Tuesday, May 6, 2025

कड़ी मेहनत और उम्मीद की ऊँचाइयाँ

राजेश का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। वह एक छोटे से गाँव में पैदा हुआ था, जहां तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको गाँव की संकरी और घुमावदार गलियों को पार करना पड़ता था। उसका सपना था, एक दिन वह बड़ा आदमी बनेगा और देश की बड़ी कंपनियों में से एक में काम करेगा। लेकिन गाँ bjhj जैसे बच्चों को किसी और ही नजर से देखते थे। उनके लिए पढ़ाई की कोई अहमियत नहीं थी, खासकर लड़कों के लिए तो यह और भी बेमानी था क्योंकि उन्हें खेती-बाड़ी या अन्य घरेलू कामकाजी क्षेत्र में ही लगा दिया जाता था।

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गाँव में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, राजेश ने शहर में अपनी पढ़ाई जारी रखने का निर्णय लिया। लेकिन रास्ता आसान नहीं था। उसके पास पैसे नहीं थे, और न ही शहर में रहने का कोई ठिकाना था। बावजूद इसके, उसने छोटे-मोटे काम करके अपनी पढ़ाई जारी रखी। वह सुबह-शाम कोचिंग क्लास में जाता और दिन में छोटे-छोटे काम करता जैसे कि किराने की दुकान में मदद करना या घरों में सफाई करना।


कॉलेज में दाखिला मिलने के बाद भी मुश्किलें कम नहीं हुईं। राजेश को हर कदम पर अपनी मेहनत और संघर्ष का फल मिला, लेकिन साथ ही उसे बहुत से अपमान और ताने भी झेलने पड़े। एक दिन उसके एक दोस्त ने मजाक करते हुए कहा, "तू कहां तक जाएगा? तेरा सपना तो बेमानी है। यहाँ हर कोई बड़े घर से है, तुझे तो मुश्किल से नौकरी मिल पाएगी।"


इस ताने से राजेश का दिल तो दुखा, लेकिन उसने इसका जवाब अपनी मेहनत से देने का फैसला किया। उसने सोचा, "जो गिरकर भी उठने की हिम्मत रखता है, वही अंत में सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचता है!" और इसी सोच के साथ उसने अपनी पढ़ाई और मेहनत को दोगुना कर दिया।


समय के साथ राजेश ने एक बड़ी कंपनी में इंटर्नशिप करना शुरू किया। इंटर्नशिप के दौरान उसे कई बार महसूस हुआ कि वह बाकी छात्रों से पीछे है, क्योंकि उनके पास पहले से संसाधन और अच्छे नेटवर्क थे। लेकिन राजेश ने हार मानने का नाम नहीं लिया। वह लगातार अपने काम में सुधार करता रहा। दिन-रात एक कर वह अपने काम को पूरा करता, उसे अच्छी तरह से सीखता और अपने वरिष्ठों से मार्गदर्शन प्राप्त करता।

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