Saturday, July 12, 2025

सफलता तुम्हारी सोच से शुरू होती है, अगर तुम कर सकते हो तो जरूर करोगे

राजू एक छोटे से गाँव में रहने वाला एक गरीब लड़का था। उसके पिता खेतों में मजदूरी करते थेऔर माँ घरों में काम करके परिवार का गुजारा चलाती थीं। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराबथी कि कई बार परिवार को एक वक्त का खाना भी मुश्किल से मिलता था। लेकिन राजू के मन मेंहमेशा एक बड़ा सपना थावह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा और अपने माता-पिता को गरीबी सेबाहर निकालेगा।


राजू को पढ़ाई का बहुत शौक थालेकिन गाँव में अच्छी शिक्षा का अभाव था। फिर भीउसनेकभी हार नहीं मानी। वह पुरानी किताबों से पढ़ाई करतासरकारी स्कूल में ध्यान से सुनता और गाँव के बुजुर्गों से नई बातें सीखने की कोशिश करता।


पहली चुनौती – परीक्षा में असफलता


राजू ने जब दसवीं की परीक्षा दीतो वह अच्छे अंक नहीं ला सका। वह बहुत निराश हुआलेकिनउसकी माँ ने उसे समझाया, "बेटासफलता तुम्हारी सोच से शुरू होती है। अगर तुम सोचोगे कि तुम कर सकते होतो जरूर करोगे!"


माँ की बातों ने राजू को फिर से प्रेरित किया। उसने ठान लिया कि वह अगली बार पूरी मेहनत करेगा और अपनी असफलता को सफलता में बदलेगा।


दूसरा प्रयास और जीत


राजू ने दिन-रात मेहनत की। जब बाकी बच्चे खेलतेवह पढ़ाई करता। जब बिजली चली जातीतो वह दीये की रोशनी में पढ़ता। उसकी मेहनत रंग लाई और उसने बारहवीं की परीक्षा में पूरे जिलेमें टॉप कियायह उसकी पहली बड़ी जीत थी।


अब उसके सामने एक और बड़ी चुनौती थीकॉलेज की पढ़ाई। उसके पास कॉलेज की फीसभरने के पैसे नहीं थेलेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने सरकारी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया और कड़ी मेहनत के दम पर उसे छात्रवृत्ति मिल गई।


सफलता की ओर बढ़ते कदम

कॉलेज में भी राजू ने अपनी मेहनत जारी रखी। वह पढ़ाई के साथ-साथ छोटे-मोटे काम भी करताताकि अपनी जरूरतें पूरी कर सके। कई बार मुश्किलें आईंलेकिन उसने कभी अपनी सोच कोनकारात्मक नहीं होने दिया।

 

अंतिम परीक्षा – जिंदगी की सबसे बड़ी जीत

 

कॉलेज खत्म करने के बाद राजू को नौकरी की तलाश थी। कई कंपनियों ने उसे मना कर दियालेकिन उसने हार नहीं मानी। वह हर बार नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता रहा।

 

आखिरकारउसकी मेहनत रंग लाई और उसे एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई। कुछ ही सालों मेंवह कंपनी में ऊँचे पद पर पहुँच गया और अपने माता-पिता को गरीबी से बाहर निकाल लिया।


आज राजू सिर्फ अपने गाँव ही नहींबल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुका है।


सीख:


राजू की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर तुम सोचते हो कि तुम कर सकते होतो तुम जरूरकरोगे। असफलताएँ आएँगीमुश्किलें होंगीलेकिन अगर हम सकारात्मक सोच और कड़ी मेहनतके साथ आगे बढ़ेंतो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है।

Thursday, July 10, 2025

सपने बड़े देखो, मेहनत उससे भी बड़ी करो, सफलता खुद तुम्हारे कदम चूमेगी!

छोटे से गाँव में रहने वाला रोहित एक साधारण किसान का बेटा था। बचपन से ही उसके मन मेंबड़े सपने थे। जब उसके दोस्त खेलतेवह आसमान की ओर देखता और सोचता, "मैं भी बड़ाआदमी बनूंगाकुछ ऐसा करूंगा जिससे मेरा नाम रोशन हो।लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति औरसंसाधनों की कमी उसे बार-बार यह एहसास दिलाती कि उसका सपना बस एक सपना ही रहजाएगा।


रोहित के पिता चाहते थे कि वह पढ़ाई छोड़कर खेतों में उनका हाथ बँटाएलेकिन उसकी माँ नेहमेशा उसका हौसला बढ़ाया। "अगर तेरे सपने बड़े हैंतो मेहनत भी बड़ी कर बेटाएक दिनसफलता तेरे कदम चूमेगी," माँ कहा करतीं।


पहली परीक्षा – गाँव से शहर तक का सफर


रोहित पढ़ाई में बहुत अच्छा थालेकिन गाँव में अच्छी शिक्षा की कमी थी। उसके पास कोचिंग केलिए पैसे नहीं थेलेकिन उसने अपनी मेहनत जारी रखी। पुरानी किताबों से पढ़ाई कीगाँव केअध्यापकों से सहायता ली और हर दिन खुद से वादा किया कि वह हार नहीं मानेगा।


बारहवीं की परीक्षा में उसने पूरे जिले में टॉप कियायह उसके लिए पहला बड़ा कदम था। लेकिनयह सिर्फ शुरुआत थी। अब उसे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी थीजिसके लिए पैसे नहीं थे।


संघर्ष की राह पर आगे बढ़ते कदम


रोहित ने छात्रवृत्ति के लिए परीक्षा दी और कड़ी मेहनत से उसे छात्रवृत्ति मिल गई। वह शहर के बड़ेकॉलेज में दाखिला लेने में सफल रहा। लेकिन वहाँ भी चुनौतियाँ कम नहीं थीं।


शहर में रहने और पढ़ाई का खर्च चलाने के लिए वह दिन में पढ़ाई करता और रात में एक दुकानपर काम करता। कई बार उसे भूखा सोना पड़तालेकिन उसने कभी अपने सपनों से समझौता नहींकिया। जब उसके दोस्त मौज-मस्ती करतेवह लाइब्रेरी में बैठा अपने भविष्य को सँवारने में लगारहता।


असफलता और फिर से खड़े होने का जुनून


कॉलेज के अंतिम वर्ष में रोहित ने एक बड़ी कंपनी में नौकरी के लिए इंटरव्यू दियालेकिन उसेरिजेक्ट कर दिया गया। यह उसके लिए बड़ा झटका था। उसने खुद से सवाल किया – "क्या मैंसच में इतना बड़ा सपना देखने लायक हूँ?"


लेकिन फिर उसे अपनी माँ की बात याद आई – "मेहनत अपने सपनों से भी बड़ी करोसफलताखुद तुम्हारे कदम चूमेगी!"


उसने हार मानने की बजाय और ज्यादा मेहनत करने का फैसला किया। अगले छह महीनों तकउसने खुद को और निखाराअपनी कमजोरियों को पहचाना और उन्हें सुधारने में जुट गया।


सफलता की ऊँचाइयाँ


जब अगला मौका आयातो उसने उसे दोनों हाथों से पकड़ लिया। इस बार इंटरव्यू में वह  सिर्फसफल हुआबल्कि उसे एक मल्टीनेशनल कंपनी में शानदार पैकेज पर नौकरी मिली।


कुछ ही वर्षों में उसकी मेहनत और लगन ने उसे कंपनी का एक बड़ा अधिकारी बना दिया। वहअपने माता-पिता को गाँव से शहर ले आया और उन्हें हर वो सुख दियाजिसके वे हकदार थे।


अब रोहित  सिर्फ खुद सफल थाबल्कि उसने गाँव में एक स्कूल भी खुलवाया ताकि कोई भीबच्चा सिर्फ इसलिए अपने सपनों से दूर  हो क्योंकि उसके पास संसाधन नहीं हैं।


सीख:


रोहित की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर सपने बड़े हैंतो मेहनत उससे भी बड़ी होनीचाहिए। मुश्किलें आएँगीअसफलताएँ मिलेंगीलेकिन अगर हम हार  मानें और लगातार प्रयासकरते रहेंतो सफलता खुद हमारे कदम चूमेगी!