Friday, December 30, 2022

जीवन में मुसीबतें या चुनौतियां

 एक बार एक किसान हर कभी आने वाले आंधी-तूफान, ओलावृष्टि, तेज धूप इत्यादि से परेशान हो गया। क्योंकि कभी-कभी फसल ज्यादा खराब हो जाती थी।

इसलिए वह परेशान होकर ईश्वर से शिकायत करने लगा। 

किसान बोला, “आप ईश्वर तो है लेकिन फसल को कब क्या चाहिए, इसकी जानकारी नहीं है। जिसकी जरूरत भी नहीं होती है, वह भी देते रहते हैं। इसलिए आपसे मैं विनती करता हूं कि आप मुझे एक मौका दीजिए। मेरे कहे अनुसार मौसम कीजिए। फिर हम सब किसान अन्न के भंडार भर देंगे।”

ईश्वर मुस्कुराए और बोले, “ठीक है आज से तुम्हारे अनुसार मौसम रखूंगा।”

किसान खुश हो गया। किसान ने अगली फसल में गेहूं की बुवाई की। उसने जब चाहा तब धूप मिली, उसने जब चाहा पानी मिला, पानी की तो उसने बिल्कुल कमी नहीं आने दी। आंधी, बाढ़ और तेज धूप तो उसने आने ही नहीं दी।

समय बीतने पर फसल बढ़ी हुई। किसान भी बहुत खुश हुआ कि इस बार शानदार फसल दिख रही है।

किसान ने मन ही मन सोचा कि ईश्वर को अब पता चलेगा कि अच्छी फसल के लिए क्या-क्या जरूरी है। फालतू में ही किसान को परेशान करते रहते हैं।”

किसान फसल काटने के लिए खेत पहुंचा। गेहूं के पौधे की बालियों को हाथ लगाया तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने देखा कि किसी भी पौधे की बालियों में एक भी दाना नहीं था।

किसान दुखी हो गया और बोला, “हे ईश्वर! ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि मैंने तो सब कुछ सही किया और सही समय पर किया।”

इस पर ईश्वर बोले, “हे प्रिय किसान! ऐसा तो होना ही था। क्योंकि तुमने इन पौधों को बिल्कुल भी संघर्ष नहीं करने दिया। इन्हें ना तो तेज धूप में तपने दिया, ना ही आंधी का सामना करने दिया। इन्हें किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना नहीं करने दिया। इसलिए बाहर से भले ही अच्छे दिख रहे हो लेकिन ये अंदर से बिल्कुल खोखले हैं, इनके अंदर कुछ भी दाने नहीं।

पौधे जब विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हैं तो उनमें ऊर्जा पैदा होती है। यह ऊर्जा उनके अंदर सही सामर्थ्य पैदा करती, जिनके लिए वह बने है।

दोस्तों ठीक इसी प्रकार जब तक इंसान संघर्ष से नहीं गुजरता हैं, वह आदमी खोखला रह जाता है। जीवन की चुनौतियां ही उसके लिए उन्नति के नए रास्ते खोल देती हैं और आदमी को मजबूत और प्रतिभाशाली बनाती है। इसलिए आपके भी जीवन में मुसीबतें या चुनौतियां आए तो घबराना मत। यह आपको बिखेरने के लिए नहीं, निखारने के लिए आई है।

Tuesday, December 20, 2022

कबूतर की समझदारी

ऊँचे आकाश में सफेद कबूतरों की एक टोली उड़कर जा रही थी। 

बहुत दूर जाना था उन्हें। लंबा रास्ता था। सुबह से उड़ते-उड़ते थकान होने लगी थी। 

सूरज तेजी से चमक रहा था। कबूतरों को भूख लगने लगी थी। तभी उन्होंने देखा कि नीचे जमीन पर चावल के बहुत से दाने पड़े थे। 

कबूतरों ने एक-दूसरे से कहा, चलो भाई, थोड़ी देर रुककर कुछ खा लिया जाए। फिर आगे जाएँगे। एक बुजुर्ग कबूतर ने चारों ओर देखा। वहाँ दूर -दूर तक कोई घर या मनुष्य दिखाई नहीं दे रहा था। फिर चावल के ये दाने यहाँ कहाँ से आए ? 

बुजुर्ग कबूतर ने बाकी कबूतरों को समझाया, मुझे लगता है कि यहाँ कुछ गड़बड़ है। तुम लोग नीचे मत उतरो। 

लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं सुनी। सभी कबूतर तेजी से उतरे दाना चुगने लगे। 

इतने बढ़िया दाने बहुत दिनों के बाद खाने को मिले थे। 

वे बहुत खुश थे। जब सभी ने भरपेट खा लिया तो बोले चलो भाई, अब आगे चला जाए। लेकिन यह क्या ? जब उन्होंने उड़ने की कोशिश की तो उड़ ही नहीं पाए। दोनों के साथ-साथ वहाँ एक चिड़ीमार का जाल भी था, जिसमें उनके पाँव फँस गए थे। उन्हें अपनी गलती पर पछतावा हुआ। 

बूढ़ा कबूतर पेड़ पर बैठकर सब देख रहा था। उसने जब अपने साथियों को मुसीबत में देखा तो फौरन उड़ा और चारो ओर देखा। 

दूर उसे चिड़ीमार आता दिखाई दिया। 

वह फौरन लौटा और अपने साथियों को बताया। सब वहाँ से निकलने का उपाय सोचने लगे। 

तब बूढ़े कबूतर ने कहा, दोस्तों, एकता में बड़ी शक्ति होती है। सब एक साथ उड़ोगे तो जाल तुम्हें रोक नहीं पाएगा। 

उसने गिना - एक दो तीन। ........ उड़ो ..... 

सारे कबूतरों ने एक साथ जोर लगाया और जाल उनके साथ उठने लगा। जब तक चिड़ीमार वहाँ पहुँचा, तब तक जाल काफी ऊपर उठ चूका था। वह देखता ही रह गया और कबूतर जाल लेकर उड़ गए। बूढ़ा कबूतर सबसे आगे उड़ रहा था। 

काफी देर उड़ने के बाद वे नीचे उतरे। वहाँ कबूतरों के दोस्त चूहे रहते थे। चूहों ने अपने तेज दातों से जाल काट दिया। 

इस तरह बूढ़े कबूतर की समझदारी और साथ मिलकर काम करने से सभी कबूतर बच गए।

Sunday, December 11, 2022

आलस्य जीवन के लिए एक अभिशाप

एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन  वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश  करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था | अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये|आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है |ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग की कामना करता है| वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है,तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता| यहाँ तक कि  अपने पर्यावरण के प्रति  भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है | उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली |एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा –‘मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकड़ा, दो दिन के लिए दे कर, कहीं दूसरे गाँव जा रहा हूँ| जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे, वह स्वर्ण में परिवर्तित हो जायेगी| पर याद रहे कि दूसरे दिन सूर्यास्त के पश्चात मैं इसे तुमसे वापस ले लूँगा|’

 शिष्य इस सुअवसर को पाकर बड़ा प्रसन्न हुआ लेकिन आलसी होने के कारण उसने अपना पहला दिन यह कल्पना करते-करते बिता दिया कि जब उसके पास बहुत सारा स्वर्ण होगा तब वह कितना प्रसन्न, सुखी,समृद्ध और संतुष्ट रहेगा, इतने नौकर-चाकर होंगे कि उसे पानी पीने के लिए भी नहीं उठाना पड़ेगा | फिर दूसरे दिन जब वह  प्रातःकाल जागा,उसे अच्छी तरह से स्मरण था कि आज स्वर्ण पाने का दूसरा और अंतिम दिन है |उसने मन में पक्का विचार किया कि आज वह गुरूजी द्वारा दिए गये काले पत्थर का लाभ ज़रूर उठाएगा | उसने निश्चय किया कि वो बाज़ार से लोहे के बड़े-बड़े सामान खरीद कर लायेगा और उन्हें स्वर्ण में परिवर्तित कर देगा. दिन बीतता गया, पर वह इसी सोच में बैठा रहा की अभी तो बहुत समय है, कभी भी बाज़ार जाकर सामान लेता आएगा. उसने सोचा कि अब तो  दोपहर का भोजन करने के पश्चात ही सामान लेने निकलूंगा.पर भोजन करने के बाद उसे विश्राम करने की आदत थी , और उसने बजाये उठ के मेहनत करने के थोड़ी देर आराम करना उचित समझा. पर आलस्य से परिपूर्ण उसका शरीर नीद की गहराइयों में खो गया, और जब वो उठा तो सूर्यास्त होने को था. अब वह जल्दी-जल्दी बाज़ार की तरफ भागने लगा, पर रास्ते में ही उसे गुरूजी मिल गए उनको देखते ही वह उनके चरणों पर गिरकर, उस जादुई पत्थर को एक दिन और अपने पास रखने के लिए याचना करने लगा लेकिन गुरूजी नहीं माने और उस शिष्य का धनी होने का सपना चूर-चूर हो गया | पर इस घटना की वजह से शिष्य को एक बहुत बड़ी सीख मिल गयी: उसे अपने आलस्य पर पछतावा होने लगा, वह समझ गया कि आलस्य उसके जीवन के लिए एक अभिशाप है और उसने प्रण किया कि अब वो कभी भी काम से जी नहीं चुराएगा और एक कबनर्मठ, सजग और सक्रिय व्यक्ति कर दिखायेगा.

 मित्रों, जीवन में हर किसी को एक से बढ़कर एक अवसर मिलते हैं , पर कई लोग इन्हें बस अपने आलस्य के कारण गवां देते हैं.   यदि आप सफल, सुखी, भाग्यशाली, धनी अथवा महान  बनना चाहते हैं तो आलस्य और दीर्घसूत्रता को त्यागकर, अपने अंदर विवेक, कष्टसाध्य श्रम,और सतत् जागरूकता जैसे गुणों को विकसित कीजिये और जब कभी आपके मन में किसी आवश्यक काम को टालने का विचार आये तो स्वयं से एक प्रश्न कीजिये – “आज ही क्यों नहीं ?”

Thursday, December 1, 2022

असफलता जीवन का एक हिस्सा है

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे.

उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ?तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों को नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”

आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!

इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.

याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं.


Wednesday, November 23, 2022

अंतिम घर तो कब्रिस्तान

इब्राहिम बल्ख के बादशाह थे। सांसारिक विषय- भोगों से ऊबकर वे फकीरों का सत्संग करने लगे। बियाबान जंगल में बैठकर उन्होंने साधना की । एक दिन उन्हें किसी फरिश्ते की आवाज सुनाई दी, ‘मौत आकर तुझे झकझोरे, इससे पहले ही जाग जा । 

अपने को जान ले कि तू कौन है और इस संसार में क्यों आया है। ‘ यह आवाज सुनते ही संत इब्राहिम की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्हें लगा कि बादशाहत के दौरान अपने को बड़ा मानकर उन्होंने बहुत गुनाह किया है। वे ईश्वर से उन गुनाहों की माफी माँगने लगे।

एक दिन वे राजपाट त्यागकर चल दिए । निशापुर की गुफा में एकांत साधना कर उन्होंने काम, क्रोध, लोभ आदि आंतरिक दुश्मनों पर विजय पाई। वे हज यात्रा पर भी गए और मक्का में भी पहुँचे हुए फकीरों का सत्संग करते रहे।एक दिन वे किसी नगर में जा रहे थे कि चौकीदार ने पूछा, ‘तू कौन है?’ उन्होंने जवाब दिया, ‘गुलाम । ‘ उस चौकीदार ने फिर पूछा, ‘तू कहाँ रहता है, तो इस बार जवाब मिला, ‘कब्रिस्तान में ।’ 

सिपाही ने उन्हें मसखरा समझकर कोड़े लगा दिए, पर जैसे ही उसे पता चला कि वे पहुँचे हुए संत इब्राहिम हैं, तो वह उनके पैरों में गिरकर क्षमा माँगने लगा। संत ने कहा, ‘इसमें आखिर क्षमा माँगने की क्या बात है? तूने ऐसे शरीर को कोड़े लगाए हैं, जिसने बहुत वर्षों तक गुनाह किए हैं। ‘

कुछ क्षण रुककर उन्होंने कहा, ‘सारे मनुष्य खुदा के गुलाम हैं और गुलामों का अंतिम घर तो कब्रिस्तान ही होता है।’

Sunday, November 13, 2022

सही लक्ष्य का चुनाव

एक बार एक नौजवान लड़का रेलवे स्टेशन पर पहुंचा और स्टेशन पर पहुंचकर टिकट काउंटर पर गया और वह जाकर कहने लगा की मुझे एक टिकट दे दो काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने उससे पूंछा की आपको कहाँ का टिकट, चाहिए लड़के ने कहाँ टिकट दे दो.. आपको बात समझ नहीं आ रही हैं मुझे टिकट देदो..

काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने सोचा की ये सायद थोड़ा सा खिसका हुआ हैं इसलिए इस प्रकार की बातें कर रहा हैं काउंटर पे बैठे व्यक्ति ने फिर से पूंछा के अरे भाई साहब आपको कहाँ का टिकट चाहिए बताईये तो।

लड़के ने कहाँ अरे मैं तुमसे टिकट मांग रहा हूँ तुम्हे देना नहीं हैं क्या मुझे टिकट दे दो अब काउंटर पर बैठे व्यक्ति को थोड़ा गुस्सा आ गया और उसने उस व्यक्ति को भगा दिया और कहाँ पीछे बहुत सारे लोग खड़े हुए हैं तुम यहाँ से चले जाओ वरना मैं पुलिस को बुला लूँगा वो लड़का थोड़ा सा गुस्सा हुआ और वहाँ से चला गया और उसके बाद वो प्लेटफॉर्म पर आ गया जहाँ पर बहुत सारे लोग खड़े हुए थे और किसी ट्रैन का इंतजार कर रहे थे अब थोड़े देर के बाद ही वहाँ पर एक ट्रैन आ गयी अब सभी लोग उस ट्रैन में चढ़ने लगे वहाँ लड़का भी उस ट्रैन में चढ़ गया।

अब मैं सभी से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ जिसका जवाब आपको मुझे देना हैं आप बताएगा की वह लड़का अब कहाँ पर पहुंचेगा.. हां आप बताईये की वह लड़का अब कहाँ पहुंचेगा।

आप मुझे बताईये वह लड़का वहाँ पहुंचेगा जहाँ वाकई में उसे जाना हैं या फिर वो वहाँ पहुंचेगा जहाँ पर वो ट्रैन उसे ले जाएगी जी हां बिलकुल सही कहाँ आप ने वह लड़का वहाँ पहुंचेगा जहाँ वो ट्रैन लेकर के जाएगी।

अब आप भी अपने आप से पूछ कर देखिये की आप भी बिना लक्ष्य वाले ट्रैन में सफर तो नहीं कर रहे कई बार आप भी अपने माँ-बाप को दिखाने के चक्कर में अपने दोस्त-यार को दिखने के चक्कर में बिना लक्ष्य वाले ट्रैन में बैठ जाते हैं और उन्हें कुछ कर के दिखाना चाहते हैं क्या आपको लगता ही की ये सही हैं।

अब ट्रैन में बैठा व्यक्ति चला जा रहा है..चला जा रहा हैं.. लेकिन कुछ दिन के बाद वो बोर हो जाता हैं परेशान होने लगता हैं की ये मैं कहाँ जा रहा हूँ और फिर थोड़े दिन के बाद उसे एक स्टेशन दीखता हैं और बहुत सारे लोग उतर रहे होते हैं और फिर वो भी वहाँ पर उतर जाता हैं लेकिन स्टेशन पर उतरने के बाद उसे ये समझ में आता हैं की मुझे यहाँ आना ही नहीं था मुझे तो कहीं और जाना था।

अब फिर से आप अपने आप से पूछियेगा की कई बार आप किसी रास्ते पर निकल लेते हैं बिना लक्ष्य बनाये निकल लेते हैं और कुछ दिनों के बाद आपको यह महसूस होता हैं की आपको यह बनना ही नहीं था आपको तो यह करना ही नहीं था आप तो किसी और चीज़ के लिए परफेक्ट हैं और आपको तो वो करना था।। आप सिर्फ लोगो के दिखाने के चक्कर में किसी चीज़ को बनने की कोशिश करते हैं जब की असल में वो आप होते ही नहीं हैं।

एक बिना लक्ष्य के यात्रा करने पर आपका पूरा जीवन खराब हो सकता हैं और वहीं पर एक महत्वपूर्ण चीज़ खराब होती ही हैं जो कभी वापस नहीं आ सकती और वो हैं आपका समय और इसलिए सबसे पहले आप सही जगह का चुनाव करे की आपको जाना कहाँ हैं।

उसके बाद स्टेशन पर जाकर अपनी सही ट्रैन ढूंढे क्योकि वहाँ पर बहुत सारी ट्रेंने होंगी बहुत सारे लोग अलग-अलग ट्रैन में चढ़ रहे होंगे लेकिन आपको अपनी ट्रैन ढूढ़ना हैं जो आपको अपने सही लक्ष्य पर पहुँचाएगी।

यदि आप किसी को दिखाने के लिए कोई भी काम कर रहे हो तो आप उसे आज ही छोड़ दीजिये और अपने एक सही लक्ष्य का चुनाव कीजिये जो आपको एक सही यात्रा पर पहुँचाएगी। 

कई लोग अपने जीवन में बिना लक्ष्य के घूमते रहते हैं, भटकते रहते हैं, परेशान होते रहते हैं और जीवन के अंत में कहते हैं की मैंने अपने जीवन में कुछ नहीं पाया क्या आप भी उनमे से एक बनना चाहते हैं या फिर एक सही लक्ष्य का चुनाव कर के अपने जीवन को ख़ुशी-ख़ुशी प्रसन्ता से जीना चाहते हैं फैसला आपका हैं।।

Tuesday, November 8, 2022

परिस्थितियों को दोष देना

एक आदमी रेगिस्तान में फंस गया था 
वह मन ही मन अपने आप को बोल रहा था कि यह कितनी अच्छी और सुंदर जगह है
अगर यहां पर पानी होता तो यहां पर कितने अच्छे-अच्छे पेड़ उग रहे होते 
और यहां पर कितने लोग घूमने आना चाहते होंगे
 मतलब ब्लेम कर रहा था
 कि यह होता तो वो होता  और वो होता  तो शायद ऐसा होता 
ऊपरवाला देख रहा था अब उस इंसान ने सोचा यहां पर पानी नहीं दिख रहा है 
उसको थोड़ी देर आगे जाने के बाद उसको एक कुआं दिखाई दिया जो कि
 पानी से लबालब भरा हुआ था काफी देर तक
 विचार-विमर्श करता रहा खुद से

 फिर बाद उसको वहां पर एक रस्सी और बाल्टी  दिखाई दी  इसके बाद कहीं से
एक पर्ची उड़ के आती है जिस पर्ची में लिखा हुआ था कि तुमने कहा था कि
यहां पर पानी का कोई स्त्रोत  नहीं है अब तुम्हारे पास पानी का स्रोत भी है
अगर तुम चाहते हो तो यहां पर पौधे लगा सकते हो
वह चला गया दोस्तों
 तो यह कहानी हमें क्या सिखाती है
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
अगर आप परिस्थितियों को दोष देना चाहते हो कोई दिक्कत नहीं है
 लेकिन आप परिस्थितियों को दोष देते हो कि अगर यहां पर ऐसा  हो और
आपको वह सोर्सेस मिल जाए तो क्या परिस्थिति को बदल सकते हो

Monday, October 31, 2022

अपने अंदर ईमानदारी

काफी समय  पहले की बात है प्रतापगढ़ नाम का एक राज्य था वहाँ का राजा बहुत अच्छा था 
मगर राजा को एक सुख नही था 
वह यह कि उसके कोई भी संतान नही थी 
और वह चाहता था कि अब वह राज्य के अंदर किसी योग्य बच्चे को गोद ले
ताकि वह उसका उत्तराधिकारी बन सके और आगे की बागडोर को सुचारू रूप से चला सके
और इसी को देखते हुए राजा ने राज्य में घोषणा करवा दी 

की सभी बच्चे राजमहल में एकत्रित हो जाये 
ऐसा ही हुआ 
राजा ने सभी बच्चो को पौधे लगाने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के बीज दिए
और कहा कि अब हम 6 महीने बाद मिलेंगे और देखेंगे कि किसका पौधा सबसे अच्छा होगा 

महीना बीत जाने के बाद भी एक बच्चा ऐसा था जिसके गमले में वह बीज अभी तक नही फूटा था 
लेकिन वह रोज उसकी देखभाल करता था और रोज पौधे को पानी देता था 
देखते ही देखते 3 महीने बीत गए 
बच्चा परेशान हो गया 

तभी उसकी माँ ने कहा कि बेटा धैर्य रखो कुछ बीजो को फलने में ज्यादा वक्त लगता है 
और वह पौधे को सींचता रहा 
6 महीने हो गए राजा के पास जाने का समय आ चुका था 
लेकिन वह डर हुआ था कि सभी बच्चो के गमलो में तो पौधे होंगे और उसका गमला खाली होगा 
लेकिन वह बच्चा ईमानदार था 
और सारे बच्चे राजमहल में आ चुके थे

कुछ बच्चे जोश से भरे हुए थे 
क्योंकि उनके अंदर राज्य का उत्तराधिकारी बनने की प्रबल लालसा थी 
अब राजा ने आदेश दिया सभी बच्चे अपने अपने गमले दिखाने लगे 
मगर एक बच्चा सहमा हुआ था क्योंकि उसका गमला खाली था 
तभी राजा की नजर उस गमले पर गयी 
उसने पूछा तुम्हारा गमला तो खाली है 
तो उसने कहा लेकिन मैंने इस गमले की 6 महीने तक देखभाल की है 

राजा उसकी ईमानदारी से खुश था कि उसका गमला खाली है फिर भी वह हिम्मत करके यहाँ आ तो गया
सभी बच्चों के गमले देखने के बाद राजा ने उस बच्चे को सभी के सामने बुलाया बच्चा सहम गया 
और राजा ने वह गमला सभी को दिखाया 
सभी बच्चे जोर से हसने लगे 
राजा ने कहा शांत हो जाइये 

इतने खुश मत होइए 
आप सभी के पास जो पौधे है वो सब बंजर है आप चाहे कितनी भी मेहनत कर ले उनसे कुछ नही निकलेगा
लेकिन असली बीज यही था 
राजा उसकी ईमानदारी से बेहद खुश हुआ 
और उस बच्चे को राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया गया 

लेकिन हमें इस कहानी से क्या सीखने को मिला 
मेरे हिसाब से 
अपने अंदर ईमानदारी का होना बहुत जरूरी है 

अगर हम खुद के साथ ईमानदार है तो जीवन के किसी न किसी पड़ाव में सफल हो ही जाएंगे 

क्योंकि हमारी औकात हमे ही पता होती है 

हम खुद को पागल बनाकर खुद का ही नुकसान करते है 

Tuesday, October 25, 2022

कामयाब इंसान

एक दिन गुप्तचरों ने सुचना दी की पडोसी राज्य हम पर हमला करने वाले है। गुप्तचरों ने बताया की खबर एकदम पक्की है।

सिर्फ तीन दिनों के भीतर पडोसी राज्य अपने विशाल सेना के साथ हम पर हमला कर देगा और उनकी सेना इतनी बड़ी है की उनका सामना करना बहुत मुश्किल है।

राजा बेहद चिंचित हो गया परेशान हो गया। राजा ने तुरंत सभा बुलाई और सभी लोगो से सलाह मांगी की अब हम लोगो का मारना तय है अगर किसी व्यक्ति के पास कोई सुझाव है तो बता सकता है कोई स्ट्रेटेजी है तो बता सकता है।

राजा के चतुर मंत्री ने कहा अब जब जान पर बात आ गयी है तो इसका एक मात्र उपाय है की हमें आज ही अभी ही इसी वक्त ही पडोसी राज्य पर हमला कर देना चाहिए।

राजा बोला, मंत्री जी हमारी सेना बहुत छोटी है हम उनका मुकाबला कैसे कर पाएंगे? मंत्री बोला, पडोसी राज्य अभी युद्ध के लिए तैयार नहीं है अभी उस राज्य पर हमला कर दे तो संभल नहीं पाएंगे और हमारे जितने की कुछ तो सम्भावना बनेगी वैसे भी हम पर हमला होने वाला है वो इतनी विशाल सेना है हम यू ही मरने वाले है।

वो वैसे भी हमें तीन दिन बाद मारने वाले है तो क्यों ना कुछ न करने से हम ये कर सकते है राजा को बात थोड़ी अच्छी लग गयी उसने तुरंत अपनी सेना को तैयार होने का आदेश दिया और उस राज्य के नागरिक भी सेना के साथ जुड़कर युद्ध में चले गए।

पड़ोसी राज्य जो था वहा तक पहुंचने से पहले एक पुल पार करना होता था। एक पुल था तो जैसे ही वो सेना पुल पार करके उस राज्य में घुस गए तो राजा ने कहा हम अपने पड़ोसी राज्य में घुस चुके है ये जो पुल है इस पुल को जला दो और जलाने के बाद सेना को बोल दिया हमारे पास में अब और कोई ऑप्शन नहीं सिवाय लड़ने के अब हम या तो लड़ के जित ले या फिर हम यहाँ पर मर जाये।

हमारे पास भागने का कोई ऑप्शन नहीं है सभी सैनिक अपनी पूरी छमता के साथ में लड़े और पड़ोसी राज्य की बड़ी सेना को उन्होंने हरा दिया। इस ऐटिटूड के साथ में की हमारे पास में कोई और ऑप्शन ही नहीं है।

इस कहानी का मैसेज है जब आपके पास में प्लान B नहीं होता है आपके पास में सिर्फ प्लान A होता है तब उसके पुरे होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है जब आपके पास में रास्ता सिर्फ एक होता है की ये अगर नहीं किया तो मर जायेंगे, बर्बाद हो जायेंगे तो सम्भावना बढ़ जाती है उसमे कामयाब होने की।

हर कामयाब इंसान का एक वक्त आता है जब उसको लगता है की अब अगर मैंने कुछ नहीं किया तो बर्बाद हो जाऊंगा और वो कर लेता है

Sunday, October 16, 2022

हार कर भी जीत

हरीश नाम का एक लड़का था उसको दौड़ने का बहुत शौक था  वह कई मैराथन में हिस्सा ले चुका था 
परंतु वह किसी भी race को पूरा नही करता था  एक दिन उसने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये वह race पूरी जरूर करेगा  अब रेस शुरू हुई हरीश ने भी दौड़ना शुरू किया धीरे 2 सारे धावक आगे निकल रहे थे 
मगर अब हरीश थक गया था  वह रुक गया  फिर उसने खुद से बोला अगर मैं दौड़ नही सकता तो  कम से कम चल तो सकता हु  उसने ऐसा ही किया वह धीरे 2 चलने लगा मगर वह आगे जरूर बढ़ रहा था  अब वह बहुत ज्यादा थक  गया था और नीचे गिर पड़ा  उसने खुद को बोला  की वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगा  वह जिद करके वापस उठा  लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह रेस पूरी कर गया 
माना कि वह रेस हार चुका था  लेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले  race को कभी पूरा ही नही कर पाया था  वह जमीन पर पड़ा हुआ था  क्योंकि उसके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव हो चुका था  लेकिन आज वह बहुत खुश था  क्योंकि  आज वह हार कर भी जीता था 

Sunday, October 9, 2022

परेशानी का मुकाबला

एक मूर्तिकार जंगल में जा रहा था और उसके दिमाग में ख्याल
आया कि क्यों ना मैं एक मूर्ति बनाऊ
धीरे धीरे वह  आगे गया और उसको एक पत्थर दिखाई दिया छोटा पत्थर था
 लेकिन वह उसको तराशने की कोशिश कर रहा था
तभी उसको एक आवाज सुनाई देती है कि  रुक जाओ 

मुझे मत तराशिये वह आस पास देखता है और वह यह
डिसाइड करता है कि ठीक है मैं को नहीं तराश रहा

थोड़ी देर बाद आगे जाता है तो बड़ा पत्थर दिखाई देता है
वह सोचता है कि मैं पत्थर पर बहुत अच्छी मूर्ति बना सकता हूं
उसने ऐसा ही किया और उस पत्थर पर बहुत अच्छी मूर्ति बनाई
 लेकिन पत्थर ज्यादा  भारी था और उसको ले जाने में उसको दिक्कत आई
 तो उसने सोचा कि मैं तीन-चार दिन बाद आ सकता हूं और
इस मूर्ति  को लेकर जा सकता हूं किसी को साथ मुझे लाना होगा वह गाँव मे चला गया

जब  वह गांव में पहुंचा उसका स्वागत हुआ 
क्यों कि गाँववालो ने एक मंदिर बनाया है और उसमें
वह  मूर्ति की स्थापना करना चाहते हैं 
मूर्तिकार ने बताया कि यह तो योग संयोग की बात है मैं अभी थोड़ी देर
 पहले एक मूर्ति बनाकर 
आया हु तो गाँव वाले  उस पत्थर को उठाकर लेकर आए और पत्थर की पूजा हुई

 तभी पीछे से बुजुर्ग ने कहा कि हमें एक और पत्थर की आवश्यकता है
 क्योंकि नारियल फोड़ने के लिए भी तो पत्थर जरूरी है 
तो उसने कहा कि मैं एक पत्थर वहां छोड़ कर आया था आप उस उसको भी लेकर आइए 
अब आप देखिए योग संयोग कैसा है कि दोनों ही पत्थर एक ही मंदिर में विराजमान थे

 लेकिन एक  एक पत्थर पूजा जा रहा था और दूसरे पर नारियल फोड़े जा रहे थे

क्योंकि उसने परेशानी का मुकाबला करने से मना कर दिया 

क्योकि  उसको वह प्रतिरोध और वह प्रताड़ना झेलनी पड़ती
क्योंकि जब लोहे को तराशा जाता है तो उसको पीटा जाता है कुटा  जाता है सोना
तभी सोना  निकलता है

Saturday, September 24, 2022

जो भी कर रहे हो उसे पुरे जूनून और मेहनत के साथ कीजिये

एक गांव के लड़के की घर की मजबूरी और पैसो की कमी की वजह से वह दूर शहर काम करने के लिए जाता है ताकि वहा से वह कुछ पैसे कमा पाए जिससे उसका और उसके घर वालो का खर्चा पूरा हो पाए।

वह लड़का काफी दिनों तक काम की तलाश करता है और आख़िरकार उसे काम मिल जाता है। वह लड़का अपना सारा काम पूरी ईमानदारी और मेहनत से पुरे दिन करता है यह देखकर उसका मालिक खुश हो जाता है।

अब 6 महीनो तक ऐसे ही चलता है 6 महीने बाद वह लड़का अपने मालिक को कहता है अब मैं कुछ दिनों के लिए वापिस अपने घर जाना चाहता हूँ और उस लड़के को पूरी उम्मीद थी की उसका मालिक उसे घर जाने से नहीं रोकेगा।

लेकिन उस लड़के के सोच से विपरीत, उसका मालिक कहता है नहीं तुम्हे दो माहिने का थोड़ा और काम करना है और फिर उसके बाद अपने घर जा सकते हो।

लड़के को थोड़ा गुस्सा आता है लेकिन वह अपने गुस्से को शांत करके मालिक से पूछता है बताईये मालिक कौन सा काम है उसका मालिक कहता है हमें एक घर खरीदना है तुम पुरे शहर में घूमो और तुम्हे जो सबसे अच्छा घर लगे वह घर खरीद लो और जैसे ही यह काम ख़त्म हो जाता है तुम वापिस अपने घर कुछ दिनों के लिए जा सकते हो।

यह सुनकर वह गांव का लड़का खुश हो जाता है और जल्दी-जल्दी घर को खरीदने का काम ख़त्म कर देता है वह मालिक के पास जाता है और कहता है मालिक मैंने सबसे अच्छा घर आपके लिए खरीद लिया है।

मालिक हैरान हो जाता है और कहता है सिर्फ 10 दिनों में तुमने अच्छा सा घर खरीद भी लिया गांव का लड़का कहता है हां ये घर काफी बढ़िया था इसलिए मैंने खरीद लिया और कहता है की क्या अब मैं अपने घर कुछ दिनों के लिए वापिस जा सकता हूँ।

मालिक कहता है नहीं तुम सिर्फ दो दिंनो के लिए अपने घर वापिस जा सकते हो गांव का लड़का कहता है अरे मालिक मुझे गांव जाने में ही एक दिन लगेगा तो कैसे भला मैं दो दिनों में वापिस आ जाऊ।

मुझे मेरे परिवार के साथ वक्त भी बिताना है मालिक खुश होकर कहता है की अब से तुम हमेशा अपने परिवार के साथ ही रहोगे जो घर मैंने तुम्हे खरीदने के लिए कहा था वह घर तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के लिए मेरे तरफ से एक तोफा है।

यह सुनकर वह गांव का लड़का खुश होने के वजाए मायूस हो जाता है और कहता है अगर मालिक आपने मुझे पहले कहा होता की ये घर आप मेरे लिए खरीद रहे हो तो मैं थोड़ी और जानकारी प्राप्त करके इससे और अच्छा घर खरीदता।

मालिक ने कहा मैंने तुम्हे दो महीने दिए थे और दस दिन में खरीद कर तुमने तुम्हारा नुसकान किया है।

इसी तरह जिंदगी में भी हमारे साथ यही होता है कहानी में जो मालिक था वह असल में वक्त था और हमेशा वक्त जाने के बाद कहते है की अगर मुझे पाता होता तो मैं इससे भी अच्छा कर देता इसलिए आप अभी जिंदगी में जो भी कर रहे हो उसे पुरे जूनून और मेहनत के साथ कीजिये क्या पाता आप आज जो काम कर रहे हो वो आने वाले समय में आपको जिंदगी बदल दे।

Wednesday, September 21, 2022

हमारे अंदर छुपी टैलेंट

एक गुरु और शिष्य जंगल से होते हुए अपने गांव जा रहे होते है अँधेरा काफी हो चूका था। शिष्य ने अपने गुरु से कहा की गुरु की काफी रात हो चुकी है अगर आप कहे तो आज की रात यही आस-पास के किसी गांव में गुजार ले, गुरु जी ने अपना सर हिलाया और वो आस-पास के गांव में एक छोटे से घर के पास जाकर रुके।

अब जैसे ही वहा गए तो गुरु जी के शिष्य ने दरवाजा ठकठकाया उस घर से एक गरीब आदमी बाहर आया तो गुरु जी ने बोला हम अपने गांव जा रहे थे लेकिन काफी रात होने के वजह से हमने इसी गांव में रुकने को सोचा। क्या हम आज रात आपके यहां रुक सकते है।

गरीब आदमी बोला हां क्यों नहीं आप दोनों अंदर आ जाईये अब जैसे ही गुरु जी अंदर गए उन्होंने देखा की उस आदमी के घर में बहुत ज्यादा गरीबी थी।

गुरु जी ने उससे पूछा की आप काम क्या करते हो वह गरीब आदमी बोला की मेरे पास बहुत सारी जमीन है तो गुरु जी ने बोला अगर तुम्हारे पास बहुत सारी जमीन है तो इस तरह से क्यों रह रहे हो।

वह आदमी बोला यह किसी काम की नहीं है, गांव वाले बोलते है की ये बंजर जमीन है यहाँ पर कुछ भी नहीं उगाई जा सकती है और वहा फसल उगाना बहुत बड़ी बेवकूफी है।

गुरु जी ने बोला की तुम्हारा गुजारा कैसे होता है उसने बोला की मेरे पास एक भैस है जिससे मेरा पूरा घर चलता है ये सुनने के बाद गुरु जी सो जाते है और रात में जब सब लोग सो रहे होते है तब गुरु जी अपने शिष्य को उठाते है और उस गरीब आदमी की भैस लेकर अपने गांव चले जाते है।

शिष्य अपने गुरु से पूछता है की गुरु जी कही आप ये गलत तो नहीं कर रहे है उस गरीब आदमी की रोज़ी रोटी इसी भैस की वजह से चलती है तो गुरु जी अपने शिष्य की तरफ देखते है और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ जाते है।

उस बात को तक़रीबन 10 साल गुजर जाती है और जो गुरु का शिष्य था वह बहुत बड़ा गुरु बन चूका था तो एक दिन उन्हें उस गरीब आदमी की याद आती है की मेरे गुरु ने उस आदमी के साथ अच्छा नहीं किया था मुझे एक बार चलकर देखना चाहिए की वह आदमी अब किस परिस्थिति में है।

वह शिष्य उस गांव की तरफ जाता है और वहा जैसे ही पहुँचता है तो वह देखता है की जहा पर उस गरीब आदमी का झोपड़ा था वहा पर एक बड़ा ही आलीशान महल बन चूका था और उस झोपडी के बाहर जो बंजर जमीन थी उसपर फल और फूलो के बगीचे थे।

तभी उधर से उस घर का मालिक आता है शिष्य उसे पहचान लेता है और उस आदमी को बोलता है तुमने मुझे पहचाना मैं अपने गुरु जी के साथ आया था हमने एक रात के लिए आपके यहाँ रुके भी थे।

वह आदमी उसे पहचान लेता है और बोलता है की उस रात में आप कहा चले गए थे और उस रात के बाद ही मेरी भैस कही चली गयी थी मेरे पास कोई रास्ता नहीं था तो मैंने अपने जमीन पर मेहनत की और फसल निकल आयी और आज मैं इस गांव का सबसे बड़ा और सबसे अमीर आदमी बन चूका हूँ।

ये सुनने के बाद शिष्य के आँखों में अपने गुरु जी के लिए आँशु आ गए और उसे ये बात अब समझ आयी और वो रोने लगा।

इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की हमारे अंदर ऐसी बहुत सी टैलेंट छुपी हुई है लेकिन हमें कोई ना कोई चीज़ रुका कर रखी है वो आपके फॅमिली वाले भी हो सकते है, आपको जॉब भी हो सकती है कुछ और भी हो सकता है देखिये आपके पास भी तो भैस की जैसी कोई दूसरी चीज़ तो नहीं है जिसने आपको आगे बढ़ने से रोककर रखा है।

Sunday, September 18, 2022

अत्याचार का विरोध

स्वामी विवेकानंद धर्म प्रचार करते हुए एक रियासत में पहुँचे। उस रियासत का जागीरदार धर्म के नियमों को धता बताकर लोगों का उत्पीड़न करता था ।

प्रवचन समाप्त होने के बाद अपना यही दुःख कहने कुछ व्यक्ति स्वामीजी के पास पहुँचे। उन्होंने स्वामीजी से कहा, ‘हम धर्म के अनुसार सादा जीवन जीने का प्रयास करते हैं, लेकिन जागीरदार के लठैत हमें चैन से भगवान् की भक्ति और परिवार का पालन नहीं करने देते। हमें क्या करना चाहिए?’

स्वामीजी ने पूछा, ‘क्या जागीरदार पड़ोस के शासक से भी झगड़ा करता है?’ उन्हें बताया गया कि पड़ोस का जागीरदार उससे ज्यादा शक्तिशाली है। वह उससे डरता है।

स्वामीजी ने कहा, ‘यही तो प्रकृति का नियम है। शिकारी हिरन और अन्य कमजोर प्राणियों का ही शिकार करता है । मछुआरा निरीह मछली को ही जाल में फांसता है । 

कुछ अंधविश्वासी देवता के सामने निरीह बकरे की ही बलि देते हैं। क्या कभी किसी को शेर की बलि देते देखा है?’ कुछ क्षण रुककर स्वामीजी ने कहा, ‘आप सब भगवान् की भक्ति के साथ-साथ संगठित होकर शक्ति का संचय करें। 

शरीर से बलिष्ठ बनने पर अत्याचार का विरोध करने का साहस पैदा होगा। जब कारिंदा धमकी देने आए, तो सब इकट्ठा होकर उसका मुकाबला करो । ‘

स्वामीजी की प्रेरणा से ग्रामीणों ने संगठित होकर जागीरदार का विरोध किया। विरोध की आवाज उठते ही जागीरदार के होश ठिकाने आ गए, उसने उन्हें सताना छोड़ दिया।

Monday, September 12, 2022

सब्र रखना चाहिए

जब सूरज अस्त हो रहा होता है तब हल्की-हल्की संध्या से उत्पन्न होती है और चारों तरफ शांत वातारण जैसा एक अंधेरा सा छा जाता है। सभी जीव-जंतु, पशु-पक्षी अपने निवास स्थान को जाने लगते हैं और हल्की हल्की हवा चलने लगती है। हम जब आसमान की ओर देखते हैं तो सूर्य अस्त होता रहता है तभी आसमान में तारे टिमटिमाने लगते है।

कुछ तारे अत्यधिक चमकीले होते हैं परंतु कुछ कम चमकीले होते हैं। अधिक चमकीले वाले तारों पर हमारी नजर जल्दी पहुंचती है परंतु कम चमकीले वाले तारों पर हमारी नजर बहुत कम ही जाती है। इसलिए हम उन पर ध्यान नहीं दे पाते और उनकी सुंदरता फीकी पड़ जाती है।

परंतु उन सब में से एक ऐसा तारा होता है, जो अधिक चमकीला होता है। जिसके आने से पूरा आसमान जगमगा जाता है। वह इतना सुंदर और चमकीला होता है कि उसके जगमगाते ही लोगों के चेहरे पर खुशी आ जाती है, उसे हम स्वाति नक्षत्र के नाम से जानते हैं। अत्यधिक चमकीला और सुंदर होता है, जिसके आने से लोग खुश हो जाते हैं। इसीलिए बाकी के नक्षत्र स्वाति नक्षत्र से इर्ष्या करते हैं और अपनी इस ईर्ष्या की कथा को श्री नारद मुनि को बताते हैं।

नारद मुनि उन सभी तारों को समझाते हुए कहते हैं कि देखो जो भी सब्र करता है, उनकी कीर्ति संसार में होती है और मुझे प्रतीत होता है कि आप लोगों में धैर्य नहीं हैं। इसीलिए आप लोग संध्या काल में होते ही तुरंत जगमगाने लगते हैं। लेकिन स्वाति नक्षत्र अत्यधिक समय के बाद आसमान में निकट आता है तभी उसकी प्रतिस्पर्धा इतनी अधिक होती है।

तभी सभी लोग के चेहरे पर मुस्कान आती। इसीलिए कहा जाता है कि हमें सब्र करना चाहिए क्योंकि उसका फल मीठा होता है। यदि तुम देर में आसमान में टिमटिमाते होते तो तुम्हारा भी महत्व होगा और तुम्हें भी लोग अलग नाम से जानेंगे। नारद मुनि द्वारा समझाई गई बात सभी तारों को समझ में आ गई।

सब्र का फल मीठा होता है, यह बात हम सब जानते हैं और इसे हम लोगों ने महसूस भी किया है। मैं हमेशा अपने कार्य को पूरा करने के बाद उसके परिणाम के इंतजार में उतावला हो जाता हूं या फिर अपने आने वाले कार्य को पूरा करने के लिए उतावला हो जाता हूं, जिससे मेरा आने वाला कार्य बिगड़ जाता है। परंतु मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए, मुझे सब्र करना चाहिए। उस परिणाम का या उस आने वाले कार्य का जिससे मैं उस कार्य को अच्छे से समाप्त करूं और उसका परिणाम भी अच्छा हो।

हम जानते हैं जल्दी में लगाया हुआ निशाना हमेशा अपने गोल से बाहर जाता है। हमें धैर्य पूर्वक उस निशाने को भेजना चाहिए तभी हमें जीवन में सफलता मिलेगी। हमें किसी भी कार्य को धैर्यपूर्वक करना चाहिए तभी सफलता के दरवाजे खुलते हैं।

धैर्य ही ऐसा शस्त्र है, जो विकट परिस्थितियों में मनुष्य के मस्तिष्क का संतुलन बनाए रख सकता है और उसको आगे आने वाली चुनौतियों को से निपटने के लिए नए मार्ग को बतला सकता है। बड़े-बड़े महात्मा और महापुरुषों के द्वारा भी बताया गया है कि हमें भी किसी कार्य में सफलता पानी है तो उसे चिंता मुक्त होकर करना चाहिए और सब्र रखना चाहिए परिणाम का सफलता अवश्य मिलेगी।

Tuesday, August 30, 2022

दयापूर्ण और करुणामय काम

आबूरोड की एक चर्चित दूकान पर लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब दोस्त-यार आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई और हंसी-मजाक में लगे ही थे कि एक लगभग 75-80 वर्ष की बुजुर्ग महिला पैसे मांगते हुए मेरे सामने अपने हाथ फैलाकर खड़ी हो गई।

उनकी कमर झुकी हुई थी, चेहरे की झुर्रियों में भूख तैर रही थी। नेत्र भीतर को धंसे हुए किन्तु सजल थे। उनको देखकर मन मे न जाने क्या आया कि मैने अपनी जेब से सिक्के निकालने के लिए डाला हुआ हाथ वापस खींचते हुए उनसे पूछ लिया।

“दादी जी लस्सी पियेंगे?”

मेरी इस बात पर दादी कम अचंभित हुईं और मेरे मित्र अधिक। क्योंकि अगर मैं उनको पैसे देता तो बस 5 या 10 रुपए ही देता लेकिन लस्सी तो 30 रुपए की एक है। इसलिए लस्सी पिलाने से मेरे गरीब हो जाने की और उस बूढ़ी दादी के द्वारा मुझे ठग कर अमीर हो जाने की संभावना बहुत अधिक बढ़ गई थी।

दादी ने सकुचाते हुए हामी भरी और अपने पास जो मांग कर जमा किए हुए 6-7 रुपए थे, वो अपने कांपते हाथों से मेरी ओर बढ़ाए। मुझे कुछ समझ नही आया तो मैने उनसे पूछा –

“ये किस लिए?”

“इनको मिलाकर मेरी लस्सी के पैसे चुका देना बाबूजी!”

भावुक तो मैं उनको देखकर ही हो गया था…, रही बची कसर उनकी इस बात ने पूरी कर दी।

एकाएक मेरी आंखें छलछला आईं और भरभराए हुए गले से मैने दुकान वाले से एक लस्सी बढ़ाने को कहा… उसने अपने पैसे वापस मुट्ठी मे बंद कर लिए और पास ही जमीन पर बैठ गई।

अब मुझे अपनी लाचारी का अनुभव हुआ क्योंकि मैं वहां पर मौजूद दुकानदार, अपने दोस्तों और कई अन्य ग्राहकों की वजह से उनको कुर्सी पर बैठने के लिए नहीं कह सका।

डर था कि कहीं कोई टोक ना दे… कहीं किसी को एक भीख मांगने वाली बूढ़ी महिला के उनके बराबर में बिठाए जाने पर आपत्ति न हो जाए… लेकिन वो कुर्सी जिस पर मैं बैठा था मुझे काट रही थी…

लस्सी कुल्लड़ों मे भरकर हम सब मित्रों और बूढ़ी दादी के हाथों मे आते ही मैं अपना कुल्लड़ पकड़कर दादी के पास ही जमीन पर बैठ गया क्योंकि ऐसा करने के लिए तो मैं स्वतंत्र था…इससे किसी को आपत्ति नही हो सकती थी।

हां! मेरे दोस्तों ने मुझे एक पल को घूरा… लेकिन वो कुछ कहते उससे पहले ही दुकान के मालिक ने आगे बढ़कर दादी को उठाकर कुर्सी पर बैठा दिया और मेरी ओर मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर कहा-

“ऊपर बैठ जाइए साहब! मेरे यहां ग्राहक तो बहुत आते हैं किन्तु इंसान कभी-कभार ही आता है।”

अब सबके हाथों मे लस्सी के कुल्लड़ और होठों पर सहज मुस्कुराहट थी, बस एक वो दादी ही थीं, जिनकी आंखों मे तृप्ति के आंसू, होंठों पर मलाई के कुछ अंश और दिल में सैकड़ों दुआएं थीं।

न जानें क्यों जब कभी हमें 10-20 रुपए किसी भूखे गरीब को देने या उस पर खर्च करने होते हैं तो वो हमें बहुत ज्यादा लगते हैं। लेकिन सोचिए कि क्या वो चंद रुपए किसी के मन को तृप्त करने से अधिक कीमती हैं?

जब कभी अवसर मिले ऐसे दयापूर्ण और करुणामय काम करते रहें भले ही कोई आपका साथ दे या ना दे!