Sunday, June 29, 2025

जो गिरकर उठता है, वही असली विजेता कहलाता है

राजस्थान के एक छोटे से कस्बे बागपुर में रहने वाला रवि एक मध्यमवर्गीय परिवार से था। उसकेपिता एक प्राइवेट कंपनी में चौकीदार थे और माँ गृहिणी। रवि बचपन से ही पढ़ाई में तेज था औरउसका सपना था – नीट (NEET) पास करके डॉक्टर बनना।

हर कोई रवि से उम्मीद करता था। शिक्षक कहते, "तू बागपुर का पहला डॉक्टर बनेगा!" माँ कहती, "तेरे लिए ही तो सब सह रहे हैं बेटा।"

पहली ठोकर – उम्मीद का टूटना

रवि ने 12वीं के बाद NEET की परीक्षा दी। उसे पूरा विश्वास था कि वह पास हो जाएगा।लेकिन जब परिणाम आयातो वह कटऑफ से 14 नंबर से पीछे रह गया।

वह पूरी तरह टूट गया। कमरे में खुद को बंद कर लिया। फोन बंदकिताबें बंदसपने भी बंद। एकदिन पिता ने दरवाज़ा खटखटाया और कहा:

रविहारने से कोई छोटा नहीं होता बेटालेकिन हार मान लेने वाला कभी बड़ा नहीं बन पाता। जोगिरकर उठता हैवही असली विजेता कहलाता है।

पिता की यह बात सीधे दिल में उतर गई। उसने आंसू पोंछे और फिर किताबें उठाईं।

दूसरी कोशिश – और गिरावट


रवि ने खुद को फिर से तैयार किया। उसने एक साल घर पर रहकर दिन-रात मेहनत की। सोशलमीडिया से दूरी बनाईटीवी बंददोस्त कमबस एक ही लक्ष्य – NEET 2023


परीक्षा दीरिज़ल्ट आया… लेकिन इस बार भी महज 3 नंबर से रह गया।


अब उसके रिश्तेदार तक कहने लगे –

शायद यह इसके बस का नहीं है। अच्छा होता बी.एससी में एडमिशन ले लेता।


पर माँ ने रवि का माथा सहलाते हुए कहा –

बेटागिरने से नहीं डरते। तू फिर से उठफिर से लड़। तीसरी बार की जीतसबसे बड़ी होगी।

तीसरी कोशिश – नई सोचनया रवैया

 

अब रवि ने सिर्फ पढ़ाई नहींसोच को भी बदला। इस बार वह केवल रट्टा नहीं लगाताबल्कि हरटॉपिक को समझकर पढ़ता। सुबह चार बजे उठतायोग करतामन को शांत रखताऔर खुद कोरोज़ मोटिवेट करता:

 

> “मैं गिरा हूंलेकिन टूटा नहीं हूं।

मैं फिर से उठूंगाऔर इस बार रुकूंगा नहीं।


दिन में 10 घंटे पढ़ाई और हफ़्ते में एक बार खुद से बात – “मैं कर सकता हूँ।

अंततः… वह दिन


NEET 2024 का रिज़ल्ट आया। रवि ने कंप्यूटर स्क्रीन पर रोल नंबर डाला और आँखें बंद करलीं। जब स्क्रीन खुलीतो उसकी माँ की चीख निकल गई


रवितू सेलेक्ट हो गया बेटासरकारी मेडिकल कॉलेज मिला है!”

 

रवि की आँखों से आँसू झरने लगेलेकिन अब ये आँसू हार के नहींजीत की पहचान थे।

गाँव लौटकर संदेश


आज रवि जयपुर के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में MBBS की पढ़ाई कर रहा है। छुट्टियों मेंजब वह अपने गाँव आता हैतो वह स्कूल जाकर बच्चों से यही कहता है:


मैं दो बार गिरालेकिन तीसरी बार उठ खड़ा हुआ।

अगर मैं हार मान लेतातो आज यहाँ नहीं होता।

इसलिए याद रखना

जो गिरकर उठता हैवही असली विजेता कहलाता है।


सीख / संदेश


जीवन में गिरना कोई असफलता नहीं है।

सच्ची हार तब होती हैजब हम उठने से इनकार कर देते हैं।

हर असफलता एक मौका है खुद को और मजबूत करने का।

जो इंसान ठोकर खाकर भी मुस्कुराता हैऔर फिर से चल पड़ता है

वही असली विजेता कहलाता है।

Tuesday, June 24, 2025

इरादों की ताक़त

 कॉलेज खत्म हुआलेकिन नौकरी नहीं मिली। कोविड के दौर में हालात और भी ख़राब हो गए।घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गईकर्ज़ बढ़ गयालेकिन विशाल ने हिम्मत नहीं हारी।

उसने तय किया कि वह अपना सपना अब शुरू करेगाएक डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म बनाना जोग्रामीण छात्रों को मुफ्त में टेक्नोलॉजी सिखा सके।

पर कहाँ से शुरू करेना पैसेना टीमना अनुभव।

इंटरनेट कैफ़े से बनी उम्मीद

विशाल ने एक पुराने इंटरनेट कैफ़े में काम पकड़ लिया। वहीं कंप्यूटर पर काम करते-करतेवहकोडिंग सीखता रहावीडियो बनाता रहाऔर अपना प्लेटफॉर्म तैयार करता रहा।

रात को जब सब सो जातेतो वह देर रात तक स्क्रीन पर झुका रहता। माँ फोन पर कहती,

बेटाइतनी मेहनत क्यों करता हैआराम कर ले।

तो वह जवाब देता,

माँअगर आज आराम कर लियातो कल कोई और मेरा सपना पूरा कर देगा।


पहली सफलता की किरण

छोटे-छोटे वीडियो बनाकर वह उन्हें यूट्यूब और सोशल मीडिया पर डालने लगा। शुरुआत में व्यूजकम थेलेकिन कंटेंट दमदार था। धीरे-धीरे छात्रों का ध्यान उसकी ओर गया।

कुछ शिक्षकों ने उसके वीडियो देखकर संपर्क किया और जुड़ने की इच्छा जताई। उसने एकछोटा-सा मोबाइल ऐप बनाया – “ग्राम लर्नर – जो सस्ती इंटरनेट स्पीड में भी चलता था।

कुछ ही महीनों में ऐप के 10,000 से ज्यादा डाउनलोड हो गए।


अब पहचान मिलने लगी


एक दिन दिल्ली की एक एनजीओ ने उसके काम पर ध्यान दिया और उससे संपर्क किया। उन्होंनेउसे आर्थिक सहायता दी और प्लेटफॉर्म को और बड़ा करने में मदद की।

आज “ग्राम लर्नर” ऐप से 1 लाख से ज़्यादा ग्रामीण छात्र पढ़ रहे हैं। विशाल का सपना अबहक़ीक़त बन गया है।


गाँव में वापसी और गर्व


विशाल अब भी महीने में एक बार अपने गाँव आता है। उसी स्कूल में जाकर बच्चों से मिलता हैजहाँ से उसने शुरुआत की थी।


वह हमेशा एक बात कहता है:


> “सपनों से ज़्यादा ज़रूरी है अपने इरादों से प्यार करना।

हालात चाहे जैसे भी हो जाएँइरादे नहीं बदलने चाहिए।

क्योंकि असली मज़ा तो तब है,

जब हालात बदल जाएँलेकिन इरादे  बदलें।


सीख / संदेश


यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में परिस्थितियाँ बदलती रहती हैंकभी मुश्किलकभीआसान। लेकिन जो इंसान अपने इरादों पर डटा रहता हैवही सच में सफल होता है।


बदलते हालात के सामने घुटने टेकना आसान है,

लेकिन उन्हें झुकाकर आगे बढ़ जाना ही असली जीत है।

इरादा कभी मत बदलोचाहे दुनिया कितनी भी बदल जाए।