एक छोटे से गांव में रहने वाला लड़का नाम था रवि। वह बचपन से ही कठिनाईयों से जूझ रहा था। उसके पिता गांव में सफाई करते थे और मां घर में काम करती थीं। रवि का बड़ा भाई बाहर नौकरी करता था।
एक दिन, रवि के बड़े भाई की नौकरी खत्म हो गई और उसे घर आना पड़ा। अगले दिनों में उनके घर के पास एक छोटा सा दुकान खुला। वहाँ उन्होंने सस्ते दारू बेचना शुरू किया। शुरुआत में वह बहुत पैसे कमा रहे थे, लेकिन बाद में बिक्री गिरने लगी।
अधिकतर लोग उनकी दुकान से दारू खरीदने आते थे। रवि के भाई अब थक गए थे, लेकिन वे अब भी डटे रहते थे। रवि ने अपने भाई से कहा, "भाई, आप अपना सपना छोड़ दो। यह दुकान आपके लिए सही नहीं है।"
रवि ने फिर एक नई दुकान खरीदी जो फलों और सब्जियों की थी। उनके परिवार ने उन्हें यहाँ से उसकी मदद की। शुरुआत में वह अधिक पैसे नहीं कमा रहे थे
उसने कभी अपने लक्ष्य से हाथ नहीं खींचा था, लेकिन उसके सामने कई कठिन परिस्थितियां आ गईं। उसका बॉस उसे काम में बहुत दबाव डालता था। उसके घरवालों ने उसे शादी के लिए दबाव बनाया था। रोहित अपने अंदर की ताकत से लड़ना चाहता था, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि वह इसे कैसे कर सकता है।
एक दिन, उसने एक साधु से मिला जो उसे बताया कि संघर्ष एक ऐसी संपत्ति है जो हर किसी के पास होती है। साधु ने उसे यह बताया कि जब तक आप अपने अंदर के संघर्ष से नहीं लड़ते, तब तक आप कभी असफल नहीं हो सकते। रोहित को यह समझ में आ गया था कि उसे आत्मबल की जरूरत है।
रोहित ने अपने बॉस से बात की और उसे अपनी समस्याओं के बारे में बताया। उसने अपने बॉस को अपनी दिक्कतों के बारे में समझाया और उससे मदद मांगी। उसने अपने घरवालों को भी अपने विचार बताए और उनसे शादी के लिए थोड़ा समय मांगा।