उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में अमन नाम का एक लड़का रहता था। उसका परिवार बेहद गरीब था। पिता एक छोटी सी चाय की दुकान चलाते थे और माँ घर-घर बर्तन धोती थीं। घर की हालत ऐसी थी कि कई बार पूरा परिवार एक वक़्त का खाना भी ठीक से नहीं खा पाता था।
अमन पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन हालातों के चलते वह दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर हो गया। घर वालों ने कहा, "बेटा, अब पढ़ाई छोड़ दो। दुकान में हाथ बँटाओ। सपने देखने से पेट नहीं भरता।"
लेकिन अमन के अंदर कुछ और ही चल रहा था। उसे हमेशा से इंजीनियर बनने का सपना था। जब भी वह गाँव के बाहर से गुजरते ट्रकों और मशीनों को देखता, उसके मन में उन्हें समझने और बनाने की जिज्ञासा होती।
सपनों की राह
अमन ने अपने माता-पिता से कहा, "मुझे पढ़ाई करनी है। मैं दुकान में भी काम करूँगा, लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ूँगा।"
माँ-पिता ने कहा, "हमारे पास पैसे नहीं हैं। आगे की पढ़ाई के लिए फीस कहाँ से लाएँगे?"
अमन ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे किसी सहारे की ज़रूरत नहीं है। मुझे बस खुद पर विश्वास है।"
उसने सुबह 4 बजे उठकर अखबार बाँटना शुरू किया। दिन में स्कूल जाता और शाम को अपने पिता की दुकान पर काम करता। जो भी समय बचता, उसमें वह पढ़ाई करता। गाँव में लोग कहते, "इस लड़के के सिर पर सपना चढ़ा है। हकीकत देखेगा, तब समझ आएगा।
पर अमन के लिए हकीकत कुछ और ही थी। उसके लिए हकीकत थी — स्वयं पर विश्वास।
संघर्ष
12वीं की परीक्षा के बाद अमन ने इंजीनियरिंग के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरू की। गाँव में न तो अच्छा स्कूल था, न कोई कोचिंग सेंटर। इंटरनेट का भी कोई खास साधन नहीं था। लेकिन अमन ने हार नहीं मानी।
पुरानी किताबें, दोस्तों से माँगी गई नोट्स, और एक टूटी-फूटी मोबाइल पर यूट्यूब वीडियो — यही उसके पास था।
कई बार उसे खुद से भी शक होने लगा। कई रातें उसने रोते हुए बिताईं, लेकिन हर सुबह उठकर फिर पढ़ाई पर लग जाता। उसकी माँ कहती, "बेटा, इतना सब कैसे करेगा?"
अमन हमेशा यही जवाब देता, "माँ, जब तक मैं खुद पर विश्वास कर रहा हूँ, मुझे किसी सहारे की ज़रूरत नहीं।"
मंज़िल की ओर
परीक्षा का दिन आया। अमन ने परीक्षा दी। जब परिणाम आया, तो उसके गाँव में सब हैरान रह गए।
अमन ने देश की टॉप इंजीनियरिंग परीक्षा में अच्छे अंकों से सफलता पाई थी।
अब उसके पास स्कॉलरशिप थी, कॉलेज था, और एक नई ज़िंदगी थी। लेकिन संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ।
शहर में जाकर पढ़ाई करना, नए माहौल में खुद को ढालना, अंग्रेज़ी में पढ़ाई करना — सब उसके लिए नई चुनौती थी।
कई बार उसके साथी उसे नीचा दिखाते, कहते, "गाँव से आया है, क्या कर पाएगा?"
लेकिन अमन का आत्मविश्वास अडिग था।
उसने दिन-रात मेहनत की। क्लास में सबसे ज्यादा सवाल पूछता, लाइब्रेरी में सबसे देर तक बैठता, और हर असाइनमेंट में अपना 100% देता।
सफलता की कहानी
चार साल बाद जब अमन ने इंजीनियरिंग पूरी की, तो उसे देश की सबसे बड़ी कंपनी से नौकरी का ऑफर मिला। वह दिन था जब पूरे गाँव के लोग उसकी दुकान के बाहर खड़े होकर कह रहे थे, "देखो, वही अमन! जिसने कभी किसी सहारे की जरूरत नहीं समझी, बस खुद पर विश्वास किया और आज इतनी ऊँचाई पर पहुँच गया।"
अमन ने अपने पहले वेतन से अपने गाँव के स्कूल के लिए कंप्यूटर लैब बनवाई।
उसने बच्चों से कहा —
"अगर तुम्हारे पास पैसे, साधन या समर्थन नहीं है, तो मत डरना।
अगर तुम्हारे पास सिर्फ एक चीज़ है — खुद पर विश्वास — तो समझ लो, तुम्हारे पास सब कुछ है।
क्योंकि जो लोग खुद पर विश्वास रखते हैं, उन्हें किसी सहारे की ज़रूरत नहीं होती।"
सीख
अमन की कहानी हमें सिखाती है कि हालात, गरीबी, संसाधनों की कमी — ये सब बहाने हो सकते हैं।
अगर आपके अंदर खुद पर भरोसा है, तो कोई भी ताकत आपको रोक नहीं सकती।
दुनिया में हर बड़ी सफलता की शुरुआत खुद पर विश्वास से ही होती है।
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