्ञासु कर्मचारी कफ़न के पास जाने लगे. करीब पहुँचकर जैसे ही वे कफ़न के अंदर झांकते, उनका चेहरा फक्क पड़ जाता. मानो उन्हें सदमा सा लग गया हो.

उस कफ़न के अंदर एक दर्पण रखा हुआ था. जो भी उसमें झांककर देखता, उसे उसमें अपना ही अक्स नज़र आता. उस दर्पण पर एक पर्ची भी चिपकी हुई थी, जिस पर कुछ ऐसा लिखा था जो सबकी आत्मा को झकझोर रहा था:

”केवल एक ही इंसान आपकी प्रगति में बाधक है और वो आप खुद है. आप ही वो इंसान है, जो अपने जीवन में क्रांति उत्पन्न कर सकते है. आप ही वो इंसान है, जो अपनी ख़ुशी, अपनी समझ और अपनी सफलता को प्रभावित कर सकते है. आप ही वो इंसान हैं, जो अपनी खुद की मदद कर सकते है. आपका जीवन नहीं बदलता, जब आपका बॉस बदल जाता है; आपका जीवन नहीं बदलता, जब आपके दोस्त बदल जाते है; आपका जीवन नहीं बदलता, जब आपके पार्टनर या साथी बदल जाते है; आपका जीवन तब बदलता है, जब “आप खुद” बदल जाते है. जब आप अपने खुद के विश्वास की सीमा को लांघकर उसके पार जाते है, जब आप ये समझ जाते है कि आप और सिर्फ आप अपने जीवन के लिए जिम्मेदार है, तब आपका जीवन बदल जाता है. सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता जो आपका किसी के साथ है, वो आपका खुद से है.”


Sunday, March 27, 2022

हमेशा सीखते रहिए

एक बार गाँव के दो व्यक्तियों ने शहर जाकर पैसा कमाने का निर्णय लिया। शहर जाकर कुछ दिनों तक इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ पैसे जमा किए और फिर उन पैसो से अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया। दोनों का व्यवसाय चल पड़ा। दो साल में ही दोनों ने अच्छी खासी तरक्की कर ली।व्यवसाय को फलता-फूलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब तो मेरा काम चल पड़ा है। अब तो मैं तरक्की की सीढियाँ चलता चला जाऊँगा। लेकिन उसके सोच के विपरीत व्यापारी उतार चढाव के कारण उसे उस साल अत्यधिक घाटा हुआ।अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्त के धरातल पर आ गिरा। वह उन कारणों को तलाशने लगा जिसकी बजह से उसका व्यापार घट गया। सबसे पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति की व्यापार की स्तिथि के बारे में पता लगाया जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था। वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार चढाव के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफे में हैं। उसने तुरंत उसके पास जाकर उसका कारण जानने का निर्णय लिया।

अगले ही दिन, वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा। दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब आदर- सत्कार किया और उसके आने का कारण पूछा। पहला व्यक्ति बोला, “दोस्त, इस वक्त बाजार में मेरे व्यवसाय को बहुत नुकसान हुआ। बहुत घाटा झेलना पड़ा। तुम भी तो इसी व्यवसाय में हो, तुमने ऐसा क्या किया कि इस उतर चढाव के दौर में भी तुमने मुनाफा कमाया?”

यह बात सुनकर दूसरा व्यक्ति बोला, “भाई मैं तो सिर्फ सीखता जा रहा हूँ, अपनी गलती से भी और साथ ही दुसरो के गलती से भी। जो समस्या सामने आती है उसमें से भी सिख लेता हूँ। इसलिए जब दोबारा वैसी समस्या सामने आती है तो उसका सामना अच्छे से कर पाता हूँ और उसके कारन मुझे नुकसान नहीं उठाना पड़ता। बस यह सिखने की प्रगति ही है जो मुझे जीवन में आगे बढाती ही जा रही हैं।”

दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास हुआ। सफलता की मद में वह अति आत्मविश्वास से भर उठा था और सीखना छोड़ दिया था। वह वहाँ से प्रण करके वापस आया कि वह कभी सीखना बंद नहीं करेगा। उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता चला गया।

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जीवन में कमियाभ होना है तो इसे पाठशाला मान हर पल सीखते रहिए क्यूंकि यहाँ नित्य नया परिवर्तन और नए विकाश होते रहते हैं। यदि हम खुद को सर्वज्ञाता समझने की भूल करेंगे तो जीवन की दौर में पिछड़ जाएंगे क्यूंकि इस दौर में जीतता वही है जो लगातार दौड़ता रहता है और जिसने दौड़ना छोड़ दिया उसकी हार निश्चित है। इसलिए हमेशा सीखते रहिए फिर देखिए कोई बदलाव या उतार चढाव आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता।

Tuesday, March 22, 2022

आपका कण्ट्रोल

एक बार की बात है एक राजा साहब के पास में बड़ा सुन्दर  विशाल महल था और उस विशाल सी  महल में एक सुंदर सी बगीची थी  उस सुन्दर सी बगीची में एक माली था और अंगूरों की बेल थी माली जो था वो  इस बात से परेशान था

की अंगूरों की बेल पे रोजाना एक चिड़ियाँ आकर के आक्रमण करती थी  और कुछ इस तरीके से वो आक्रमण करती थी जिसे की जो मीठे मीठे अंगूर थे उसे तो खा लेती थी जो अधपके थे  और जो खटे अंगूर थे उसे ज़मीन पर  गिरा देती थी।

  माली इस बात से बड़ा परेशान चल रहा था की इस अंगूरों के बेल को ये चिड़ियाँ एक दिन तबाह कर देगी नस्ट कर देगी उसने बहुत कोसिस की लेकिन उसको कोई उपाय  मिला  नहीं तो वो राजा के पास पंहुचा और कहा

मालिक हुकुम आपही कुछ कीजिये मुझसे कुछ हो नहीं पारहा  है अंगूरों की बेल कभी भी ख़त्म हो सकती है राजाने  कहा माली साहब आप चिंता मत कीजिये आपका काम मैं करूँगा।

  अगले दिन राजा साहब पहुंचे खुद और अंगूरों की बेल के पीछे जाके छुप गए और जैसे ही चिड़ियाँ आई राजा ने फुर्ती दिखाते हु चिड़ियाँ को पाकर लिया। 

जैसे ही चिड़ियाँ को पकड़ा चिड़ियाँ ने राजा के कहा हे राजन मुझे माफ़ करना  मुझे मत मारो मैं  आपको चार ज्ञान की बातें बताउंगी राजा बहुत घुसे में थे राजा ने बोला पहेली बात बताओ चिड़ियाँ ने कहा अपनी हाथ में आए शत्रु को कभी भी जाने न दे

राजा ने कहा दूसरी बात बता चिड़ियाँ ने कहा कभी भी असम्भव बात पर यकीन न करें राजा ने कहा बहुत हो गया डरामा तीसरी बात बताओ  चिड़ियाँ ने कहा बीती बात कर पछतावा न करें

  राजा ने कहा अब चौथी बात बता अब खेल खत्म करता हु बहुत देर से परेशान कर रखा है

चिड़ियाँ ने कहा राजा साहब अपने जिस तरीके से मुझे पाकर रखा है मुझे साँस नहीं आरही आप  मुझे थोड़ी सी ढील देंगें तो शायद मैं  आपको चौथी बात बता पाऊं  राजा ने हलकी सी ढील दी

और  चिड़ियाँ उर कर के डाल पे बैठ गई चिड़ियाँ ने कहा मेरे पेट में दो हिरे हैं ये सुन कर के राजा पश्चाताप करने लगा उदाश हो गया

और राजा की ये शक्ल देख कर के चिड़ियाँ ने ने बोला राजा साहब मैंने जो आपको अभी  चार  ज्ञान की  बात  बताई थी पहली बात बताई थी अपने शत्रु को कभी हाथ में आने के बाद  छोड़ें न

आपने हाथ में आए शत्रु यानि मुझे छोर  दिया दूसरी  बात बताई थी  असबभाव बात पर यकीन  न करें , आपने यकीं कर लिया की मेरे छोटे से पेट में दो हिरे हैं ,

तीसरी बात बताई थी की बीती हुई बात पर पश्चताप न करें आप उदास है आप पश्चाताप कर रहें है जबकि मेरे पेट में हिरे है ही नहीं उसको सोच कर के आप पश्चाताप कर रहें है।

  उस चिड़ियाँ ने राजा को नहीं हम सबको भी बताई हम सब  भी जो बीती चूका होता है उस  पर कई बार पश्चाताप कर रहें होतें हैं हमेशा भूतकाल में  रहतें है और भविस का सोचतें नहीं हैं प्रेजेंट में रहना सुरु की जिए

फ्यूचर की प्लानिंग करना सुरु कीजिये अपने सपनो को फॉलो करना सुरु कीजिये।  जिंदगी में जो हो गया  आपका उसपर कण्ट्रोल नहीं है लेकिन जो होगा उसको आप बदल सकते है।