Saturday, July 23, 2022

माँ के शब्द

एक बार एक छोटा बच्चा स्कूल से दौड़ता हुवा आया और सीधा अपनी माँ के पास गया। माँ के पास पहुंचकर उसने अपने स्कूल बैग में से एक लेटर (letter) निकाला और अपनी माँ को वो लेटर (letter) देते हुवे बोला, “ये मेरी टीचर ने सिर्फ आपको देने  को कहा है, आप इसे पढ़कर मुझे भी बताओ की इसमें क्या लिखा हुवा है।” उसकी माँ ने वो लेटर (letter) खोला और पड़ा तो वो थोड़ा उदास सी हो गयी।

अपनी माँ को उदास देख उस बच्चे ने पूछा की, “माँ, उस पर क्या लिखा हुवा है..?”

उसकी माँ मुस्कुरायी और बोली बेटा, आपकी टीचर ने लिखा है की, “आपका बेटा बहुत ही intelligent है, और उसे पढ़ाने के लिए हमारे स्कूल में अच्छे टीचर नहीं हैं तो कल से आप अपने बच्चे को घर पर ही पढायें और इसे स्कूल ना भेजें।”

उस माँ ने अपने बच्चे को घर पर ही पढ़ाना शुरू कर दिया और बड़ा होकर वो बच्चा एक बहुत ही genius और एक सफल inventor बना। 

एक दिन अपने घर की सफाई करते हुवे उस लड़के को अपने पुराने सामान में उस टीचर का दिया हुवा लेटर (letter) मिला। उसने वो लेटर पड़ा तो वो हैरान हो गया क्यूंकि उस पर लिखा था, “आपका बच्चा मानसिक रूप से बीमार है और ये पढ़ाई में बहुत कमजोर है, अब हम इसे अपने स्कूल में नहीं पड़ा सकते….बेहतर होगा की आप इसे घर पर ही पढायें।”

उस बच्चे की आँखों में आंसू आ गए और वो ये सोचने लगा की किस तरह उसकी माँ के शब्दों ने उसकी जिंदगी को बदल दिया।

Tuesday, July 19, 2022

समय की Value

महाभारत के युद्ध के बाद, युधिष्ठिर ने राजा के रूप में शासन करना शुरू किया। युधिष्ठिर अपनी दानवीरता और उदारता के लिए प्रसिद्ध था। जो कोई भी दान पाने की इच्छा से युधिष्ठिर के पास आता, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता.

एक बार, देर रात को, एक भिखारी महल के दरवाजे पर आया और दान मांगने लगा। उस समय राजा युधिष्ठिर सो रहे थे। रानी द्रौपदी ने उन्हें जगाया, लेकिन युधिष्ठिरने कहा, “मैं बहुत थक गया हूँ। भिखारी को सुबह तक इंतजार करने के लिए कहें। कल सुबह उठने के बाद मैं उसे उसके वजन के बराबर सोने के सिक्के दूंगा। ”

द्रौपदी ने यह बात भीम को बताई, भीम ने जब ये बात सुनी तो वह तेजी से उस बड़ी घंटी के पास गया जो महल की छत पर थी और वो घंटी सिर्फ तब बजायी जाती थी जब राजा युधिष्ठिर कोई बड़ा युद्ध जीतकर वापस आते थे।

भीम बिना रुके उस घंटी को जोर-जोर से बजाने लगा! घंटी की आवाज़ सुनकर, हर किसी को लगा की राजा युधिष्ठिर किसी महान युद्ध को जीतकर वापिस आये हैं और यह देखने के लिए सभी पांडव और राज्य के लोग वहाँ एकत्रित हो गए। काफी देर तक घंटी बजती रही। अंत में, राजा युधिष्ठिर को भी उठना पड़ा। गुस्से में उन्होंने भीम से पूछा, “तुम इतनी रात को घंटी क्यों बजा रहे हो?”

भीम ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया, “ऐसा इसलिए है क्योंकि आज आपने बहुत बड़ी जीत हासिल कर ली है।” यह सुनकर राजा युधिष्ठिर चौंक गए और पूछा, “ये तुम क्या कह रहे हो, भला इतनी रात को मैंने कौन-सा युद्ध जीत लिया है?”

भीम ने उत्तर दिया, “बड़े भाई, आज आपने समय को ही जीत लिया है। आपने महारानी से कहा कि भिखारी को दान कल सुबह मिलेगा। अब यह घोषणा तो कोई तभी कर सकता है जब वह समय के साथ जीत हासिल कर ले। क्या आप को यकीन हैं कि कल सुबह तक आप दान देने के लिए जीवित रहेंगे और या फिर ये भिखारी इसे प्राप्त करने के लिए जीवित रहेगा ?”

यह सुनकर, युद्धिष्ठर को भीम की बात का एहसास हुवा और उन्होंने तुरंत उस भिखारी को अंदर बुलाया और उसे दान दे दिया।

हम सभी के पास limited समय होता है और कोई नहीं जानता की आने वाले कल में क्या होगा। इसलिए जो काम आप आज और अभी कर सकते हैं, उसे कभी आने वाली कल के लिए बचा के ना रखें क्यूंकि कल कभी नहीं आता। हमारी जिंदगी हमारे आज से ही चलती है। अगर जिंदगी को बेहतर तरीके से जीना है तो हमेसा आज में जियें.

कल क्या होगा इस बारे में ज्यादा ना सोचें। क्यूंकि जो खुशियां आपका आज आपको देगा हो सकता वो खुशियां कल आ ही ना पाएं। इसलिए कल की tension न लेकर अपनी life को enjoy करें क्यूंकि ये समय अगर चला गया तो फिर कभी लौट कर वापिस नहीं आएगा।

जो लोग समय की Value नहीं समझते वो अक्सर आज का काम कल पर टाल देते हैं, फिर चाहे वो काम कितना भी जरूरी क्यों ना हो। ऐसे लोग खुद का समय तो बर्बाद करते ही हैं और साथ ही वो दूसरों का समय भी बर्बाद कर देते हैं। कोई भी काम चाहे वो बहुत जरूरी हो या ना हो, लेकिन अगर वो काम अगर आप आज कर सकते हैं तो उसे कभी भी कल पर टालें।

Saturday, July 16, 2022

मूर्ख धनवान

एक बार एक चूहे ने हीरा निगल लिया और उस हीरे के मालिक ने उस चूहे को देख लिया और उसे मारने के लिये एक शिकारी को ठेका दे दिया। जब शिकारी चूहे को मारने पहुँचा तो वहाँ बहुत सारे चूहे झुण्ड बनाकर एक दूसरे पर चढ़े हुए थे,

मगर उन सब में एक चूहा सबसे अलग बैठा था। शिकारी ने सीधा उस चूहे को पकड़ा और उस हीरे के मालिक के पास पंहुचा। उस हीरे के मालिक ने शिकारी से पूछा, उतने सारे चूहों में से इसी चूहे ने मेरा हीरा निगला है यह तुम्हें केसे पता लगा ?

शिकारी ने जवाब दिया- सेठ जी ये तो बहुत ही आसान था, जब कोई मूर्ख धनवान बन जाता है तो वो अपनों से भी मेल-मिलाप छोड़ देता है

दुनिया में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो थोड़ा सा पैसा कमा लेने के बाद खुद को दूसरों से बहुत बढ़ा समझने लगते हैं और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से भी दूरी बना लेते हैं और ये समझने लगते हैं की जिंदगी में ये पैसा ही उनके काम आएगा और कोई नहीं। इस दुनिया में अमीर तो हर कोई बनना चाहता है पर सही मायनो में अमीर वही होता है जो हर किसी को साथ लेकर चलता है। जिसे अपनी अमीरी पर घमंड नहीं बल्कि अपने रिश्तों पर भरोसा होता है।

Sunday, July 10, 2022

आप अकेले ही बहुत कुछ कर सकते हैं

एक बार घर में आग लग गयी और सभी लोग उस आग को बुझाने में लगे। उस घर में एक चिड़िया का घोंसला भी था तो वो चिड़ियाँ भी अपनी चोंच में पानी भरती रही और आग में डालती रही। वो बार बार जाकर पानी लाती और आग में डालती। एक कौआ ये देख रहा था और वो चिड़िया से बोला, “अरे पगली तू कितनी भी मेहनत कर ले तेरे बुझाने से ये आग नही बुझेगी।” तो उस पर चिड़ियाँ बोली, “मुझे पता है, मेरे बुझाने से आग नही बुझेगी लेकिन जब भी इस आग का जिक्र होगा, तो मेरी गिनती बुझाने वालों में होगी और तेरी गिनती तमाशा देखने वालों में।”

हमारी जिंदगी में भी ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो हमारी मेहनत नहीं बल्कि हमारे हारने का तमाशा देखना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे लोगों को पहचानना ज्यादा मुश्किल नहीं है ये वही लोग होते हैं जो आपको बात बात पर ताना मारते हैं। ये लोग आपको हमेसा discourage करते रहते हैं, इसलिए ऐसे लोगों से खुद को हमेशा दूर रखना और याद रखें की आप अकेले ही बहुत कुछ कर सकते हैं, बस खुद पर विश्वास जरूरी है।

Monday, July 4, 2022

अपने आप को कम मत आकियें.

एक शहर में बहुत ही ज्ञानी प्रतापी साधु महाराज आये हुए थे, बहुत से दीन दुखी, परेशान लोग उनके पास उनकी कृपा दृष्टि पाने हेतु आने लगे. ऐसा ही एक दीन दुखी, गरीब आदमी उनके पास आया और साधु महाराज से बोला ‘ महाराज में बहुत ही गरीब हूँ, मेरे ऊपर कर्जा भी है, मैं बहुत ही परेशान हूँ। मुझ पर कुछ उपकार करें’. 

साधु महाराज ने उसको एक चमकीला नीले रंग का पत्थर दिया, और कहा ‘कि यह कीमती पत्थर है, जाओ जितनी कीमत लगवा सको लगवा लो। वो आदमी वहां से चला गया और उसे बचने के इरादे से अपने जान पहचान वाले एक फल विक्रेता के पास गया और उस पत्थर को दिखाकर उसकी कीमत जाननी चाही।

फल विक्रेता बोला ‘मुझे लगता है ये नीला शीशा है, महात्मा ने तुम्हें ऐसे ही दे दिया है, हाँ यह सुन्दर और चमकदार दिखता है, तुम मुझे दे दो, इसके मैं तुम्हें 1000 रुपए दे दूंगा।  

वो आदमी निराश होकर अपने एक अन्य जान पहचान वाले के पास गया जो की एक बर्तनों का व्यापारी था. उनसे उस व्यापारी को भी वो पत्थर दिखाया और उसे बचने के लिए उसकी कीमत जाननी चाही। बर्तनो का व्यापारी बोला ‘यह पत्थर कोई विशेष रत्न है में इसके तुम्हें 10,000 रुपए दे दूंगा. वह आदमी सोचने लगा की इसके कीमत और भी अधिक होगी और यह सोच वो वहां से चला आया.

उस आदमी ने इस पत्थर को अब एक सुनार को दिखाया, सुनार ने उस पत्थर को ध्यान से देखा और बोला ये काफी कीमती है इसके मैं तुम्हें 1,00,000 रूपये दे दूंगा।

वो आदमी अब समझ गया था कि यह बहुत अमुल्य है, उसने सोचा क्यों न मैं इसे हीरे के व्यापारी को दिखाऊं, यह सोच वो शहर के सबसे बड़े हीरे के व्यापारी के पास गया।उस हीरे के व्यापारी ने जब वो पत्थर देखा तो देखता रह गया, चौकने वाले भाव उसके चेहरे पर दिखने लगे.  उसने उस पत्थर को माथे से लगाया और और पुछा तुम यह कहा से लाये हो. यह तो अमुल्य है. यदि मैं अपनी पूरी सम्पति बेच दूँ तो भी इसकी कीमत नहीं चुका सकता.

हम अपने आप को कैसे आँकते हैं.  क्या हम वो हैं जो राय दूसरे हमारे बारे में बनाते हैं. आपकी लाइफ अमूल्य है आपके जीवन का कोई मोल नहीं लगा सकता.  आप वो कर सकते हैं जो आप अपने बारे में सोचते हैं.  कभी भी दूसरों के नेगेटिव कमैंट्स से अपने आप को कम मत आकियें.

Thursday, June 30, 2022

कर भला, हो भला

किसी गाँव में एक मंदिर था। मंदिर के पुजारी और उनकी पत्नी, भगवान के भक्त थे। प्रतिदिन पति-पत्नी मंदिर की सफाई करते, पूजा-अर्चना की सामग्री जुटाते और मंदिर में आने वालों को भोजन कराते। वे दोनों निःसंतान थे। जब भी ओणम का त्यौहार आता, वे उदास हो जाते। पुजारी की पत्नी तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाती। उसके हाथ की बनी सांबर, रसम, ओलन व अवियल बहुत मजेदार होती थी। गाँव-भर के बच्चे उसके घर जा पहुँचते और भरपेट भोजन पाते। जाते समय वह सभी को मुट्ठी भरकर शर्करपुराट्ट (यह व्यंजन केले के चिप्स में गुड़ लगाकर बनता है।) देती।

इसी तरह दिन बीत रहे थे। एक बार एक नंबूदिरी ब्राह्मण उस मंदिर में आया। वह गरीब अपनी बेटी की शादी के लिए धन एकत्र कर रहा था। मंदिर में भोजन मुफ्त मिलता था। उसने खाने से पूर्व नहाना उचित समझा। अपने धन की थैली को स्नान कुंड के किनारे रखकर वह स्नान करने लगा। स्नान करके लौटा तो थैली वहाँ नहीं थी। उसने सभी से पूछा परंतु कोई भी थैली का पता न बता सका। भगवान जाने थैली को जमीन निगल गई या आसमान खा गया था? बेचारा रोता-कलपता अपने गाँव लौट गयाकुछ समय बाद पुजारी की पत्नी झाड़ू लेकर सफाई करने आई। ज्यों ही उसने गाय का गोबर उठाया तो थैली मिल गई। हुआ यूँ कि जब ब्राह्मण स्नान करने गया तो एक गाय ने थैली पर ही गोबर कर दिया। गोबर से ढकने के कारण उसे थैली दिखाई नहीं दी। पुजारी की पत्नी ने बड़े यत्न से ब्राह्मण की अमानत को सँभाल लिया। उसने एक बार भी थैली का मुँह तक नहीं खोला।

संयोग से कुछ माह पश्चात्‌ वह ब्राह्मण पुन: वहाँ आया। धन की थैली खोने के बाद, उसकी परेशानी और बढ़ गई थी। पुजारी ने ब्राह्मण को भोजन करवाया। फिर उसके धन की थैली सामने ला रखी। ब्राह्मण मारे खुशी के रो पड़ा। उसने सारी कहानी सुनी और पुजारी की पत्नी से बोला-“इस धन पर आपका भी अधिकार है। आप इसमें से आधा ले लें।’ पुजारी की पत्नी एक धार्मिक महिला थी। उसने पराए धन का एक पैसा लेने से भी इंकार कर दिया। ब्राह्मण ने प्रसन्‍न होकर उसे वरदान दिया, ‘अगले ही वर्ष तुम एक प्रतिभाशाली, यशस्वी पुत्र की माता बनोगी।

ऐसा कहकर ब्राह्मण लौट गया। अगले वर्ष पुजारी की पत्नी ने अपने मन की मुराद पाई। जानते हो क्यों, उसका पुत्र कौन था? उसके यहाँ मलयालम के प्रसिद्ध कवि कुंजन नंबियार ने जन्म लिया। कहते हैं कि इस कवि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। मलयालम भाषा के जानकार इनकी कविताएँ अवश्य पढ़ते हैं।

Monday, June 20, 2022

जीवन में आगे बढ़ना

राजस्थान के एक गाँव में रहने वाला एक व्यक्ति हमेशा किसी ना किसी समस्या से परेशान रहता था और इस कारण अपने जीवन से बहुत दु:खी था.

एक दिन उसे कहीं से जानकारी प्राप्त हुई कि एक पीर बाबा अपने काफ़िले के साथ उसके गाँव में पधारे है. उसने तय किया कि वह पीर बाबा से मिलेगा और अपने जीवन की समस्याओं के समाधान का उपाय पूछेगा.

शाम को वह उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ पीर बाबा रुके हुए थे. कुछ समय प्रतीक्षा करने के उपरांत उसे पीर बाबा से मिलने का अवसर प्राप्त हो गया. वह उन्हें प्रणाम कर बोला, “बाबा! मैं अपने जीवन में एक के बाद एक आ रही समस्याओं से बहुत परेशान हूँ. एक से छुटकारा मिलता नहीं कि दूसरी सामने खड़ी हो जाती है. घर की समस्या, काम की समस्या, स्वास्थ्य की समस्या और जाने कितनी ही समस्यायें. ऐसा लगता है कि मेरा पूरा जीवन समस्याओं से घिरा हुआ है. कृपा करके कुछ ऐसा उपाय बतायें कि मेरे जीवन की सारी समस्यायें खत्म हो जाये और मैं शांतिपूर्ण और ख़ुशहाल जीवन जी सकूं.”

उसकी पूरी बात सुनने के बाद पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “बेटा! मैं तुम्हारी समस्या समझ गया हूँ. उन्हें हल करने के उपाय मैं तुम्हें कल बताऊंगा. इस बीच तुम मेरा एक छोटा सा काम कर दो.”

व्यक्ति तैयार हो गया.

पीर बाबा बोले, “बेटा, मेरे काफ़िले में १०० ऊँट है. मैं चाहता हूँ कि आज रात तुम उनकी रखवाली करो. जब सभी १०० ऊँट बैठ जायें, तब तुम सो जाना.”

यह कहकर पीर बाबा अपने तंबू में सोने चले गए. व्यक्ति ऊँटों की देखभाल करने चला गया.

अगली सुबह पीर बाबा ने उसे बुलाकर पूछा, “बेटा! तुम्हें रात को नींद तो अच्छी आई ना?”

“कहाँ बाबा? पूरी रात मैं एक पल के लिए भी सो न सका. मैंने बहुत प्रयास किया कि सभी ऊँट एक साथ बैठ जायें, ताकि मैं चैन से सो सकूं. किंतु मेरा प्रयास सफल न हो सका. कुछ ऊँट तो स्वतः बैठ गए. कुछ मेरे बहुत प्रयास करने पर भी नहीं बैठे. कुछ बैठ भी गए, तो दूसरे उठ खड़े हुए. इस तरह पूरी रात बीत गई.” व्यक्ति ने उत्तर दिया.

पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “यदि मैं गलत नहीं हूँ, तो तुम्हारे साथ कल रात यह हुआ?

  1. कई ऊँट ख़ुद-ब-ख़ुद बैठ गए.
  2. कईयों को तुमने अपने प्रयासों से बैठाया.
  3. कई तुम्हारे बहुत प्रयासों के बाद भी नहीं बैठे. बाद में तुमने देखा कि वे उनमें से कुछ अपने आप ही बैठ गए.”

“बिल्कुल ऐसा ही हुआ बाबा.” व्यक्ति तत्परता से बोला.

तब पीर बाबा ने उसे समझाते हुए कहा, “क्या तुम समझ पाए कि जीवन की समस्यायें इसी तरह है :

  1. कुछ समस्यायें अपने आप ही हल हो जाती हैं.
  2. कुछ प्रयास करने के बाद हल होती है.
  3. कुछ प्रयास करने के बाद भी हल नहीं होती. उन समस्याओं को समय पर छोड़ दो. सही समय आने पर वे अपने आप ही हल हो जायेंगी.

कल रात तुमें अनुभव किया होगा कि चाहे तुम कितना भी प्रयास क्यों न कर लो? तुम एक साथ सारे ऊँटों को नहीं बैठा सकते. तुम एक को बैठाते हो, तो दूसरा खड़ा हो जाता है. दूसरे को बैठाते हो, तो तीसरा खड़ा हो जाता है. जीवन की समस्यायें इन ऊँटों की तरह ही हैं. एक समस्या हल होती नहीं कि दूसरी खड़ी हो जाती है. समस्यायें जीवन का हिस्सा है और हमेशा रहेंगी. कभी ये कम हैं, तो कभी ज्यादा. बदलाव तुम्हें स्वयं में लाना है और हर समय इनमें उलझे रहने के स्थान पर इन्हें एक तरफ़ रखकर जीवन में आगे बढ़ना है.

व्यक्ति को पीर बाबा की बात समझ में आ गई और उसने निश्चय किया कि आगे से वह कभी अपनी समस्याओं को खुद पर हावी होने नहीं देगा. चाहे सुख हो या दुःख जीवन में आगे बढ़ता चला जायेगा.