Saturday, March 11, 2023

निरंतर बेहतर बनाने के लिए तैयार

एक बार एक लड़की ने सोचा कि वह जीतने के लिए तैयार नहीं है। उसने सोचा कि वह अपने विवेक को नहीं चुनती है और इसलिए उसके पास कोई अवसर नहीं होता है। उसे दुख होता है जब उसे अपने दोस्तों की तारीफ सुनती है, जो उससे कम होते हुए भी अधिक सफल होते हैं।

लेकिन एक दिन उसके दोस्तों ने उसे बताया कि वे भी एक समय में वहीं थे जहाँ वह थी। वे भी कठिनाईयों से गुजरे थे और वे भी हार-जीत के अंदर से निकले थे। उन्होंने उसे बताया कि सफलता एक दृढ़ इच्छा के साथ आती है और वे इसे नहीं हारने देते हैं।

यह सुनकर, उस लड़की को समझ में गया कि सफलता उसे मिल सकती है। वह अपने लक्ष्य के लिए कड़ी मेहनत करने लगी और अपने अंदर की शक्ति को पहचान लिया। वह उन दोस्तों की तुलना में नहीं थी, लेकिन उसने अपने लक्ष्य के लिए कठिनाईयों का सामना किया और उन्हें हराया।

अंततः, उस लड़की ने अपने लक्ष्य को हासिल कर लि

उस लड़की ने जो अंदर की शक्ति पहचानी थी, वह उसे एक मार्गदर्शक के रूप में भी काम आई। वह अब दूसरों को भी मार्गदर्शन देने के लिए तैयार थी। उसने अपनी जीत की कहानी को लोगों के साथ साझा किया और दूसरों को भी प्रेरणा देने लगी।

उस लड़की ने सफलता का मतलब समझा था - अपने लक्ष्य के लिए प्रतिबद्धता और कठिनाईयों का सामना करना। उसने सीखा कि सफलता सिर्फ उसे मिलती है जो अपने अंदर की शक्ति को पहचानता है और उसका उपयोग करता है।

इस कहानी से हम यह सीख सकते हैं कि सफलता के लिए केवल प्रतिबद्धता, बल्कि अपनी अंदर की शक्तियों को जानना भी बहुत ज़रूरी है। अगर हम खुद को निरंतर बेहतर बनाने के लिए तैयार रहेंगे तो हम अपने लक्ष्य को नहीं सिर्फ हासिल करेंगे, बल्कि दूसरों को भी प्रेरणा दे सकेंगे।


Thursday, March 2, 2023

जो भी कर रहे हो उसे पुरे जूनून और मेहनत के साथ कीजिये

 एक गांव के लड़के की घर की मजबूरी और पैसो की कमी की वजह से वह दूर शहर काम करने के लिए जाता है ताकि वहा से वह कुछ पैसे कमा पाए जिससे उसका और उसके घर वालो का खर्चा पूरा हो पाए।

वह लड़का काफी दिनों तक काम की तलाश करता है और आख़िरकार उसे काम मिल जाता है। वह लड़का अपना सारा काम पूरी ईमानदारी और मेहनत से पुरे दिन करता है यह देखकर उसका मालिक खुश हो जाता है।

अब 6 महीनो तक ऐसे ही चलता है 6 महीने बाद वह लड़का अपने मालिक को कहता है अब मैं कुछ दिनों के लिए वापिस अपने घर जाना चाहता हूँ और उस लड़के को पूरी उम्मीद थी की उसका मालिक उसे घर जाने से नहीं रोकेगा।

लेकिन उस लड़के के सोच से विपरीत, उसका मालिक कहता है नहीं तुम्हे दो माहिने का थोड़ा और काम करना है और फिर उसके बाद अपने घर जा सकते हो।

लड़के को थोड़ा गुस्सा आता है लेकिन वह अपने गुस्से को शांत करके मालिक से पूछता है बताईये मालिक कौन सा काम है उसका मालिक कहता है हमें एक घर खरीदना है तुम पुरे शहर में घूमो और तुम्हे जो सबसे अच्छा घर लगे वह घर खरीद लो और जैसे ही यह काम ख़त्म हो जाता है तुम वापिस अपने घर कुछ दिनों के लिए जा सकते हो।

यह सुनकर वह गांव का लड़का खुश हो जाता है और जल्दी-जल्दी घर को खरीदने का काम ख़त्म कर देता है वह मालिक के पास जाता है और कहता है मालिक मैंने सबसे अच्छा घर आपके लिए खरीद लिया है।

मालिक हैरान हो जाता है और कहता है सिर्फ 10 दिनों में तुमने अच्छा सा घर खरीद भी लिया गांव का लड़का कहता है हां ये घर काफी बढ़िया था इसलिए मैंने खरीद लिया और कहता है की क्या अब मैं अपने घर कुछ दिनों के लिए वापिस जा सकता हूँ।

मालिक कहता है नहीं तुम सिर्फ दो दिंनो के लिए अपने घर वापिस जा सकते हो गांव का लड़का कहता है अरे मालिक मुझे गांव जाने में ही एक दिन लगेगा तो कैसे भला मैं दो दिनों में वापिस आ जाऊ।

मुझे मेरे परिवार के साथ वक्त भी बिताना है मालिक खुश होकर कहता है की अब से तुम हमेशा अपने परिवार के साथ ही रहोगे जो घर मैंने तुम्हे खरीदने के लिए कहा था वह घर तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के लिए मेरे तरफ से एक तोफा है।

यह सुनकर वह गांव का लड़का खुश होने के वजाए मायूस हो जाता है और कहता है अगर मालिक आपने मुझे पहले कहा होता की ये घर आप मेरे लिए खरीद रहे हो तो मैं थोड़ी और जानकारी प्राप्त करके इससे और अच्छा घर खरीदता।

मालिक ने कहा मैंने तुम्हे दो महीने दिए थे और दस दिन में खरीद कर तुमने तुम्हारा नुसकान किया है।

इसी तरह जिंदगी में भी हमारे साथ यही होता है कहानी में जो मालिक था वह असल में वक्त था और हमेशा वक्त जाने के बाद कहते है की अगर मुझे पाता होता तो मैं इससे भी अच्छा कर देता इसलिए आप अभी जिंदगी में जो भी कर रहे हो उसे पुरे जूनून और मेहनत के साथ कीजिये क्या पाता आप आज जो काम कर रहे हो वो आने वाले समय में आपको जिंदगी बदल दे।

Sunday, February 26, 2023

प्रयाश ही जिंन्दगी

शहर के एक कालोनी में एक बुजुर्ग कपल अंकल और आंटी रहते थे वह कालोनी अभी जल्द ही बनी थी इसीलिए उसमे 4 से 5 घर बसे हुए थे। इनका बेटा इन्हे छोड़कर अपने पत्नी के साथ विदेश में रहता था क्योकि उसकी पत्नी ये नहीं चाहती थी की वह घर पर रहकर अपने सास-ससुर की मदद करे।

ये बुजुर्ग अंकल और आंटी जिस कॉलोनी में रहते थे उन्हें हमेशा से यह डर रहता था की कही कोई घटना ना हो जाये इसलिए वे ज्यादा घर से बाहर नहीं निकलते थे लेकिन उनका यह रूटीन था की वह हर सुबह सूरज निकलने के बाद टहलने के लिए निकल जाते थे।

एक दिन दोनों रोज की तरह ही सुबह को टहलने निकले थे उन्होंने देखा की एक लड़का तेजी से साइकिल चलाता हुआ जा रहा है और उस साइकिल के पीछे एक फावड़ा बँधा हुआ था लेकिन उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिए और चले गए।

दूसरे दिन उसी समय फिर से वह लड़का दिखा और उसी तरह तेजी से साइकिल चलाता जा रहा था, इसी तरह तीसरे और चौथे दिन भी वह लड़का दिखा।

पाचवे दिन आंटी जी ने अंकल जी से पूछा की ये लड़का हर रोज सुबह इसी समय तेजी से साइकिल चलाते हुए जाता है मुझे लगता है की कुछ गड़बड़ है कही ये लड़का कोई गलत काम करने तो नहीं जा रहा है।

लेकिन अंकल जी ने मना कर दिया की जा रहा होगा कही हमसे क्या, परन्तु आंटी जी बोली हमको देखना चाहिए की हमारे कॉलोनी में कोई गड़बड़ तो नहीं। अंकल जी बोले ठीक है अगले दिन हम इस लड़के का पीछा करेंगे और देखेंगे की ये जा कहा रहा है।

अगले दिन सुबह को फिर से वो लड़का तेजी से साइकिल चलाता निकला उनके पीछे अंकल और आंटी जी भी गयी। उन्होंने देखा की थोड़ी दूर जाने के बाद वह लड़का एक पेड़ के पास साइकिल खड़ी कर दी उसी पेड़ के पास थोड़ी सी खाली जमीन पड़ी थी और उसे वो खोदने लगा।

अंकल और आंटी जी कुछ देर तक देखते रहे की ये लड़का क्या कर रहा है लेकिन लड़का जमीन खोदे जा रहा था कुछ देर बाद उन्होंने लड़के से पूछा की आप ये जमीन क्यों खोद रहे हो।

लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा की अंकल जी मै आप दोनों को रोज देखता हूँ लेकिन आपको मुझसे डरने की जरुरत नहीं और यहाँ जमीन इसलिए खोद रहा हूँ की मेरी नयी-नयी नौकरी लगी है।

अंकल ने पूछा कहा नौकरी लगी है ऐसा कौन सा काम है जिसमे जमीन खोदनी है।

लड़के ने कहा मै बड़े दिन से बेरोजगार था फाइनली मुझे फॉर्म हॉउस में काम मिला है और उन्हें ऐसे लड़के की जरुरत है जिसे काम करने का अनुभव हो और मेरे पास कोई भी अनुभव नहीं है इसलिए मै रोज यहाँ फावड़ा लेकर आता हूँ और जमीन खोदने की प्रैक्टिस करता हूँ ताकि जैसे ही नौकरी पर काम सुरु हो उसमे हमें निकाल ना दिया जाये इसलिए रोजाना मेहनत कर रहा हूँ कोशिश कर रहा हूँ।

उस लड़के की बात सुनने के बाद अंकल और आंटी जी ने लड़के को आशीर्वाद दिया और बोला बहुत ही बढ़िया बात है प्रयाश ही जिंन्दगी में सब कुछ है। यह छोटी सी कहानी जिंदगी में बहुत बड़ी बात सिखाती है।


Thursday, February 23, 2023

ईमानदारी का फल

एक समय की बात हैएक बड़ा उद्योगपति अपनी कंपनी के लिए नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी की तलाश में था। उन्होंने एक विस्तृत रिक्तिविज्ञापन पत्र जारी किया जिसमें उन्होंने योग्य उम्मीदवारों से आवेदन करने का आह्वान किया।

उनके पास अनेकों आवेदन आए लेकिन उनमें से कोई भी उनकी निर्देशिकाओं और आशाओं को पूरा नहीं कर पाया। फिर एक आवेदक ने उनसे मुलाकात के लिए अनुरोध किया। उन्होंने उसे मुलाकात दी और उन्हें पूरी तरह से पसंद किया।

उस आवेदक ने बताया कि उन्होंने एक छोटी सी कंपनी चलाई है और उसे बड़ा करने का सपना है। लेकिन उसे उसमें सफलता नहीं मिल रही थी क्योंकि उसके कुछ कर्मचारी ईमानदार नहीं थे। उसने फिर से कर्मचारी रखने की कोशिश की लेकिन फिर भी वे अच्छी तरह से काम नहीं कर रहे थे।

फिर एक दिन उसने एक स्क्रीनिंग टेस्ट शुरू किया जिसमें वे उन लोगों को चुन सकते थे जो ईमानदार थे। यह वास्त

 

यह वास्तव में एक बड़ी चुनौती थीलेकिन यह आवेदक ने इसे स्वीकार कर लिया। उसने ईमानदारी को अपनी कंपनी के सबसे महत्वपूर्ण गुणों में सेएक बनाया।

उसने ईमानदार कर्मचारियों को सम्मान दिया और उन्हें अपने साथ कंपनी का हिस्सा बनाने का मौका दिया। इससे उसकी कंपनी दिन प्रतिदिन बढ़ती गई और उसके कर्मचारी भी खुश और मोटिवेटेड रहने लगे।

उस आवेदक ने बताया कि ईमानदारी का फल सिर्फ उसे ही नहीं बल्कि उसके कर्मचारियों को भी मिलता है। वे अपने काम में जोश से लगे रहते हैं और उन्हें अपने अधिकारी की निर्देशिकाओं का पालन करने में कोई परेशानी नहीं होती है।

अंततः, उस आवेदक को उद्योगपति ने अपनी कंपनी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया। वह अब अपनी सफलता के बारे में सोचता है और जानता है कि उसकी ईमानदारी उसे उस ऊंचाई तक ले जाएगी जो वह कभी सोच भी नहीं सकता था।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि

 

Wednesday, February 8, 2023

अविदया क्या है

एक बार जहाँ पनाह ने बीरबल से कहा बीरबल बताओ अविदया क्या है बीरबल ने कहा महाराज इस सवाल का जवाब देने के लिए मुझे चार दिन की छुटियाँ चाहिए

तो अबार ने पूछा की छुटिया क्यों चाहिए तो बिरल  ने कहा महाराज मैं परेशान हो गया हु

आपके सवाल का जवाब देते देते दिमाग थक गया है दिमाग को थोड़ा आराम चाहिए चार दिन के बाद जब वापस आऊंगा तो पके से बताऊंगा की अविदया क्या है अकबर ने कहा जैसे तुम्हें मंजूर है। 

बीरबल को चार दिन की छुटिया मिल गई वो घर गया घर जाने के बाद सीधा मोची के पास गया और मोची के पास जा कर के बोला एक ऐसी शानदार जूतियां बनाओ जिसे जो देखे देखता रह जाए  तो मोची ने बोला  कैसी बनानी है

थोड़ी नाप वाप बताओ तो बीरबल ने बोला नाप वाप कुछ नहीं एक बीती चोरी बना दो,  दो बीती लम्बी बना दो आराम से शानदार वाली बना दो तुम्हे जितना वक्त लेना है ले लो लेकिन उनमे हिरे जैवरात जरने है और सोने चांदी से सिलाई करनी है

ऐसी जुतिया बनानी है जिसे देखने के बाद लोगो के मुँह से बस वाह निकले तो मोची कहा जनाब बनवा किसके लिए रहे हो तो बिलबाल ने कहा ज्यादा सवाल जवाब मत कर और बनाने  के बाद तुम भूल जाना की तुमने बनाई है यही शर्त है। 

मोची ने कहा मंजूर है तीन दिन के बाद में मोची ने जुतिया बनादि बीरबल गए  पैसे दे दिए और फिर से बोल दिया की किसी से बोलना नहीं की तुमने बनाई है। 

फिर बीरबल ने क्या किया की एक जूते को अपने घर में जा के रख दी और दूसरी जो जूती थी उस जोड़े की उसको ले जा कर के महजिद में फेंक दिया।

  सुबह सुबह मौलवी साहब वाला पहुंचे नवाज़ पढ़ने के लिए वहा उन्हें वो जूती दिखाई दी हिरे जैवरात जरे हुए थे सोने चांदी की तारो से सिलाई की हुई थी। 

मौलवी साहब को लगा ये किसे आम इंसान की जूती तो हो ही नहीं  सकती उन्हें लगा की जरूर ऊपर वाले आए होंगे निचे नवाज पढ़ने के लिए और उनकी जूती  यहाँ छूट गयी होगी। 

मौलवी साहब ने उसे उठाया अपने आँखों से लगाया माथे से चूमा सर पर लगाया उसके बाद वहा  पे जितने लोग नवाज़ पढ़ने के लिए आ रहे थे उन सबको बताया की देखो भाइये ये जो जूती  छूट गयी है

मुझे तो लगता है की किसी आम आदमी की नहीं है ऊपर वाले की है लोगो ने बोला बिलकुल सही बोल रहे है जनाब बिलकुल ऊपर वाले की है

हर किसी ने वही किया सबने चूमा माथे पर रख  लिया उसके बाद ये बात जंगल में आग की तरह पुरे राज्य में फ़ैल गयी अकबर तक बात पहुंची जहा पनाह अकबर ने बोला की उस जूती को हमें ला कर दिखाई जाए जूती ले

  जाई गयी तो अकबर ने देखा तो बोला बिलकुल सही बोल रहे हो ये किसे आप इंसान की तो हो ही नहीं सकती ये जरूर ऊपर वाले की है।  ऊपर वाला निचे आया होगा नवाज पढ़ी होगी और जूती छूट गयी होगी उन्होंने भी

वही किया माथे से लगा लिया आखो से चुम लिया सर पर रख लिए उसके बाद अकबर ने कहा ये बहुत ही नायाब जूती है इसको ले जा कर के अच्छे से अस्थान पे रखदो और पूजा करो।  इसकी पूजा होनी चाहिए अच्छे से ध्यान  रखना है यही

आपको करना है अकबर का आदेश माना गया।  इधर चार दिन की छुटिया बीरबल की ख़त्म हो गयी बीरबल वापस आया उसका चेहरा उतरा हुआ था मुँह उदाश था अकबर ने पूछा क्या हुआ तुम तो ऐसे लग रहे हो जैसे की घर किसी की मौत हो गई हो 

तो बीरबल ने कहा क्या बताऊं जहा पनाह हमारे पर दादा की जूतियां थी चोर आएं एक जूती ले गए एक जूती छोर   गए अब हम परेशान चल रहे है वो हमारे दिल की इतनी करीब थी की आज तक हमने उसे बेचा नहीं था

बस अपने घर में रखा हुआ था तो अकबर ने कहा तुम्हारे पास वो जूती है बीरबल ने कहा हा जी हा है

अभी आपको देखता हु तो बीरबल ने जूती दिखाई अकबर का माथा ठनक गया अकबर ने कहा वो जो जूती रखवाई है उसको मंगवाओ वो जूती जहा पे रखवाई गई थी उसे मंगवाई गयी   जोड़ा जूतियो का बन गया बीरबल को  दिया गया

बीरबल ने कहा  महाराज यही अविदया है न आपको कुछ पता था ना उनको कुछ पता था न जिसको मिली उसको कुछ पता था सब बस भेड़ चाल में चले जा रहे थे इसे ही अविदया कहा गया है

Sunday, February 5, 2023

बड़े काम

सुमन के गाँव वाले हमेशा उसे पगली कहते थे क्योंकि वह कभी स्कूल नहीं गयी फिर भी वह जिन्दगी में कुछ बड़ा करने का सपना देखती थी । 

गाँव वाले सुमन के पिता जी पर इस बात को लेकर दबाव बनाते थे कि सुमन पढ़ी-लिखी नहीं है, इसलिए जल्द से जल्द इसकी शादी कर दो वरना आगे चलकर बहुत मुश्किल होगी । 

सुमन के पिता जी गाँव वालों की बात से पूरी तरह सहमत थे पर सुमन सहमत नहीं थी; उसे तो शादी नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नाम कमाना था; कुछ ऐसा करना था जिससे उस पर लोगों को बेटी होने पर गर्व होता । सुमन के लिए यह सब कुछ करना आसान नहीं था ।

गाँव वाले इस बात से बेखबर थे कि वाकई सुमन करना क्या चाहती थी । वह किसी को इस बारे में नहीं बताई थी कि वह एक अच्छी चित्रकार है;

उसे बचपन से चित्र बनाना अच्छा लगता था; शायद यही वह वजह थी कि उसका मन पढ़ने में नहीं लगता था और इस वजह से वह कभी स्कूल ही नहीं गयी ।

उसके पिता जी को उसका चित्र बनाना अच्छा नहीं लगता था । उन्होने कई बार सुमन के बनाए गए चित्र को आग के हवाले कर दिया था, फिर भी सुमन हार नहीं मानी; 

वह चित्रकारी करती गयी और करती गयी । जब सुमन नहीं मानी तो उसके पिता जी ने उसे उसके हाल पर छोड़ दिया था ।

एक दिन सुमन अपने कमरे में चित्र बनाने में इतना खोई हुई थी कि उसके पिता जी उसके पास जाकर खड़े हो गयें, उसे बिल्कुल ऐहसास नहीं हुआ 

 तो सुमन तुम नहीं मानोगी !” सुमन के पिता जी ने कहा, “ यह बेवकूफी वाला काम तुम्हारे किसी काम नहीं आने वाला है ।“

“ पापा, आप मुझे हमेशा नीचे क्यों गिराना चाहते हैं !” सुमन दुखी मन से बोली, “ मैं जिन्दगी में कुछ करना चाहती हूँ, आप मुझे बार-बार क्यों रोकते हैं ?”

“ अगर हमें इस गाँव में रहना है तो तुम्हें वही करना होगा जो गाँव वाले चाहते हैं ।“

“ कभी नहीं ! मैं जो चाहती हूँ, वही करुँगी चाहे जो हो जाए !” सुमन दृढ़ संकल्प से बोली, “ मुझे हराना किसी के लिए इतना आसान नहीं है ।”

“ तुम यह नहीं चाहती ना कि मैं तुम्हारे सारे सपनों को जलाकर राख कर दूँ !”

“ पापा, इंसान में इतनी ताकत कहाँ कि वह भगवान के दिए गए हुनर को जलाकर राख कर दे !” सुमन ने कहा, “ आपने मेरे बनाए गए चित्रों को जलाया है, मेरी हुनर को नहीं !”

“ गाँव वाले ठीक कहते हैं कि तुम्हारी लड़की पागल हो गयी है !” सुमन के पिता जी ने सख्त लहजे में कहा, “ उसे इलाज़ की जरुरत है !”

“ पापा, आपको पता होना चाहिए कि दुनिया में जो भी बड़े काम हुए हैं, पागलों ने ही किए है और करते रहेंगे ।“ सुमन बोली, “ मैं भी उन्हीं पागलों में से एक हूँ ।“

“ मुझे लगता है, तुम्हें समझाना बेकार है !” सुमन के पिता जी ने कहा और तुनकते हुए कमरे से बाहर चले गयें ।