एक बार एक छोटी सी लड़की ने एक पार्टी में एक गेम खेला जिसका नाम 'जेंगा' था। उसे इस गेम में सफलता मिल गई लेकिन उसके बाद उसने इस गेम में कई बार हार भी मानी। लेकिन वह हार नहीं मानती थी और फिर से खेलने की कोशिश करती थी।
एक दिन उसने अपने स्कूल में एक निबंध लिखने का मौका पाया लेकिन उसे निबंध लिखने में काफी मुश्किलें आई। वह कई बार लिखने का प्रयास करती रही लेकिन कुछ समय बाद वह इसमें नाकामयाब हो गई। उसे अपनी नाकामयाबी से बड़ा डर लगने लगा।
इसके बाद वह उस निबंध के लिए कुछ दिनों तक प्रयास करती रही लेकिन हर बार वह फेल होती गई। उसे लगता था कि वह कभी भी निबंध नहीं लिख पाएगी और वह एक बार फिर नाकामयाब हो जाएगी।
फिर एक दिन उसकी माँ ने उसे एक बात बताई, "बेटी, तुम्हारे जीवन में सफलता और नाकामयाबी दोनों होंगे। इससे नहीं मतलब है कि तुम फेल हो गई हो
उस लड़की के मन में यह बात अचानक समझ में आ गई कि सफलता पाने के लिए कुछ बार-बार फेल होना तो नॉर्मल होता है। उसे अपनी गलतियों से सीखने और उन्हें दोहराने की ज़रूरत है।
उसने फिर से निबंध लिखना शुरू किया और अपनी पिछली गलतियों से सीखते हुए उसने अपना निबंध बेहतर बनाया। वह अपने निबंध को अपनी शिक्षक को दिखाया और उसे बड़ी तारीफ मिली।
उस लड़की ने जीवन में कई ऐसी स्थितियों से गुजरा जहाँ वह कुछ बार-बार फेल हो चुकी थी लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने हमेशा अपने दिमाग में सोचा कि वह उस काम को सीखने और महारत हासिल करने में सफल हो जाएगी। उसका सोचने का यह तरीका उसे न सिर्फ अधिक समझदार बनाता था बल्कि उसने सफलता भी प्राप्त की।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलता है कि हमें डरने की जगह अपनी गलतियों से सीखना चाहिए। हमें उन गलतियों से सीखना चाहिए जो हमने की हैं और उन्हें दोहराने की कोशिश करनी चाहिए।