Saturday, June 29, 2024

खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है

किसी समय की बात हैएक छोटे से गाँव में आर्या नाम की एकलड़की रहती थी। आर्या बहुत ही मेहनती और होशियार थीलेकिन उसमें आत्मविश्वास की कमी थी। वहहमेशा खुद को कमजोर और असफल समझती थी। उसे लगता था कि वह जीवन में कुछ भी बड़ा नहीं करसकती।गाँव में हर साल एक मेला लगता थाजिसमें विभिन्न प्रतियोगिताएं होती थीं। इस बार मेले में दौड़ कीएक बड़ी प्रतियोगिता होनी थी। गाँव के सभी युवा उत्साहित थे और उन्होंने उसमें भाग लेने की तैयारी शुरू करदी थी। आर्या भी दौड़ में भाग लेना चाहती थीलेकिन उसे खुद पर विश्वास नहीं था। उसने सोचा कि वह कभीनहीं जीत पाएगी और उसने भाग लेने का विचार छोड़ दिया।आर्या के माता-पिता ने उसे प्रोत्साहित किया औरकहा, "बेटाखुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। जब तक तुम अपने आप पर विश्वास नहीं करोगीतुम कभी कुछ हासिल नहीं कर पाओगी।"आर्या ने माता-पिता की बात सुनीलेकिन उसकी निराशा दूर नहींहुई। एक दिनउसने गाँव के बुजुर्ग संतमहेश बाबासे अपनी चिंता व्यक्त की। महेश बाबा ने उसे ध्यान सेसुना और कहा, "आर्याखुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। तुम्हारे अंदर असीम शक्तियाँ हैंबसतुम्हें उन्हें पहचानना है।"आर्या ने पूछा, "बाबामैं कैसे अपने अंदर की शक्तियों को पहचान सकती हूँ?"महेशबाबा ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटाचलो मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ। एक जंगल में एक शेरनी ने एक छोटेहिरण को जन्म दिया। शेरनी ने उसे बहुत प्यार से पाला और उसे अपने ही बच्चों की तरह सिखाया। हिरण भीअपने आप को शेर समझने लगा और शेरों की तरह ही जंगल में घूमने लगा। एक दिनउसने अपने ही प्रतिबिंबको पानी में देखा और उसे समझ में आया कि वह तो शेर नहींबल्कि एक हिरण है। उसे लगा कि वह कमजोरहै और शेरों के बीच जीने लायक नहीं है। उसने जंगल छोड़ने का निश्चय किया।"महेश बाबा ने आगे कहा, "परंतुजब वह जंगल छोड़कर जा रहा थातो उसने देखा कि एक अन्य शेर ने उसे पकड़ लिया और उसेबताया कि शेर होने का मतलब ताकत और आत्मविश्वास है कि दिखने में। हिरण ने अपनी ताकत औरआत्मविश्वास को पहचाना और वह जंगल का सबसे बहादुर प्राणी बन गया।"आर्या ने महेश बाबा की कहानीसे प्रेरित होकर सोचा कि उसे भी अपनी ताकत और आत्मविश्वास को पहचानना चाहिए। उसने निर्णय लियाकि वह दौड़ की प्रतियोगिता में भाग लेगी और अपनी पूरी मेहनत से तैयारी करेगी।आर्या ने अगले कुछ हफ्तों मेंकड़ी मेहनत की। उसने प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर दौड़ने की प्रैक्टिस की और अपनी फिटनेस पर ध्यान दिया।धीरे-धीरेउसे अपने अंदर आत्मविश्वास महसूस होने लगा। वह अपने आप को कमजोर समझना बंद कर चुकीथी और अपनी ताकत को पहचानने लगी थी।प्रतियोगिता का दिन  गया। गाँव के सभी लोग मेले में इकट्ठेहुए और दौड़ की शुरुआत का इंतजार करने लगे। आर्या ने अपने दिल में दृढ़ संकल्प लिया कि वह अपनी पूरीकोशिश करेगी और हार नहीं मानेगी। दौड़ शुरू हुई और आर्या ने अपनी पूरी शक्ति से दौड़ना शुरू किया। रास्तेमें कई कठिनाइयाँ आईंलेकिन उसने हार नहीं मानी और अंततः उसने दौड़ जीत ली।गाँव के सभी लोग आर्याकी सफलता से बहुत खुश हुए और उसे बधाई देने के लिए आए। आर्या के माता-पिता की आँखों में गर्व केआँसू थे। महेश बाबा ने आर्या से कहा, "देखा बेटाजब तुमने अपने आप को कमजोर समझना बंद कर दियाऔर अपनी ताकत को पहचानातो तुमने असंभव को संभव कर दिखाया।"आर्या ने अब समझ लिया था किखुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। उसने अपने जीवन में इस सीख को हमेशा के लिए अपनालिया। उसने खुद पर विश्वास करना सीखा और हर चुनौती का सामना आत्मविश्वास के साथ करने लगी।धीरे-धीरेआर्या गाँव की सबसे सफल और प्रेरणादायक व्यक्ति बन गई। उसकी कहानी से प्रेरित होकर गाँवके अन्य युवा भी अपने आप पर विश्वास करने लगे और अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने लगे।आर्या कीसफलता की कहानी गाँव के हर कोने में गूंजने लगी। लोग अब उसकी तारीफ करते नहीं थकते थे। उसने केवल अपनी मेहनत और लगन से खुद को साबित कियाबल्कि गाँव के हर व्यक्ति के लिए एक मिसाल बनगई।आर्या ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद शहर जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त की। वहाँ भी उसने अपनी मेहनतऔर आत्मविश्वास से नये मुकाम हासिल किए। वह एक सफल उद्यमी बनी और उसने अपने गाँव के विकास केलिए भी कई परियोजनाएँ शुरू कीं।गाँव में एक दिन आर्या का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। महेशबाबा ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा, "आर्यातुमने सिद्ध कर दिया कि खुद पर विश्वास और मेहनत से हरमंजिल पाई जा सकती है। तुम्हारी कहानी हमें यह सिखाती है कि खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पापहै।"इस कहानी से यह सीख मिलती है कि जब तक हम अपने आप को कमजोर समझते रहेंगेहम कभी भीअपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। हमें अपने अंदर की शक्तियों को पहचानना चाहिए और आत्मविश्वासके साथ हर चुनौती का सामना करना चाहिए। यही हमें सफलता की ओर ले जाता है।

Monday, June 24, 2024

बड़े-बड़े सपने

गाँव में एक युवा लड़काअर्जुनरहता था। उसकी आँखों में बड़े-बड़े सपने थे और दिल में असीम साहस।परंतुउसके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। अर्जुन के पिता एक साधारण किसान थे और माँगृहिणी। उनका गुजारा मुश्किल से हो पाता था। गाँव के लोग अर्जुन को उसके सपनों के लिए अक्सर तानेमारते थे। वे कहते, "अर्जुनतुम क्यों बड़े-बड़े सपने देखते होहमारे गाँव में तो किसी ने कभी कुछ बड़ा नहींकिया।"अर्जुन के पास एक ही सहारा था – उसकी आत्मा में अटूट विश्वास। उसे अपने दादा जी की कही एकबात हमेशा याद रहती, "कभी मत सोचो कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा पापहै।"एक दिनगाँव में एक महान साधु आए। उन्होंने लोगों को उपदेश दिया और अर्जुन ने भी उनके प्रवचन कोसुना। साधु ने कहा, "मनुष्य का आत्मविश्वास ही उसे महान बनाता है। अगर तुम सोचते हो कि तुम निर्बल होतो तुम पहले ही हार चुके हो।"अर्जुन ने साधु से मिलने का निश्चय किया। साधु ने अर्जुन की आँखों में चमकदेखी और पूछा, "बेटाक्या तुम मुझसे कुछ पूछना चाहते हो?"अर्जुन ने उत्तर दिया, "महाराजमेरे पास बहुतबड़े सपने हैंपरंतु लोग कहते हैं कि मैं उन्हें पूरा नहीं कर सकता। क्या सच में कुछ भी असंभव है?"साधुमुस्कुराए और बोले, "अर्जुनयह मत भूलो कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। जो व्यक्ति यह सोचताहै कि वह निर्बल हैवह सबसे बड़ा पाप करता है। अपनी आत्मा की शक्ति पर विश्वास रखो और अपने सपनोंको साकार करने के लिए कठिन परिश्रम करो।"यह सुनकर अर्जुन का आत्मविश्वास और भी बढ़ गया। उसनेठान लिया कि वह अपने सपनों को साकार करके रहेगा। अर्जुन ने पढ़ाई में और मेहनत कीखेती में अपने पिताकी मदद कीऔर अतिरिक्त काम करके कुछ पैसे भी कमाए। उसने अपनी शिक्षा के लिए धन एकत्र कियाऔर शहर के सबसे अच्छे विद्यालय में दाखिला लिया।शहर में अर्जुन को कई कठिनाइयों का सामना करनापड़ालेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसकी आत्मा की शक्ति और दृढ़ विश्वास ने उसे हर मुसीबत से पारपाने का साहस दिया। पढ़ाई के दौरानउसने कई बार निराशा का सामना कियापरंतु हर बार अपने दादा जीकी बातों को याद कर वह फिर से उठ खड़ा हुआ।समय बीतता गया और अर्जुन की मेहनत रंग लाई। उसनेअपनी शिक्षा पूरी की और एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक बन गया। अब वह अपने गाँव लौट आया थालेकिन इसबार एक बड़े वैज्ञानिक के रूप मेंजिसने नई-नई खोजें की थीं और विज्ञान की दुनिया में अपना नाम कमायाथा।गाँव के लोग अब उसकी ओर श्रद्धा से देखते थे। उन्हें अर्जुन पर गर्व था और वे अब समझ चुके थे किआत्मा की शक्ति और आत्मविश्वास से कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है।एक दिनअर्जुन ने गाँव केयुवाओं को संबोधित करते हुए कहा, "भाइयों और बहनोंकभी मत सोचो कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है।यह सबसे बड़ा पाप है। यदि तुम अपने आप पर विश्वास रखते हो और कठोर परिश्रम करते होतो कोई भीसपना इतना बड़ा नहीं होता जिसे तुम पूरा  कर सको।"अर्जुन की कहानी ने गाँव के युवाओं को प्रेरित किया।अब वे भी अपने सपनों को साकार करने के लिए जुट गए थे। अर्जुन का आत्मविश्वास और उसकी आत्मा कीशक्ति ने पूरे गाँव को एक नया दृष्टिकोण दिया था।अर्जुन की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि आत्मा कीशक्ति और आत्मविश्वास से कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है। हमें कभी भी अपने आप को या दूसरोंको निर्बल नहीं समझना चाहिए। आत्मा की असीम शक्ति और विश्वास हमें हर मुश्किल से पार ले जा सकतेहैं।अर्जुन की इस यात्रा ने साबित कर दिया कि वास्तव में, "कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभवहै। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप हैतो वो यही हैये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्यनिर्बल हैं।"