गाँव के बीचोबीच एक पुराना और रहस्यमय घर था। लोग कहते थे कि उस घर में एक बुजुर्ग व्यक्ति, जिसे सभी "गुरुजी" के नाम से जानते थे, रहते हैं। गुरुजी एक ज्ञानी व्यक्ति थे, जो न केवल गाँव के लोगों को जीवन के गूढ़ रहस्यों के बारे में बताते थे, बल्कि उन्होंने कई युवा लोगों को जीवन में सही दिशा दिखाई थी। उनके पास एक अनमोल गुरु-मंत्र था, जो वह अक्सर कहते थे: "कभी भी अपने राज़ किसी को मत बताना। यह आपको नष्ट कर देगा।"
गाँव में एक युवा लड़का था, जिसका नाम था अर्जुन। अर्जुन बहुत ही जिज्ञासु और साहसी था। उसे गुरुजी की बातें सुनकर हमेशा लगता था कि वह कुछ बड़ा करना चाहता है। लेकिन उसकी एक कमजोरी थी—वह अपने राज़ दूसरों को बताने में पीछे नहीं रहता था। उसे यह समझ में नहीं आता था कि राज़ किस तरह की ताकत रखते हैं
एक दिन अर्जुन ने गाँव में अपने दोस्तों को बताया कि उसके पास एक जादुई पत्थर है, जो उसके सारे सपनों को पूरा कर सकता है। उसने अपने दोस्तों को यह भी बताया कि वह इस पत्थर का उपयोग करके एक बड़ा धनवान बनने का इरादा रखता है।
गुरुजी ने जब अर्जुन को यह बात कहते सुना, तो वह चिंतित हो गए। उन्होंने अर्जुन को बुलाया और कहा, "बेटा, यह बात किसी को मत बताना। राज़ बताने से तुम्हारे सपने चुराए जा सकते हैं।"
लेकिन अर्जुन ने गुरुजी की बातों को नजरअंदाज कर दिया। उसने सोचा, "गुरुजी बस मेरी तरक्की से जलते हैं।" उसने अपने राज़ को और भी लोगों के साथ बांटने का निर्णय लिया। उसने गाँव के सभी लोगों को बताया कि उसके पास जादुई पत्थर है।
जल्द ही, गाँव में इस खबर की चर्चा होने लगी। लोग अर्जुन के पास आने लगे, और उसकी बातों पर विश्वास करने लगे। लेकिन कुछ दिनों बाद, गाँव में एक अजीब स्थिति पैदा हो गई। कुछ लोग, जो अर्जुन के पास आकर जादुई पत्थर की खोज कर रहे थे, अचानक गायब होने लगे।
गाँव में भय का माहौल पैदा हो गया। लोग अर्जुन पर शक करने लगे। उन्होंने कहा, "क्या अर्जुन ने जादुई पत्थर का उपयोग करके हमें धोखा दिया है?" अर्जुन इस बात को लेकर चिंतित था। उसने अपनी गलती को समझा, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
गुरुजी ने अर्जुन को फिर से बुलाया और कहा, "बेटा, तुमने अपने राज़ को साझा करके एक बड़ी गलती की है। यह तुम्हें नष्ट कर देगा। राज़ एक प्रकार की शक्ति है, और इसे सावधानी से संभालना चाहिए।"
अर्जुन ने गुरुजी के चरणों में गिरते हुए कहा, "मुझे माफ कर दो, गुरुजी। मैं समझ गया हूँ। मैं अपनी गलती को सुधारना चाहता हूँ।"
गुरुजी ने कहा, "बेटा, अपने राज़ को संभालना और उसे सुरक्षित रखना ही तुम्हारी ताकत है। अब, तुम्हें अपने कर्मों के परिणामों का सामना करना होगा।"
अर्जुन ने अपने दोस्तों को समझाने की कोशिश की कि उसने जो कुछ भी कहा था, वह सच नहीं था। लेकिन गाँव के लोग अब उसकी बातों पर विश्वास नहीं कर रहे थे। उन्होंने अर्जुन को गाँव से निकालने का निर्णय लिया।
अर्जुन ने सब कुछ खो दिया—अपना नाम, अपनी पहचान, और अपने दोस्तों का विश्वास। वह अकेला और दुखी होकर जंगल की ओर चला गया। वहाँ उसने सोचा कि उसे अपनी गलती का अहसास करना होगा और फिर से अपने जीवन की शुरुआत करनी होगी
जंगल में, अर्जुन ने अपने अतीत पर विचार किया और समझा कि उसके जीवन में जो कुछ भी बुरा हुआ, वह उसकी अपनी गलती थी। उसने ठान लिया कि वह अपनी पहचान को फिर से बनाएगा, लेकिन इस बार वह अपने राज़ को किसी के साथ साझा नहीं करेगा।
कुछ समय बाद, अर्जुन ने गाँव वापस लौटने का फैसला किया। उसने गाँव के लोगों के साथ मिलकर काम करने की कोशिश की। धीरे-धीरे, उसने अपनी मेहनत से लोगों का विश्वास फिर से जीतना शुरू किया। उसने समझा कि राज़ साझा करने से सिर्फ नुकसान होता है, और अपने अनुभव से सीखा कि अपने राज़ को सुरक्षित रखना कितना जरूरी है।
गाँव के लोग धीरे-धीरे उसकी मेहनत और बदलाव को देखने लगे। उन्होंने अर्जुन को फिर से स्वीकार कर लिया। उसने गुरुजी की बातों को अपने जीवन में उतार लिया था और अब वह अपने राज़ को किसी के साथ साझा नहीं करता था।
इस प्रकार, अर्जुन ने अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया और गुरुजी के मंत्र को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उसने साबित कर दिया कि सबसे बड़ा गुरु-मंत्र है—"कभी भी अपने राज़ किसी को मत बताना। यह आपको नष्ट कर देगा।"
कहानी का संदेश यह है कि राज़ों को सुरक्षित रखना आवश्यक है, क्योंकि यह हमारी ताकत है और इसे साझा करने से हम अपनी स्थिति को खो सकते हैं।