Monday, October 22, 2018

राजनीति

एक गाँव में बाहर से आकर एक ब्राह्मण रहने लगा । 
उसने गाँव की एक लड़की के साथ शादी कर ली ।
उसके दो बच्चे हुए ।
एक का नाम राजाराम और दूसरे का नाम सीताराम था ।
दोनों बड़े हुए इसलिए जरूरत बढ़ी ।
माँग कर पेट भरना मुश्किल था और मेहनत वाला कोई काम तो ब्राह्मण नहीं करेगा ।
दान दक्षिणा से ही काम चलायेगा ।
ऐसे में सरपंच का चुनाव एक साल बाद आने वाला था ।
दोनों ब्राह्मण पुत्रों ने रोज एक दूसरे से लड़ना चालू किया और गाँव के लोगों को अपने पक्ष में करने लगे ।
पूरा गाँव दो भागों में बँट गया । आधा राजाराम के पक्ष में और आधा सीताराम के पक्ष में ।
चुनाव में राजाराम जीत गया और सरपंच बन गया ।
दोनों का रहना एक ही घर में था । ब्राह्मण की लॉटरी लग गयी ।
पूरा घर और राजाराम सीताराम की बहुएँ खुश हो गयी, क्योंकि घी तो खीचड़ी में ही जानेवाला था। यानि फायदा दोनों को था ।
राजाराम ने 5 साल में भ्रष्टाचार करके काफी सम्पत्ति इकट्ठी कर ली ।
चुनाव नजदीक आते ही सीताराम ने राजाराम के भ्रष्टाचार को expose करना चालू कर दिया और गाँव वालो से कहने लगा कि मुझे सरपंच बना दे तो मैं राजाराम को जेल में डलवा दूँगा ।और ऐसा बोल कर वह खुद सरपंच चुनाव के लिये योग्य उम्मीवार बन गया ।
चुनाव आते ही ज्यादातर गाँव के लोग सीताराम के समर्थन में आ गये और चुनाव होते ही सीताराम पूर्ण बहुमत से चुनाव जीत गया ।
 आज सीताराम सरपंच है और राजाराम की पत्नी उपसरपंच है ।
पूरा गाँव के लोग इसलिए खुश है क्योंकि राजाराम हार गया ।
न राजाराम जेल में गया, न सीताराम !
दोनों के पास अकूत सम्पत्ति है, पर फिर भी पूरा गाँव दोनों को अलग अलग समझता है और बारी बारी से उनको चुनता है 

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