Monday, March 12, 2018

जो दोगे , वही वापस लौटता है

एक आदमी बर्फ बनाने वाली कम्पनी में काम करता था___

एक दिन कारखाना बन्द होने से पहले अकेला फ्रिज करने वाले कमरे का चक्कर लगाने गया तो गलती से दरवाजा बंद हो गया
और वह अंदर बर्फ वाले हिस्से में फंस गया..

 छुट्टी का वक़्त था और सब काम करने वाले लोग घर जा रहे थे
किसी ने भी अधिक ध्यान नहीं दिया की कोई अंदर फंस गया है।

वह समझ गया की दो-तीन घंटे बाद उसका शरीर बर्फ बन जाएगा अब जब मौत सामने नजर आने लगी तो
भगवान को सच्चे मन से याद करने लगा।

अपने कर्मों की क्षमा मांगने लगा और भगवान से कहा कि प्रह्लाद को तुमने अग्नि से बचाया, अहिल्या को पत्थर से नारि बनाया, शबरी के जुठे बेर खाकर उसे स्वर्ग में स्थान दिया।
प्रभु अगर मैंने जिंदगी में कोई एक काम भी मानवता व धर्म का किया है तो तूम मुझे यहाँ से बाहर निकालो।
मेरे बीवी बच्चे मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। उनका पेट पालने वाला इस दुनिया में सिर्फ मैं ही हूँ।

मैं पुरे जीवन आपके इस उपकार को याद रखूंगा और इतना कहते कहते उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे।

एक घंटे ही गुजरे थे कि अचानक फ़्रीजर रूम में खट खट की आवाज हुई।

दरवाजा खुला चौकीदार भागता हुआ आया।

उस आदमी को उठाकर बाहर निकाला और  गर्म हीटर के पास ले गया।

उसकी हालत कुछ देर बाद ठीक हुई तो उसने चौकीदार से पूछा,   आप अंदर कैसे आए ?

चौकीदार बोला कि साहब मैं 20 साल से यहां काम कर रहा हूं। इस कारखाने में काम करते हुए हर रोज सैकड़ों मजदूर और ऑफिसर कारखाने में आते जाते हैं।

मैं देखता हूं लेकिन आप उन कुछ लोगों में से हो, जो जब भी कारखाने में आते हो तो मुझसे हंस कर 
*राम राम* करते हो
और हालचाल पूछते हो और निकलते हुए आपका 
*राम राम काका*
 कहना मेरी सारे दिन की थकावट दूर कर देता है।

जबकि अक्सर लोग मेरे पास से यूं गुजर जाते हैं कि जैसे मैं हूं ही नहीं।

आज हर दिनों की तरह मैंने आपका आते हुए अभिवादन तो सुना लेकिन 
*राम राम काका* 
सुनने के लिए इंतज़ार 
करता रहा।

जब ज्यादा देर हो गई तो मैं आपको तलाश करने चल पड़ा कि कहीं आप किसी मुश्किल में ना फंसे हो।

वह आदमी हैरान हो गया कि किसी को हंसकर
 *राम राम* कहने जैसे छोटे काम की वजह से आज उसकी जान बच गई।

*राम कहने से तर जाओगे*
मीठे बोल बोलो, 
संवर जाओगे,

सब की अपनी जिंदगी है 
यहाँ कोई किसी का नही खाता है।

जो दोगे औरों को,
वही वापस लौट कर आता है। 

No comments: