विनम्र और मिलनसार वीरमणि शंकर, जो कि रैलीज़ इंडिया के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यकारी हैं, अपने छात्र जीवन के दिनों के बारे में बता रहे थे, वे उन मूल्यों की बात कर रहे थे जिन्होने उनके कैरियर को टाटा समूह के साथ स्थायित्व प्रदान किया।
वीरमणि शंकर 22 वर्ष के होने पर एक चार्टर्ड एकाउन्टेंट व कॉस्ट एकाउन्टेंट थे, कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स में स्नातक डिग्री को आधार बनाकर उन्होने इसे हासिल किया, जिसमें वे परीक्षा में तीसरे स्थान पर आए थे। श्री शंकर के लिए इतनी जल्दी इतना कुछ हासिल करना काफी न था जिन्होने अपने अकादमिक प्रदर्शनों की सूची में कानून की डिग्री तथा कंपनी सेक्रेटरीशिप को भी जोड़ लिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या वे अपने स्कूल में भी इतने ही मेधावी थे, तो विनम्र श्री शंकर का जवाब था कि वे एक खराब छात्र नहीं थे। रैलीज़ इंडिया के विनम्र और मिलनसार मुखिया बताते हैं कि उनका चरित्र निर्धारण कुछ हद तक मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि की देन है। 1970 के दशक के बीच में कलकत्ता में पढ़ते हुए, जबकि छात्र आंदोलन काफी फैला हुआ था तथा कैंपस में राजनीतिक माहौल भरा हुआ था, श्री शंकर ने अपने अध्ययन पर ध्यान केन्द्रित रखा। मैं ऐसे कॉलेज में था जहाँ पर कोई छात्र समस्याएं न थीं। मेरी कक्षा 6 बजे शुरु होती थी और 9 बजे तक मैं एक एकाउन्टिंग फर्म में चार्टर्ड एकाउन्टेंसी के लिए काम करने पहुंच जाया करता था, श्री शर्मा ने न केवल कठिन चार्टर्ड एकाउन्टेंसी का पाठ्यक्रम पहली बार में ही पूरा किया, बल्कि पूरे भारत की रैंकिंग में भी स्थान हासिल किया।
श्री शंकर ने अपना कैरियर अल्कान सब्सिडियरी, इंडियन अल्यूमुनियन कंपनी से शुरु किया तथा 1986 में उन्होने हिन्दुस्तान लीवर में काम करना शुरु किया। टाटा में आने से पहले उन्होने 18 साल बाहर काम किया और फिर टाटा में पिछले लगभग एक दशक से वे वरिष्ठ लीडर की भूमिका निभा रहे हैं। निथिन रॉव के साथ दिए गए इस साक्षात्कार में, वे अपने जीवन तथा कैरियर के महत्वपूर्ण बिन्दुओं के बारे में बता रहे हैं।
एक ऐसा शख्स होते हुए जिसने कि कॉलेज की पढ़ाई के साथ तीन पेशेवर पाठ्यक्रम पूरे किये, आप आज के युवाओं को क्या संदेश देना पसंद करेंगे। 1970 के दशक में जीवन भिन्न था। विकर्षण कम थे और लोग केवल अकादमिक गतिविधियों पर केन्द्रित हुआ करते थे। मुझे नहीं लगता है कि आज की पीढ़ी में कोई उस मेहनत को करने में सक्षम होगा। दूसरी ओर हमारे पास उस तरह की सहायता नहीं उपलब्ध थी जिस तरह की आज उपलब्ध है: सामान्य परिस्थितिकी, इंटरनेट, कोचिंग आदि। मैने उन पाठ्यक्रमों को बिना उपयुक्त किताबों के 10-12 घंटे प्रतिदिन की पढ़ाई से पूरा किया।
युवाओं के लिए मेरा परामर्श है कि नियोजन तथा प्रतिबद्धता का कोई छोटा मार्ग नहीं है, विशेष रूप से चार्टर्ड एकाउन्टेंसी जैसे पाठ्यक्रमों के लिए। उनको और अधिक व्यावहारिक प्रशिक्षण लेना चाहिए तथा अपने सीनियरों के साथ मामलों पर चर्चा करनी चाहिए।
जब आपने अपना पेशेवर कैरियर शुरु किया तो आपके लक्ष्य और सपने क्या थे? क्या आपकी योजना के अनुसार ही सारी घटनाएं घटीं?मैं एक एकाउंटेंट के रूप में प्रशिक्षित था और वित्त प्रकार्य में कुछ बड़ा करना चाहता था। मेरी यात्रा मुझे विभिन्न भूमिकाओं और प्रकार्यों तक ले गयी और अब मेरे पास व्यवसाय मुखिया की बड़ी भूमिका है। मेरी यात्रा सुखद, चुनौतीपूर्ण और संतुष्ट रही है।
मैं खुशनसीब हूँ कि मुझे उन उद्यमों में काम करने का अवसर मिला जो नैतिक मानकों और अपने आचार को सर्वोपरि मानते हैं। मैं आभारी हूँ कि मुझे अपने पूरे कैरियर में ऐसी कंपनियों के जुड़ कर काम करने को मिला क्योंकि यह मेरी पृष्ठभूमि से समानता रखता था। मूल्य प्रणालियों में कोई संघर्ष नहीं है और मैं रात में शांति के साथ सोता हूँ।
पिछले तीन दशकों में भारत में हुए बदलावों को आप किस तरह से देखते हैं: अभाव और प्रतिबंधों के समय से आज की अधिक खुले समय तक?जब वित्त के साथ मैने अपना कैरियर शुरु किया तो हमारे पास एक मशीन हुआ करती थी जिसे हम "कॉम्पटोमीटर" कहा करते थे जिसे आप आज म्यूजियम में पाएंगे। ट्रायल बैलेंस का मिलान और बैलेंस शीट का निर्माण के बड़ा काम हुआ करता था। यह मशीन हमें आंकड़ों को जोड़ने व एकत्र करने में सहायक होती थी जिसे हमें हाथ से लिखे जाने वाले लेजर में भरना होता था। आज जीवन आसान है क्योंकि आपको विवरणों का मिलान और समायोजन के लिए चिंतित नहीं होना पड़ता है। हालांकि दूसरे तरीकों से अब चीज़ें अधिक जटिल हैं, क्योंकि पालन करने के लिए अब अधिक मानक व नियम हैं।
पुराने समय में विस्तार और विदेशी मुद्रा पर बहुत सारे प्रतिबंध थे। लेकिन बाज़ार में जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था वे आसान थीं, क्योंकि ग्राहक के सामने सीमित विकल्प हुआ करते थे। आज का समय अधिक उदार है लेकिन बाजार कठिन है। ग्राहक के पास खूब सारे विकल्प हैं तथा उसकी पहुंच वैश्विक ब्रांडों तक है तथा पारदर्शिता भी अधिक है। सूचीबद्ध कंपनी होने के कारण हमको हर तिमाही में निवेशकों का सामना करना पड़ता है और हम सार्वजनिक निगाहों में बने रहते हैं और ज्ञानवान लोगों द्वारा हमारे हर कदम का विश्लेषण करते रहते हैं।
आप यूनीलीवर समूह के साथ 18 वर्ष तक काम करते रहे। क्या आप उस समय के अनुभव को साझा कर सकते हैं?
यूनीलीवर समूह के साथ के मेरे समय से मुझे स्नेह है। इस अवधि के दौरान मुझे आठ बार स्थानान्तरित किया गया, लेकिन सकारात्मक पहलू यह था कि इसने मुझे विभिन्न व्यवसायों, स्थलों और लोगों के साथ अनुभव का अवसर दिया। यूनीलीवर कॉरपोरेट ऑडिट के काम को मैं काफी बड़ा ब्रेक मानता हूँ, जिसने मुझे 20 देशों के परिचालन को समझने का अवसर प्रदान किया। व्यवसाय के सभी पहलुओं के लिए यह कार्यकाल आँखें खोलने वाला साबित हुआ, इन पहलुओं में मूल्य श्रंखला, टीम संस्कृति आदि शामिल थे। इसने मुझे व्यवसाय चलाने की जिम्मेदारी लेने का आत्मविश्वास प्रदान किया।
यूनीलीवर के आपके जुड़ाव के समय से आप कृषि के व्यापार के साथ नज़दीकी से जुड़े रहे हैं। यह व्यापार उस समय से आज कितना भिन्न है? मुझे दिखने वाला मुख्य अंतर यह है कि भोजन, चारे, फाइबर तथा ईंधन के लिए जमीन की घटती उपलब्धता के चलते कृषि ने मुख्य स्थान हासिल कर लिया है। भारत में यह क्षेत्र अब लाभाकारी होने लगा है और किसान अब निवेश तथा नई टेक्नोलॉजी को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। बहुत सारी अन्य व्यापक प्रवृत्तियां हैं जैसे कि मजदूरों की कमी, कठोर होते नियम तथा बायोटेक्नोलॉजी के विकास। नवीनतम खाद्य सुरक्षा प्रावधानों के लिए उत्पादकता सुधार तथा खेती के अच्छे अभ्यासों व बुनियादी ढ़ांचे की जरूरत होगी। सारांश में, मुझे लगता है कि इस व्यापार का सर्वश्रेष्ठ समय अभी आना बाकी है।
शहरी क्षेत्रों में प्रवास के कारण मजदूरी लागतों में काफी वृद्धि हो रही है। इसको महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम जैसी योजनाओं से बल मिल रहा है। लेकिन यह weedicides और फार्म मिकेनिज़्म में नए समाधानों के अवसर भी खोलता है। इसी तरह से, हमको हमारी नियामक प्रणाली में परिवर्तन की जरूरत है जिससे कि जमीन की चकबंदी हो सके जिससे कि आधुनिक तकनीकों को लागू करना आसान हो सके।
खाद्य की बढ़ती माँग को देखते हुए, हम स्थिर कृषि उत्पादन के साथ प्रगति नहीं कर सकते हैं। कृषि उत्पादों के मूल्य तेजी से बढ़ रहे हैं, जिका कारण माँग व आपूर्ति का तंत्र है। उदाहरण के लिए दालों को ही ले लीजिए। मुझे याद है कि सिर्फ कुछ वर्षों पहले एक किलो दाल का मूल्य 20-30 रुपये हुआ करता था। लेकिन अब यह 80-100 रुपये तक पहुंच गया है। यह, भारत में स्थिर हो गए दाल के उत्पादन का जीवंत उदाहरण है, जिसके परिणाम स्वरूप हमें इसको कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से आयात करना पड़ता है। अगले 10-15 वर्षों में भारत में दाल की माँग दुगनी हो जाएगी, लेकिन इसे पूरा करने के लिए उत्पादन को बढ़ाने हेतु कोई चिह्न नहीं दिख रहे हैं। टाटा समूह में हमारे अपने अध्ययन ने प्रदर्शित किया है कि फसलों में कुछ प्रतिस्थापन करके किसान और अधिक दालें पैदा कर सकते हैं। हमारी अपनी "अधिक दाल उपजाएं" पहल द्वारा हमने यह दर्शाया है कि किसान उत्पादकता को दुगना, तिगुना तक बढ़ा सकते हैं।
आप अपनी जैसी कंपनी का भविष्य क्या देखते हैं, जो कि कृषि व्यापार पर ध्यान केन्द्रित कर रही है? रैलीस के लिए आने वाला समय अच्छा है। ग्रामीण भारत में इसका अच्छा प्रभाव है और एक शताब्दी की अवधि के दौरान इसने किसानों के साथ गहरे रिश्ते कायम किए हैं। हमने प्रवृत्तियों तथा अवसरों की पहचान की है और कंपनी को एक पूर्ण कृषि समाधान प्रदाता के रूप में रूपांतरित करने की यात्रा शुरु की है।
फसल सुरक्षा क्षेत्र में अग्रणी स्थिति होने के अलावा हम तेजी से अपने दूसरे खंभे का निर्माण कर रहे हैं: एक कीटनाशक शून्य पोर्टफोलियो जिसमें बीज, पौध वृद्धि पोषण, मिट्टी का स्वास्थ्य, कृषि सेवाएं और अनुबंधित विनिर्माण जैसे व्यावसायिक खंड शामिल हैं। इस विशिष्ट व्यापार मॉडल ने MoPu (अधिक दालें) पहल के माध्यम से एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो कि पूरी मूल्य श्रंखला को आधार प्रदान करता है। रैलीस, पीछे से किसानों को गाइड करती है व दालों का उत्पादन करती है तथा टाटा केमिकल्स, खुदरा उपभोक्ताओं को आई-शक्ति ब्रांड की दालों को बेचती है। इस अब सभी स्टॉकधारकों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है, जिसमें सरकार भी शामिल है।
संवर्धित जीन्स (GM) खाद्य भारत में बदनाम हैं। आपके नज़रिए से, इस मामले में वह कौन सी सर्वश्रेष्ठ नीति है जो इस मामले से निपट सकती है? GM खाद्य, कई विकसित देशों में काफी समय से उपलब्ध हैं। बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए, हमें आधुनिक तकनीक की जरूरत है। साथ ही, विनियामक तथा सुरक्षा मंजूरी से संबंधित प्रक्रियाओं को भी तेज़ होना चाहिए। मेरे विचार से, आगे बढ़ने के मार्ग पर बाधाएं नहीं बनानी चाहिए या GM तकनीक को शामिल करने में विलंब ठीक नहीं है, लेकिन प्रभावी तथा वैज्ञानिक प्रक्रियाओं में निवेश किया जाना चाहिए जिससे कि ऐसी तकनीकें पेश की जा सकें जो असामान्य व सुरक्षित हों।
आप दिसंबर 2005 से रैलीस की अध्यक्षता कर रहे हैं। एक लीडर के रूप में आपने कौन सी सबसे महत्वपूर्ण चुनौती का सामना किया है? मैने रैलीस को बदलाव, मजबूती और अब प्रगति के चरणों से गुजरते हुए देखा है। इनमें से हर एक चरण में एक भिन्न मनस्थिति तथा बदलाव के लिए खुलापन, यथास्थिति के प्रति चुनौती तथा लगातार बेहतरी और बार-बार सुधार की जरूरत थी। इन सब को हासिल करने के लिए मैं अपने लोगों में इसके लिए क्षमतावान होने को क्रेडिट देता हूँ।
मुझे लगता है कि एक स्थिति में, जब 2003 में हमें सबसे बुरा घाटा 1.07 बिलियन रुपये का हुआ था तब हमारी कंपनी में निराशा की भावना भर गयी थी। समूह के समर्थन से उस समय से आज तक की यात्रा को हितधारकों का हममें जताया गया विश्वास काफी लाभदायी रहा है। जबकि हमारे समाधानों तथा संबंध बनाने संबंधी प्रयासों से किसानों ने, हमारे साथियों ने बाजारगत अभ्यासों तथा उपस्थिति के बारे में संतुष्टि जाहिर की है, वहीं निवेशकों से अभिस्वीकृति हासिल करना भी संतुष्टिदायक रहा है। एक दशक में हमारा बाज़ार पूंजीकरण जो कि रु.300 मिलियन के निम्न स्तर पर पहुंच गया था, अब तेजी से बढ़ कर रु.30 बिलियन तक पहुंच गया है। कंपनी लगातार सुदृढ़ होती गयी है और 2011 में व्यावसायिक उत्कृष्टता के लिए जेआरडी क्यूवी पुरस्कार (टाटा व्यावसायिक उत्कृष्टता मॉडल प्लेटफॉर्म) जीतना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। हमारे लिए इसके काफी मायने थे क्योंकि यह एक कमजोर प्रक्रिया व नियंत्रण था जिसने हमको पहले काफी नीचे लाकर खड़ा कर दिया था। इस सबसे ऊपर हमारे कर्मचारियों के वचनबद्धता अंकों से प्रमाणित हमारे कर्मचारियों का आत्मविश्वास, और "काम करने के लिए बेहतरीन स्थल" के रूप में हमारी रैंकिंग, संतोषजनक रही है।
कंपनी के दीर्घकालीन लक्ष्य क्या हैं? अगले पाँच वर्षों में रैलीस के सामने क्या चुनौतियाँ हैं। हमारे द्वारा प्रदत्त कृषि समाधानों द्वारा अपने ग्राहकों के लिए मूल्यवर्धन का लक्ष्य हमने तय किया है। हमारे एकीकृत कार्यक्रम, रैलीस किसान कुटुंब (RKK) के अंतर्गत कई सारी नवाचारी पहल प्रगति पर हैं। हमारे पास RKK से जुड़े दस लाख किसान हैं और इस संख्या को दोगुना करना है तथा अंततः प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 10 मिलियन किसानों से जुड़ना हमारा लक्ष्य है। किसानों को हमारे द्वारा प्रस्तावित उच्च प्रभाव वाली बहुत सारी सेवाओं के साथ लगातार संपर्क की आवश्यकता है।
कार्यबल तथा साथ ही सूचना व संचार तकनीक-प्रेरित समाधानों के लिहाज से आवश्यक कौशल निर्माण को संबोधित करने की जरूरत, एक चुनौती है।
आपकी राय में एक अच्छे व्यवसायिक लीडर की विशेषताएं क्या हैं? मेरा विश्वास है कि किसी व्यक्ति में ईमानदारी का होना तथा उसकी क्रियाओं में उसका दिखना मूल बात है। कंपनी के लिए एक विज़न के प्रति अपनी टीम को प्रोत्साहित करने की क्षमता, उच्च महत्व की है जिसे मजबूत संचार कौशल द्वारा पूरित किया जा सकता है। अच्छी रणनीति बनाना और सफलता के साथ उसको निष्पादित करने की दृढ़ता ही उद्यम की सफलता को निर्धारित करती है।
एक व्यक्ति तथा एक पेशेवर के रूप में आप अपने को किस तरह से परिभाषित करेंगे? स्वभाव से मैं एक गहन व्यक्ति हूँ तथा निम्न प्रोफाइल रखता हूँ। मुझे बोलने से अधिक सुनना पसंद है। जानना महत्वपूर्ण है और मैने लिखित व मौखिक संचार में कुछ अच्छे अभ्यासों को आत्मसात किया है और मैं अभी भी सीख रहा हूँ। आम तौर पर मैं विश्लेषणात्मक रहता हूँ तथा चीजों को करने के लिए नियोजित दृष्टिकोण रखता हूँ। आवेगी व्यवहार मुझमें नहीं है। मैं जो कुछ भी करता हूँ उसमें ध्यान लगाता हूँ, हालांकि यह विशेषता कई बार बाधा भी बनती है। अधिकांश मामलों पर मैं आम राय रखना चाहता हूँ लेकिन कभी कभार मैं अपने निर्णय पर ही निर्भर करता हूँ।
जीवन में आपके रोल मॉडल तथा समर्थन प्रणालियां कौन व क्या हैं?व्यवसाय में मैं स्टीव जॉब्स को पसंद करता हूँ जो कि ग्राहक की आवाज़ से अधिक सुनने में सक्षम थे। ग्राहकों को खुशी देने के लिए उद्योग को बदलने के साथ-साथ उनके पास नए मानदंड के निर्माण का दृढ़ विश्वास था, ऐसा उन्होने बार-बार किया।
मेरे निजी जीवन में मेरे माता-पिता और मेरी पत्नी, पद्मिनी ने मुझे उन मूल्यों को सिखाया जिनके साथ में रहता हूँ। एक समर्पित गृहणी और योग्य शिक्षक जो कर्नाटक संगीत और भरत नाट्यम सिखाती हैं। पद्मिनी मेरी वास्तविक मजबूती हैं, जो कि मुझे मेरे कैरियर में जोखिम व चुनौतियों का सामना करने में सक्षम करती हैं। मेरे दो बच्चों में अजितेश चार्टर्ड एकाउंटेंट है तथा राधिका अपनी प्रबंधन की पढ़ाई कर रही है (वह भी एक नर्तकी है)।
मैं खुशनसीब हूँ कि मुझे उन उद्यमों में काम करने का अवसर मिला जो नैतिक मानकों और अपने आचार को सर्वोपरि मानते हैं।