आइजक न्यूटन का बचपन परेशानियों में बीता |
जब वे 3 साल के थे,तब उनकी माँ ने बरनाब्स स्मिथ नामक एक धनवान व्यक्ति से
विवाह कर लिया और आइजक को उनकी नानी के पास छोड़ दिया था | फिर वे अपने
दुसरे पति के साथ नार्थ विदम चली गयी थी | उसके बाद न्यूटन की शिक्षा
वुल्सथार्प ग्राथम में 7 मील दूर हुई| वहाँ उन्हें मंद-बुद्धि समझा जाता था
| क्युकी वे बचपन से ही आकाशीय पिंडों की ओर आकर्षित रहते थे, और सूरज की
किरणों को देखकर उन्हें आश्चर्य होता था| फिर ग्रंथम में वे ओषधविद विलियम
क्लार्क के साथ रहे, जिन्होंने उन्हें रसायन विज्ञान की ओर प्रेरित किया|
उसके बाद न्यूटन के ग्रन्थ “प्रिंसिपिया” का प्रकाशन हुआ,जो गुरुत्वाकर्षण, मैकेनिक, और द्रव्यों पर आधारित था | वह ग्रन्थ महारानी ऐनी को बहुत पसंद आया,जिसकी वजह से न्यूटन को ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गयी, और तब से उनका एक महान व्येज्ञानिक के रूप में इतिहास के सुन्हेरे पन्नों में दर्ज हुआ|
कल महत्वपूर्ण नहीं है,आज महत्वपूर्ण है | कल तो पिछली रात को खत्म हो चुका हैं| इसलिए अतीत में मत झाकों,वर्ना भविष्य धुंधला हो जायेंगा | क्युकी आप जहां जा रहे हैं,वह महत्वपूर्ण हैं,कितनी जल्दी पहुचेंगे यह महत्वपूर्ण नहीं है | यह वजह है की जल्दीबाज हमेशा शिखर पर देर से पहुचता हैं | वैसे भी कहावत हैं, की राते पर नज़र रखे, और खतरा टालने के लिए आईने को देखें | लोग आपको कार्यों से आंकते हैं, आपके इरादों से नहीं|
लेकिन 1658 में आइजक ने स्कूल छोड़ दिया और पुश्तैनी जमीन जायजाद की देखभाल करने लगे | परन्तु उस काम में उनका मन नहीं लगा | फिर 1661 में वे ट्रिनिटी कॉलेज में पुन पढने चले गए|
तब उन्होंने कहा था,
“अच्छा नाविक वही होता है,जो पतवार पर भरोसा नहीं करता,बल्कि हवा के रुख को पहचानता है | मैने भी हवा के रुख को पहचाना, और कुछ नया करने में जुट गया|”
बाद में जब उन्होंने पेड़ से गिरते हुए सेब को देखा, तो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का सिधांत ईजाद हो गया| फिर न्यूटन ने अपने कमरे में रासायनिक प्रयोगों के लिए 2 भट्टियाँ लगाई और टेलिस्कोप का निर्माण किया | 1671 में न्यूटन ने जब उस टेलिस्कोप को रॉयल सोसाइटी में प्रदर्शित किया गया,तो तहलका मच गया, और उन्हें रॉयल सोसाइटी का मेम्बर चुना गया|उसके बाद न्यूटन के ग्रन्थ “प्रिंसिपिया” का प्रकाशन हुआ,जो गुरुत्वाकर्षण, मैकेनिक, और द्रव्यों पर आधारित था | वह ग्रन्थ महारानी ऐनी को बहुत पसंद आया,जिसकी वजह से न्यूटन को ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गयी, और तब से उनका एक महान व्येज्ञानिक के रूप में इतिहास के सुन्हेरे पन्नों में दर्ज हुआ|
कल महत्वपूर्ण नहीं है,आज महत्वपूर्ण है | कल तो पिछली रात को खत्म हो चुका हैं| इसलिए अतीत में मत झाकों,वर्ना भविष्य धुंधला हो जायेंगा | क्युकी आप जहां जा रहे हैं,वह महत्वपूर्ण हैं,कितनी जल्दी पहुचेंगे यह महत्वपूर्ण नहीं है | यह वजह है की जल्दीबाज हमेशा शिखर पर देर से पहुचता हैं | वैसे भी कहावत हैं, की राते पर नज़र रखे, और खतरा टालने के लिए आईने को देखें | लोग आपको कार्यों से आंकते हैं, आपके इरादों से नहीं|