Wednesday, November 13, 2024

नदी के किनारे के पेड़, दूसरे आदमी के घर में एक महिला और बिना सलाहकार के राजा निस्संदेह तेजी से विनाश के लिए जाते हैं

बहुत समय पहले की बात है, एक सुन्दर और समृद्ध राज्य था, जिसका नाम था "सुवर्णपुर।" इस राज्य का राजा, राजा विक्रम, एक बुद्धिमान और न्यायप्रिय शासक था। वह अपने राज्य की भलाई के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहता था। लेकिन समय के साथ-साथ, राजा विक्रम ने अपने चारों ओर एक घेरा बना लिया और अपने सलाहकारों की बातों को सुनना बंद कर दिया। उसे लगा कि उसे सब कुछ पता है और अब उसे किसी सलाह की आवश्यकता नहीं है।

 

राज्य के बीचों-बीच एक बड़ी नदी बहती थी। इस नदी के किनारे कई विशाल और हरे-भरे पेड़ थे। ये पेड़ न केवल नदी के किनारे की सुंदरता बढ़ाते थे, बल्कि गाँव वालों को छाया भी देते थे। लेकिन एक दिन, गाँव में एक वृद्ध व्यक्ति ने राजा के पास आकर कहा, "महाराज, ये पेड़ मजबूत लगते हैं, लेकिन इनकी जड़ें कमजोर हो रही हैं। अगर कोई बड़ा तूफान आता है, तो ये पेड़ गिर सकते हैं।"

 

राजा विक्रम ने उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए कहा, "ये पेड़ सदियों से खड़े हैं, इन्हें गिराने के लिए किसी तूफान की जरूरत नहीं है।" राजा ने सोचा कि वह अपने राज्य की स्थिति को बेहतर समझता है और किसी की सलाह पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

 

उसी समय, राज्य में एक दूसरी घटना घटित हुई। राजा के एक मंत्री, प्रताप, ने अपने घर में एक महिला को रखा था। वह महिला, जिसका नाम सीमा था, राज्य के दूसरे गाँव की थी। प्रताप ने सीमा को अपने घर में रखकर उसे कई तरह के सपने दिखाने लगा। सीमा ने उसकी बातों में आकर प्रताप से कहा, "आप बहुत शक्तिशाली हैं, अगर आप चाहें तो इस राज्य में कुछ भी कर सकते हैं।"

 

प्रताप ने सीमा की बातों को सुनकर अपने मन में एक योजना बनाई। उसने सोचा कि अगर वह राजा को अपने काबू में कर सके, तो वह पूरे राज्य का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगा। इसलिए उसने राजा के खिलाफ षड्यंत्र रचने का निर्णय लिया।

 

एक दिन, प्रताप ने राजा विक्रम से कहा, "महाराज, मैंने सुना है कि आपकी शक्ति बढ़ाने के लिए आपको कुछ विशेष अनुष्ठान करने चाहिए। ये अनुष्ठान केवल एक सलाहकार ही कर सकता है।" राजा ने कहा, "मुझे किसी सलाहकार की आवश्यकता नहीं है, मैं स्वयं अपनी शक्ति को बढ़ा सकता हूँ।"

 

राजा विक्रम ने अपने आस-पास के सभी लोगों को बुलाया और कहा, "मैं अपने राज्य की रक्षा खुद करूँगा। मुझे किसी के सलाह की आवश्यकता नहीं है।" उसकी यह बात सुनकर मंत्री प्रताप को एक सुनहरा मौका मिल गया। उसने राजा की बातों को सुनकर और भी अधिक योजनाएँ बनानी शुरू कर दीं।

 

कुछ दिनों बाद, राज्य में एक भयंकर तूफान आया। तूफान ने नदी के किनारे के पेड़ों को हिलाना शुरू किया। राजा ने अपने सैनिकों को बुलाया, लेकिन उन्होंने कहा, "महाराज, हमें सलाहकार की जरूरत है। हमें इस तूफान से निपटने के लिए सही मार्गदर्शन चाहिए।"

 

लेकिन राजा विक्रम ने अपनी ढृढ़ता को नहीं छोड़ा और कहा, "मैं अपने बलबूते पर इस तूफान का सामना करूँगा।"

 

तूफान ने प्रचंड वेग से पेड़ों को हिलाना शुरू कर दिया। पेड़ अपनी जड़ों के कमजोर होने के कारण एक-एक करके गिरने लगे। इस स्थिति को देखकर गाँव वाले भयभीत हो गए। कई लोग अपने घरों को छोड़कर भागने लगे, और अंततः कई पेड़ टूट कर गिर गए।

 

राजा विक्रम की आत्मनिर्भरता और सलाहकार की अवहेलना का नतीजा सबके सामने आया। पेड़ों के गिरने से नदी का पानी गाँव में भरने लगा, जिससे कई घरों को नुकसान पहुँचा।

 

इस विनाशकारी स्थिति के बाद, राजा विक्रम ने समझा कि बिना सलाहकार के चलाना एक बड़ी गलती थी। उसने महसूस किया कि न केवल पेड़, बल्कि उसके राज्य की स्थिति भी खतरे में थी।

 

राजा ने प्रताप की साजिश को समझा और अपने अधिकारियों से सलाह ली। उन्होंने अपनी गलती को स्वीकार किया और सभी गाँव वालों से माफी माँगी।

 

राजा विक्रम ने फिर से अपने सलाहकारों को बुलाकर उनसे सुझाव लिए। इस बार, उन्होंने सभी की राय को ध्यान से सुना। उन्होंने निर्णय लिया कि उन्हें पेड़ों को फिर से लगाना होगा और नदी के किनारे की रक्षा के लिए मजबूत दीवारें बनानी होंगी।

 

राजा ने गाँव के लोगों को एकजुट किया और सभी ने मिलकर काम किया। उन्होंने न केवल नए पेड़ लगाए, बल्कि अपने राज्य को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक उपाय भी किए।

 

इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि कभी भी बिना सलाहकार के काम करना सही नहीं होता। एक अच्छे सलाहकार की सलाह न केवल आपको सही दिशा में ले जाती है, बल्कि आपके द्वारा किए गए कार्यों के परिणामों को भी बेहतर बनाती है। राजा विक्रम ने सीखा कि नदियों, पेड़ों, और न ही किसी महिला या मंत्री पर बिना सोच-विचार किए भरोसा करना चाहिए। समाज में सभी का योगदान और सहयोग महत्वपूर्ण होता है।--

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