यह कहानी है एक छोटे से गाँव के एक छोटे से लड़के की, जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन गरीब था, लेकिनउसमें बड़ा सपना था। उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा और अपने परिवार को सुखमयजीवन देगा।
अर्जुन का परिवार उसके सपने का समर्थन नहीं करता था। उन्होंने उसे कहा कि वह इतना बड़ा सपना क्योंदेखता है, और उनके पास इसे पूरा करने के लिए कोई संभावना नहीं है। लेकिन अर्जुन किसी भी कठिनाई कोनकारने का नाम नहीं लेता था।
एक दिन, अर्जुन को एक सुनहरा मौका मिला। वह सुना कि गाँव के पास एक प्रसिद्ध खेल का प्रतियोगिताहोने वाली है, जिसमें पहला पुरस्कार बहुत बड़ा है। अर्जुन ने तय किया कि वह इस प्रतियोगिता में भाग लेगाऔर पहला पुरस्कार जीतेगा।
अर्जुन ने खुद को प्रशिक्षित किया, दिन-रात मेहनत की, और खुद को तैयार किया। वह खुद को यह सिखायाकि बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगीजितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।
प्रतियोगिता का दिन आया और अर्जुन ने अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। उसने खुद को पूरी तरह सेसमर्पित कर दिया और अपने सपने को पूरा करने के लिए सब कुछ दे दिया।
प्रतियोगिता के अंत में, अर्जुन ने पहला पुरस्कार जीता। उसकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उसे उसके सपनेकी पूर्ति तक पहुँचाया। उसके परिवार के लोग भी आश्चर्यचकित और गर्वित थे कि वहने ने अपने सपने कोपूरा किया।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी भी हालातों के बहाने अपने सपनों को छोड़ने की जगह, हमें उन्हें पूराकरने के लिए मेहनत और समर्पण का सामर्थ्य दिखाना चाहिए। हमें कभी भी उन हालातों का सामना करनाहोता है जो हमारे सपनों को पूरा करने के रास्ते में आते हैं, और हमें उन्हें पार करना होता है।
अर्जुन की तरह हमें भी यह सिखना चाहिए कि बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं है। हमें अपने लक्ष्यकी ओर बढ़ना चाहिए और हालातों को अपने साथी बनाना चाहिए, न कि उनके बहाने में रुकना। यह हमारीमेहनत और समर्पण का ही सच्चा मापदंड होता है, और इसके माध्यम से हम अपने सपनों को पूरा कर सकतेहैं।
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