एक दिन एक भक्त आंटी को वृन्दावन जाने का मौका मिला
दिल से ठाकुर जी के दर्शन पूजन करके बाहर निकली ।
थोड़ी देर बाद आंटी को फ़ोन आया की उसके बेटे का एक्सिडेंट हो गया है ।
वो आंटी ठाकुर जी को प्रार्थना करके हॉस्पिटल पहुँची ।
आंटी की पड़ोसन जो उनकी दोस्त भी थी बोली- बहन तेरे बिहारी जी कैसे हैं ।
तू दिन रात दिन उनकी सेवा में लगी रहती है और
उन्होंने क्या किया......
तेरे बेटे का एक्सिडेंट हो गया ।
वो आंटी बोली मुझे अपने बिहारी जी पर पूरा भरोसा है। वो जो करते हैं सही करते है ।
इसमें भी कोई कृपा की बात होगी ।
मेरे गोविन्द कभी किसी का बुरा नही करते ।
जो होता है अच्छा होता है ।
कुछ दिनो बाद बच्चा ठीक हो गया । आंटी अनवरत ठाकुर जी की सेवा में लगी रही ।
फिर कुछ दिन बाद पता चला की उनके बेटे का फिर एक्सिडेंट हो गया है.....
अब पड़ोसन फिर कहने लगी बहन तुझे तेरे बिहारी जी ने क्या दिया ।
तो आंटी बोली इस तरह के घटनाओं से हमें भरमाने नहीं चाहिए ।
ज़रुर मेरा ठाकुर जी मुझे कुछ समझाना चाहते हैं ।
मुझे उनकी कृपा पर भरोसा है । ।
आंटी ठाकुर जी के सामने
अरदास करती रही......
धीरे धीरे बेटा फिर ठीक हो गया
अब बेटे का तीसरी बार फिर ऐक्सिडेंट हो गया ।
तो पड़ोसन बोली बहन तू नही मानेगी ।
लेकिन तू मुझे अपने बेटे की कुंडली दे ।
मैं अपने महाराज को दिखाऊँगी । वे बहुत पहुंचे हुए ज्योतिषी हैं ।
तो आंटी बोली ठीक है ।
तू भी अपनी तसल्ली कर ले । लेकिन मेरा विश्वास नही डोलेगा ।
मेरे बिहारी जी सब ठीक कर देंगे ।
अब पड़ोसन कुंडली लेकर अपने पंडित के पास गयी और बोली- महाराज इस बच्चे का बार बार ऐक्सिडेंट हो जाता है । कुछ उपाय बताइए ।
महाराज बोले ये क्या ले आयी बहन । जिस किसी की भी ये कुंडली है । वो तो कई साल पहले मर चुका है
तो बहन बोली नही महाराज । मेरी सहेली का बेटा है और अभी ज़िंदा है । पर बार बार चोट लग जाती है ।
पंडित जी बोले जो भी है.....
उसकी मृत्यु कई साल पहले हो जानी चाहिए थी
जरुर कोई विशेष शक्ति है जो उसे बचा रही है।
प्यारे भक्तों, उस बहन की आँखें भर गयी ।
दौडी दौड़ी उस आंटी के पास आकर चरणो में गिर गयी ।
बोली बहन मुझे भी अपने बिहारी जी के पास ले चल ।
पूछने पर सारी बात बताई ।
और फिर वो बहन भी वृन्दावन चल दी ।
और राधे राधे का गुनगान करने लगी।
प्यारे भक्तों, हमारा विश्वास ठाकुर जी पर से कभी नही हिलना चाहिए । ठाकुर जी हर पल हमारी रक्षा करते है।
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