एक समय की बात है, एक बड़ा उद्योगपति अपनी कंपनी के लिए नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी की तलाश में था। उन्होंने एक विस्तृत रिक्तिविज्ञापन पत्र जारी किया जिसमें उन्होंने योग्य उम्मीदवारों से आवेदन करने का आह्वान किया।
उनके पास अनेकों आवेदन आए लेकिन उनमें से कोई भी उनकी निर्देशिकाओं और आशाओं को पूरा नहीं कर पाया। फिर एक आवेदक ने उनसे मुलाकात के लिए अनुरोध किया। उन्होंने उसे मुलाकात दी और उन्हें पूरी तरह से पसंद किया।
उस आवेदक ने बताया कि उन्होंने एक छोटी सी कंपनी चलाई है और उसे बड़ा करने का सपना है। लेकिन उसे उसमें सफलता नहीं मिल रही थी क्योंकि उसके कुछ कर्मचारी ईमानदार नहीं थे। उसने फिर से कर्मचारी रखने की कोशिश की लेकिन फिर भी वे अच्छी तरह से काम नहीं कर रहे थे।
फिर एक दिन उसने एक स्क्रीनिंग टेस्ट शुरू किया जिसमें वे उन लोगों को चुन सकते थे जो ईमानदार थे। यह वास्त
यह वास्तव में एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन यह आवेदक ने इसे स्वीकार कर लिया। उसने ईमानदारी को अपनी कंपनी के सबसे महत्वपूर्ण गुणों में सेएक बनाया।
उसने ईमानदार कर्मचारियों को सम्मान दिया और उन्हें अपने साथ कंपनी का हिस्सा बनाने का मौका दिया। इससे उसकी कंपनी दिन प्रतिदिन बढ़ती गई और उसके कर्मचारी भी खुश और मोटिवेटेड रहने लगे।
उस आवेदक ने बताया कि ईमानदारी का फल सिर्फ उसे ही नहीं बल्कि उसके कर्मचारियों को भी मिलता है। वे अपने काम में जोश से लगे रहते हैं और उन्हें अपने अधिकारी की निर्देशिकाओं का पालन करने में कोई परेशानी नहीं होती है।
अंततः, उस आवेदक को उद्योगपति ने अपनी कंपनी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया। वह अब अपनी सफलता के बारे में सोचता है और जानता है कि उसकी ईमानदारी उसे उस ऊंचाई तक ले जाएगी जो वह कभी सोच भी नहीं सकता था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि
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