भगवान कृष्ण की भूमि वृंदावन का है. वृंदावन पहुंच कर,मैँ मुग्ध
होकर पावन धरा को निहार रहा था। जयपुर से लंबी यात्रा के बाद हम सभी को
कड़ाके की भूख लगी थी सो एक साफ से दिखने वाले रेस्टोरेंट पर रुक गये । समय
नष्ठ ना करने के लिए थाली मंगाई गई। एक साफ से ट्रे में दाल, सब्जी,चावल,
रायता व साथ एक टोकरी में रोटियां आई। पहले
कुछ कौर में ध्यान नही गया फिर मुझे कुछ ठीक नही लगा। मुझे रोटी में
खट्टेपन का अहसास हुआ, फिर सब्जी की ओर ध्यान दिया तो देखा सब्जी में हर
टुकड़े का रंग अलग अलग सा था। चावल चखा तो वहां भी माजरा गड़बड़ था। सारा खाना
छोड़ दिया। फिर काउंटर पर बिल पूछा यो 650 का बिल थमाया। मैंने कहा 'भैया!
पैसे तो दूँगा लेकिन एक बार आपकी रसोई देखना चाहता हूं" वो अटपटा गया और
पूछने लगा "क्यों?"मैंने कहा "जो पैसे देता है उसे देखने का हक़ है कि खाना
साफ बनता है या नहीँ?"इससे पहले की वो कुछ समख पाता मैंने होटल की रसोई की
ओर रुख किया। आश्चर्य
की सीमा ना रही जब देखा रसोई में कोई खाना नहीं पक रहा था। एक टोकरी में
कुछ रोटियां पड़ी थी। फ्रिज खोल तो खुले डिब्बों में अलग अलग प्रकार की पकी
हुई सब्जियां पड़ी हुई थी।कुछ खाने में तो फफूंद भी लगी हुई थी। फ्रिज
से बदबू का भभका आ रहा था।डांटने पर रसोइये ने बताया की सब्जियां करीब एक
हफ्ता पुरानी हैं। परोसने के समय वो उन्हें कुछ तेल डालकर कड़ाई में तेज
गर्म कर देता है और धनिया टमाटर से सजा देता है। रोटी का आटा 2 दिन में एक
बार ही गूंधता है। कई
कई घण्टे जब बिजली चली जाती है तो खाना खराब होने लगता है तो वो उसे तेज़
मसालों के पीछे छुपाकर परोस देते हैं। रोटी का आटा खराब हो तो उसे वो नॉन
बनाकर परोस देते हैं। मैंने
रेस्टोरेंट मालिक से कहा कि "आप भी कभी यात्रा करते होंगे, इश्वेर करे जब
अगली बार आप भूख से बिलबिला रहे हों तो आपको बिल्कुल वैसा ही खाना मिले
जैसा आप परोसते हैं" उसका चेहरा स्याह हो गया.... आज आपको खतरो, धोखों व
ठगी से सिर्फ़ जागरूकता ही बचा सकती है क्योंकी भगवान को भी दुष्टों ने घेर
रखा है। भारत से सही व गलत का भेद खत्म होता जा रहा है.... हर
दुकान व प्रतिष्ठान में एक कोने में भगवान का बड़ा या छोटा मंदिर होता है,
व्यपारी सवेरे आते ही उसमे धूप दीप लगाता है, गल्ले को हाथ जोड़ता है और फिर
सामान के साथ आत्मा बेचने का कारोबार शुरू हो जाता है!!! भगवान से मांगते
वक़्त ये नही सोचते की वो स्वयं दुनिया को क्या दे रहे हैं!
Tuesday, August 29, 2017
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