Wednesday, March 2, 2022

गलत संगति

ये कहानी है मनीष नाम के लड़के की जो माध्यम वार्गिये परिवार में पैदा हुआ जो 12 क्लास  तक टॉप करता जा रहा था।  कमाल का बच्चा पढ़ने लिखें में सबसे आगे  फॅमिली को उस पर गरब था। 

फॅमिली को लगता था की ये बचा जब बड़ा हो जाएगा तो कुछ कमाल करेगा हम लोगों की जिंदगी बदल  देगा हमारी  फॅमिली में खुशियां आ जाएगी सब कुछ बदल देगा सिर्फ और सिर्फ ये लड़का। 

लेकिन वे लड़का जब 12  क्लास पास कर के कॉलेज में गया तो उसकी लाइफ बदल गयी उसके आस पास  ऐसे दोस्त आ गये जिन्होंने उसे बिगड़ के रखा दिया देर रात तक पार्टी चलने लगी  घर   वालों से झूट बोल कर के पैसा मंगाने लगा। 

घर वालों को समझ   में आ रहा था उन्होंने  एक दिन उसे समझाने  की कोसिस की लेकिन मनीष ने घर वालों को डाट दिया की आप  मुझे ज्ञान मत दीजिये मुझे सब कुछ मालूम है और आपकी ज्ञान से बात नहीं बनेगी आप सांत  रहिये मैं अपनी जिंदगी सही से जी लूंगा। 

घर वालो ने कुछ नहीं बोला।  एक साल के बाद में जब रिजल्ट आया तो मनीष एक सब्जेट में फ़ैल हो गया और जहा ये फ़ैल होने  वाली बात आई वही ये बात इसके ईगो को हर्ट कर गयी की जो लड़का 12  तक टॉप करता आ रहा था

वो कॉलेज में जाते ही फ़ैल कैसे हो सकता है और ये जो फ़ैल होने वाली बात थी इसके मन में इसके दिमाग में इतना घर कर गयी की ये घर में बंद हो गया एक कमरें में रहने लग गया घर वालो से बात करना बंद कर दिया दोस्तों के फ़ोन उठाना बंद कर दिया यहाँ तक की बहार आना जाना बंद कर दिया। 

मनीष धीरे धीरे डिप्रेशन  का सीकर हो रहा था।  उसे लग रहा था की उसकी लाइफ  में यही पे ब्रेक लग जाएगा सब कुछ  ख़त्म हो जाएगा।

मनीष जिस स्कूल में पढ़ता था जहा से 12 पास की थी वहा के  प्रिंसिपल को ये बात जब मालूम चली तो उन्होंने मनीष को अपने से मिलने के लिए बुलाया डिनर पे बुलाया  वो इनविटेशन ये मना  नहीं कर सकता था उसे मानना ही था की नेउता आया था। 

प्रिंसिपल  के पास जाना था तो मनीष पंहुचा साम में और इसने देखा की प्रिंसिपल साहब बगीचे में बैठे हुए थे अंगेठी पे हाथ ताप  रहे थे शर्दी का माहौल था ये भी जा कर के वह बैठ गया सर ने पूछा क्या हल चल है बेटा तो मनीष ने कुछ नहीं बोला 10-15 मिनट  तक उन्दोनो के बिच में बात चित नहीं हुई तो प्रिंसिपल साहब ने सोचा की क्या अलग किया जाए।

उन्होंने अंगेठी में एक एक कोइले का टुकड़ा जल रहा था और धधक के हुए टुकड़े को मिटी में फैक दिया जैसे ही उसे मिटी में फेका थोड़ी देर तो धधका और उसके बाद बुझ गया। 

तब मनीष ने बोला ये आपने  क्या किया जो कोइले का टुकड़ा अग्नि में धधक रहा था हमें गर्मी दे रहा था उसे बहार मिटी में फेक दिया बर्बाद कर दिया,

तो प्रिंसिपल ने कहा की बर्बाद कहा कर दिया कोनसी बरी बात हुई वापस इसको ठीक कर देते हैं। उन्होंने उस कोइले के टुकड़े को उठाया उस मिटी से और वापस से उसे अंगेठी में डाल  दिया वापस से वो  थोड़ी देर बाद  धधकने लगा गर्मी देने लगा तो प्रिंसिपल ने कहा बेटा  कुछ समझ में आया मनीष ने कहा नहीं तो फिर प्रिंसिपल ने कहा बेटे  मैंने   तुम्हे यही समझने के  लिए यहाँ बुला रहा था। 

ये जो कोइले का टुकड़ा  है ये  तुम हो , तुम जब अंगेठी से हबर आए गलत संगति में गए मिटी में गए तो बुझ गए लेकिन वापस से आ कर के जल सकते हो लेकिन शर्त ये है की अब अंगेठी में वापस आना होगा अपनी लाइफस्टाइल बदलनी होगी अपने दोस्त बदलने होंगे बस इतनी सी बात तुम्हे समझाने के लिए यह बुलाना चाहता था मनीष को सारी  बात समझ में आगयी उसकी लाइफ बदल गयी।

Friday, February 25, 2022

अच्छाई बुराई

ये कहानी है एक गरीब लड़के की एक ऐसा लड़का जिसके फैमिली  में ज्यादा पैसा नहीं था वो  स्कूल के बाद में  घर घर जा कर के सामान बेचता था और उस सामान से जो पैसा इसे मिलता था उस पैसे से वो स्कूल की फीस भरता था। 

ये लड़का एक दिन ऐसे ही दोपहर में निकला हुआ था सामान बेचने के लिए घर घर जा रहा था दरबाजा खाट खाटा रहा था।  उसे जोर की भूख भी लग रही थी तो उसने निर्णय लिया  की अब वो जिस भी घर का दरबाजा खाट  खटाएगा उसे पैसे के बदले खाना मांग लेगा। 

ये गया जा कर के दरवाजा  खाट  खटाया।  जब दरवाजा खुला तो अंगदर से एक लड़की निकली लड़की को  देख करके हका बका हो गया तो उसने अचानक से घबरा कर के  एक गिलास पानी मांग लिया,

एक गिलास पानी मिलेगा।  वो लड़की अंदर गयी किचन में जा करके सोचने लगी ये लड़का बड़ा परेशान सा हो रखा है

पसीना आ रहा है सामान लेके ढो रहा है इधर से उधर सामान बेच रहा है मुझे लगत है भूखा होगा तो उस लड़की ने एक गिलास दूध लेके आई और दूध  ला कर के इस लड़के को दे दिया और उस लड़के ने दूध पीलिया धीरे धीरे और सोच रहा था ऊपर वाला अभी है अभी भी  इंसानियत जिन्दा है

उपरवाले का धन्यवाद करनी चाहिए सारी  अच्छी बातें इसके दिमाग में आरही थी की दूसरे की मदद करनी चाहिए।  दूध  पिने के  बाद इस लड़के ने गिलास वापस दिया और बोलै की इसके बदलें में  कितने पैसे दू  तो लड़की ने कहा की पैसे  क्यों दोगे,

मेरी मां हमेसा मुझे कहती है की अगर किसी  की मदद करे तो पैसे नहीं लेनी चाहिए  तो आप कुछ मत दीजिये तो फिर इस लड़ने ने कहा की तो आप कुछ सामान खरीद  लीजिये कुछ लेना है  खरीदना है 

तो लड़की ने कहा की हमें कोई सामान नहीं चाहिए तो फिर इस लड़के ने कहा की तो फिर मैं आपको सिर्फ इतना कहूंगा की दिल से धन्यवाद आपने मेरी मदद की मुझे भूख  लगी थी

अपने भूखे को दूध पीला दिया बहुत बहुत शुक्रिया ऐसा बोल कर के वो वहां  से चल दिया और  गली में जब जा रहा था तो सोच रहा था की इंसानियत अभी जिन्दा है वो लड़की मेरे लिए एक गिलास दूध लेके आ गयी मेरी मदद कर दी ऊपर वाल  मदद करता है।

बहुत सारी अच्छी  अच्छी बाते इसके दिमाग में चल रही थी।  ये बात आयी गयी हो गयी  इस लड़के ने पढ़ाई पूरी की स्कूल की पढ़ाई  पूरी की कॉलेज की पढ़ाई  पूरी की उसके बाद बड़े शहर में बड़ा  डॉक्टर बन गया इधर ये जो लड़की थी जब वो बड़ी हो रही थी तो इसकी फैमिली  की इस्तिथि बदल गयी। 

इस लड़की की तबियत बिगड़ गयी वहा  के लोकल डॉक्टर ने कहा इसे बड़े  शहर में ले जाइये बड़े  डॉक्टर को दिखाइए तो इसे ले जा कर के एक बड़े से हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया गया। 

वही हॉस्पिटल जहा  ये लड़का डॉक्टर बन चूका था इस लड़के के  पास में वो केस आया की इस तरीके से एक लड़की सीरियस इस्तिथि में  है 

बीमार है ICU में रखी गयी है इन्होने  उसके बारे में पढ़ा गांव का नाम पढ़ा तो इसे याद आया की ये तो वही लड़की है।  जा कर के देखा तो उसे समझ आया की ये तो वही लड़की है

इसकी तो मदद करनी चाइये इसने और एक्सपर्ट डॉक्टर को बुलाया सारी  जी जान लगादी उसको ठीक करने में.  अंततः उसकी तबियत धीरे धीरे ठीक होने लगी। 

जब वो ठीक  हो  गयी तो डॉक्टर साहब ने इलाज के बाद में जो  बिल जाता है उसे लिफाफे में  एक छोटा सा नोट पेन से लिख कर के उसमे जोर दिया। 

तो ये लिफाफा जब इस लड़की के पास में पहुँचता है जब वो ठीक हो चुकी थी तो इसने देखा की इसके पास में बिल आ चूका है तो ये घबरा गयी क्यों की ये ठीक तो हो चुकी थी

लेकिन इसके फैमिली  की इस्तिथि ऐसी नहीं थी की ये अब बिल भर सके तो ये सोचने लगी की पता नहीं कितने का बिल आया होगा इसने वो लिफाफा खोला उसमे उस इलाज के बारे में सब कुछ लिखा हुआ था और साथ में एक छोटी सी पर्ची चिपका हुआ था

जिसपे पेन से कुछ लिखा हुआ था तो जब उसने ध्यान से उसे पढ़ा तो उस पर लिखा हुआ था की आपने  इलाज का बिल बहुत सालों  पहले एक गिलास दूध से pay कर दिया गया है

डॉक्टर साहब वहा  पहुंचे उसको देख कर के इस लड़की ने भी पहचान लिया और उसने कहा आपका दिल से धन्यवाद।  अपने उस दिन मुझे दिल से धन्यवाद कहा था आज मैंने आपको दिल धन्यवाद। 

ये   छोटी सी कहानी जिंदगी में  बरी बात  सिखाती है अगर आप अच्छा करतें हैं तो जिंदगी में अच्छाई  घूम  कर के अच्छाई  अपने पास जरूर आएगी और अगर आप बुरा करते है तो वो बुराई घूम फिर के आपके पास जरूर आएगी।

Tuesday, February 22, 2022

जीवन की सड़क

एक बार, एक राजा ने अपने राज्य में रहने वाले लोगों के लिए एक महान राजमार्ग का निर्माण किया। इसके पूरा होने के बाद, लेकिन इसे जनता के लिए खोलने से पहले, राजा ने एक प्रतियोगिता का फैसला किया। 

उन्होंने भाग लेने के लिए अपने कई विषयों को आमंत्रित किया। यह चुनौती यह देखने के लिए थी कि राजमार्ग का सबसे अच्छा सफर कौन कर सकता है, और विजेता को सोने का एक बॉक्स प्राप्त करना था।

प्रतियोगिता के दिन, सभी लोग आए। उनमें से कुछ के पास बढ़िया रथ थे, कुछ के पास यात्रा को शानदार यात्रा बनाने के लिए बढ़िया कपड़े और फैंसी भोजन था।

कुछ ने अपने स्टर्डेस्ट जूते पहने और अपने कौशल को दिखाने के लिए अपने पैरों पर राजमार्ग पर भागे। पूरे दिन उन्होंने राजमार्ग पर यात्रा की, और अंत में पहुंचने पर हर एक ने राजा को चट्टानों और मलबे के एक बड़े ढेर के बारे में शिकायत की, जो एक बिंदु पर सड़क को लगभग अवरुद्ध कर दिया गया था, और जो उनके रास्ते में आ गया उनकी यात्रा में बाधा उत्पन्न की।

दिन के अंत में, एक अकेला यात्री युद्ध के दौरान फिनिश लाइन को पार कर राजा के पास चला गया। वह थका हुआ और गंदा था, लेकिन उसने राजा को बहुत सम्मान के साथ संबोधित किया और उसे सोने की एक छोटी सी छाती सौंपी। 

उन्होंने कहा, “मैं चट्टानों और मलबे के ढेर को साफ करने के रास्ते पर रुक गया था जो सड़क को अवरुद्ध कर रहा था। सोने का यह संदूक इसके नीचे था। कृपया इसे इसके सही मालिक को लौटा दें।”

राजा ने जवाब दिया, “आप सही मालिक हैं।”

“अरे नहीं,” यात्री ने कहा, “यह मेरा नहीं है। मैंने कभी भी इस तरह के पैसे को नहीं जाना है।”

“ओह हाँ,” राजा ने कहा, “आपने यह स्वर्ण अर्जित किया है, क्योंकि आपने मेरी प्रतियोगिता जीती है। वह जो सड़क पर सबसे अच्छा यात्रा करता है,

वह वह है जो उन लोगों के लिए सड़क को बेहतर बनाता है जो अनुसरण करेंगे।” जीवन की सड़क यात्रा के रूप में ज्ञान के उन शब्दों को याद रखें!

Sunday, February 20, 2022

खुशियां ढूंढिए

एक ऐसे व्यक्ति की जो ऑफिस में काम किया करता था।  ऑफिस के काम के प्रेस्सेर की वजह से बहुत परेशान रहा करता था की इतना सारा काम है बॉस  की डांट  सुने को मिलती है

वही जो गुस्सा था ऑफिस का घर आकर के  बच्चों पे निकालता  था  बीवी पे निकलता था घर में झगड़ा करता था। उसे लग रहा था की उसकी लाइफ का होना न होना बराबर है।

जब कोई दोस्तों के कॉल आते थे तो कॉल कट कर देता था रिश्तेदारों के आते थे गुस्सा करने लगता था।  एकदिन  ये अपने घर में ऐसे ही बैठा हुआ था

उसका बच्चा इसके पास में आया और आकर के बोला  की पापा मेरी मदद कर दीजिये मुझे होम वर्क करवा दीजिये तो फिर इसने अपने बच्चे को डाट  दिया डाट  कर के भगा दिया की जाओ यहाँ  से मैं होम वर्क करने के लिए बैठा हु यहाँ पे। 

थोड़ी देर के बाद में जब इसका गुस्सा ठंडा हुआ तो इसको लगा की जाकर के एक बार बच्चे की मदद करनी चाहिए उसका होम वर्क करवाना चाहिए तो ये उस बच्चे के कमरे में गया तो देखा बैठा की वो सो चूका था

बच्चे ने होम वर्क की कॉपी उसने अपने  सर पे रखी हुई थी होम वर्क करते  करते ही सो गया था इसने कॉपी उठाया  और इसको लगा की इस कॉपी को निचे रखा देतें है ताकि बच्चा आराम से सो सके लेकिन जैसे ही ये कॉपी निचे रखने वाला था

इसने पढ़ा की इसमें लिखा क्या हुआ है इसको लगा की एक बार पढ़ लेते हैं बच्चा काम क्या कर रहा था ऐसा जिसमे इसको मदद चाहिए थी तो जो होम वर्क था उसका शिरस्क था “

वो काम जो  हमें शुरू में अच्छे नहीं लगते लेकिन   बाद में धीरे धीरे धीरे अच्छे लगने लगतें हैं” इस शिरस्क पे बच्चे को एक निबंध  लिखना  था बच्चे ने एक पेराग्राफ लिख दिता था तो  इसने पढ़ना शुरू किया बच्चे ने सबसे पहले लिखा था

थैंक यू  सो मच   फाइनल एग्जाम  का जो शुरू में हमें बुरे  लगते लेकिन उनकी वजह से बाद में गर्मियों की छुटियाँ  आ जाती हैं, थैंक यू  सो मच  उन बेस्वाद कर्वी लगने  वाली दवाइयों का जो शुरू में तो बिलकुल अच्छी नहीं लगती लेकिन बाद में उनकी वजह से हम सब कोई ठीक हो जातें हैं

फिर उस  बच्चे ने आगे लिखा  थैंक यू  सो मच  उस अलार्म क्लॉक का जो सुबह सुबह हमें जगा  देती है हमें अच्छा नहीं लगता लेकिन उसकी वजह से जब हम जाग जाते तो हमें मालूम चलता है की हम जिन्दा है,

थैंक यू  सो मच  ऊपर वाले का भगवन को उस बच्चे ने धन्यावद कहा की आपकी वजह से मेरे पापा मेरी जिंदगी में आएं , मेरे पापा शुरू में तो मुझे डाटते  है मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता लेकिन बाद में  मुझे घूमने के लिए ले जातें हैं

अच्छा अच्छा खाना खिलतें हैं खिलोने दिलाते हैं तो ऊपर वाले आपका धन्यवाद की आपने  मेरे पापा को मेरी लाइफ में भेजा क्यों की मेरे एक दोस्त  तो पापा ही नहीं हैं। 

ये जो आखरी की लाइन थी इस लाइन ने इस आदमी को झंझोर दिया  अंदर तक हिला कर के रख दिया ये  नींद से जग गया और इसको लगा की इसकी लाइफ में क्या कुछ है जो ये होते हुए भी  मिस कर रहा है

उस बच्चे के निबंद को कॉपी करते हुए ये बरबराने लगा बोलने लगा हे ऊपर वाले थैंक यू  सो मच आपकी वजह से मेरे पास में घर है कइयों  के पास तो घर भी नहीं क्या हुआ अगर मैं EMI  चूका रहा  हु

तो इसके बाद उसने बोला  थैंक यू  सो मच  ऊपर वाले आपकी वजह से मेरे पास में परिवार है  कइयों  के पास तो परिवार भी नहीं होता वो दुनिया में अकेले होतें हैं

इस आदमी ने बोलाथैंक यू  सो मच ऊपर वाले आपकी वजह से मेरे पास ऑफिस है वर्क है वर्क प्रेशर है  थोड़ा  प्रेशर है मेरे पास में  जॉब तो है कइयों के पास तो जॉब होती ही नहीं हैं, हे ऊपर थैंक यू  सो मच इस लाइफ के  लिए  जो आपने   मुझे दी।  छोटी सी कहानी बहुत बड़ा  पॉजिटिव  का मांत्र देती है जिंदगी में जो मिला है उसमे खुशियां ढूंढिए। 

Sunday, February 13, 2022

वही सिकंदर है

एक बार की बात है एक राज्य में राजा का दरबार लगा था और शर्दियों के दिन थे इसलिए दरबार खुले में धुप में लगा हुआ था सब लोग बैठे हुए थे  दीवान थे मंत्री थे राजा के पंडित थे राजा के परिवार के लोग थे हर कोई बैठा हुआ था।

  राजा साहब के सामने एक मेज रखवा दी गयी थी तभी अचानक से भीड़ में से एक आदमी बहार आता है और कहता है की मुझे राजा साहब से मिलना  है मेरे पास में दो चीजें हैं  जिनकी  मैं परीक्षा लेना चाहता हु राजा साहब तक बात पहुचायी गयी

राजा साहब ने बोला आने दीजिये उस आदमी को दरबार में आने की इजाज़त दी गयी जो की खुले में  लगा हुआ था राजा के सामने में वो व्यक्ति पंहुचा इजाज़त ले कर के राजा साहब ने कहा

बताओ बात क्या है उस इंसान ने कहा मेरे पास में दो चीजें है एक जैसी दिखने वाली  एक जैसे आकर की बिलकुल एक जैसी लेकिन इन मेसे एक हिरा है

और एक कांच है लेकिन मैं कई राज्यों में गया  हु कई राजाओ से मिला हु लेकिन कोई भी ये नहीं बता पाया की कौन सा असली है और कौन सा नकली है आपकी भी परीक्षा लेना चाहता हु और  में जानना चाहतो  हूँ  की आपके दरबार कोई

बुद्धिमान है जो ये बता सके की और अगर आपके राज्य में किसी ने बता दिया तो हिरा आपके राज्य के खजानेमे जमा करवा दूँगा और अगर नहीं बताया तो इस हिरे का जो कीमत है

वो आपको मुझे देनी होगी बस ऐसे ही मैं जीतता चला आ रहा हु राजा साहब  ने कहा ठीक है लाया   जाए  राजा साहब के सामने जो मेज राखी हुई थी उस पर उन दोनों चीजों  

को रखा गया एक एक हिरा था और एक नकली हिरा था।  राजा साहब ने कहा अपने दिवानो से  मंत्रिओं से  सब लोगों से कहा एक एक कर के आइ ये और बताइये कुछ लोगों ने हिमत की और कुछ लोगो ने सोचा की  अगर राजा साहब हर गए तो उल्टा दोष हम पर आ जाएगा तो लोग आगे नहीं आएं। 

राजा साहब को भी समझ में नहीं आ रहा था की यहाँ तो हार उनकी होती जा रही है  तभी भीड़ में से एक अंधे बाबा बहार  निकल कर के आए और उन्हों ने कहा की

मुझे राजा साहब से मिलने दिया जाए मैं एक बार कोशिश करना चाहता हु राजा साहब तक बात पहुँचाई गयी।  की एक अंधे बाबा है वो आना चाहते है

वो भी एक बार कोसिस करना चाहते हैं राजा साहब  ने कहा ठीक है जब कोई  मान नहीं रहा कुछ  हो नहीं रहा है तो इनको भी एक बार मौका दिया जाए वो अंधे बाबा  आगे आए और एक मिनट में उन्हों ने बता दिया की असली हिरा कोन सा है

और नकली हिरा कोन सा है हर कोई चौंक गया हर कोई खुश  हो गया सब बोलने लगें क्या बात है राजा का सम्मान बच गया राजा राज्य में नया  हिरा आ गया

हिरे को तिजोरी में जमा करने की तैयारियाँ होने लगी लेकिन इस सब के बिच में राजा साहब ने पूछा बाबा एक बात तो बताओ अपने पहचना कैसे  बूढ़े बाबा ने कहा बहुत आसान था

हम खुले में बैठें है, धुप में बैठे हैं जो धुप में  गरम हो गया वो कांच  और जो ठंडा रह गया वो हिरा।  इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है की जिंदगी में हम छोटी छोटी बातो पर गुसा करते हैं नाराज होतें है.

अपनों से नाराज होते हैं और हमरी से  जिंदगी दोस्त काम होते चले जाते है  अपने काम होते चले जाते है रूठते चले जाते हैं।  जिसने जिंदगी में आपा नहीं खोया , विपरीत परिस्तिथियों में भी  खरा रहा ठंडा रहा वही जीता है वही सिकंदर कैहै लाता है।

Saturday, February 12, 2022

स्वर्ग और नर्क

एक पवित्र व्यक्ति एक दिन प्रभु के साथ वार्तालाप कर रहा था और कहा, ‘भगवान, मैं जानना चाहूंगा कि स्वर्ग और नर्क क्या हैं।

यहोवा ने पवित्र व्यक्ति को दो दरवाजों तक पहुँचाया। उसने दरवाजे में से एक खोला और पवित्र आदमी अंदर देखा। कमरे के बीच में एक बड़ी गोल मेज थी। मेज के बीच में स्टू का एक बड़ा बर्तन था, जिसमें स्वादिष्ट गंध थी और पवित्र आदमी के मुंह का पानी बना था।

मेज के चारों ओर बैठे लोग पतले और बीमार थे। वे अकालग्रस्त दिखाई दिए। वे बहुत लंबे हैंडल वाले चम्मच पकड़ रहे थे जो उनकी बाहों में जकड़े हुए थे और प्रत्येक को स्टू के बर्तन में पहुंचने और एक चम्मच लेने के लिए संभव था। 

लेकिन क्योंकि हैंडल उनकी भुजाओं से अधिक लंबा था, इसलिए वे चम्मचों को अपने मुंह में वापस नहीं ला सके। उनके दुख और पीड़ा को देखकर पवित्र व्यक्ति कांप गया।

प्रभु ने कहा, ‘तुमने नर्क देखा है।’

उन्होंने बगल के कमरे में जाकर दरवाजा खोला। यह पहले वाले के समान ही था।

स्टू के बड़े बर्तन के साथ बड़ी गोल मेज थी जो पवित्र आदमी के मुंह का पानी बनाती थी। लोग एक ही लंबे समय तक चलने वाले चम्मच से लैस थे, लेकिन यहां लोग अच्छी तरह से पोषित थे और हँस रहे थे, बातें कर रहे थे।

पवित्र व्यक्ति ने कहा, ‘मुझे समझ नहीं आया।’

‘यह सरल है,’ प्रभु ने कहा। ‘इसके लिए एक कौशल की आवश्यकता होती है। आप देखें कि उन्होंने एक-दूसरे को खाना खिलाना सीखा है, जबकि लालची केवल अपने बारे में सोचते हैं।

सही तरीका

एक युवा जोड़ा एक नए पड़ोस में चला गया। अगली सुबह जब वे नाश्ता कर रहे थे, तो युवती ने अपने पड़ोसी को वॉश बाहर लटकाते हुए देखा। “वह कपड़े धोने बहुत साफ नहीं है,” उसने कहा। “वह नहीं जानती कि कैसे सही तरीके से धोना है। शायद उसे बेहतर कपड़े धोने वाले साबुन की जरूरत है।”

उसके पति ने देखा लेकिन चुप रहा।

हर बार जब उसका पड़ोसी सूखने के लिए अपने कपड़े धोता था, तो युवती भी यही टिप्पणी करती थी।

लगभग एक महीने बाद, महिला को लाइन पर एक अच्छा साफ धोना देखकर आश्चर्य हुआ और उसने अपने पति से कहा, “देखो, उसने सही तरीके से धोना सीख लिया है। मुझे आश्चर्य है कि उसे यह किसने सिखाया।”

पति ने कहा, “मैं आज सुबह जल्दी उठा और हमारी खिड़कियां साफ कीं।”