एक मूर्तिकार जंगल में जा रहा था और उसके दिमाग में ख्याल
आया कि क्यों ना मैं एक मूर्ति बनाऊ
धीरे धीरे वह आगे गया और उसको एक पत्थर दिखाई दिया छोटा पत्थर था
लेकिन वह उसको तराशने की कोशिश कर रहा था
तभी उसको एक आवाज सुनाई देती है कि रुक जाओ
मुझे मत तराशिये वह आस पास देखता है और वह यह
डिसाइड करता है कि ठीक है मैं को नहीं तराश रहा
थोड़ी देर बाद आगे जाता है तो बड़ा पत्थर दिखाई देता है
वह सोचता है कि मैं पत्थर पर बहुत अच्छी मूर्ति बना सकता हूं
उसने ऐसा ही किया और उस पत्थर पर बहुत अच्छी मूर्ति बनाई
लेकिन पत्थर ज्यादा भारी था और उसको ले जाने में उसको दिक्कत आई
तो उसने सोचा कि मैं तीन-चार दिन बाद आ सकता हूं और
इस मूर्ति को लेकर जा सकता हूं किसी को साथ मुझे लाना होगा वह गाँव मे चला गया
जब वह गांव में पहुंचा उसका स्वागत हुआ
क्यों कि गाँववालो ने एक मंदिर बनाया है और उसमें
वह मूर्ति की स्थापना करना चाहते हैं
मूर्तिकार ने बताया कि यह तो योग संयोग की बात है मैं अभी थोड़ी देर
पहले एक मूर्ति बनाकर
आया हु तो गाँव वाले उस पत्थर को उठाकर लेकर आए और पत्थर की पूजा हुई
तभी पीछे से बुजुर्ग ने कहा कि हमें एक और पत्थर की आवश्यकता है
क्योंकि नारियल फोड़ने के लिए भी तो पत्थर जरूरी है
तो उसने कहा कि मैं एक पत्थर वहां छोड़ कर आया था आप उस उसको भी लेकर आइए
अब आप देखिए योग संयोग कैसा है कि दोनों ही पत्थर एक ही मंदिर में विराजमान थे
लेकिन एक एक पत्थर पूजा जा रहा था और दूसरे पर नारियल फोड़े जा रहे थे
क्योंकि उसने परेशानी का मुकाबला करने से मना कर दिया
क्योकि उसको वह प्रतिरोध और वह प्रताड़ना झेलनी पड़ती
क्योंकि जब लोहे को तराशा जाता है तो उसको पीटा जाता है कुटा जाता है सोना
तभी सोना निकलता है
Sunday, October 9, 2022
परेशानी का मुकाबला
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