यह कहानी है रामनगर के एक छोटे से गांव में जहां एक गरीब परिवार निवास करता था। इस परिवार का एकमात्र बेटा रमेश था। रमेश एक सामान्य बच्चा था, लेकिन उसकी सोच अलग थी। वह हमेशा बड़े सपने देखता और खुद को एक दिन विश्वस्तरीय व्यक्ति बनाने की कल्पना करता था।
रमेश के पिता एक छोटे से दुकान में काम करते थे और उन्हें गरीबी के कठिन समयों का अनुभव हो चुका था। लेकिन उन्होंने अपने बेटे को सिखाया कि सफलता के लिए बड़ी सोच का होना जरूरी है। उन्होंने रमेश को यह समझाया कि सपनों को पूरा करने के लिए वह बड़ी सोचने के साथ कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता रखना चाहिए।
जब रामेश बड़ा हुआ, तो उसने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उच्च शिक्षा की योजना बनाई। उसने एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में एडमिशन प्राप्त किया और वहां के उच्चतम शिक्षा मानकों का पालन करने के लिए विदेश गया।
विदेश में, रमेश ने खुद को प्रशिक्षित किया और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी दक्षता को समझाया। उसने विदेशी कंपनियों में अपनी नवीनतम और बड़ी सोच का प्रदर्शन किया और उसकी मेहनत और समर्पण से उसे विदेशी कंपनी का महानायक बनाया।
रमेश की सफलता के समाचार उसके गांव तक पहुंच गए। उसके गांव के लोग विस्मित और गर्वित हो गए क्योंकि उन्होंने देखा कि उस छोटे से गांव का बच्चा अब दुनिया के शीर्ष पर था। राजेश ने बताया कि उसकी सफलता का राज उसकी बड़ी सोच और संघर्षशील दृष्टिकोण में छिपा है।
रमेश का अगला लक्ष्य वापस अपने गांव आना था और अपने गांव वालों की मदद करना था। वह एक शिक्षा संस्थान बनाने का निर्माण करने का निर्णय लिया और अपने गांव के बच्चों को उच्च शिक्षा का अवसर प्रदान करने का लक्ष्य रखा।
रमेश ने समुदाय के साथ मिलकर एक विद्यालय खोला और बच्चों को उच्च शिक्षा की सुविधा देने के लिए संघर्ष किया। उसकी बड़ी सोच और समर्पण के बाद, आज उसके गांव में एक अच्छी शिक्षा प्रणाली है और उसके बच्चे अच्छे विद्यार्थी बन रहे हैं।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि सफलता के लिए बड़ी सोच का होना ज़रूरी है। हमें सीमित सोचने की आदत से मुक्त होना चाहिए और खुद को एक सामान्य चीज से ऊपर देखना चाहिए। हमें दुनिया की सीमाओं को पार करने की क्षमता रखनी चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए साहस और मेहनत की आवश्यकता होती है। बड़ी सोच और समर्पण के साथ हम सफलता के लक्षण बन सकते हैं।
No comments:
Post a Comment