Friday, June 20, 2025

सफलता उन्हें मिलती है, जो कोशिश करना नहीं छोड़ते

छत्तीसगढ़ के एक छोटे से कस्बे कोरबा में रहने वाला निखिल बचपन से ही तेज दिमाग वालालड़का था। उसके पिता एक कोयले की खान में मजदूर थे और माँ घर संभालती थीं। निखिल कासपना था – IAS अफसर बनना।


जब उसने ये सपना सबसे सामने रखातो कुछ ने हँसी उड़ाईकुछ ने दया जताई और बाकी नेकहा:

बेटाहमारे जैसे लोग ये सब सोचते अच्छे लगते हैंकरते नहीं।

लेकिन निखिल का जवाब हमेशा एक ही होता –

 

> "सफलता उन्हें मिलती हैजो कोशिश करना नहीं छोड़ते।"


शुरुआतसपनों की पहली उड़ान


निखिल ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और बारहवीं में ज़िले में टॉप किया। उसे छात्रवृत्ति मिलीऔर उसने रायपुर के एक कॉलेज में दाखिला ले लिया। वहाँ रहते हुए उसने UPSC की तैयारीशुरू कर दी।

कॉलेज के बाद उसने पूरी तरह से सिविल सेवा की तैयारी में खुद को झोंक दिया। दिन-रात एककर दिया। सुबह पाँच बजे उठनाअखबार पढ़नानोट्स बनानामॉक टेस्ट देना – ये उसकीदिनचर्या बन गई थी।


पहली कोशिश – पहली ठोकर


जब निखिल ने पहली बार परीक्षा दीतो वह Prelims में ही रह गया। रिज़ल्ट देखकर उसकीआँखें भर आईं। तीन साल की मेहनत जैसे ज़मीन में समा गई हो।


दोस्तों ने कहा, “अब नौकरी देखबहुत हो गया।

रिश्तेदार बोले, “इतनी पढ़ाई किस काम की जब कुछ बन ही नहीं पाया?”


लेकिन निखिल ने हार नहीं मानी। उसने खुद से कहा –

ये नाकामी नहीं हैये मेरी मंज़िल का पहला पत्थर है।


दूसरी कोशिश – और गहरी चोट


अबकी बार उसने और मजबूत तैयारी की। दिन में 10-12 घंटे पढ़ाई करता। किसी से मिलने नहींजातासोशल मीडिया से दूर रहता। लेकिन जब दूसरी बार भी वह Mains में पास होकरInterview में रह गयातो दिल टूटने की कगार पर था।


उसने माँ से कहा –

माँलगता है ये सपना मेरे लिए नहीं है।


माँ ने सिर पर हाथ रखकर बस एक बात कही –


> “बेटाजब कोशिश बंद हो जाती हैतब ही सपने अधूरे रह जाते हैं। तू कोशिश करता रहातोमंज़िल खुद तुझसे मिलने आएगी।


तीसरी कोशिश – आत्मविश्वास की जंग


निखिल ने इस बार  सिर्फ पढ़ाई कीबल्कि अपने अंदर के डर और थकावट से भी लड़ा। उसनेहर हार से सीखाहर गलती को सुधारा। उसे पता था – यह आखिरी मौका हैलेकिन वह हारमानने वालों में से नहीं था।


एक साल तक उसने खुद को पूरी तरह से अनुशासन में रखा – समय पर उठनायोग करनापॉजिटिव सोच रखना और हर दिन खुद से कहना:

 

> "सफलता उन्हें मिलती हैजो कोशिश करना नहीं छोड़ते।"


वो ऐतिहासिक दिन

 

जब UPSC का रिज़ल्ट आयातो निखिल कंप्यूटर के सामने बैठा काँपते हाथों से रोल नंबर डालरहा था। जैसे ही रिज़ल्ट खुलावह सन्न रह गया।

 

AIR 112 – निखिल वर्मा

वह अब IAS अधिकारी बन चुका था।

 

माँ की आँखों में आँसू थेपिता ने पहली बार बेटे को गले लगाकर रोते हुए कहा –

बेटातूने साबित कर दिया कि गरीब का बेटा भी बड़ा अफसर बन सकता है।


आज का निखिल


निखिल आज छत्तीसगढ़ में एक ज़िले का कलेक्टर है। उसने अपने जैसे गरीब छात्रों के लिए"कोशिश क्लासेसशुरू की हैजहाँ मुफ़्त में UPSC की तैयारी करवाई जाती है।


वह हर नए छात्र से एक ही बात कहता है:


> "हार से डरना मतगिरने से घबराना मत

कोशिश करते रहोक्योंकि सफलता उन्हें मिलती है,

जो कोशिश करना नहीं छोड़ते।"

 

सीख / संदेश

 

यह कहानी हमें सिखाती है कि रास्ता चाहे जितना लंबा हो,

अगर आप चलते रहेंगेतो मंज़िल जरूर मिलेगी।

हर असफलता एक सीख हैऔर हर कोशिश एक कदम मंज़िल की ओर।

 

कभी भी हार मत मानोक्योंकि असली जीत उनका ही इंतज़ार करती है,

जो थकते हैंरुकते हैंपर कोशिश करना नहीं छोड़ते।

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