एक गांव में एक बच्चा रहता था। वह बहुत ही अधिक बुद्धिमान था और हमेशा नए-नए विचारों से प्रेरित रहता था। वह अपने पारिवारिक सदस्यों और अन्य लोगों से बहुत सुनता था, लेकिन अपनी मन की बात जरूर मानता था।
एक दिन गांव में एक मेले का आयोजन किया गया था। उस बच्चे को मेले में अपने दोस्त मिल गए। वे सब एक साथ मैंड राइड और अन्य राइड्स पर जाने के लिए जाते थे। उन्होंने उस बच्चे को भी साथ लेने के लिए कहा। लेकिन उस बच्चे को उस राइड पर जाने में डर लगता था और वह उनसे कहता था, "मैं नहीं जा सकता, मुझे डर लग रहा है।"
उनके दोस्तों ने कहा, "तुम सबकी बात सुनते हो, लेकिन अपने मन की नहीं। तुम्हें जाने का मन नहीं है, तो मत जाओ। हम तुम्हारी बात समझते हैं।"
उस बच्चे ने सोचा कि अगर मैं डरता हूँ तो मेरी समस्या बढ़ती जाएगी। वह सोचा कि वह अपने मन को हावी बनाना चाहता है।
उस बच्चे ने उन दोस्तों के कहे बिना, अपने मन की सुनी और उस राइड में जाने का निर्णय लिया। जब वह राइड पर जा रहा था, तब भी उसे डर लग रहा था। लेकिन वह निरंतर मन में सोचता रहा, "मैं इसे कर सकता हूं। मैं इसे कर सकता हूं।"
जब उस बच्चे ने राइड पूरी की, तब उसने अपने दोस्तों को देखा और एक अलग सा अनुभव हुआ। उसे लगा कि वह अपने अंदर की ताकत का पता लगा लिया है।
उस दिन से उस बच्चे को अपनी मन की सुनने की आदत पड़ गई। उसने अपनी जिंदगी में और भी कई मुश्किलों का सामना किया और सफलता पायी।
इस कहानी से सीख यही है कि हमेशा अपने मन की बात को अपने सबसे बड़े सलाहकार मानें - अपने आप को। लोग हमेशा बातें कहेंगे और सलाह देंगे, लेकिन आप खुद को सुनिए और अपने मन की सुनें। आप जो करना चाहते हैं, वह करें, क्योंकि आप हमेशा अपने अंदर की ताकत से चमकते हैं।