उत्तराखंड के एक पहाड़ी गाँव कमलपुर में रहने वाला अनिकेत बहुत ही शर्मीला और डरपोकलड़का था। उसे मंच पर बोलने से डर लगता, भीड़ में जाने से घबराहट होती और अपनी बात रखनेमें उसकी आवाज़ कांपती थी। स्कूल में बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते और टीचर कहते—
"तू बहुत होशियार है, लेकिन जब तक डर को नहीं हराएगा, आगे नहीं बढ़ पाएगा।"
अनिकेत के माता-पिता किसान थे, और उन्होंने हमेशा उसे समझाया,
"डर सबको लगता है, बेटा… लेकिन जो अपने डर से लड़ता है, वही सच्चा विजेता बनता है।"
डर की शुरुआत – एक कड़वा अनुभव
आठवीं कक्षा में जब उसे भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिला, तो वह स्टेज पर चढ़तेही घबरा गया। उसका गला सूख गया, शब्द अटक गए और वह रोते हुए नीचे उतर आया। उसकेबाद से वह किसी मंच की ओर देखने से भी डरता था।
एक दिन उसने माँ से कहा, "मुझे सबके सामने बोलना नहीं आता। मैं कभी बड़ा आदमी नहीं बनसकता।"
माँ ने मुस्कुराते हुए कहा,
"जो अपने डर से लड़ गया, वो हर जंग जीत गया। तुझे सिर्फ खुद से लड़ना है, दूसरों से नहीं।"
नई दिशा की शुरुआत
अनिकेत ने दसवीं कक्षा में एक संकल्प लिया—अब डर को हराना है।
उसने सबसे पहले आईने के सामने बोलना शुरू किया। हर दिन खुद से बात करता, भाषणों कोज़ोर से पढ़ता।
धीरे-धीरे उसने स्कूल की छोटी बैठकों में हाथ उठाना शुरू किया। जब दोस्त हँसते, वह फिर भीबोलता। हर बार जब डर उसे रोकता, वह खुद से कहता—
"तू डर से हार गया, तो जिंदगी से हार जाएगा।"
पहला बड़ा कदम – भाषण प्रतियोगिता
बारहवीं में इंटर स्कूल भाषण प्रतियोगिता हुई। अनिकेत ने भाग लेने का निर्णय लिया। जब उसकानाम पुकारा गया, तो दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, लेकिन इस बार वह पीछे नहीं हटा।
उसने मंच पर चढ़ते ही गहरी साँस ली और कहा:
"मुझे डर लगता है, लेकिन मैं लड़ रहा हूँ… और यही मेरी जीत है।"
पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। उसने भाषण पूरा किया और जब नीचे उतरा, तो उसकी आँखोंमें आँसू थे—लेकिन इस बार ये आँसू कमजोरी के नहीं, विजय के थे।
कॉलेज जीवन – नये अवसर, नया आत्मविश्वास
कॉलेज में उसने डिबेट क्लब जॉइन किया। डर अब भी था, लेकिन उसने हर बहस, हर मंच को एकयुद्ध की तरह लड़ा।
धीरे-धीरे वह कॉलेज का जाना-माना वक्ता बन गया।
तीसरे साल उसे राज्य स्तरीय युवा वक्ता पुरस्कार मिला। इंटरव्यू में जब उससे पूछा गया, “तुमइतना अच्छा कैसे बोल लेते हो?”
तो उसने मुस्कुरा कर कहा:
> “मैंने बोलना नहीं सीखा, मैंने सिर्फ डर से लड़ना सीखा। और जो अपने डर से लड़ गया, वो हरजंग जीत गया।”
आज का अनिकेत
आज अनिकेत एक सफल मोटिवेशनल स्पीकर है। वह देशभर में युवाओं को प्रेरणा देता है, खासकर उन्हें जो आत्मविश्वास की कमी से जूझते हैं।
वह जब भी किसी घबराए हुए छात्र से मिलता है, बस यही कहता है:
"डर भागेगा नहीं, तुमको ही उसे हराना होगा।
क्योंकि जो अपने डर से लड़ गया,
वो हर जंग जीत गया।"
सीख / संदेश
डर हर किसी को लगता है—वो छोटा हो या बड़ा, गरीब हो या अमीर। लेकिन डर से भागनासमाधान नहीं है।
डर से लड़ना ही असली ताक़त है।
जब हम खुद के डर को चुनौती देते हैं, तभी हम असल जिंदगी की हर लड़ाई जीतने लायक बनतेहैं।
जो अपने डर से जीत गया, उसके लिए दुनिया की कोई जंग बड़ी नहीं होती।