राजस्थान के एक छोटे से कस्बे बागपुर में रहने वाला रवि एक मध्यमवर्गीय परिवार से था। उसकेपिता एक प्राइवेट कंपनी में चौकीदार थे और माँ गृहिणी। रवि बचपन से ही पढ़ाई में तेज था औरउसका सपना था – नीट (NEET) पास करके डॉक्टर बनना।
हर कोई रवि से उम्मीद करता था। शिक्षक कहते, "तू बागपुर का पहला डॉक्टर बनेगा!" माँ कहती, "तेरे लिए ही तो सब सह रहे हैं बेटा।"
पहली ठोकर – उम्मीद का टूटना
रवि ने 12वीं के बाद NEET की परीक्षा दी। उसे पूरा विश्वास था कि वह पास हो जाएगा।लेकिन जब परिणाम आया, तो वह कटऑफ से 14 नंबर से पीछे रह गया।
वह पूरी तरह टूट गया। कमरे में खुद को बंद कर लिया। फोन बंद, किताबें बंद, सपने भी बंद। एकदिन पिता ने दरवाज़ा खटखटाया और कहा:
“रवि, हारने से कोई छोटा नहीं होता बेटा, लेकिन हार मान लेने वाला कभी बड़ा नहीं बन पाता। जोगिरकर उठता है, वही असली विजेता कहलाता है।”
पिता की यह बात सीधे दिल में उतर गई। उसने आंसू पोंछे और फिर किताबें उठाईं।
दूसरी कोशिश – और गिरावट
रवि ने खुद को फिर से तैयार किया। उसने एक साल घर पर रहकर दिन-रात मेहनत की। सोशलमीडिया से दूरी बनाई, टीवी बंद, दोस्त कम, बस एक ही लक्ष्य – NEET 2023।
परीक्षा दी, रिज़ल्ट आया… लेकिन इस बार भी महज 3 नंबर से रह गया।
अब उसके रिश्तेदार तक कहने लगे –
“शायद यह इसके बस का नहीं है। अच्छा होता बी.एससी में एडमिशन ले लेता।”
पर माँ ने रवि का माथा सहलाते हुए कहा –
“बेटा, गिरने से नहीं डरते। तू फिर से उठ, फिर से लड़। तीसरी बार की जीत, सबसे बड़ी होगी।”
तीसरी कोशिश – नई सोच, नया रवैया
अब रवि ने सिर्फ पढ़ाई नहीं, सोच को भी बदला। इस बार वह केवल रट्टा नहीं लगाता, बल्कि हरटॉपिक को समझकर पढ़ता। सुबह चार बजे उठता, योग करता, मन को शांत रखता, और खुद कोरोज़ मोटिवेट करता:
> “मैं गिरा हूं, लेकिन टूटा नहीं हूं।
मैं फिर से उठूंगा, और इस बार रुकूंगा नहीं।”
दिन में 10 घंटे पढ़ाई और हफ़्ते में एक बार खुद से बात – “मैं कर सकता हूँ।”
अंततः… वह दिन
NEET 2024 का रिज़ल्ट आया। रवि ने कंप्यूटर स्क्रीन पर रोल नंबर डाला और आँखें बंद करलीं। जब स्क्रीन खुली, तो उसकी माँ की चीख निकल गई—
“रवि! तू सेलेक्ट हो गया बेटा! सरकारी मेडिकल कॉलेज मिला है!”
रवि की आँखों से आँसू झरने लगे, लेकिन अब ये आँसू हार के नहीं, जीत की पहचान थे।
गाँव लौटकर संदेश
आज रवि जयपुर के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में MBBS की पढ़ाई कर रहा है। छुट्टियों मेंजब वह अपने गाँव आता है, तो वह स्कूल जाकर बच्चों से यही कहता है:
“मैं दो बार गिरा, लेकिन तीसरी बार उठ खड़ा हुआ।
अगर मैं हार मान लेता, तो आज यहाँ नहीं होता।
इसलिए याद रखना—
जो गिरकर उठता है, वही असली विजेता कहलाता है।”
सीख / संदेश
जीवन में गिरना कोई असफलता नहीं है।
सच्ची हार तब होती है, जब हम उठने से इनकार कर देते हैं।
हर असफलता एक मौका है खुद को और मजबूत करने का।
जो इंसान ठोकर खाकर भी मुस्कुराता है, और फिर से चल पड़ता है—
वही असली विजेता कहलाता है।
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