Monday, June 24, 2024

बड़े-बड़े सपने

गाँव में एक युवा लड़काअर्जुनरहता था। उसकी आँखों में बड़े-बड़े सपने थे और दिल में असीम साहस।परंतुउसके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। अर्जुन के पिता एक साधारण किसान थे और माँगृहिणी। उनका गुजारा मुश्किल से हो पाता था। गाँव के लोग अर्जुन को उसके सपनों के लिए अक्सर तानेमारते थे। वे कहते, "अर्जुनतुम क्यों बड़े-बड़े सपने देखते होहमारे गाँव में तो किसी ने कभी कुछ बड़ा नहींकिया।"अर्जुन के पास एक ही सहारा था – उसकी आत्मा में अटूट विश्वास। उसे अपने दादा जी की कही एकबात हमेशा याद रहती, "कभी मत सोचो कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा पापहै।"एक दिनगाँव में एक महान साधु आए। उन्होंने लोगों को उपदेश दिया और अर्जुन ने भी उनके प्रवचन कोसुना। साधु ने कहा, "मनुष्य का आत्मविश्वास ही उसे महान बनाता है। अगर तुम सोचते हो कि तुम निर्बल होतो तुम पहले ही हार चुके हो।"अर्जुन ने साधु से मिलने का निश्चय किया। साधु ने अर्जुन की आँखों में चमकदेखी और पूछा, "बेटाक्या तुम मुझसे कुछ पूछना चाहते हो?"अर्जुन ने उत्तर दिया, "महाराजमेरे पास बहुतबड़े सपने हैंपरंतु लोग कहते हैं कि मैं उन्हें पूरा नहीं कर सकता। क्या सच में कुछ भी असंभव है?"साधुमुस्कुराए और बोले, "अर्जुनयह मत भूलो कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। जो व्यक्ति यह सोचताहै कि वह निर्बल हैवह सबसे बड़ा पाप करता है। अपनी आत्मा की शक्ति पर विश्वास रखो और अपने सपनोंको साकार करने के लिए कठिन परिश्रम करो।"यह सुनकर अर्जुन का आत्मविश्वास और भी बढ़ गया। उसनेठान लिया कि वह अपने सपनों को साकार करके रहेगा। अर्जुन ने पढ़ाई में और मेहनत कीखेती में अपने पिताकी मदद कीऔर अतिरिक्त काम करके कुछ पैसे भी कमाए। उसने अपनी शिक्षा के लिए धन एकत्र कियाऔर शहर के सबसे अच्छे विद्यालय में दाखिला लिया।शहर में अर्जुन को कई कठिनाइयों का सामना करनापड़ालेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसकी आत्मा की शक्ति और दृढ़ विश्वास ने उसे हर मुसीबत से पारपाने का साहस दिया। पढ़ाई के दौरानउसने कई बार निराशा का सामना कियापरंतु हर बार अपने दादा जीकी बातों को याद कर वह फिर से उठ खड़ा हुआ।समय बीतता गया और अर्जुन की मेहनत रंग लाई। उसनेअपनी शिक्षा पूरी की और एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक बन गया। अब वह अपने गाँव लौट आया थालेकिन इसबार एक बड़े वैज्ञानिक के रूप मेंजिसने नई-नई खोजें की थीं और विज्ञान की दुनिया में अपना नाम कमायाथा।गाँव के लोग अब उसकी ओर श्रद्धा से देखते थे। उन्हें अर्जुन पर गर्व था और वे अब समझ चुके थे किआत्मा की शक्ति और आत्मविश्वास से कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है।एक दिनअर्जुन ने गाँव केयुवाओं को संबोधित करते हुए कहा, "भाइयों और बहनोंकभी मत सोचो कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है।यह सबसे बड़ा पाप है। यदि तुम अपने आप पर विश्वास रखते हो और कठोर परिश्रम करते होतो कोई भीसपना इतना बड़ा नहीं होता जिसे तुम पूरा  कर सको।"अर्जुन की कहानी ने गाँव के युवाओं को प्रेरित किया।अब वे भी अपने सपनों को साकार करने के लिए जुट गए थे। अर्जुन का आत्मविश्वास और उसकी आत्मा कीशक्ति ने पूरे गाँव को एक नया दृष्टिकोण दिया था।अर्जुन की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि आत्मा कीशक्ति और आत्मविश्वास से कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है। हमें कभी भी अपने आप को या दूसरोंको निर्बल नहीं समझना चाहिए। आत्मा की असीम शक्ति और विश्वास हमें हर मुश्किल से पार ले जा सकतेहैं।अर्जुन की इस यात्रा ने साबित कर दिया कि वास्तव में, "कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभवहै। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप हैतो वो यही हैये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्यनिर्बल हैं।"

Friday, June 21, 2024

वाणी का महत्व

सूरजपुर एक शांत और हरा-भरा गाँव था। वहाँ के लोग मेहनती और सहृदय थेलेकिनकुछ समय से गाँव में एक अजीब सा माहौल बनने लगा था। लोग एक-दूसरे से कम बात करने लगे थे औररिश्तों में खटास  गई थी। इस गाँव में एक बहुत ही प्रभावशाली और सम्मानित व्यक्ति रहते थेजिनकानाम था रामनारायण।रामनारायण जी एक बहुत अच्छे किसान थे। उन्होंने अपने खेतों में हमेशा अच्छीफसलें उगाईं। उनकी मेहनत और ईमानदारी के चर्चे दूर-दूर तक थे। एक दिनउनके खेत में काम करने वालेएक मजदूर ने कहा, "रामनारायण जीआपकी जमीन अच्छी हैखाद भी अच्छा हैलेकिन पानी में खारापन गया है। इससे हमारी फसलें ठीक से नहीं उगेंगी।"रामनारायण जी ने ध्यान दिया और सच मेंपानी कास्वाद बदल गया था। उन्होंने तुरंत समाधान खोजने की कोशिश की और पास के तालाब से मीठा पानीलाकर सिंचाई करने लगे। धीरे-धीरे फसलें फिर से खिलने लगीं और खेतों में हरियाली लौट आई।रामनारायण जी ने इस अनुभव से एक महत्वपूर्ण सीख ली। उन्होंने सोचा, "जमीन अच्छी होखाद भीअच्छा होलेकिन अगर पानी खारा हो तो फसलें नहीं खिलतीं। क्या यही बात हमारे संबंधों पर भी लागूहोती है?" उन्होंने गाँव में फैली दूरियों और तनावों के बारे में सोचा और समझने की कोशिश की।रामनारायण जी ने देखा कि गाँव के लोग अपने कर्मों में तो अच्छे हैंलेकिन उनकी वाणी में कठोरता  गईहै। लोग एक-दूसरे से कड़वी बातें करते हैंजिससे उनके बीच संबंध खराब हो रहे हैं। उन्होंने महसूस कियाकि जैसे खारे पानी से फसलें नहीं उगतींवैसे ही कड़वी वाणी से संबंध नहीं टिकते।रामनारायण जी ने एकदिन गाँव की चौपाल में सभी को बुलाया और अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, "भाइयों और बहनोंजैसेहमारी फसलें अच्छी जमीन और अच्छे खाद के बावजूद खारे पानी से नहीं उग सकतींवैसे ही हमारे भावऔर कर्म अच्छे होने के बावजूद अगर हमारी वाणी खराब हैतो हमारे संबंध भी नहीं टिक सकते। हमेंअपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगातभी हम एक-दूसरे के करीब  सकेंगे।"गाँव के लोगरामनारायण जी की बातों से प्रभावित हुए। उन्होंने सोचा, "यह सच है कि हम एक-दूसरे से अच्छे कर्म करतेहैंलेकिन हमारी वाणी में मिठास नहीं है। हमें अपनी वाणी को सुधारना होगा।"गाँव वालों ने निर्णय लियाकि वे अपनी वाणी में बदलाव लाएंगे। उन्होंने एक-दूसरे से कड़वी बातें कहने की बजायप्रेमपूर्ण औरसम्मानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना शुरू किया। धीरे-धीरेगाँव का माहौल बदलने लगा। लोग फिर सेएक-दूसरे के साथ हंसी-खुशी से बात करने लगे। संबंधों में मिठास और अपनापन लौट आया।रामनारायणजी ने एक और कदम उठाया। उन्होंने गाँव में एक वाणी सुधार कार्यक्रम का आयोजन कियाजहाँ लोगोंको सिखाया गया कि कैसे वे अपनी वाणी में सुधार ला सकते हैं। इस कार्यक्रम में लोगों ने सीखा कि गुस्सेमें भी कैसे शांत और सम्मानजनक तरीके से बात की जा सकती है।कुछ ही महीनों मेंसूरजपुर गाँव कामाहौल पूरी तरह से बदल गया। अब वहाँ के लोग एक-दूसरे के साथ प्रेमपूर्वक बात करते और संबंधों कोमजबूत बनाते। गाँव में खुशहाली और शांति का माहौल लौट आया। रामनारायण जी के इस पहल काअसर सभी ने महसूस किया और उन्हें धन्यवाद दिया।रामनारायण जी ने अपनी इस सफलता का श्रेय गाँववालों को दिया और कहा, "हमने मिलकर इस बदलाव को संभव किया है। हमें हमेशा याद रखना चाहिएकि जैसे खारा पानी फसलों को खराब कर देता हैवैसे ही कड़वी वाणी हमारे संबंधों को खराब कर देतीहै। हमें अपनी वाणी में मिठास और प्रेम बनाए रखना चाहिएताकि हमारे संबंध भी सजीव और मजबूतरहें।"अंतयह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमारी वाणी का हमारे संबंधों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।भले ही हमारे भाव और कर्म अच्छे होंलेकिन अगर हमारी वाणी में कठोरता और कड़वाहट हैतो हमारेसंबंध नहीं टिक सकते। हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना चाहिएताकि हमारे संबंध मजबूतऔर खुशहाल रह सकें। जैसे फसलें अच्छी जमीन और खाद के बावजूद खारे पानी से नहीं उगतींवैसे हीहमारे संबंध भी कड़वी वाणी से टिक नहीं सकते।