Friday, December 30, 2022

जीवन में मुसीबतें या चुनौतियां

 एक बार एक किसान हर कभी आने वाले आंधी-तूफान, ओलावृष्टि, तेज धूप इत्यादि से परेशान हो गया। क्योंकि कभी-कभी फसल ज्यादा खराब हो जाती थी।

इसलिए वह परेशान होकर ईश्वर से शिकायत करने लगा। 

किसान बोला, “आप ईश्वर तो है लेकिन फसल को कब क्या चाहिए, इसकी जानकारी नहीं है। जिसकी जरूरत भी नहीं होती है, वह भी देते रहते हैं। इसलिए आपसे मैं विनती करता हूं कि आप मुझे एक मौका दीजिए। मेरे कहे अनुसार मौसम कीजिए। फिर हम सब किसान अन्न के भंडार भर देंगे।”

ईश्वर मुस्कुराए और बोले, “ठीक है आज से तुम्हारे अनुसार मौसम रखूंगा।”

किसान खुश हो गया। किसान ने अगली फसल में गेहूं की बुवाई की। उसने जब चाहा तब धूप मिली, उसने जब चाहा पानी मिला, पानी की तो उसने बिल्कुल कमी नहीं आने दी। आंधी, बाढ़ और तेज धूप तो उसने आने ही नहीं दी।

समय बीतने पर फसल बढ़ी हुई। किसान भी बहुत खुश हुआ कि इस बार शानदार फसल दिख रही है।

किसान ने मन ही मन सोचा कि ईश्वर को अब पता चलेगा कि अच्छी फसल के लिए क्या-क्या जरूरी है। फालतू में ही किसान को परेशान करते रहते हैं।”

किसान फसल काटने के लिए खेत पहुंचा। गेहूं के पौधे की बालियों को हाथ लगाया तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने देखा कि किसी भी पौधे की बालियों में एक भी दाना नहीं था।

किसान दुखी हो गया और बोला, “हे ईश्वर! ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि मैंने तो सब कुछ सही किया और सही समय पर किया।”

इस पर ईश्वर बोले, “हे प्रिय किसान! ऐसा तो होना ही था। क्योंकि तुमने इन पौधों को बिल्कुल भी संघर्ष नहीं करने दिया। इन्हें ना तो तेज धूप में तपने दिया, ना ही आंधी का सामना करने दिया। इन्हें किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना नहीं करने दिया। इसलिए बाहर से भले ही अच्छे दिख रहे हो लेकिन ये अंदर से बिल्कुल खोखले हैं, इनके अंदर कुछ भी दाने नहीं।

पौधे जब विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हैं तो उनमें ऊर्जा पैदा होती है। यह ऊर्जा उनके अंदर सही सामर्थ्य पैदा करती, जिनके लिए वह बने है।

दोस्तों ठीक इसी प्रकार जब तक इंसान संघर्ष से नहीं गुजरता हैं, वह आदमी खोखला रह जाता है। जीवन की चुनौतियां ही उसके लिए उन्नति के नए रास्ते खोल देती हैं और आदमी को मजबूत और प्रतिभाशाली बनाती है। इसलिए आपके भी जीवन में मुसीबतें या चुनौतियां आए तो घबराना मत। यह आपको बिखेरने के लिए नहीं, निखारने के लिए आई है।

Tuesday, December 20, 2022

कबूतर की समझदारी

ऊँचे आकाश में सफेद कबूतरों की एक टोली उड़कर जा रही थी। 

बहुत दूर जाना था उन्हें। लंबा रास्ता था। सुबह से उड़ते-उड़ते थकान होने लगी थी। 

सूरज तेजी से चमक रहा था। कबूतरों को भूख लगने लगी थी। तभी उन्होंने देखा कि नीचे जमीन पर चावल के बहुत से दाने पड़े थे। 

कबूतरों ने एक-दूसरे से कहा, चलो भाई, थोड़ी देर रुककर कुछ खा लिया जाए। फिर आगे जाएँगे। एक बुजुर्ग कबूतर ने चारों ओर देखा। वहाँ दूर -दूर तक कोई घर या मनुष्य दिखाई नहीं दे रहा था। फिर चावल के ये दाने यहाँ कहाँ से आए ? 

बुजुर्ग कबूतर ने बाकी कबूतरों को समझाया, मुझे लगता है कि यहाँ कुछ गड़बड़ है। तुम लोग नीचे मत उतरो। 

लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं सुनी। सभी कबूतर तेजी से उतरे दाना चुगने लगे। 

इतने बढ़िया दाने बहुत दिनों के बाद खाने को मिले थे। 

वे बहुत खुश थे। जब सभी ने भरपेट खा लिया तो बोले चलो भाई, अब आगे चला जाए। लेकिन यह क्या ? जब उन्होंने उड़ने की कोशिश की तो उड़ ही नहीं पाए। दोनों के साथ-साथ वहाँ एक चिड़ीमार का जाल भी था, जिसमें उनके पाँव फँस गए थे। उन्हें अपनी गलती पर पछतावा हुआ। 

बूढ़ा कबूतर पेड़ पर बैठकर सब देख रहा था। उसने जब अपने साथियों को मुसीबत में देखा तो फौरन उड़ा और चारो ओर देखा। 

दूर उसे चिड़ीमार आता दिखाई दिया। 

वह फौरन लौटा और अपने साथियों को बताया। सब वहाँ से निकलने का उपाय सोचने लगे। 

तब बूढ़े कबूतर ने कहा, दोस्तों, एकता में बड़ी शक्ति होती है। सब एक साथ उड़ोगे तो जाल तुम्हें रोक नहीं पाएगा। 

उसने गिना - एक दो तीन। ........ उड़ो ..... 

सारे कबूतरों ने एक साथ जोर लगाया और जाल उनके साथ उठने लगा। जब तक चिड़ीमार वहाँ पहुँचा, तब तक जाल काफी ऊपर उठ चूका था। वह देखता ही रह गया और कबूतर जाल लेकर उड़ गए। बूढ़ा कबूतर सबसे आगे उड़ रहा था। 

काफी देर उड़ने के बाद वे नीचे उतरे। वहाँ कबूतरों के दोस्त चूहे रहते थे। चूहों ने अपने तेज दातों से जाल काट दिया। 

इस तरह बूढ़े कबूतर की समझदारी और साथ मिलकर काम करने से सभी कबूतर बच गए।

Sunday, December 11, 2022

आलस्य जीवन के लिए एक अभिशाप

एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन  वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश  करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था | अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये|आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है |ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग की कामना करता है| वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है,तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता| यहाँ तक कि  अपने पर्यावरण के प्रति  भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है | उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली |एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा –‘मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकड़ा, दो दिन के लिए दे कर, कहीं दूसरे गाँव जा रहा हूँ| जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे, वह स्वर्ण में परिवर्तित हो जायेगी| पर याद रहे कि दूसरे दिन सूर्यास्त के पश्चात मैं इसे तुमसे वापस ले लूँगा|’

 शिष्य इस सुअवसर को पाकर बड़ा प्रसन्न हुआ लेकिन आलसी होने के कारण उसने अपना पहला दिन यह कल्पना करते-करते बिता दिया कि जब उसके पास बहुत सारा स्वर्ण होगा तब वह कितना प्रसन्न, सुखी,समृद्ध और संतुष्ट रहेगा, इतने नौकर-चाकर होंगे कि उसे पानी पीने के लिए भी नहीं उठाना पड़ेगा | फिर दूसरे दिन जब वह  प्रातःकाल जागा,उसे अच्छी तरह से स्मरण था कि आज स्वर्ण पाने का दूसरा और अंतिम दिन है |उसने मन में पक्का विचार किया कि आज वह गुरूजी द्वारा दिए गये काले पत्थर का लाभ ज़रूर उठाएगा | उसने निश्चय किया कि वो बाज़ार से लोहे के बड़े-बड़े सामान खरीद कर लायेगा और उन्हें स्वर्ण में परिवर्तित कर देगा. दिन बीतता गया, पर वह इसी सोच में बैठा रहा की अभी तो बहुत समय है, कभी भी बाज़ार जाकर सामान लेता आएगा. उसने सोचा कि अब तो  दोपहर का भोजन करने के पश्चात ही सामान लेने निकलूंगा.पर भोजन करने के बाद उसे विश्राम करने की आदत थी , और उसने बजाये उठ के मेहनत करने के थोड़ी देर आराम करना उचित समझा. पर आलस्य से परिपूर्ण उसका शरीर नीद की गहराइयों में खो गया, और जब वो उठा तो सूर्यास्त होने को था. अब वह जल्दी-जल्दी बाज़ार की तरफ भागने लगा, पर रास्ते में ही उसे गुरूजी मिल गए उनको देखते ही वह उनके चरणों पर गिरकर, उस जादुई पत्थर को एक दिन और अपने पास रखने के लिए याचना करने लगा लेकिन गुरूजी नहीं माने और उस शिष्य का धनी होने का सपना चूर-चूर हो गया | पर इस घटना की वजह से शिष्य को एक बहुत बड़ी सीख मिल गयी: उसे अपने आलस्य पर पछतावा होने लगा, वह समझ गया कि आलस्य उसके जीवन के लिए एक अभिशाप है और उसने प्रण किया कि अब वो कभी भी काम से जी नहीं चुराएगा और एक कबनर्मठ, सजग और सक्रिय व्यक्ति कर दिखायेगा.

 मित्रों, जीवन में हर किसी को एक से बढ़कर एक अवसर मिलते हैं , पर कई लोग इन्हें बस अपने आलस्य के कारण गवां देते हैं.   यदि आप सफल, सुखी, भाग्यशाली, धनी अथवा महान  बनना चाहते हैं तो आलस्य और दीर्घसूत्रता को त्यागकर, अपने अंदर विवेक, कष्टसाध्य श्रम,और सतत् जागरूकता जैसे गुणों को विकसित कीजिये और जब कभी आपके मन में किसी आवश्यक काम को टालने का विचार आये तो स्वयं से एक प्रश्न कीजिये – “आज ही क्यों नहीं ?”

Thursday, December 1, 2022

असफलता जीवन का एक हिस्सा है

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे.

उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ?तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों को नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”

आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!

इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.

याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं.


Wednesday, November 23, 2022

अंतिम घर तो कब्रिस्तान

इब्राहिम बल्ख के बादशाह थे। सांसारिक विषय- भोगों से ऊबकर वे फकीरों का सत्संग करने लगे। बियाबान जंगल में बैठकर उन्होंने साधना की । एक दिन उन्हें किसी फरिश्ते की आवाज सुनाई दी, ‘मौत आकर तुझे झकझोरे, इससे पहले ही जाग जा । 

अपने को जान ले कि तू कौन है और इस संसार में क्यों आया है। ‘ यह आवाज सुनते ही संत इब्राहिम की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्हें लगा कि बादशाहत के दौरान अपने को बड़ा मानकर उन्होंने बहुत गुनाह किया है। वे ईश्वर से उन गुनाहों की माफी माँगने लगे।

एक दिन वे राजपाट त्यागकर चल दिए । निशापुर की गुफा में एकांत साधना कर उन्होंने काम, क्रोध, लोभ आदि आंतरिक दुश्मनों पर विजय पाई। वे हज यात्रा पर भी गए और मक्का में भी पहुँचे हुए फकीरों का सत्संग करते रहे।एक दिन वे किसी नगर में जा रहे थे कि चौकीदार ने पूछा, ‘तू कौन है?’ उन्होंने जवाब दिया, ‘गुलाम । ‘ उस चौकीदार ने फिर पूछा, ‘तू कहाँ रहता है, तो इस बार जवाब मिला, ‘कब्रिस्तान में ।’ 

सिपाही ने उन्हें मसखरा समझकर कोड़े लगा दिए, पर जैसे ही उसे पता चला कि वे पहुँचे हुए संत इब्राहिम हैं, तो वह उनके पैरों में गिरकर क्षमा माँगने लगा। संत ने कहा, ‘इसमें आखिर क्षमा माँगने की क्या बात है? तूने ऐसे शरीर को कोड़े लगाए हैं, जिसने बहुत वर्षों तक गुनाह किए हैं। ‘

कुछ क्षण रुककर उन्होंने कहा, ‘सारे मनुष्य खुदा के गुलाम हैं और गुलामों का अंतिम घर तो कब्रिस्तान ही होता है।’

Sunday, November 13, 2022

सही लक्ष्य का चुनाव

एक बार एक नौजवान लड़का रेलवे स्टेशन पर पहुंचा और स्टेशन पर पहुंचकर टिकट काउंटर पर गया और वह जाकर कहने लगा की मुझे एक टिकट दे दो काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने उससे पूंछा की आपको कहाँ का टिकट, चाहिए लड़के ने कहाँ टिकट दे दो.. आपको बात समझ नहीं आ रही हैं मुझे टिकट देदो..

काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने सोचा की ये सायद थोड़ा सा खिसका हुआ हैं इसलिए इस प्रकार की बातें कर रहा हैं काउंटर पे बैठे व्यक्ति ने फिर से पूंछा के अरे भाई साहब आपको कहाँ का टिकट चाहिए बताईये तो।

लड़के ने कहाँ अरे मैं तुमसे टिकट मांग रहा हूँ तुम्हे देना नहीं हैं क्या मुझे टिकट दे दो अब काउंटर पर बैठे व्यक्ति को थोड़ा गुस्सा आ गया और उसने उस व्यक्ति को भगा दिया और कहाँ पीछे बहुत सारे लोग खड़े हुए हैं तुम यहाँ से चले जाओ वरना मैं पुलिस को बुला लूँगा वो लड़का थोड़ा सा गुस्सा हुआ और वहाँ से चला गया और उसके बाद वो प्लेटफॉर्म पर आ गया जहाँ पर बहुत सारे लोग खड़े हुए थे और किसी ट्रैन का इंतजार कर रहे थे अब थोड़े देर के बाद ही वहाँ पर एक ट्रैन आ गयी अब सभी लोग उस ट्रैन में चढ़ने लगे वहाँ लड़का भी उस ट्रैन में चढ़ गया।

अब मैं सभी से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ जिसका जवाब आपको मुझे देना हैं आप बताएगा की वह लड़का अब कहाँ पर पहुंचेगा.. हां आप बताईये की वह लड़का अब कहाँ पहुंचेगा।

आप मुझे बताईये वह लड़का वहाँ पहुंचेगा जहाँ वाकई में उसे जाना हैं या फिर वो वहाँ पहुंचेगा जहाँ पर वो ट्रैन उसे ले जाएगी जी हां बिलकुल सही कहाँ आप ने वह लड़का वहाँ पहुंचेगा जहाँ वो ट्रैन लेकर के जाएगी।

अब आप भी अपने आप से पूछ कर देखिये की आप भी बिना लक्ष्य वाले ट्रैन में सफर तो नहीं कर रहे कई बार आप भी अपने माँ-बाप को दिखाने के चक्कर में अपने दोस्त-यार को दिखने के चक्कर में बिना लक्ष्य वाले ट्रैन में बैठ जाते हैं और उन्हें कुछ कर के दिखाना चाहते हैं क्या आपको लगता ही की ये सही हैं।

अब ट्रैन में बैठा व्यक्ति चला जा रहा है..चला जा रहा हैं.. लेकिन कुछ दिन के बाद वो बोर हो जाता हैं परेशान होने लगता हैं की ये मैं कहाँ जा रहा हूँ और फिर थोड़े दिन के बाद उसे एक स्टेशन दीखता हैं और बहुत सारे लोग उतर रहे होते हैं और फिर वो भी वहाँ पर उतर जाता हैं लेकिन स्टेशन पर उतरने के बाद उसे ये समझ में आता हैं की मुझे यहाँ आना ही नहीं था मुझे तो कहीं और जाना था।

अब फिर से आप अपने आप से पूछियेगा की कई बार आप किसी रास्ते पर निकल लेते हैं बिना लक्ष्य बनाये निकल लेते हैं और कुछ दिनों के बाद आपको यह महसूस होता हैं की आपको यह बनना ही नहीं था आपको तो यह करना ही नहीं था आप तो किसी और चीज़ के लिए परफेक्ट हैं और आपको तो वो करना था।। आप सिर्फ लोगो के दिखाने के चक्कर में किसी चीज़ को बनने की कोशिश करते हैं जब की असल में वो आप होते ही नहीं हैं।

एक बिना लक्ष्य के यात्रा करने पर आपका पूरा जीवन खराब हो सकता हैं और वहीं पर एक महत्वपूर्ण चीज़ खराब होती ही हैं जो कभी वापस नहीं आ सकती और वो हैं आपका समय और इसलिए सबसे पहले आप सही जगह का चुनाव करे की आपको जाना कहाँ हैं।

उसके बाद स्टेशन पर जाकर अपनी सही ट्रैन ढूंढे क्योकि वहाँ पर बहुत सारी ट्रेंने होंगी बहुत सारे लोग अलग-अलग ट्रैन में चढ़ रहे होंगे लेकिन आपको अपनी ट्रैन ढूढ़ना हैं जो आपको अपने सही लक्ष्य पर पहुँचाएगी।

यदि आप किसी को दिखाने के लिए कोई भी काम कर रहे हो तो आप उसे आज ही छोड़ दीजिये और अपने एक सही लक्ष्य का चुनाव कीजिये जो आपको एक सही यात्रा पर पहुँचाएगी। 

कई लोग अपने जीवन में बिना लक्ष्य के घूमते रहते हैं, भटकते रहते हैं, परेशान होते रहते हैं और जीवन के अंत में कहते हैं की मैंने अपने जीवन में कुछ नहीं पाया क्या आप भी उनमे से एक बनना चाहते हैं या फिर एक सही लक्ष्य का चुनाव कर के अपने जीवन को ख़ुशी-ख़ुशी प्रसन्ता से जीना चाहते हैं फैसला आपका हैं।।

Tuesday, November 8, 2022

परिस्थितियों को दोष देना

एक आदमी रेगिस्तान में फंस गया था 
वह मन ही मन अपने आप को बोल रहा था कि यह कितनी अच्छी और सुंदर जगह है
अगर यहां पर पानी होता तो यहां पर कितने अच्छे-अच्छे पेड़ उग रहे होते 
और यहां पर कितने लोग घूमने आना चाहते होंगे
 मतलब ब्लेम कर रहा था
 कि यह होता तो वो होता  और वो होता  तो शायद ऐसा होता 
ऊपरवाला देख रहा था अब उस इंसान ने सोचा यहां पर पानी नहीं दिख रहा है 
उसको थोड़ी देर आगे जाने के बाद उसको एक कुआं दिखाई दिया जो कि
 पानी से लबालब भरा हुआ था काफी देर तक
 विचार-विमर्श करता रहा खुद से

 फिर बाद उसको वहां पर एक रस्सी और बाल्टी  दिखाई दी  इसके बाद कहीं से
एक पर्ची उड़ के आती है जिस पर्ची में लिखा हुआ था कि तुमने कहा था कि
यहां पर पानी का कोई स्त्रोत  नहीं है अब तुम्हारे पास पानी का स्रोत भी है
अगर तुम चाहते हो तो यहां पर पौधे लगा सकते हो
वह चला गया दोस्तों
 तो यह कहानी हमें क्या सिखाती है
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
अगर आप परिस्थितियों को दोष देना चाहते हो कोई दिक्कत नहीं है
 लेकिन आप परिस्थितियों को दोष देते हो कि अगर यहां पर ऐसा  हो और
आपको वह सोर्सेस मिल जाए तो क्या परिस्थिति को बदल सकते हो