Saturday, February 8, 2025

जीवन की विडम्बना यह नहीं है कि आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचे, बल्कि यह है कि पहुंचने के लिए आपके पास कोई लक्ष्य ही नहीं था

 प्राचीन समय की बात है। एक सुंदर गाँव में राजा रामसेन का शासन था। यह गाँव प्राकृतिकसुंदरता और संसाधनों से भरा हुआ था। लोग मेहनती थे और हर कोई अपनी जरूरतें पूरी कर लेताथा। लेकिन उसी गाँव में एक युवकअर्जुनअपनी जिंदगी को लेकर हमेशा उदास और असंतुष्ट रहता था।

उद्देश्यहीन जीवन

अर्जुन का कोई ठोस लक्ष्य नहीं था। वह दिनभर इधर-उधर घूमताकभी किसी के खेत में कामकरताकभी बाजार में छोटे-मोटे काम करता और शाम होते ही अपने घर लौट आता। उसे हमेशालगता था कि उसकी जिंदगी में कुछ कमी हैलेकिन वह कभी यह सोचने की कोशिश नहीं करताथा कि आखिर वह चाहता क्या है।

एक दिन अर्जुन अपने दोस्त विक्रम से मिलाजो गाँव का सबसे मेहनती व्यक्ति था। विक्रम नेउससे पूछा, "अर्जुनतुम्हारी जिंदगी का लक्ष्य क्या है?"

अर्जुन ने हंसते हुए जवाब दिया, "लक्ष्यमेरे पास कोई लक्ष्य नहीं है। बस दिन काट रहा हूं।"

विक्रम ने गंभीरता से कहा, "याद रखोजीवन की सबसे बड़ी विडंबना यह नहीं है कि तुम अपनेलक्ष्य तक नहीं पहुंचेबल्कि यह है कि तुमने कभी लक्ष्य ही नहीं बनाया। बिना लक्ष्य के जीवनएक खाली जहाज की तरह हैजो किसी भी दिशा में बह सकता है।"


परिवर्तन की शुरुआत

विक्रम की बात अर्जुन के मन में गूंजती रही। उसने पहली बार सोचा कि उसकी जिंदगी कितनीदिशाहीन है। उसने तय किया कि वह अपने जीवन का एक उद्देश्य खोजेगा।

अर्जुन ने सोचा कि उसे क्या करना चाहिए। वह बहुत अच्छा गायक थालेकिन कभी इस प्रतिभाको गंभीरता से नहीं लिया। उसने अपने दिल की सुनी और गायन को अपना लक्ष्य बनाने काफैसला किया।

लक्ष्य की ओर पहला कदम

अर्जुन ने अपनी गायन कला को निखारने के लिए मेहनत शुरू की। वह हर सुबह सूरज उगने सेपहले रियाज़ करता और दिनभर अपनी आवाज़ को और बेहतर बनाने की कोशिश करता। पहलेलोग उसका मजाक उड़ाते थेकहते थे, "गाँव में गाकर क्या हासिल होगा?" लेकिन अर्जुन को इनबातों की परवाह नहीं थी।

धीरे-धीरे अर्जुन के रियाज़ का असर दिखने लगा। उसकी आवाज़ में जादू थाऔर लोग अब उसेसराहने लगे। उसने अपने गाँव के त्योहारों और उत्सवों में गाना शुरू किया।

संघर्ष और सफलता

एक दिन गाँव में एक बड़े राज्य के संगीतकार आए। उन्होंने अर्जुन का गाना सुना और उसे अपनेराज्य में आने का न्योता दिया। अर्जुन ने यह अवसर हाथ से नहीं जाने दिया। उसने राज्य के संगीतअकादमी में दाखिला लिया और अपनी कला को और निखारा

कई सालों की मेहनत के बाद अर्जुन राज्य का सबसे प्रसिद्ध गायक बन गया। लोग उसे सुनने केलिए दूर-दूर से आते थे। अर्जुन ने  केवल अपनी पहचान बनाईबल्कि अपने गाँव का नाम भीरोशन किया।

सीख

एक दिन अर्जुन अपने गाँव लौटा और विक्रम से मिला। उसने कहा, "तुम्हारी वह बात कि 'जीवनकी विडंबना यह नहीं है कि हम लक्ष्य तक नहीं पहुंचेबल्कि यह है कि हमारे पास कोई लक्ष्य हीनहीं था,' ने मेरी जिंदगी बदल दी। जब मैंने अपना लक्ष्य तय कियातो मेरी जिंदगी में एक नईदिशा और नया उत्साह आया।"

निष्कर्ष

अर्जुन की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में लक्ष्य का होना कितना जरूरी है। यदि हमारे पासकोई उद्देश्य नहीं हैतो हमारा जीवन दिशाहीन हो जाता है। लेकिन जब हम एक लक्ष्य तय करते हैंऔर उसे पाने के लिए प्रयास करते हैंतो हमारी जिंदगी को अर्थ और सफलता दोनों मिलते हैं।जीवन का असली आनंद उसी में है कि हम अपने सपनों को पहचानें और उन्हें पूरा करने के लिएमेहनत करें।

 

 

Wednesday, February 5, 2025

काम वो करें जिससे आपको प्यार हो

 राघव एक छोटे से शहर में रहने वाला साधारण लड़का था। वह अपने परिवार के साथ रहता था और उनके सुख-दुख में हमेशा साथ रहता था। राघव का सपना था कि वह कुछ ऐसा करे जिससे उसका दिल खुश हो और वह अपनी जिंदगी में सच्चा सुकून महसूस कर सके। लेकिन समाज और परिवार के दबाव में उसने अपने दिल की बात को हमेशा दबाया।

राघव के पिता चाहते थे कि वह इंजीनियर बने और परिवार की जिम्मेदारियों को संभाले। राघव ने अपने पिता की बात मानते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कर दी। हालांकि वह पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था। उसका सच्चा जुनून तो पेंटिंग था। वह बचपन से ही कागज पर रंगों से खेलता था और अपनी कल्पनाओं को चित्रों में बदलता था।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म करने के बाद राघव ने एक बड़ी कंपनी में नौकरी कर ली। सबको लगा कि अब उसकी जिंदगी में सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन राघव अंदर से खुश नहीं था। वह रोज ऑफिस जाता, काम करता, लेकिन उसके चेहरे पर खुशी की झलक नहीं दिखती। उसे लगता था कि वह अपनी जिंदगी के साथ न्याय नहीं कर रहा।

एक दिन, ऑफिस से लौटते वक्त उसने एक सड़क किनारे पेंटिंग बनाते हुए एक कलाकार को देखा। वह उसकी पेंटिंग को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। उसने सोचा, "अगर यह कलाकार अपने सपने को जी सकता है, तो मैं क्यों नहीं?" उसी दिन राघव ने फैसला किया कि वह अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जिएगा और वही करेगा जिससे उसे प्यार हो।

राघव ने अपनी नौकरी छोड़ने का साहसिक फैसला लिया। उसके इस फैसले से परिवार और समाज के लोग नाराज हुए। उन्हें लगा कि राघव पागल हो गया है। लेकिन राघव ने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया। उसने अपने दिल की सुनी और एक छोटा सा स्टूडियो खोला।

शुरुआत में राघव को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उसके पास पैसे नहीं थे, और लोग उसकी पेंटिंग्स खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे थे। लेकिन उसने हार नहीं मानी। वह दिन-रात मेहनत करता और अपनी कला को निखारता।

धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी। उसकी बनाई हुई पेंटिंग्स को लोग पसंद करने लगे। सोशल मीडिया पर उसकी कला वायरल हो गई, और उसकी पहचान एक प्रतिभाशाली कलाकार के रूप में बनने लगी। उसने अपनी कला के माध्यम से अपने दिल की बात दुनिया तक पहुंचाई।

आज राघव एक सफल कलाकार है। उसकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी देश-विदेश में लगती हैं। उसने अपने सपने को जीने का जो फैसला किया था, उसने उसकी जिंदगी बदल दी।

राघव की कहानी हमें यह सिखाती है कि जिंदगी में वही काम करना चाहिए जिससे हमें खुशी मिले। अगर हम अपने दिल की सुनें और अपने सपने को जीने का साहस दिखाएं, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती।


"काम वो करें जिससे आपको प्यार हो, क्योंकि सच्ची सफलता वहीं है जहां आपका दिल है।"

हौसलों की ताकत