एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार करने गया था। उसका निशाना एक जंगली हिरण था। शिकारी अपने बंदूक को निशाने पर लगाने के बाद गोली चलाई, लेकिन उसका शिकार मरने से पहले घायल हो गया। शिकारी ने जल्दी से घायल हिरण के पास जाकर उसे मारने की तैयारी करने लगा।
घायल हिरण ने शिकारी को देखा और अपनी आँखों में एक अद्भुत संदेश दिया। उसने शिकारी से कहा, "तुम अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए मुझे घायल कर दिया है, लेकिन यह मेरी गलती नहीं थी। मैं तुमसे कुछ नहीं मांगता, मुझे जाने दो।"
शिकारी को उस हिरण के शब्दों से बड़ी शर्मिंदगी हुई। उसने अपनी बंदूक उठाई और घायल हिरण को छोड़ दिया। उसकी दृष्टि में अब शिकार करने के लिए अब कोई मकसद नहीं था।
इस कहानी से हम यह सीख प्राप्त करते हैं कि भगवान अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों करते हैं, यह हमें कभी पता नहीं चलता।
फिर एक दिन, उस लड़के ने अपने घर वापस जाने का फैसला किया। उसने सोचा कि उसके साथ हो रही सभी बुराईयां भगवान की इच्छा होगी। इसलिए वह भी बुरा हो जाना चाहता था।
लेकिन जैसे ही उसने घर जाने का फैसला किया, कुछ नया हुआ। उसके बुरे कर्म भी उससे दूर होने लगे। जब वह अपने घर पहुंचा, तो उसे खुशी के साथ देखा गया। उसके बुरे कर्म खत्म हो गए थे।
इस घटना से वह समझ गया कि भगवान बुरे लोगों के साथ बुरा नहीं करते हैं। वे हमारे कर्मों का अनुभव करते हैं और हमें उनके अनुसार फल देते हैं। इसलिए, हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए और दूसरों की मदद करने का प्रयास करना चाहिए। इससे हमारी जिंदगी में सफलता और सुख मिलेगा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हमें सफलता के साथ-साथ हार भी मिलती है। हमें बदलाव के साथ समझना चाहिए कि समय के साथ हमारी स्थिति बदलती रहती है और हमें इस बदलाव को स्वीकार करना होता है। हमें बुरे समय में भी सकारात्मक रहना चाहिए और अपने अच्छे कर्मों के साथ आगे बढ़ना चाहिए।