यह कहानी है एक छोटे से गाँव में रहने वाले अजय की। अजय का परिवार बहुत ही साधारण था।उसके पिता किसान थे और दिन-रात खेतों में मेहनत करते थे। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहींथी। बचपन से ही अजय ने अपने माता-पिता को संघर्ष करते देखा था। कई बार ऐसा होता थाकि फसल खराब हो जाती और घर में दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो जाता।
अजय के स्कूल के दोस्त जब नए कपड़े पहनकर स्कूल आते, वह हमेशा पुरानी किताबों और फटेबस्ते के साथ पढ़ाई करता। गाँव के लोग कहते, "अजय, तेरे घर के हालात तो कभी नहीं बदलेंगे।किसान का बेटा किसान ही रहेगा। सपने देखने से क्या होगा?"
लेकिन अजय के मन में एक बात हमेशा गूंजती रहती थी —
"अगर सोच को बदल दिया जाए, तो किस्मत भी बदल सकती है।"
संघर्ष की शुरुआत
अजय पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से उसे कई बार स्कूल छोड़ने की नौबतआ गई। उसके पिता ने भी कई बार कहा, "बेटा, पढ़ाई छोड़कर खेत में हाथ बँटा। पढ़ाई से रोटीनहीं मिलेगी।"
पर अजय का जवाब हमेशा एक ही होता,
"पापा, अगर सोच बड़ी हो, तो हालात खुद झुक जाते हैं।"
अजय ने स्कूल के बाद गाँव में छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया ताकि अपनी पढ़ाई का खर्चखुद उठा सके। वह सुबह खेतों में पिता के साथ काम करता, दोपहर में स्कूल जाता और शाम कोट्यूशन पढ़ाता। जब दूसरे बच्चे खेलते, अजय किताबों में डूबा रहता।
सपनों की ओर कदम
अजय ने 12वीं कक्षा अच्छे अंकों से पास की और तय किया कि वह प्रतियोगी परीक्षा देकरसरकारी नौकरी करेगा। गाँव के लोग हँसते थे, "अरे, गाँव का लड़का क्या बड़े-बड़े इम्तिहान पासकरेगा? देख लेना, दो साल बाद खेत में हल ही चलाएगा।"
लेकिन अजय ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। उसकी सोच हमेशा सकारात्मक रही। वहकहता,
"लोग क्या कहते हैं, उससे फर्क नहीं पड़ता। फर्क इस बात से पड़ता है कि हम अपने बारे में क्यासोचते हैं।"
उसने शहर जाकर कोचिंग के लिए पैसे जुटाने के लिए एक किराने की दुकान पर पार्ट टाइम कामकिया। दिन में दुकान पर काम करता और रात में देर तक पढ़ाई करता।
मुश्किल वक्त
परीक्षा के दौरान अजय को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आर्थिक संकट, लोगों के ताने, थकान, बीमारी — सबने उसे बार-बार गिराने की कोशिश की। कई बार उसके मन में भी आया किवह हार मान ले, लेकिन हर बार उसने खुद से कहा,
"मेरे हालात मुझसे बड़े नहीं हैं। मेरी सोच उनसे भी बड़ी है।"
अजय ने पहली बार में परीक्षा दी, लेकिन असफल रहा। उसके दोस्त, रिश्तेदार, सबने कहा, "अबछोड़ दे, यह तेरे बस की बात नहीं।"
लेकिन अजय ने हार नहीं मानी। उसने अपनी गलतियों से सीखा और फिर से तैयारी शुरू कर दी।उसने अपनी सोच में कभी नकारात्मकता नहीं आने दी।
सपनों की जीत
अगले साल अजय ने दोबारा परीक्षा दी और इस बार उसका नाम चयनित अभ्यर्थियों की सूची मेंसबसे ऊपर था।
वह सरकारी अफसर बन चुका था।
जिस गाँव के लोग कभी कहते थे कि अजय किसान का बेटा है, उसका जीवन खेतों में ही बीतेगा, आज वही लोग उसके घर के बाहर खड़े थे, उसे बधाई देने के लिए।
अजय ने गाँव के बच्चों के लिए एक फ्री कोचिंग सेंटर खोला, जहाँ वह खुद बच्चों को पढ़ाता औरउन्हें सिखाता कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर आपकी सोच सकारात्मक है, तो आप किसी भीमुश्किल को मात दे सकते हैं।
कहानी से सीख
अजय की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयाँ, गरीबी, असफलता, समाज कीबातें — ये सब हमें रोकने की कोशिश करते हैं। लेकिन अगर हमारी सोच सकारात्मक हो, अगरहम खुद से कहें कि मैं कर सकता हूँ, तो हालात भी हमारे सामने झुक जाते हैं।
इंसान की असली ताकत उसकी सोच में है।
सोच बदलो, दुनिया बदल जाएगी।
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