Sunday, September 19, 2021

गिले-शिकवे

 एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी !


इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ?

तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं !

इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं !

महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ?

पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए । शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये !

महिला बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ !

फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे -

1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?

2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?

3.क्या किसी को पाखंड करते देखा?

महिला बोली -- नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा !

फिर पुजारी बोले --- जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया|

 अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा| सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें|

      '' जाकी रही भावना जैसी ..
        प्रभु मूरत देखी तिन तैसी|''

जीवन मे दुःखो के लिए कौन जिम्मेदार है ?

 ना भगवान,
 ना गृह-नक्षत्र,
 ना भाग्य,
 ना रिश्तेदार,
 ना पडोसी,
 ना सरकार,

जिम्मेदार आप स्वयं है|

1) आपका सरदर्द, फालतू विचार का परिणाम|

2) पेट दर्द, गलत खाने का परिणाम|

3) आपका कर्ज, जरूरत से ज्यादा खर्चे का परिणाम|

4) आपका दुर्बल /मोटा /बीमार शरीर, गलत जीवन शैली का परिणाम|

5) आपके कोर्ट केस, आप के अहंकार का परिणाम|

6) आपके फालतू विवाद, ज्यादा व् व्यर्थ बोलने का परिणाम|
उपरोक्त कारणों के अलावा सैकड़ों कारण है और बेवजह दोषारोपण दूसरों पर करते रहते हैं | इसमें ईश्वर दोषी नहीं है|
अगर हम इन कष्टों के कारणों पर बारिकी से विचार करें तो पाएंगे की कहीं न कहीं हमारी मूर्खताएं ही इनके पीछे है|
_गिले-शिकवे सिर्फ़ साँस लेने तक ही चलते हैं,_
 बाद में तो सिर्फ़ पछतावे रह जाते हैं..!!
आपका जीवन प्रकाशमय हो तथा शुभ हो l

Monday, September 6, 2021

हम कितने खुशकिस्मत है

रामेश्वर ने पत्नी के स्वर्ग वास हो जाने के बाद अपने दोस्तों के साथ सुबह शाम पार्क में टहलना और गप्पें मारना, पास के मंदिर में दर्शन करने को अपनी दिनचर्या बना लिया था।
हालांकि घर में उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी। सभी उनका बहुत ध्यान रखते थे, लेकिन आज सभी दोस्त चुपचाप बैठे थे।
एक दोस्त को वृद्धाश्रम भेजने की बात से सभी दु:खी थे" आप सब हमेशा मुझसे पूछते थे कि मैं भगवान से तीसरी रोटी क्यों माँगता हूँ? आज बतला देता हूँ। "
कमल ने पूछा  "क्या बहू तुम्हें सिर्फ तीन रोटी ही देती है ?"
बड़ी उत्सुकता से एक दोस्त ने पूछा? "नहीं यार! ऐसी कोई बात नहीं है, बहू बहुत अच्छी है।
असल में  "रोटी, चार प्रकार की होती है।"
 पहली "सबसे स्वादिष्ट" रोटी "माँ की "ममता" और "वात्सल्य" से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता।
एक दोस्त ने कहा, सोलह आने सच, पर शादी के बाद माँ की रोटी कम ही मिलती है।" उन्होंने आगे कहा  "हाँ, वही तो बात है।
दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और "समर्पण" भाव होता है जिससे "पेट" और "मन" दोनों भर जाते हैं।", क्या बात कही है यार ?" ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं।
फिर तीसरी रोटी किस की होती है?" एक दोस्त ने सवाल किया।
"तीसरी रोटी बहू की होती है जिसमें सिर्फ "कर्तव्य" का भाव होता है जो कुछ कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और वृद्धाश्रम की परेशानियों से भी बचाती है", थोड़ी देर के लिए वहाँ चुप्पी छा गई।
लेकिन ये चौथी रोटी कौन सी होती है ?" मौन तोड़ते हुए एक दोस्त ने पूछा-
चौथी रोटी नौकरानी की होती है। जिससे ना तो इन्सान का "पेट" भरता है न ही "मन" तृप्त होता है और "स्वाद" की तो कोई गारँटी ही नहीं है", तो फिर हमें क्या करना चाहिये यार?
माँ की हमेशा पूजा करो, पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त बना कर जीवन जिओ, बहू को अपनी बेटी समझो और छोटी मोटी ग़लतियाँ नज़रन्दाज़ कर दो बहू खुश रहेगी तो बेटा भी आपका ध्यान रखेगा।
यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही आयें तो भगवान का शुकर करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखा हुआ है, अब स्वाद पर ध्यान मत दो केवल जीने के लिये बहुत कम खाओ ताकि आराम से बुढ़ापा कट जाये, बड़ी खामोशी से सब दोस्त सोच रहे थे कि वाकई, हम कितने खुशकिस्मत है

Thursday, September 2, 2021

तोड़ना आसान है, जुड़े रहना बहुत मुश्किल है

गधा पेड़ से बंधा था। शैतान आया और उसे खोल गया।
गधा मस्त होकर खेतों की ओर भाग निकला और खड़ी फसल को खराब करने लगा।
किसान की पत्नी ने यह देखा तो गुस्से में गधे को मार डाला।
गधे की लाश देखकर गधे के मालिक को बहुत गुस्सा आया और उसने किसान की पत्नी को गोली मार दी। 
किसान पत्नी की मौत से इतना गुस्से में आ गया कि उसने गधे के मालिक को गोली मार दी।
गधे के मालिक की पत्नी ने जब पति की मौत की खबर सुनी तो गुस्से में बेटों को किसान का घर जलाने का आदेश दिया।
बेटे शाम में गए और मां का आदेश खुशी-खुशी पूरा कर आए। उन्होंने मान लिया कि किसान भी घर के साथ जल गया होगा।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसान वापस आया और उसने गधे के मालिक की पत्नी और बेटों, तीनों की हत्या कर दी।
इसके बाद उसे पछतावा हुआ और उसने शैतान से पूछा कि यह सब नहीं होना चाहिए था। ऐसा क्यों हुआ?
शैतान ने कहा मैंने कुछ नहीं किया। मैंने सिर्फ गधा खोला लेकिन तुम सबने रिऐक्ट किया, ओवर रिऐक्ट किया और अपने अंदर के शैतान को बाहर आने दिया।
 इसलिए अगली बार किसी का जवाब देने, प्रतिक्रिया देने, किसी से बदला लेने से पहले एक लम्हे के लिए रुकना और सोचना ज़रूर।'
ध्यान रखें। कई बार शैतान हमारे बीच सिर्फ गधा छोड़ता है और बाकी विनाश हम खुद कर देते हैं !!
मिल जुल कर मुस्कुरा कर खुशी से रहिये याद रखें-
तोड़ना आसान है, जुड़े रहना बहुत मुश्किल है...
लड़ाना आसान है, मिलाना बहुत मुश्किल...

Tuesday, August 17, 2021

जीवन में आपके तनाव और चिंताएँ

एक बार की बात है एक मनोविज्ञान के प्रोफेसर छात्रों से भरे एक सभागार में तनाव प्रबंधन के सिद्धांतों को पढ़ाते हुए एक मंच पर घूमते थे। जैसे ही उसने एक गिलास पानी उठाया, सभी को उम्मीद थी कि उनसे ठेठ 'ग्लास आधा खाली या गिलास आधा भरा' प्रश्न पूछा जाएगा। इसके बजाय, उसके चेहरे पर मुस्कान के साथ, प्रोफेसर ने पूछा, 'यह पानी का गिलास कितना भारी है जिसे मैं पकड़ रहा हूँ?'
छात्रों ने आठ औंस से लेकर दो पाउंड तक के उत्तर चिल्लाए।
उसने जवाब दिया, 'मेरे नजरिए से, इस गिलास का पूर्ण वजन मायने नहीं रखता। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि मैं इसे कितने समय तक धारण करता हूं। अगर मैं इसे एक या दो मिनट के लिए पकड़ता हूं, तो यह काफी हल्का होता है। अगर मैं इसे एक घंटे तक सीधा रखता हूं, तो इसका वजन मेरे हाथ में थोड़ा दर्द कर सकता है। अगर मैं इसे एक दिन के लिए सीधा रखता हूं, तो मेरी बांह में ऐंठन होने की संभावना है और मैं पूरी तरह से सुन्न और लकवाग्रस्त महसूस करूंगा, जिससे मुझे कांच को फर्श पर गिराने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। प्रत्येक मामले में, कांच का वजन नहीं बदलता है, लेकिन जितनी देर मैं इसे पकड़ता हूं, यह मुझे उतना ही भारी लगता है।'
जैसे ही कक्षा ने सहमति में अपना सिर हिलाया, उसने आगे कहा, 'जीवन में आपके तनाव और चिंताएँ पानी के इस गिलास की तरह हैं। कुछ देर उनके बारे में सोचें और कुछ न हो। उनके बारे में थोड़ा और सोचें और आपको थोड़ा दर्द होने लगे। दिन भर उनके बारे में सोचें, और आप पूरी तरह से स्तब्ध और लकवाग्रस्त महसूस करेंगे - जब तक आप उन्हें छोड़ नहीं देते, तब तक आप कुछ और करने में असमर्थ हैं।'"

Sunday, August 8, 2021

विजय और राजू दोस्त थे। एक दिन छुट्टी के दिन जंगल की खोज में उन्होंने एक भालू को अपनी ओर आते देखा।स्वाभाविक रूप से, वे दोनों भयभीत थे, इसलिए राजू, जो पेड़ों पर चढ़ना जानता था, जल्दी से एक पर चढ़ गया। उसने अपने उस मित्र के लिए एक विचार नहीं छोड़ा, जो नहीं जानता था कि कैसे चढ़ना है।विजय ने एक पल के लिए सोचा। उसने सुना था कि जानवर शवों पर हमला नहीं करते हैं, इसलिए वह जमीन पर गिर गया और अपनी सांस रोक ली। भालू ने उसे सूँघा, सोचा कि वह मर चुका है, और अपने रास्ते चला गया।राजू ने पेड़ से नीचे उतरने के बाद विजय से पूछा, 'भालू तुम्हारे कानों में क्या फुसफुसा रहा था?' विजय ने जवाब दिया, 'भालू ने मुझे आप जैसे दोस्तों से दूर रहने के लिए कहा।'"


Wednesday, August 4, 2021

 हर रविवार की सुबह मैं अपने घर के पास एक पार्क के आसपास हल्की जॉगिंग करता हूं। पार्क के एक कोने में एक झील है। जब भी मैं इस झील के किनारे टहलता हूं, मैं देखता हूं कि वही बुजुर्ग महिला पानी के किनारे बैठी है और उसके पास एक छोटा धातु का पिंजरा है।

पिछले रविवार को मेरी जिज्ञासा ने मुझे सबसे अच्छा लगा, इसलिए मैंने जॉगिंग करना बंद कर दिया और उसके पास चला गया। जैसे-जैसे मैं करीब आया, मैंने महसूस किया कि धातु का पिंजरा वास्तव में एक छोटा जाल था। जाल के आधार के चारों ओर धीरे-धीरे घूमते हुए, तीन कछुए थे, जिन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ था। उसकी गोद में चौथा कछुआ था जिसे वह स्पंजी ब्रश से सावधानी से साफ़ कर रही थी।
'नमस्कार,' मैंने कहा। 'मैं आपको यहां हर रविवार की सुबह देखता हूं। अगर आपको मेरी नीरसता से ऐतराज नहीं है, तो मुझे यह जानना अच्छा लगेगा कि आप इन कछुओं के साथ क्या कर रहे हैं।'
वह हंसी। 'मैं उनके गोले साफ कर रही हूं,' उसने जवाब दिया। "कछुए के खोल पर कुछ भी, जैसे शैवाल या मैल, कछुए की गर्मी को अवशोषित करने की क्षमता को कम करता है और तैरने की क्षमता को बाधित करता है। यह समय के साथ खोल को खराब और कमजोर भी कर सकता है।'
'क्या बात है! यह वास्तव में आपके लिए बहुत अच्छा है!' मैंने कहा।
वह आगे बढ़ी: 'मैं प्रत्येक रविवार की सुबह इस झील के किनारे आराम करने और इन छोटे लोगों की मदद करने में कुछ घंटे बिताती हूं। यह बदलाव लाने का मेरा अपना अजीब तरीका है।'
'लेकिन क्या अधिकांश मीठे पानी के कछुए अपना पूरा जीवन शैवाल और अपने खोल से लटके हुए मैल के साथ नहीं जीते हैं?' मैंने पूछा।
'हाँ, दुख की बात है, वे करते हैं,' उसने जवाब दिया।
मैंने अपना सिर खुजलाया। 'तो ठीक है, क्या आपको नहीं लगता कि आपका समय बेहतर तरीके से व्यतीत हो सकता है? मेरा मतलब है, मुझे लगता है कि आपके प्रयास दयालु और सभी हैं, लेकिन दुनिया भर की झीलों में ताजे पानी के कछुए रहते हैं। और इनमें से 99% कछुओं के पास आपके जैसे दयालु लोग नहीं हैं जो उनके गोले को साफ करने में मदद करें। तो, कोई अपराध नहीं ... लेकिन वास्तव में आपके स्थानीय प्रयासों से वास्तव में कैसे फर्क पड़ रहा है?'
महिला जोर से हंस पड़ी। फिर उसने अपनी गोद में कछुए को देखा, उसके खोल से शैवाल के आखिरी टुकड़े को साफ़ किया, और कहा, 'स्वीटी, अगर यह छोटा लड़का बात कर सकता है, तो वह आपको बताएगा कि मैंने दुनिया में सभी अंतर बनाए हैं

Sunday, August 1, 2021

माता पिता का ऋण

एक बार एक पिता और उसका पुत्र जलमार्ग से कहीं यात्रा कर रहे थे और तभी अचानक दोनों रास्ता भटक गये। फिर उनकी नौका भी उन्हें ऐसी जगह ले गई, जहाँ दो टापू आस-पास थे और फिर वहाँ पहुंच कर उनकी नौका टूट गई।
 पिता ने पुत्र से कहा, "अब लगता है, हम दोनों का अंतिम समय आ गया है, दूर-दूर तक कोई सहारा नहीं दिख रहा है।"
अचानक पिता को एक उपाय सूझा, अपने पुत्र से कहा कि "वैसे भी हमारा अंतिम समय नज़दीक है, तो क्यों न हम ईश्वर की प्रार्थना करें।"
उन्होने दोनों टापू आपस में बाँट लिए।
एक पर पिता और एक पर पुत्र, और दोनों अलग-अलग टापू पर ईश्वर की प्रार्थना करने लगे।
पुत्र ने ईश्वर से कहा, 'हे भगवन, इस टापू पर पेड़-पौधे उग जाए जिसके फल-फूल से हम अपनी भूख मिटा सकें।'
ईश्वर ने प्रार्थना सुनी गयी, तत्काल पेड़-पौधे उग गये और उसमें फल-फूल भी आ गये। उसने कहा ये तो चमत्कार हो गया।
फिर उसने प्रार्थना की, एक सुंदर स्त्री आ जाए जिससे हम यहाँ उसके साथ रहकर अपना परिवार बसाएँ।
तत्काल एक सुंदर स्त्री प्रकट हो गयी।
अब उसने सोचा कि मेरी हर प्रार्थना सुनी जा रही है, तो क्यों न मैं ईश्वर से यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता माँगे लूँ ? 
उसने ऐसा ही किया।
उसने प्रार्थना की, एक नई नाव आ जाए जिसमें सवार होकर मैं यहाँ से बाहर निकल सकूँ।
तत्काल नाव प्रकट हुई और पुत्र उसमें सवार होकर बाहर निकलने लगा।
तभी एक आकाशवाणी हुई, बेटा तुम अकेले जा रहे हो? अपने पिता को साथ नहीं लोगे ?
 पुत्र ने कहा, उनको छोड़ो, प्रार्थना तो उन्होंने भी की, लेकिन आपने उनकी एक भी नहीं सुनी।  शायद उनका मन पवित्र नहीं है, तो उन्हें इसका फल भोगने दो ना ?
आकाशवाणी ने कहा, 'क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारे पिता ने क्या प्रार्थना की ?
पुत्र बोला, नहीं।
 आकाशवाणी बोली तो सुनो, 'तुम्हारे पिता ने एक ही प्रार्थना की..." हे भगवन! मेरा पुत्र आपसे जो भी माँगे, उसे दे देना क्योंकि मैं उसे दुःख में हरगिज़ नहीं देख सकता औऱ अगर मरने की बारी आए तो मेरी मौत पहले हो " और जो कुछ तुम्हें मिल रहा है उन्हीं की प्रार्थना का परिणाम है।'
 पुत्र बहुत शर्मिंदा हो गया।*हमें जो भी सुख, प्रसिद्धि, मान, यश, धन, संपत्ति और सुविधाएं मिल रही है उसके पीछे किसी अपने की प्रार्थना और शक्ति जरूर होती है लेकिन हम नादान रहकर अपने अभिमान वश इस सबको अपनी उपलब्धि मानने की भूल करते रहते हैं और जब ज्ञान होता है तो असलियत का पता लगने पर सिर्फ़ पछताना पड़ता है।हम चाह कर भी अपने माता पिता का ऋण नहीं चुका सकते हैं।