एक आदमी रेगिस्तान में फंस गया था
वह मन ही मन अपने आप को बोल रहा था कि यह कितनी अच्छी और सुंदर जगह है
अगर यहां पर पानी होता तो यहां पर कितने अच्छे-अच्छे पेड़ उग रहे होते
और यहां पर कितने लोग घूमने आना चाहते होंगे
मतलब ब्लेम कर रहा था
मतलब ब्लेम कर रहा था
कि यह होता तो वो होता और वो होता तो शायद ऐसा होता
ऊपरवाला देख रहा था अब उस इंसान ने सोचा यहां पर पानी नहीं दिख रहा है
उसको थोड़ी देर आगे जाने के बाद उसको एक कुआं दिखाई दिया जो कि
पानी से लबालब भरा हुआ था काफी देर तक
विचार-विमर्श करता रहा खुद से
विचार-विमर्श करता रहा खुद से
फिर बाद उसको वहां पर एक रस्सी और बाल्टी दिखाई दी इसके बाद कहीं से
एक पर्ची उड़ के आती है जिस पर्ची में लिखा हुआ था कि तुमने कहा था कि
यहां पर पानी का कोई स्त्रोत नहीं है अब तुम्हारे पास पानी का स्रोत भी है
अगर तुम चाहते हो तो यहां पर पौधे लगा सकते हो
वह चला गया दोस्तों
तो यह कहानी हमें क्या सिखाती है
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
अगर आप परिस्थितियों को दोष देना चाहते हो कोई दिक्कत नहीं है
लेकिन आप परिस्थितियों को दोष देते हो कि अगर यहां पर ऐसा हो और
आपको वह सोर्सेस मिल जाए तो क्या परिस्थिति को बदल सकते हो
एक पर्ची उड़ के आती है जिस पर्ची में लिखा हुआ था कि तुमने कहा था कि
यहां पर पानी का कोई स्त्रोत नहीं है अब तुम्हारे पास पानी का स्रोत भी है
अगर तुम चाहते हो तो यहां पर पौधे लगा सकते हो
वह चला गया दोस्तों
तो यह कहानी हमें क्या सिखाती है
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
अगर आप परिस्थितियों को दोष देना चाहते हो कोई दिक्कत नहीं है
लेकिन आप परिस्थितियों को दोष देते हो कि अगर यहां पर ऐसा हो और
आपको वह सोर्सेस मिल जाए तो क्या परिस्थिति को बदल सकते हो
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