गाँव में एक व्यक्ति था, जिसका नाम था रघु। रघु का आचरण दुराचारी था, और उसकी दृष्टि हमेशा अशुद्ध रहती थी। वह कुटिलता के लिए भी प्रसिद्ध था। उसके पास बहुत से धन और संसाधन थे, लेकिन उसकी पहचान केवल उसकी दुराचारिता और कुटिलता से थी। गाँव के लोग उससे दूरी बनाकर रखते थे, लेकिन कुछ naïve लोग उसकी बाहरी चमक और धन को देखकर उसके मित्र बनने का प्रयास करते थे।
एक दिन, गाँव में एक नया युवक, अमन, आया। अमन साधारण परिवार से था और अपनी मेहनत के बल पर अपने जीवन को संवारने का सपना देखता था। जब उसने रघु को देखा, तो वह उसकी धन-दौलत और प्रभाव से प्रभावित हुआ। अमन ने सोचा, "अगर मैं रघु से मित्रता कर लूँगा, तो मुझे भी जल्दी ही धन और सम्मान मिलेगा।"
अमन ने रघु से दोस्ती करने का प्रयास किया और जल्दी ही वह उसके सान्निध्य में आने लगा। रघु ने अमन को अपनी चालाकियों और धन का प्रदर्शन किया, जिससे अमन उसकी दुनिया में खो गया। रघु ने अमन को अपने साथ रहने के लिए कहा, "आओ, मेरे साथ रहो। मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि असली जीवन क्या होता है।"
किंतु जल्द ही अमन ने देखा कि रघु के साथ रहना उसके लिए लाभकारी नहीं था। रघु ने उसे गलत रास्तों पर चलने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। वह अमन को धोखाधड़ी और असामाजिक कार्यों में शामिल करने लगा। अमन के मन में सच्चाई और ईमानदारी की भावना थी, लेकिन रघु की मित्रता ने उसे कमजोर कर दिया।
एक दिन, रघु ने अमन को कहा, "तुम्हें अपने लाभ के लिए कुछ करना होगा। चलो, हम गाँव के एक व्यापारी को धोखा देने की योजना बनाते हैं। उसके पास बहुत धन है, और हम उसे अपने फायद के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।" अमन ने इस प्रस्ताव पर संकोच किया, लेकिन रघु के प्रभाव में वह झिझकते हुए सहमत हो गया।
दोनों ने योजना बनाई और व्यापारी के साथ धोखाधड़ी करने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही उन्होंने यह किया, व्यापारी ने उन्हें पकड़ लिया और गाँव के मुखिया के पास ले गया। मुखिया ने रघु और अमन को बुलाया और पूछा, "तुम दोनों ने ऐसा क्यों किया? यह तुम्हारी स्थिति को बहुत खराब कर देगा।"
रघु ने अपनी कुटिलता दिखाते हुए कहा, "यह सब अमन की गलती है। वह मुझे प्रभावित करने आया था। मैं तो बस उसका अनुसरण कर रहा था।" लेकिन मुखिया ने रघु की चालाकी को समझ लिया और अमन को चेतावनी दी। "तुम्हें सावधान रहना चाहिए। ऐसे लोगों से दूर रहो जो तुम्हें गलत रास्ते पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।"
अमन को इस घटना के बाद अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने सोचा, "मैंने रघु जैसे दुराचारी व्यक्ति से दोस्ती करके कितनी बड़ी भूल की। मुझे उसकी बातों में आकर अपने जीवन को बर्बाद नहीं करना चाहिए था।"
अमन ने रघु से दूरी बनाना शुरू किया, लेकिन रघु ने उसे समझाने का प्रयास किया। "तुम मुझसे क्यों दूर जा रहे हो? मैं तुम्हें धन और शक्ति दिला सकता हूँ।" लेकिन अमन ने समझ लिया कि रघु की मित्रता सिर्फ उसे नष्ट करने के लिए थी।
धीरे-धीरे, रघु की असलियत सबके सामने आने लगी। गाँव के लोग उसे पहचानने लगे और उससे दूरी बनाने लगे। रघु का धन और प्रभाव भी धीरे-धीरे खत्म हो गया। एक दिन, वह अकेला रह गया और उसके पास न कोई मित्र था और न ही धन।
अमन ने अपने जीवन को फिर से संवारने का निर्णय लिया। उसने गाँव में काम करना शुरू किया और अपनी ईमानदारी और मेहनत से सबका विश्वास जीत लिया। अमन ने सीखा कि दुराचारी व्यक्ति से मित्रता करना केवल विनाश का मार्ग है।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जिन लोगों का आचरण दुराचारी हो और जो कुटिलता के लिए प्रसिद्ध हों, उनसे दूर रहना ही बेहतर होता है। असली मित्रता सच्चाई, ईमानदारी और निस्वार्थता पर आधारित होती है।
यदि हम दुराचारी और कुटिल लोगों के साथ मित्रता करते हैं, तो हम शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं। इसलिए, हमेशा सच्चे और अच्छे लोगों के साथ रहना चाहिए, जो हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।
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