Thursday, January 12, 2017

माँ की ममता

बेटे के जन्मदिन पर .....
रात के 1:30 बजे फोन आता है, बेटा  फोन उठाता है तो माँ बोलती है....
"जन्म दिन मुबारक लल्ला"
बेटा गुस्सा हो जाता है और माँ  से कहता है - सुबह फोन करती। इतनी रात को नींद खराब क्यों की? कह
कर फोन रख देता है। थोडी देर बाद पिता का फोन आता है। बेटा पिता पर गुस्सा नहीं करता, बल्कि कहता है ..." सुबह फोन करते " फिर पिता ने कहा - मैनें तुम्हे इसलिए फोन किया है कि तुम्हारी माँ पागल है, जो तुम्हे इतनी रात को फोन किया। वो तो आज से 25 साल पहले ही पागल हो गई थी। जब उसे डॉक्टर ने ऑपरेशन करने को कहा और उसने मना किया था। वो मरने के लिए तैयार हो गई, पर ऑपरेशन नहीं करवाया।
रात के 1:30 को तुम्हारा जन्म हुआ। शाम 6 बजे से रात 1:30 तक वो प्रसव पीड़ा से परेशान थी ।
लेकिन तुम्हारा जन्म होते ही वो सारी पीड़ा भूल गय ।उसके ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । तुम्हारे जन्म से
पहले डॉक्टर ने दस्तखत करवाये थे, कि अगर कुछ हो जाये, तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे।
तुम्हे साल में एक दिन फोन किया, तो तुम्हारी नींद खराब हो गई......मुझे तो रोज रात को 25 साल से, रात के 1:30 बजे उठाती है और कहती है, देखो हमारे लल्ला का जन्म इसी वक्त हुआ था। बस यही कहने के लिए तुम्हे फोन किया था। इतना कहके पिता फोन रख देते हैं। बेटा सुन्न हो जाता है। सुबह माँ के घर जा कर माँ के पैर पकड़कर माफी मांगता है....तब माँ कहती है, देखो जी मेरा लाल आ गया। फिर पिता से माफी मांगता है, तब पिता कहते हैं .....आज तक ये कहती थी, कि हमे कोई चिन्ता नहीं;हमारी चिन्ता करने वाला हमारा लाल है।
पर अब तुम चले जाओ, मैं  तुम्हारी माँ से कहूंगा कि चिन्ता मत करो। मैं तुम्हारा हमेशा की तरह आगे भी
ध्यान रखुंगा। तब माँ कहती है -माफ कर दो, बेटा है। सब जानते हैं दुनियाँ में एक माँ ही है, जिसे जैसा चाहे कहो, फिर भी वो गाल पर प्यार से हाथ फेरेगी। पिता अगर तमाचा न मारे, तो बेटा सर पर बैठ जाये। इसलिए पिता का सख्त होना भी जरुरी है।
*माता पिता को आपकी*
*दौलत नही, बल्कि*
*आपका प्यार और*
*वक्त चाहिए। उन्हें प्यार*
*दीजिए। माँ की ममता*
*तो अनमोल है।*

Tuesday, January 10, 2017

राम नाम की महिमा

महादेव जी को एक बार बिना कारण के किसी को प्रणाम करते देखकर पार्वती जी ने पूछा आप किसको प्रणाम करते रहते हैं?
शिव जी ने अपनी धर्मपत्नी पार्वती जी से कहते हैं की, हे देवी! जो व्यक्ति एक बार *राम* कहता है उसे मैं तीन बार प्रणाम करता हूँ।

पार्वती जी ने एक बार शिव जी से पूछा आप श्मशान में क्यूँ जाते हैं और ये चिता की भस्म शरीर पे क्यूँ लगते हैं?
उसी समय शिवजी पार्वती जी को श्मशान ले गए। वहाँ एक शव अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। लोग *राम नाम सत्य है* कहते हुए शव को ला रहे थे।
शिव जी ने कहा की देखो पार्वती इस श्मशान की ओर जब लोग आते हैं तो *राम* नाम का स्मरण करते हुए आते हैं। और इस शव के निमित्त से कई लोगों के मुख से मेरा अतिप्रिय दिव्य *राम* नाम निकलता है उसी को सुनने मैं श्मशान में आता हूँ, और इतने लोगो के मुख से *राम* नाम का जप करवाने में निमित्त बनने वाले इस शव का मैं सम्मान करता हूँ, प्रणाम करता हूँ, और अग्नि में जलने के बाद उसकी भस्म को अपने शरीर पर लगा लेता हूँ। *राम* नाम बुलवाने वाले के प्रति मुझे इतना प्रेम है।

एक बार शिवजी कैलाश पर पहुंचे और पार्वती जी से बहुजन माँगा। पार्वती जी विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर रहीं थी। पार्वती जी ने कहा अभी पाठ पूरा नही हुआ, कृपया थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए। शिव जी ने कहा की इसमें तो समय और श्रम दोनों लगेंगे। संत लोग जिस तरह से सहस्र नाम को छोटा कर लेते हैं और नित्य जपते हैं वैसा उपाय कर लो।
पार्वती जी ने पूछा वो उपाय कैसे करते हैं? मैं सुन्ना चाहती हूँ।
शिव जी ने बताया, केवल एक बार *राम* कह लो तुम्हे सहस्र नाम, भगवान के एक हज़ार नाम लेने का फल मिल जाएगा। एक *राम* नाम हज़ार दिव्य नामों के समान है। पार्वती जी ने वैसा ही किया।

पार्वत्युवाच -
*केनोपायेन लघुना विष्णोर्नाम सहस्रकं?*
*पठ्यते पण्डितैर्नित्यम् श्रोतुमिच्छाम्यहं प्रभो।।*
ईश्वर उवाच-
*श्री राम राम रामेति, रमे रामे मनोरमे।*
*सहस्र नाम तत्तुल्यम राम नाम वरानने।।*

यह *राम* नाम सभी आपदाओं को हरने वाला, सभी सम्पदाओं को देने वाला दाता है, सारे संसार को विश्राम/शान्ति प्रदान करने वाला है। इसीलिए मैं इसे बार बार प्रणाम करता हूँ।

*आपदामपहर्तारम् दातारम् सर्वसंपदाम्।*
*लोकाभिरामम् श्रीरामम् भूयो भूयो नमयहम्।।*

 भव सागर के सभी समस्याओं और दुःख के बीजों को भूंज के रख देनेवाला/समूल नष्ट कर देने वाला, सुख संपत्तियों को अर्जित करने वाला, यम दूतों को खदेड़ने/भगाने वाला केवल *राम* नाम का गर्जन(जप) है।

*भर्जनम् भव बीजानाम्, अर्जनम् सुख सम्पदाम्।*
*तर्जनम् यम दूतानाम्, राम रामेति गर्जनम्।*

प्रयास पूर्वक स्वयम् भी *राम* नाम जपते रहना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करके *राम* नाम जपवाना चाहिए। इस से अपना और दोसरों का तुरन्त कल्याण हो जाता है। यही सबसे सुलभ और अचूक उपाय है।  इसीलिए हमारे देश में प्रणाम *राम राम* कहकर किया जाता है।

Sunday, January 8, 2017

अहंकार युक्त जीवन

एक पति-पत्नी में तकरार हो गयी ---
पति कह रहा था :
"मैं नवाब हूँ इस शहर का लोग इसलिए मेरी इज्जत करते
है और तुम्हारी इज्जत मेरी वजह से है।"
पत्नी कह रही थी :
"आपकी इज्जत मेरी वजह से है। मैं चाहूँ तो आपकी
इज्जत एक मिनट में बिगाड़ भी सकती हूँ और बना भी सकती हूँ।"
नवाब को तैश आ गया।
नवाब बोला :" ठीक है दिखाओ मेरी इज्जत खराब
करके।"
बात आई गई हो गयी।
नवाब के घर शाम को महफ़िल जमी थी दोस्तों की हंसी मजाक हो रहा था कि
अचानक नवाब को अपने बेटे के रोने की आवाज आई ।
वो जोर जोर से रो रहा था और नवाब की पत्नी बुरी तरह उसे डांट रही थी।
नवाब ने जोर से आवाज देकर पूछा कि क्या हुआ बेगम क्यों डाँट रही हो?
तो बेगम ने अंदर से कहा कि देखिये न---आपका बेटा खिचड़ी मांग रहा है और जब भर पेट खा चुका है।
नवाब ने कहा कि दे दो थोड़ी सी और बेगम ने कहा घर में और भी तो लोग है सारी इसी को कैसे दे दूँ?
पूरी महफ़िल शांत हो गयी ।
लोग कानाफूसी करने लगे कि कैसा नवाब है ?
जरा सी खिचड़ी के लिए इसके घर में झगड़ा होता है।
नवाब की पगड़ी उछल गई।
सभी लोग चुपचाप उठ कर चले
गए घर में अशांति हो रही है देख कर।
नवाब उठ कर अपनी बेगम के पास आया और बोला कि मैं मान गया तुमने आज मेरी इज्जत तो उतार दी लोग भी कैसी-कैसी बातें कर रहे थे।
अब तुम यही इज्जत वापस लाकर दिखाओ।
बेगम बोली :"इसमे कौन सी बड़ी बात है आज जो लोगमहफ़िल में थे उन्हें आप फिर किसी बहाने से निमंत्रण दीजिये।"
ऐसे ही नवाब ने सबको बुलाया बैठक और मौज मस्ती के बहाने।
सभी मित्रगण बैठे थे । हंसी मजाक चल रहा था
कि फिर वही नवाब के बेटे की रोने की आवाज आई ---
नवाब ने आवाज देकर पूछा :
बेगम क्या हुआ क्यों रो रहा है हमारा बेटा ?" बेगम ने कहा फिर वही खिचड़ी खाने की जिद्द कर रहा है।"
लोग फिर एक दूसरे का मुंह देखने लगे कि यार एक मामूली खिचड़ी के लिए इस नवाब के घर पर रोज झगड़ा होता है।
नवाब मुस्कुराते हुए बोला "अच्छा बेगम तुम एक काम करो तुम खिचड़ी यहाँ लेकर आओ .. हम खुद अपने हाथों से अपने बेटे को देंगे ।
वो मान जाएगा और सभी मेहमानो को भी खिचड़ी खिलाओ। "
बेगम ने आवाज दी '' जी नवाब साहब''
बेगम बैठक खाने में आ गई पीछे नौकर खाने का सामान सर पर रख आ रहा था। हंडिया नीचे रखी और मेहमानो को भी देना शुरू किया अपने बेटे के साथ।
सारे नवाब के दोस्त हैरान -जो परोसा जा रहा था वो चावल की खिचड़ी तो कत्तई नहीं थी।
उसमे खजूर-पिस्ता-काजू बादाम-किशमिश -गरी इत्यादि से मिला कर बनाया हुआ सुस्वादिष्ट व्यंजन था।
अब लोग मन ही मन सोच रहे थे कि ये खिचड़ी है?
नवाब के घर इसे खिचड़ी बोलते हैं तो -मावा-मिठाई किसे बोलते होंगे ?
नवाब की इज्जत को चार-चाँद लग गए ।
लोग नवाब की रईसी की बातें करने लगे।
नवाब ने बेगम के सामने हाथ
जोड़े और कहा "मान गया मैं कि घर की औरत इज्जत बना
भी सकती है बिगाड़ भी सकती है---
और जिस व्यक्ति को
घर में इज्जत हासिल नहीं उसे दुनियाँ मे कहीं इज्जत नहीं
मिलती।"
सृष्टि मे यह सिद्धांत हर जगह लागू हो जाएगा ।
अहंकार युक्त जीवन में सृष्टि जब चाहे हमारे अहंकार की
इज्जत उतार सकती है और नम्रता युक्त जीवन मे इज्ज़त
बना सकती है ...!!

Saturday, January 7, 2017

दूध का कर्ज

कसाई गाय काट रहा था और गाय हँस रही थी ये सब देख के कसाई बोला"मै तुम्हे मार रहा हू और तुम मुझपर हँस क्यो रही हो...?" गाय बोलीः जिन्दगी भर मैने घास के सिवा कुछ नही खाया फिर भी मेरी मौत इतनी दर्दनाक है. तो हे इंसान जरा सोच तु मुझे मार के खायेगा तो तेरा अंत कैसा होगा...?. दूध पिला कर   मैंने तुमको बड़ा किया...  अपने बच्चे से भी छीना   पर मैंने तुमको दूध दिया  रूखी सूखी खाती थी मैं, कभी न किसी को सताती थी मैं...  कोने में पड़ जाती थी मैं, दूध नहीं दे सकती मैं, अब तो गोबर से काम तो आती थी मैं,मेरे उपलों की आग से तूने,  भोजन अपना पकाया था.  गोबर गैस से रोशन कर के,  तेरा घर उजलाया था.  क्यों मुझको बेच रहा रे  उस कसाई के हाथों में...??  पड़ी रहूंगी इक कोने में,  मत कर लालच माँ हूँ मैं..  मैं हूँ तेरे कृष्ण की प्यारी, 
वह कहता था जग से न्यारी...  उसकी बंसी की धुन पर मैं,   भूली थी यह दुनिया सारी.. . मत कर बेटा तू  यह पाप,  अपनी माँ को न बेच आप...  रूखी सूखी खा लूँगी मैं  किसी को नहीं सताऊँगी मैं   तेरे काम ही आई थी मैं  तेरे काम ही आउंगी मैं..

Friday, January 6, 2017

बीते हुए दिन

हमारे बचपन में कपड़े तीन टाइप के ही होते थे ••• स्कूल का ••• घर का ••• और किसी खास मौके का ••• अब तो ••• कैज़ुअल, फॉर्मल, नॉर्मल, स्लीप वियर, स्पोर्ट वियर, पार्टी वियर, स्विमिंग, जोगिंग, संगीत ड्रेस, फलाना - ढिमका ••• जिंदगी आसान बनाने चले थे ••• पर वह कपड़ों की तरह कॉम्प्लिकेटेड हो गयी है •••  बचपन में पैसा जरूर कम था पर साला उस बचपन में दम था" "पास में महंगे से मंहगा मोबाइल है पर बचपन वाली गायब वो स्माईल है" "न गैलेक्सी, न वाडीलाल, न नैचुरल था, पर घर पर जमीं आइसक्रीम का मजा ही कुछ ओर था" अपनी अपनी बाईक और  कारों में घूम रहें हैं हम पर किराये की उस साईकिल का मजा ही कुछ और था "बचपन में पैसा जरूर कम था पर यारो उस बचपन में दम था *कभी हम भी.. बहुत अमीर हुआ करते थे* *हमारे भी जहाज.. चला करते थे।* *हवा में.. भी।* *पानी में.. भी।* *दो दुर्घटनाएं हुई।* *सब कुछ.. ख़त्म हो गया।* *पहली दुर्घटना जब क्लास में.. हवाई जहाज उड़ाया। टीचर के सिर से.. टकराया। स्कूल से.. निकलने की नौबत आ गई। बहुत फजीहत हुई। कसम दिलाई गई।  औऱ जहाज बनाना और.. उडाना सब छूट गया।
*दूसरी दुर्घटना*
बारिश के मौसम में, मां ने.. अठन्नी दी। चाय के लिए.. दूध लाना था।कोई मेहमान आया था। हमने अठन्नी.. गली की नाली में तैरते.. अपने जहाज में.. बिठा दी। तैरते जहाज के साथ.. हम शान से.. चल रहे थे। ठसक के साथ खुशी खुशी। अचानक.. तेज बहाब आया। और.. जहाज.. डूब गया। साथ में.. अठन्नी भी डूब गई। ढूंढे से ना मिली। मेहमान बिना चाय पीये चले गये। फिर.. जमकर.. ठुकाई हुई। घंटे भर.. मुर्गा बनाया गया। औऱ हमारा.. पानी में जहाज तैराना भी.. बंद हो गया। आज जब.. प्लेन औऱ क्रूज के सफर की बातें चलती हैं , तो.. उन दिनों की याद दिलाती हैं। वो भी क्या जमाना था ! और.. आज के जमाने में.. मेरे बेटी ने... पंद्रह हजार का मोबाइल गुमाया तो.. मां बोली ~ कोई बात नहीं ! पापा.. दूसरा दिला देंगे। हमें अठन्नी पर.. मिली सजा याद आ गई। फिर भी आलम यह है कि.. आज भी.. हमारे सर.. मां-बाप के चरणों में.. श्रद्धा से झुकते हैं। औऱ हमारे बच्चे.. 'यार पापा ! यार मम्मी ! कहकर.. बात करते हैं। हम प्रगतिशील से.. प्रगतिवान.. हो गये हैं। कोई लौटा दे.. मेरे बीते हुए दिन।।
 
माँ बाप की लाइफ गुजर जाती है *बेटे
की लाइफ बनाने में......*
और बेटा status_ रखता है---
" *My wife is my Life*"

Thursday, January 5, 2017

भगवान पर विश्वास

यह कहानी एक ऐसे पर्वतारोही की है जो सबसे ऊँचे पर्वत पर विजय पाना चाहता था।
कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद उसने अपना साहसिक अभियान शुरु किया। पर वह यह उपलब्धि किसी के साथ साझा नहीं करना चाहता था, अत: उसने अकेले ही चढ़ाई करने का निश्चय किया। उसने पर्वत पर चढ़ना आरंभ किया, जल्दी ही शाम ढलने लगी। पर वह विश्राम के लिए तम्बू में ठहरने की जगह अंधेरा होने तक चढ़ाई करता रहा। घने अंधकार के कारण वह कुछ भी देख नहीं पा रहा था। हाथ को हाथ भी सुझाई नहीं दे रहा था। चंद्रमा और तारे सब बादलों की चादर से ढके हुए थे। वह निरंतर चढ़ता हुआ पर्वत की चोटी से कुछ ही फुट के फासले पर था कि तभी अचानक उसका पैर फिसला और वह तेजी से नीचे की तरफ गिरने लगा। गिरते हुए उसे अपने जीवन के सभी अच्छे और बुरे दौर चलचित्र की तरह दिखाई देने लगे। उसे अपनी मृत्यु बहुत नजदीक लग रही थी, तभी उसकी कमर से बंधी रस्सी ने झटके से उसे रोक दिया। उसका शरीर केवल उस रस्सी के सहारे हवा में झूल रहा था। उसी क्षण वह जोर से चिल्लाया: ‘भगवान मेरी मदद करो!’ तभी अचानक एक गहरी आवाज आकाश में गूँजी:- तुम मुझ से क्या चाहते हो ?
पर्वतारोही बोला - भगवन् मेरी रक्षा कीजिए!
- क्या तुम्हें सच में विश्वास है कि मैं तुम्हारी रक्षा कर सकता हूँ ?
वह बोला - हाँ, भगवन् मुझे आप पर पूरा विश्वास है ।
- ठीक है, अगर तुम्हें मुझ पर विश्वास है तो अपनी कमर से बंधी रस्सी काट दो.....
कुछ क्षण के लिए वहाँ एक चुप्पी सी छा गई और उस पर्वतारोही ने अपनी पूरी शक्ति से रस्सी को पकड़े रहने का निश्चय कर लिया।
अगले दिन बचाव दल को एक रस्सी के सहारे लटका हुआ एक पर्वतारोही का ठंड से जमा हुआ शव मिला । उसके हाथ रस्सी को मजबूती से थामे थे... और वह धरती से केवल 5 फुट की ऊँचाई पर था।
और आप? आप अपनी रस्सी से कितने जुड़े हुए हैं । क्या आप अपनी रस्सी को छोड़ेंगे?
भगवान पर विश्वास रखिए। कभी भी यह नहीं सोचिए कि वह आपको भूल गया है या उसने आपका साथ छोड़ दिया है ।
याद रखिए कि वह हमेशा आपको अपने हाथों में थामे हुए है।

Monday, January 2, 2017

नुकसान की पहचान

एक बनिए से लक्ष्मी जी रूठ गई ।जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ और मेरी जगह टोटा (नुकसान) आ रहा है, तैयार हो जाओ, लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेंट जरूर देना चाहती हूँ। मांगो जो भी इच्छा हो।
बनिया बहुत समझदार था। उसने 🙏 विनती की कि,टोटा आए तो आने दो। लेकिन उससे कहना कि मेरे परिवार  में आपसी प्रेम बना रहे। बस मेरी यही इच्छा है।
लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा और चली गयी।
कुछ दिन के बाद :-
बनिए की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी। उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी। तब दूसरे  लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई।इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आई और नमक डालकर चली गई। उनकी सास ने भी ऐसा किया ।
सबसे पहले बनिया आया। पहला निवाला मुहँ में लिया। तो देखा बहुत ज्यादा नमक है। लेकिन वह समझ गया टोटा (हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया। इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला मुहँ में लिया और पूछा पिताजी ने खाना खा लिया। क्या कहा उन्होंने ?
सभी ने उत्तर दिया-" हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।"
अब लड़के ने सोचा जब पिताजी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।
इस प्रकार घर के अन्य सदस्य एक -एक आए और पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए ।
रात को टोटा (हानि) हाथ जोड़कर  बनिए से कहने लगा -"मै जा रहा हूँ।"
बनिए ने पूछा- क्यों ?
तब टोटा (हानि ) कहता है, "आप लोग इतना सारा नमक खा गए लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।"
⭐झगड़ा, कमजोरी ,टोटा ,नुकसान की पहचान है।
जहाँ प्रेम है ,वहाँ लक्ष्मी का वास है। सदा प्यार -प्रेम बांटते रहे। छोटे बङे की कदर करे।
जो बङे हैं,वो बङे ही रहेंगे। चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई से बङी हो।